Thursday 5 December 2019

हैदराबाज की डॉक्टर के साथ घृणित मामले में हो कड़ी कार्रवाईः शहीद भगत सिंह विचार मंच




मंडी। शहीद भगत सिंह विचार मंच ने हैदराबाद की वेटनरी डाक्टर के घृणित मामले में कडी कार्यवाई अमल में लाने की मांग की है। महामहिम राष्ट्रपति को उपायुक्त मंडी के माध्यम से प्रेषित ज्ञापन में मंच ने मांग की है कि निर्भया फण्ड के तहत चलने वाली योजनाओं को शीघ्रातिशीघ्र अमली जामा पहनाया जाए। वीरवार को शहीद भगत सिंह विचार मंच की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल ने अतिरिक्त उपायुक्त अनुराग गर्ग के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किया है। ज्ञापन में मांग की गई है कि हैदराबाद की वेटनरी डाक्टर से सामुहिक दुराचार करने, हत्या करने और उसे जला देने की वीभत्स घटना के मामले में कडी से कडी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए और भविष्य में इस तरह की किसी घटना की पुनरावृति को रोकने के लिए सुनिश्चित कदम उठाए जाएं। मंच के संयोजक समीर कश्यप के मुताबिक दिल्ली में 2012 में घटित निर्भया कांड की जघन्यता ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। पूरे देश में महिलाओं और बच्चियों की असुरक्षा को लेकर लोगों में गुस्सा था। जनता के दबाव के कारण तात्कालीन यूपीए सरकार ने 2013 के बजट में निर्भया फण्ड की घोषणा की थी। इस फण्ड से कई योजनाओं को लागू करने के लिए देश के सभी राज्यों को पैसे आबंटित किए जाने थे। अभी तक इस निधी में करीब 3600 करोड रूपये दिए जा चुके हैं। लेकिन इस राशि का 80 प्रतिशत पैसा राज्यों ने खर्च ही नहीं किया है। मंच के अनुसार इससे जाहिर होता है कि इस सवाल को लेकर सरकारें गंभीर नहीं हैं। निर्भया फण्ड के तहत आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली, केन्द्रीय पीड़िता मुआवज़ा कोष, स्त्रियों और बच्चों के विरूद्ध साइबर अपराध रोकथाम, वन स्टॉप स्कीम, महिला पुलिस वॉलण्टियर और महिला हेल्पलाइन स्कीम को सार्वभौमिक बनाना था। मंच के अनुसार नेशनल क्राइम ब्यूरो की 2016 की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में बलात्कार के मामलों में 12.4 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। सुप्रीम कोर्ट में पेश की गयी एक रिपोर्ट के अनुसार देश भर में हर दो घंटे में 11 यौन हिंसा के अपराध होते है। भारत को दुनिया में स्त्रियों के लिए सबसे खतरनाक देश का दर्जा दिया जा रहा है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान स्त्रियों के विरूद्ध हिंसा की वीभत्स घटनाएं भयानक तेजी के साथ बढी हैं। मंच का कहना है कि स्त्रियों के विरूद्ध अपराधों को केवल कानून बनाकर और कुछ सरकारी इन्तज़ाम करके ही नहीं रोका जा सकता। जब तक समाज में स्त्री विरोधी और पुरूष वर्चस्ववादी मानसिकता हावी रहेगी, जब तक उन्हें भोग की वस्तु और बिकाऊ माल के तौर पर पेश किया जाता रहेगा, घटिया बाजारवादी संस्कृति समाज के पोर-पोर में फैलेगी, तब तक इन अपराधों को खत्म नहीं किया जा सकता। अतः महिलाओं के प्रति