Wednesday 26 April 2017

कुल्हाड़ी से पुजारी की हत्या करने के दोषी को उम्रकैद





मंडी। मंदिर के पुजारी की कुल्हाडी से हत्या करने के आरोपी को अदालत ने कठोर उम्र कैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा आरोपी को दस हजार रूपये जुर्माना भी अदा करना होगा। अतिरिक्त सत्र न्यायधीश (दो) कृष्ण कुमार के न्यायलय ने मंडी जिला की धर्मपुर तहसील के सकोह (सिधपुर) निवासी कनाकडू राम पुत्र रमेश चंद के खिलाफ भादंस की धारा 302 के तहत अभियोग साबित होने पर उसे कठोर उम्र कैद और दस हजार रूपये जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार लोनिवि में कार्यरत कनिष्ठ तकनिशियन सकोह निवासी सुरेश कुमार ने 8 मई 2015 को धर्मपुर थाना पुलिस को फोन पर सूचना दी कि सकोह हनुमान मंदिर के पुजारी का आरोपी ने कुल्हाडी से वार करके कत्ल कर दिया है। जिस पर थाना प्रभारी बिधी चंद की अगुवाई में पुलिस दल मौका पर पहुंचा। जहां पर सुरेश ने बताया कि जब वह डयूटी से वापिस लौटा तो उनकी पत्नी ने बताया कि आरोपी कनाकडू मंदिर में बाड लगाने के लिए कुल्हाडी मांग कर ले गया है। कुछ देर बाद आरोपी फिर से सुरेश के घर आया और उसे कहा कि पुजारी मंदिर में उन्हें बुला रहा है। मंदिर जाते समय रास्ते में आरोपी ने बताया कि उसने पुजारी बाबा राम दास त्यागी की कुल्हाडी से हत्या कर दी है। इसके बाद आरोपी वहां से फरार हो गया। इस पर सुरेश ने पुलिस और सिधपुर ग्राम पंचायत प्रधान को घटना की सूचना दी और मौका स्थल पर आकर देखा कि पुजारी का शव मंदिर के एक कोने में पडा हुआ था। पुलिस ने घटना स्थल का निरिक्षण करते हुए हत्या का मामला दर्ज करके अगले दिन ही आरोपी को हिरासत में ले लिया था। जिसके बाद आरोपी के खिलाफ हत्या का अभियोग अदालत में अभियोग चलाया गया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए उप जिला न्यायवादी अनुज शर्मा ने 10 गवाहों के माध्यम से आरोपी के खिलाफ अभियोग को साबित किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ हत्या का अभियोग संदेह की छाया से दूर साबित हुआ है। जिसके चलते अदालत ने आरोपी को कठोर उम्र कैद और दस हजार रूपये जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है।
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Tuesday 25 April 2017

पंडोह में विधिक साक्षरता शिविर आयोजित





मंडी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से रविवार को ग्राम पंचायत पंडोह में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट तीन अशोक कुमार ने की। इस मौके पर उन्होने कहा कि इन शिविरों में लोगों को रोजमर्रा के जीवन में काम आने वाले कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी जाती है। इसके अलावा लोगों को उनके अधिकारों व कर्तव्यों के बारे में भी अवगत करवाया जाता है। इस अवसर पर उन्होने बताया कि विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से सभी महिलाओं, अनुसूचित जाति व जनजाति, अपंग, फैक्टरी मजदूरों, आपदा प्रभावितों तथा एक लाख रूपये से कम वार्षिक आमदनी वाले लोगों को मुफत कानूनी सहायता दी जाती है। यह सहायता प्राप्त करने के लिए सादे कागज पर प्राधिकरण के पास आवेदन करना होता है। इस मौके पर उन्होने मोटर वाहन, उपभोक्ता, घरेलू हिंसा अधिनियम तथा सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण पोषण देने के बारे में भी जानकारी दी। इस अवसर पर अधिवक्ता समीर कश्यप ने मनरेगा, सूचना का अधिकार, मिडिएशन और ग्रामीण संरक्षण एवं सहायता केंद्रों के बारे में अवगत करवाया। शिविर में ग्राम पंचायत प्रधान शीला देवी, उपप्रधान इंद्रजीत शर्मा, वार्ड सदस्य भामा देवी, माला, विधिक प्राधिकरण के रमेश, नरेन्द्र ठाकुर, पवन तथा स्थानीय वासी मौजूद थे। स्थानीय प्रधान ने पंचायत में यह शिविर आयोजित करने और कानूनी जानकारी देने के लिए मुखय अतिथि तथा विशेष अतिथियों का धन्यावाद किया।
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Friday 21 April 2017