अपराधों की रोकथाम के लिए इन बुनियादी कारणों पर विशेष जोर देते हुए रणनीति तैयार की जानी चाहिए। मंच ने मांग की है कि स्त्रियों के प्रति बढते अपराधों को रोकने और उन्हें देश का नागरिक होने के नाते सुरक्षा प्रदान करने के लिए और ऐसे वीभत्स काण्डों की रोकथाम के लिए निर्भया फण्ड के तहत चलाई जाने वाली योजनाओं को समुचित रूप से लागू करने की कार्यदिशा अमल में लाई जाए और इन घटनाओं की पुनरावृति को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। प्रतिनिधिमंडल में मंच के जिला परिषद सदस्य श्याम सिंह चौहान, मंच के पदाधिकारी तथा सदस्य मनीष कटोच, बी आर जसवाल, रूपिन्द्र सिंह, सुशील चौहान, देशराज शर्मा, रवि सिंह राणा, सतीश ठाकुर, कमल सैनी, दीपक ठाकुर, भारत भूषण, अशोक राणा, प्रितम सिंह, खेम चंद, ललित शर्मा, सौरभ, सुरेन्द्र ठाकुर, कंगना ठाकुर, नीरज ठाकुर, चैतन्य देव, हरीश चौहान, नवीन कुमार, परस राम, विनोद, तरूणदीप सहित अन्य स्थानीय निवासी मौजूद थे।
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Friday 20 September 2019

कांगणीधार में शिव धाम सहित सभी निर्माण कार्यों पर लगे रोकः शहीद भगत सिंह विचार मंच




मंडी। जिला मुख्यालय से सटे कांगणी जंगल को बचाने के लिए शहरवासियों ने यहां पर प्रस्तावित शिव धाम, न्यायलय परिसर सहित सभी निर्माण कार्यों पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। शहर की संस्था शहीद भगत सिंह विचार मंच की अगुवाई में सैंकडों स्थानीय वासियों ने इस बारे में राष्ट्रपति, उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश और प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया है। इसके अलावा मंच की ओर से पूर्व में भेजे गए ज्ञापन पर उच्च न्यायलय की ओर से जारी पत्र पर की गई कार्यवाही की जानकारी भी सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई है। मंच के संयोजक समीर कश्यप ने बताया कि डीपीएफ कांगणी जंगल की भूमी सरकारी विभागों को परिवर्तित करके वहां पर हो रहे निर्माण कार्यों पर रोक लगाने के लिए मंच की ओर से एक ज्ञापन प्रेषित किया था। इस ज्ञापन पर प्रदेश उच्च न्यायलय की रजिस्ट्री की ओर से 29 अप्रैल को एक पत्र मंच को जारी किया गया था। जिसमें ज्ञापन को सत्यापित करने के लिए शपथ पत्र मांगा गया था। हालांकि यह शपथ पत्र उच्च न्यायलय को प्रेषित किया गया था। लेकिन आगामी कार्यवाही के बारे में कोई सूचना न होने के कारण प्रदेश उच्च न्यायलय से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई है। इस बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री की ओर से पर्यटन को विकसित करने के लिए मंडी में शिव धाम बनाने की घोषणा की गई है। पता चला है कि शिव धाम के लिए भी कांगणी जंगल में भूमी का चयन किया जा रहा है। ऐसे में साफ प्रतीत हो रहा है कि प्रदेश सरकार इस डीपीएफ जंगल को संरक्षित करने के लिए संवेदनशील नहीं है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार की ओर से पिछले कुछ वर्षों से इस जंगल की डीपीएफ भूमी में पर्यावरण, वन, एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार से अनुमति लेकर विभिन्न निर्माण कार्य करवाए जा रहे हैं। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना में पता चला है कि सरकार के विभाग एग्रीकल्चर प्रोडयूस मार्केट कमेटी की ओर से यहां पर करीब 0.70 हैक्टेयर भूमी पर मार्केट यार्ड, फूड कारपोरेशन आफ इंडिया का गोदाम बनाने के लिए 0.90 हैक्टेयर, आर्ट कल्चर एंड लैंग्वेज विभाग को 0.323 हैक्टेयर भूमि संस्कृति सदन बनाने के लिए, 6.31 हैक्टेयर वन भूमी लिफ्ट वाटर सप्लाई स्कीम (ऊहल से मण्डी शहर) के लिए सिंचाई एवं जन स्वास्थय विभाग को और करीब 2.5888 हैक्टेयर डीपीएफ कांगणी की वन भूमी प्रदेश सरकार टूरिस्म एवं सिवल एविएशन विभाग को हैलीपोर्ट और सांस्कृतिक केन्द्र बनाने के लिए दे दी गई। जबकि कुछ अन्य विभाग भी इस जंगल की भूमी को अपने नाम करवाने के लिए अनुमतियों का इंतजार कर रहे हैं। जिला न्यायलय परिसर बनाने के लिए करीब 120 बीघा जमीन का टुकडा इसी वन भूमी में चयनित किया गया है। हालांक इसकी अनुमति अभी वन विभाग को प्राप्त नहीं हुई है। एक स्लौटर हाऊस भी यहीं बनाने का प्रस्ताव है। एग्रीकल्चर मार्केट कमेटी भी अतिरिक्त भूमी की मांग कर रही है। एक खेल का मैदान भी यहां बनाये जाने के प्रस्ताव है। हाल ही में मंडी में शिवधाम मंदिर बनाए जाने की चर्चा भी जोरों से चल रही है और प्रशासन की ओर से शिवधाम मंदिर का निर्माण भी कांगणी जंगल में ही करने का प्रस्ताव किया जा रहा है। जिससे और अधिक वनसंपदा बर्बाद होने की संभावना पैदा हो गई है। इतनी अधिक अनुमतियां जारी हो जाने से कांगणी डीपीएफ जंगल का अस्थतित् ही खतरे में आ गया है। इस अनुमतियों के जारी हो जाने के बाद वन भूमी में भारी पैमाने पर निर्माण कार्य जारी हो गए हैं जिससे लगता है कि कांगणी डीपीएफ जंगल अब अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। विकास के नाम पर यहां अब कंकरीट का जंगल उगता जा रहा है। इस जंगल में बेहतरीन किस्म के चील के पौधे हैं। वन विभाग यहां की चील के बीजों को अन्यत्र स्थानों पर भेजता है। कम ऊँचाई पर स्थित होने के बावजूद मंडी में अच्छी बारिश होने के कारण भी यहां के डीपीएफ कांगणी और गंधर्व जंगल हैं। जंगल में कई तरह के पेड-पौधे, घास, झाडियां और औषधीय पौधे हैं। जंगल की घास, झाडियों से पहाड़ की मिट्टी में जकडन बनी रहती है लेकिन खनन से यहां पर भूस्वखलन का खतरा हो जाएगा। जंगल का घनापन खत्म होने से वन्य जीव संपदा भी बुरी तरह से प्रभावित होंगी। जंगल में अनेकों प्राकृतिक पेयजल स्त्रोत हैं। लेकिन भारी निर्माण कार्यों से यह जल स्त्रोत लुप्त हो सकते हैं। इनमें से एक जल स्त्रोत लगभग लुप्त होने के कगार पर है। गंधर्व और कांगणी जंगल मण्डी शहर के फेफड़े हैं जिनके श्वासकोश से शहरवासी आक्सीजन प्राप्त करते हैं। लेकिन इन श्वासकोशों को क्षति पहुंचाई जा रही है। इस वनभूमी पर विकास के नाम पर गिद्ध दृष्टी जमा कर सारे शहरवासियों की सांसों की कीमत पर विनाश का खेल खेला जा रहा है। पर्यावरण बचाने की कवायदों के चलते हालांकि