वकीलों ने लॉ कमीशन के प्रस्तावों की प्रतियां जलाई, अदालतों का बाहिष्कार किया





मंडी। बार कौंसिल आफ इंडिया की देशव्यापी काल पर जिला बार एसोसिएशन ने एडवोकेट एक्ट में प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ शुक्रवार को अदालती कार्यवाही का बाहिष्कार किया। अधिवक्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए इन संशोधनों की प्रतियों को जलाया और जमकर नारेबाजी की। इसके अलावा उपायुक्त मंडी के माध्यम से केंद्र सरकार को इन संशोधनों को वापिस लेने के लिए ज्ञापन भी प्रेषित किया है। बार कौंसिल की काल पर शुक्रवार को जिला बार एसोसिएशन ने अपना अपना विरोध प्रदर्शन किया। अधिवक्ताओं ने मंडी शहर में जूलूस निकाल कर इन अलोकतांत्रिक प्रस्तावित प्रावधानों का पुरजोर विरोध करते हुए चौहट्टा बाजार में इसकी प्रतियों को जलाया और अदालतों का बाहिष्कार किया। चौहट्टा बाजार में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए प्रदेश बार कौंसिल व जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने इन प्रावधानों का पुरजोर विरोध किया। उनका कहना था कि विधि आयोग की रिर्पोट के आधार पर केंद्र सरकार संसद में एडवोकेट एक्ट में संशोधन करना चाहती है। यह संशोधन विधिक समुदाय की स्वतंत्रता और स्वायतता पर हमला है। इन संशोधनों से बार कौंसिल आफ इंडिया व प्रदेश कौंसिल के कार्यकलापों पर मनोनीत सदस्यों का वर्चस्व हो जाएगा। यह मनोनीत सदस्य सेवानिवृत न्यायधीश, वरिष्ठ अधिवक्ता या विभिन्न क्षेत्रों के नामचीन लोग होंगे। अधिवक्ताओं की अनुशासन कमेटी में भी पुर्व न्यायधीशों का दबदबा हो जाएगा। बार कौंंसिल आफ इंडिया के सदस्यों का राज्यों से चयन रोटेशन से होगा। उन्होने बताया कि 6 राज्यों के जोन में सिर्फ एक सदस्य दो साल के लिए चुना जाएगा। जिससे प्रत्येक राज्य से 12 साल बाद ही एक सदस्य बार कौंसिल आफ इंडिया के लिए चुना जा सकेगा और राज्य बार कौंसिलों को इस अवधि में प्रतिनिधित्व के बगैर रहना पडेगा। उनका कहना था कि यह संशोधन पूरी तरह से अलोकतांत्रिक हैं और विधि समुदाय को पूर्व जजों या मनोनीत सदस्यों के अधीन होना पडेगा। क्योंकि एक तिहाई सदस्य भी विधि समुदाय से नहीं होंगे। जिससे अधिवक्ताओं की पेशागत स्वतंत्रता और स्वायतता पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी। उन्होने कहा कि अधिवक्ता वर्ग ही देश में लोकतांत्रिक मुल्यों की लडाई के प्रवक्ता और अगुवा रहे हैं। लेकिन सरकार इन संशोधनों का दुरूपयोग करके लोकतंत्र के दूसरे स्तंभों की स्वायतता को कुचलने का कार्य भी कर सकती है। उन्होने कहा कि इन संशोधनों के मुताबिक अधिवक्ताओं के कदाचार के मामलों की सुनवाई बार कौंसिल से छीन कर न्यायधीशों को दी जा रही है। उन्होने कहा कि इन संशोधनों के तहत मुव्वकिल (क्लाइंट) वकील के खिलाफ गैर हाजरी या अन्य कारणों से क्लेम याचिका दायर कर सकता है। इसके अलावा अधिवक्ता को कदाचार के लिए 3 लाख रूपये जुर्माना भी हो सकता है। उन्होने कहा कि संशोधनों से विधिक समुदाय की स्वयं नियंत्रित की जाने वाली व्यवस्था को समाप्त किये जाने की साजिश रची जा रही है। अधिवक्ता वर्ग ने इन काले संशोधनों को कानून नहीं बनाने की चेतावनी देते हुए केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि इन्हें तुरंत वापिस लिया जाए। अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी है कि इस बाबत जल्द निर्णय नहीं लिया गया तो आगामी 2 मई को देश भर के अधिवक्ता संसद का घेराव करेंगे। जनसभा को प्रदेश बार कौंसिल के पुर्व अध्यक्ष देश राज शर्मा, पुर्व उपाध्यक्ष नरेन्द्र गुलेरिया और जिला बार एसोसिएशन के प्रधान संजय मंडयाल ने संबोधित किया। अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को अदालतों की कार्यवाही का पुर्ण रूप से बाहिष्कार किया। इसके अलावा उपायुक्त के माध्यम से प्रेषित ज्ञापन के माध्यम से केंद्र सरकार को इन संशोधनों को वापिस लेने की मांग की है।
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Sunday 2 April 2017

मनरेगा कानून को सही तरीके से लागू किया जाएः संत राम





मंडी। मनरेगा कानून 2005 को ठीक ढंग से लागू करने के लिए जिला परिषद सदस्य संत राम ने ग्रामीण विकास अभिकरण के उपनिदेशक एवं परियोजना अधिकारी को ज्ञापन सौंपा है। संत राम ने कहा कि मनरेगा के ठीक ढंग से क्रियान्वयन न होने से संबंधित प्रार्थना पत्र प्रदेश सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक को लिखा था। जिस पर संज्ञान लेते हुए निदेशक ने उपनिदेशक एवं परियोजना अधिकारी को पत्र जारी करके क्रियान्वयन में आ रही समस्याओं तथा दिशानिर्देशों के उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उचित कार्यवाही करने को कहा था। उन्होने बताया कि इन निर्देशों के बावजूद भी मनरेगा कानून की जमीनी स्तर पर धज्जियां उडाई जा रही है। इसका खुलासा हाल ही में ग्राम पंचायत ठाणा, घाट, खलवाहण, सोमगाड, भनवास, थाची, मुराह, खणी व अन्य पंचायतों में जनसंपर्क के दौरान हुआ है। उन्होने बताया कि किसी भी पंचायत में कायदे के अनुसार काम मांगने पर पावती रसीदें नहीं दी जाती हैं। क्षेत्र के सैंकडों मनरेगा मजदूरों को समय पर काम नहीं मिल रहा है और न ही वेतन भुगतान समय पर हो रहा है। मनरेगा कानून के अनुसार कार्यस्थलों पर कोई सुविधा नहीं दी जाती है और न ही प्रावधानों के तहत मनरेगा रोजगार दिवस मनाया जाता है। उन्होने बताया कि अपने प्रयासों से पहली बार 27 व 29 जनवरी को खलवाहण पंचायत में मनरेगा रोजगार दिवस का आयोजन किया गया। इस दौरान 567 मनरेगा मजदूरों ने काम के लिए आवेदन किया था। जिन्हें प्रशासन ने मात्र तीन दिनों का काम ही मुहैया करवाया। इसी तरह विगत 15 फरवरी को ठाणा पंचायत में भी रोजगार दिवस आयोजित किया गया और इस दिन 398 मजदूरों ने काम के लिए आवेदन किया। इन मजदूरों को एक माह बाद काम दिया गया। उन्होने कहा कि इन मनरेगा रोजगार दिवसों में संबंधित स्टाफ का रवैया नकारात्मक रहता है। खलवाहण वार्ड से जिप सदस्य संत राम ने मांग की है कि मनरेगा कानून को इसकी आत्मा के अनुरूप लागू किया जाए और इसके क्रियान्वयन के लिए पर्याप्त स्टाफ मुहैया करवा जाए। इसके अलावा मनरेगा रोजगार दिवस नियमित रूप से आयोजित करने तथा आवेदन के समय प्राप्ती की रसीदें देना सुनिश्चित किया जाए। उन्होने मनरेगा के प्रावधानों को सही ढंग से लागू करने में कोताही बरतने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कडी कार्यवाही करने की मांग की है।
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Saturday 1 April 2017