हर साल सरकारी और गैरसरकारी संस्थाओं की ओर से इन जंगलों में वृक्षारोपण अभियान चलाए जाते हैं। लेकिन आए दिन सरकार के विभिन्न विभागों की ओर से विरोधाभासी ऐलान करके वनभूमी में निर्माण किए जाने की घोषणाएं होती रहती हैं। मंच ने डीपीएफ कांगणी में दी गई अनुमतियों पर फिर से पुनर्विचार करने और भविष्य में शिवधाम सहित अन्य निर्माणों के लिए पर्यावरण, वन, एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार को इस जंगल की भूमी को परिवर्तित करके किसी भी विभाग को देने की अनुमति पर पूर्णतया रोक लगाई जाए। इस जंगल को बायोडायवर्सिटी पार्क या इको टूरिज्म के तहत संरक्षित किया जाए। ज्ञापन को हस्ताक्षरित करने वालों में समीर कश्यप, बी आर जसवाल, रूपिन्द्र सिंह, सुशील चौहान, मनीष कुमार, विनोद ठाकुर, खेम चंद, राजकुमार शर्मा, अशोक राणा, नवीन राणा, रूप लाल, सतीश शर्मा, सुरेन्द्र कुमार, लोकेन्द्र कुटलैहडिया, संजय कुमार, राहुल अवस्थी, रत्तन लाल वर्मा, राज कुमार चावला, मनीष भारद्वाज, देशमित्र ठाकुर, डी एस कटोच, कमल सैनी, लक्ष्मेन्द्र सिंह, अखिलेश ठाकुर, प्रितम ठाकुर, लवण ठाकुर, रूप उपाध्याय, कमलेश शर्मा, संजय मंडयाल, नरेन्द्र कुमार, रमेश ठाकुर, डिंपल ठाकुर, दीपा कुमारी, कल्पना, अजय कुमार, साक्षी, हेमराज, तारा, अमर चंद, पूर्ण चंद, रितेश, अभिलाषा शर्मा, तरूण, मनोज, वैभव शर्मा, हिमानी, विजय कुमार, ललिता ठाकुर, रेखा देवी, पदम सिंह, दिनेश कुमार, चन्द्रा, उमेश, दिलीप कुमार, खेमलता, ममता, महेन्द्र, कौशल्या, उषा, कविता, हंस, चैतन्य देव, बबलू सहित करीब दो सौ से अधिक स्थानीय वासी शामिल रहे।
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Wednesday 18 September 2019

शहीद भगत सिंह विचार मंच ने मण्डी में जिला पुस्तकालय बनाने की मांग उठाई




मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी मंडी में पुस्तकालय के निर्माण की मांग की गई है। इस संदर्भ में शहर की संस्था शहीद भगत सिंह विचार मंच की अगुवाई में सैंकडों छात्र-छात्राओं और स्थानीय वासियों का हस्ताक्षरित ज्ञापन प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश, शिक्षा मंत्री और उपायुक्त मंडी को प्रेषित किया गया है। विचार मंच के संयोजक समीर कश्यप ने बताया कि मंच अक्सर शहर से जुडे हुए विषयों पर विचार-विमर्श, चर्चाओं और सर्वेक्षणों का आयोजन करता रहता है। इसी सिलसिले में संस्था ने हाल ही में जिला पुस्तकालय का दौरा किया और वहां की स्थिति का जायजा लेना चाहा। विचार मंच के अनुसार जिला मण्डी का जिला पुस्तकालय उपायुक्त परिसर में स्थित मिनी सचिवालय के भूतल में स्थित है। पुस्तकालय के बाहर अर्जीनवीस व डाक्यूमैंट राइटर के कुर्सी-टेबल लगे हैं। जहां पर जमीनों की रजिस्ट्री आदि के पंजीकरण दस्तावेज तैयार किये जाते हैं। पुस्तकालय के प्रवेश वाले एक छोटे से संकरे बरामदे में बायें हाथ की ओर एक छोटा सा हाल है जिसमें करीब तीस-चालिस छात्र पढ़ सकते हैं। इस छोटे से हाल के अलावा छात्र-छात्राओं के पढ़ने के लिए कोई अन्य जगह इस पुस्तकालय में नहीं