ननावां में गुणवतापूर्ण शिक्षा देने पर चर्चा



मंडी। ग्राम पंचायत मराथू के ननावां आंगनवाडी केंद्र में गुणवतापुर्ण शिक्षा के बारे में शनिवार को चर्चा की गई। जिसमें राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला ननावां के प्रधानाचार्य सत्यपाल गौतम, सेंटर हेड टीचर महेश शर्मा विशेष रूप से मौजूद थे। उन्होंने प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग की ओर से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और स्कूलों में दी जा रही सुविधाओं के बारे में स्थानीय वासियों को जानकारी दी। सीएचटी महेश शर्मा ने बताया कि राजकीय प्राथमिक स्कूल ननावां में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा उच्च शिक्षित अध्यापकों के माध्यम से दी जा रही है। इतना ही बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा भी मुहैया करवाई जा रही है। उच्च पाठशाला के प्रवक्ता योगेश शर्मा और नानक चंद शर्मा ने भी सरकारी क्षेत्र में गुणवतापुर्ण शिक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी। उन्होने स्थानीय वासियों से सरकारी स्कूलों में मुहैया करवाई जा रही बेहतर शिक्षा सुविधाओं का अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने का आहवान किया। इस मौके पर सेवानिवृत सीएचटी बेसर सिंह, युवक मंडल ननावां के संरक्षक भूपेंद्र सिंह, आंगनवाडी कार्यकर्ता, देविंद्रा देवी, भवानी देवी, राधा देवी, भूमा देवी, चंद्रावती, महिला मंडल उपप्रधान कांता देवी, अति देवी तथा अन्य स्थानीय वासी मौजूद थे।
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एडवोकेट एक्ट में संशोधन के खिलाफ मंडी में गरजे वकील