है। आगे बढने पर एक अन्य छोटा बरामदा पुस्तकालय के उस हाल की ओर जाता है जहां पर पुस्तकालय की पुस्तकें रखी हुई हैं। इस बरामदे में भी कुछ टेबल लगे हुए हैं जहां पर छात्रों को हिल न पाने की मुद्रा में सटकर बैठे हुए अपनी पढाई करते देखा जा सकता है। इसके अलावा कुछ छात्र फर्श पर ही अपना डेरा जमाकर पढते हुए देखे जा सकते हैं। वहीं पर कुछेक को पुस्तकालय परिसर की सीढियों और राजमाधव राय मंदिर तक के गलियारों में किताबों में डूबे हुए देखा जा सकता है। हालांकि जिला पुस्तकालय में करीब तीन हजार से अधिक पंजीकृत सदस्य हैं लेकिन पुस्तकालय परिसर में 50 लोगों को बैठकर पढने की जगह भी नहीं है। इस घुटन भरे परिसर में साफ हवा के लिए एक भी एगजौस्ट फैन नहीं लगा है। जिससे यहां बैठने वालों को साफ हवा मिलनी तो दूर पर्याप्त आक्सीजन भी मिल पाना संभव नहीं है। बिल्कुल पास-पास बैठने और पर्याप्त आक्सीजन न होने के कारण छात्र किसी बीमारी का शिकार भी हो सकते हैं। अक्सर सभी छात्रों के पास पानी की बोतलें होती हैं जो वह अपने घरों से लेकर आते हैं। पुस्तकालय में कोई कूलर या फ्रिज या नल नहीं हैं जिसके कारण छात्रों को जिला न्यायलय परिसर में लगे कूलर से पानी भर कर लाने के लिए बाध्य होना पडता है। हर रोज सुबह करीब छह बजे से ही पुस्तकालय में जगह पाने वालों का सिलसिला शुरू हो जाता है। जिनको चिट मिलता है वही पुस्तकालय में बैठने के लिए जगह प्राप्त कर पाते हैं बाकियों को बाहर ही अपनी पढाई करनी होती है। पिछले कुछ सालों से यह देखने में आ रहा है कि छात्रों में प्रतियोगिताओं की तैयारियों का रूझान बढने के कारण पुस्तकालय में उनके आने की संख्या में बहुत बढौतरी हुई है। हर रोज सैंकडों छात्र-छात्राएं यहां पर पढ़ने के लिए आते हैं लेकिन बहुत कम भाग्यशालियों को ही पुस्तकालय में बैठने की जगह मिल पाती है। जिला पुस्तकालय शिक्षा विभाग के द्वारा संचालित होता है। लेकिन पुस्तकालय के पास अपना भवन न होने के कारण यह मिनी सचिवालय के भूतल में चल रहा है। अधिसंरचना में भारी कमी के साथ-साथ यहां पर पुस्तकों का भी भारी टोटा रहता है। दो-तीन साल बाद बीस-तीस किताबें विभाग द्वारा पुस्तकालय को भेजी जाती हैं। हालांकि पुस्तकालय में पुरानी किताबों से कई अलमारियां और रैक भरे हुए हैं जिन्हे कार्ड धारक सदस्य को पढने के लिए दिया जाता है। लेकिन प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी के लिए पुस्तकालय में जुटे छात्र-छात्राओं के लिए यह बहुत ही कम उपयोगी हैं और वह अपनी पुस्तकें ही घर से लाकर यहां पर पढ़ते हैं। इसके अलावा पुस्तकालय में पर्याप्त और योग्य स्टाफ की भी भारी कमी है। पुस्तकालय के स्टाफ से अपेक्षा की जाती है कि वह हर किताब के रखने की जगह और यहां तक कि उस किताब की विषय वस्तु क्या है, इसकी भी वे जानकारी रखें। लेकिन योग्य और पर्याप्त स्टाफ की यहां पर भारी कमी है। विचार मंच ने मांग की है कि जिला पुस्तकालय के लिए शहर में ही भूमी का चयन करके एक बेहतरीन पुस्तकालय का निर्माण किया जाए। जब तक पुस्तकालय के निर्माण की प्रक्रिया