मंडी। एडवोकेट एक्ट में प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ बार कौंसिल आफ इंडिया की देशव्यापी काल पर जिला बार एसोसिएशन ने हडताल की। अधिवक्ताओं ने इन संशोधनों को विरोध करते हुए जमकर नारेबाजी की और अदालतों का बाहिष्कार किया। बार कौंसिल आफ इंडिया के आहवान पर जिला बार एसोसिएशन ने शनिवार को हडताल की। सुबह ही न्यायलय परिसर में अधिवक्ताओं का एकत्र होना शुरू हो गया। जिसके बाद अधिवक्ताओं ने जिला न्यायलय परिसर से अपना जूलूस शुरू करके शहर का चक्कर लगाते हुए चौहट्टा बाजार में जनसभा का आयोजन किया। इस दौरान अधिवक्ताओं व शहरवासियों को संबोधित करते हुए प्रदेश बार कौंसिल व जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना था कि विधि आयोग की रिर्पोट के आधार पर केंद्र सरकार संसद में एडवोकेट एक्ट में संशोधन करना चाहती है। यह संशोधन विधिक समुदाय की स्वतंत्रता और स्वायतता पर हमला है। इन संशोधनों से बार कौंसिल आफ इंडिया व प्रदेश कौंसिल के कार्यकलापों पर मनोनीत सदस्यों का वर्चस्व हो जाएगा। यह मनोनीत सदस्य सेवानिवृत न्यायधीश, वरिष्ठ अधिवक्ता या विभिन्न क्षेत्रों के नामचीन लोग होंगे। अधिवक्ताओं की अनुशासन कमेटी में भी पुर्व न्यायधीशों का दबदबा हो जाएगा। बार कौंंसिल आफ इंडिया के सदस्यों का राज्यों से चयन रोटेशन से होगा। उन्होने बताया कि 6 राज्यों के जोन में सिर्फ एक सदस्य दो साल के लिए चुना जाएगा। जिससे प्रत्येक राज्य से 12 साल बाद ही एक सदस्य बार कौंसिल आफ इंडिया के लिए चुना जा सकेगा और राज्य बार कौंसिलों को इस अवधि में प्रतिनिधित्व के बगैर रहना पडेगा। यह संशोधन पूरी तरह से अलोकतांत्रिक हैं और विधि समुदाय को पूर्व जजों या मनोनीत सदस्यों के अधीन होना पडेगा। क्योंकि एक तिहाई सदस्य भी विधि समुदाय से नहीं होंगे। उन्होने कहा कि इन संशोधनों से पेशागत स्वतंत्रता और स्वायतता पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी। उन्होने कहा कि अधिवक्ता वर्ग ही देश में लोकतांत्रिक मुल्यों की लडाई के प्रवक्ता और अगुवा रहे हैं। लेकिन सरकार इन संशोधनों का दुरूपयोग करके लोकतंत्र के दूसरे स्तंभों की स्वायतता को कुचलने का कार्य भी कर सकती है। उन्होने कहा कि इन संशोधनों के मुताबिक अधिवक्ताओं के दुव्र्यवहार के मामलों की सुनवाई बार कौंसिल से छीन कर न्यायधीशों को दी जा रही है। जबकि जजों के दुव्र्यवहार के लिए कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं है सिर्फ महाभियोग के। जो इस लोकतंत्र में कभी भी सफल नहीं हो पाया है। उन्होने कहा कि इन संशोधनों के तहत मुव्वकिल (क्लाइंट) वकील के खिलाफ गैर हाजरी या अन्य कारणों से क्लेम याचिका दायर कर सकता है। इसके अलावा अधिवक्ता को दुव्र्यवहार के लिए 3 लाख रूपये जुर्माना भी हो सकता है। उन्होने कहा कि संशोधनों से विधिक समुदाय की स्वयं नियंत्रित किए जाने वाली व्यवस्था को समाप्त किये जाने की साजिश रची जा रही है। अधिवक्ता वर्ग ने इन काले संशोधनों को कानून नहीं बनाने की चेतावनी देते हुए केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि इन्हें तुरंत वापिस लिया जाए। अन्यथा देश भर के अधिवक्ता संघर्ष का रास्ता अखतियार करेंगे। जनसभा को प्रदेश बार कौंसिल के पुर्व अध्यक्ष देश राज शर्मा और जिला बार एसोसिएशन के प्रधान संजय मंडयाल ने संबोधित किया। इसके बाद अधिवक्ताओं ने अदालतों की कार्यवाही का पुर्ण रूप से बाहिष्कार किया। जिसके चलते शनिवार को जिला एवं सत्र न्यायलय में अदालती कार्यवाही प्रौक्सी अधिवक्ताओं के माध्यम से पूरी करवाई गई।
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मंडी में बनाया जाए आधुनिक पुस्तकालयः शहीद भगत सिंह विचार मंच

मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी मंडी में आधुनिक और बेहतरीन पुस्तकालय के निर्माण की मांग की गई है। इस संदर्भ में शहर की संस्...