की पूरी नहीं होती है तब तक सरकार कोई हॉल किराए पर लेकर या किसी अन्य विभाग के भवन में वाचनालय हेतु पुस्तकालय को मुहैया करवाए। मौजूदा पुस्तकालय में शीघ्रातिशीघ्र एग्जॉस्ट फैन व पंखे लगाए जाएं। पानी के कूलर या फ्रिज की शीघ्र व्यवस्था की जाए। प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी के ध्यानार्थ छात्र-छात्राओं की मांग के आधार पर पुस्तकों व पत्रिकाओं की खरीद की जाए। विचार मंच ने समीर कश्यप, रूपिन्द्र सिंह, सुशील चौहान, मनीष कुमार, बी आर जसवाल, विनोद ठाकुर, हुक्म चंद, अंकुश वालिया, वीरेन्द्र कुमार, अश्वनी वालिया, नरेन्द्र कुमार, भारत भूषण, रूप लाल, संजय मंडयाल, गंगेश चंदेल, रवि बधान, विनोद भावुक, संजय कुमार, उदयानंद, विख्यात गुलेरिया, लवण ठाकुर, रूप उपाध्याय, अखिलेश ठाकुर, प्रितम सिंह, कुलदीप ठाकुर, तेजभान सिंह, लक्ष्मेन्द्र सिंह, भागी रथ, कमल देव, प्रदीप परमार, दुर्गा दास, वेद दास, कमल सैनी, डी एस कटोच, तरूणदीप, हरीश चौहान, देवेन्द्र कुमार, शिवानी, अनिता, सुनील परमार, हीना कुमार, देवेन्द्र ठाकुर, डोलमा, नितिश पटयाल, जया, विनय भारती, प्रीती, आहाना, संजय, विजय ठाकुर, हितेश ठाकुर, गगन चंदेल, मनुज, यादविन्द्र और अंकेश सहित करीब 200 से अधिक छात्र-छात्राओं व स्थानीय वासियों का हस्ताक्षरित ज्ञापन प्रेषित किया है। मंच ने मांग की है कि उक्त आवश्यकताओं को प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण किया जाए। जिससे सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी की प्रतिभाएं अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन से वंचित न रह सकें और वह अपना बेहतरीन अवदान देश-दुनिया और प्रदेश को दे सकें।
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Wednesday 14 August 2019

कम्युनिज़्मा रे सिद्धान्त---फ्रेडरिक एंगेल्स ( मण्डेआल़ी अनुवाद)




प्रश्न 1: कम्युनिज़्म क्या हा?
उत्तरः कम्युनिज़्म सर्वहारा री मुक्ति री शर्ता रा सिद्धान्त हा।
प्रश्न 2: सर्वहारा क्या हा?
उत्तरः सर्वहारा समाजा रा से वर्ग हा जे आपणी आजीविका रे साधन पूर्णतया होर कल्हे आपणे श्रमा री बिक्री ले हासिल करहां, केसी पूँजी ले हासिल कितिरे मुनाफ़े ले नीं; जेसरी ख़ुशहाली होर बदहाली, जेसरी ज़िन्दगी होर मौत, जेसरा पूरा अस्तित्व श्रमा री मांगा पर, एस करूआं अच्छे कारोबारा रे बक्त होर बुरे कारोबारा रे बक्ता री अदला-बदली परा, बेलगाम होड़ा ले पैदा हुणे वाले उतार-चढ़ावा परा निर्भर करहां। संक्षेपा मंझ सर्वहारा या सर्वहारा वर्ग उन्नवीं शताब्दी रा श्रमजीवी वर्ग हा।
प्रश्न 3: ता क्या, एतारा मतलब ये हुआ भई सर्वहारा हमेशा ले विद्यमान नीं रैहीरे?
उत्तर : हां, नीं रैहीरे। गरीब लोक होर श्रमजीवी वर्ग हमेशा ले रैहिरे होर श्रमजीवी वर्ग ज्यादातर ग़रीब रैहीरे। पर एहड़े ग़रीब, एहड़े मज़दूर यानि सर्वहारा, ज्यों एभे-एभे वर्णित अवस्थावां रे अन्दर रैहाएं, हमेशा ले तिहाएं अस्तित्वमान नीं रैहीरे जिहां होड़ हमेशा ले मुक्त होर बेलगाम नीं रैहीरी।
प्रश्न 4: सर्वहारा रा जन्म किहां हुआ?
उतर : सर्वहारा तेस औद्योगिक क्रान्ति रे फलस्वरूप पैदा हुआ जे गत शताब्दी रे उतरार्धा मंझ इंग्लैण्डा बिच प्रकट हुई थी होर जेतारी तेबे ले संसारा रे समस्त सभ्य देशा मंझ पुनरावृति हुंदी रैहीरी। भाप-इंजन, बुणाई री विविध मशीना, यान्त्रिक करघे होर बौहत बडी संख्या मंझ अन्य यान्त्रिक उपकरणा रे आविष्कारे एसा औद्योगिक क्रान्ति जो जन्म दितेया था। इन्हें मशीने, ज्यों बौहत मैंहगी थी होर फलस्वरूप जिन्हौ कल्हे बडे पूँजीपति हे ख़रीदी सकहाएं थे, उत्पादना री अझी तका विद्यमान समस्त उत्पादन पद्धति जो बदली दितेया होर अझी तका विद्यमान मज़दूरां जो बेदखल करी दितेया क्योंकि आपणे अपरिष्कृति चरखेयां होर हथकरघेयां के काम करने वाल़े मज़दूरा रे मुकाबले मशीना ज्यादा सस्ता होर बेहतर माल उत्पादित करी करहाईं थी। एस तरहा के इन्हें मशीने उद्योगा जो पूरी तरहा के बडे पूँजीपतियां रे हवाले करी दितेया होर मज़दूरा री अत्यल्प सम्पति (औज़ार, हथकरघे बगैरा) बेकार बणाई दिते, एताके पूँजीपति जल्दी हे हर चीज़ा रे मालिक बणी गए होर मज़दूरा बाले कुछ बी नीं रैही गया। एस तरहा के वस्त्र उत्पादना रे क्षेत्रा मंझ फैक्टरी प्रणाली चालू किती गई।
मशीना होर फैक्टरी प्रणाली री उत्प्रेरणा मिलणे भरा री देर थी कि तिने उद्योगा री सभ होर शाखावां पर, विशेष रूपा ले कपड़े पर छपाई होर पुस्तक-मुद्रणा रे व्यवसावां, माट्टी रे भाँडे बनाणे होर लोहे री चीजा बनाणे वाल़े उद्योगा पर तेजी के धावा बोली दितेया। श्रम अनेकानेक मज़दूरा रे बीच अधिकाधिक बंढदा चली गया, एस करूआं जे मज़दूर पैहले पूरी चीज तैयार करहां था, से अब चीजा रा मात्र एक हिस्सा बनांदा लगेया। एस श्रम विभाजने माला जो ज्यादा शीघ्रतापूर्वक होर एस करूआं ज्यादा सस्ते दामा पर मुहैया करना सम्भव बणाई दितेया। तिने हर मज़दूरा रा श्रम बौहत हे सरल, निरन्तर दोहरायी जाणे वाल़ी यन्त्रवत क्रिया री स्थिति बिच पौहंचाई दिता, जेतौ मशीना तितनी अच्छी तरहा के हे नीं, बल्कि तेताले किथी बेहतर ढंगा के करी सकहाईं थी। एस तरहा के उद्योगा री यों सभ शाखा बुणाई होर कताई उद्योगा रे हे साहीं एक-एक करीके भाप-शक्ति, मशीना होर फैक्टरी प्रणाली रे अधिपत्य रे अन्तर्गत हुंदी चली गई। पर एताके स्यों सभ की सभ बड़े पूँजीपतियां रे हाथा मंझ पौंहची गई, होर इथी बी मज़दूर स्वतन्त्रता रे अन्तिम अंशा ले वंचित करी दिते गए। वास्तविक मैन्युफैक्चरा रे सौगी-सौगी सुले-सुले दस्तकारियां बी तिहाएं अधिकाधिक मात्रा मंझ फैक्टरी प्रणाली रे अधिपत्य रे अन्तर्गत हुंदी चली गई क्योंकि इथी बी बडे पूँजीपतियें बडे-बडे वर्कशाप बणाई के, जेता मंझ बौहत सारा खर्चा बची जाहां था होर मज़दूरा रे बीच श्रमा रा सुविधापूर्वक विभाजन कितेया जाई सकहां था, छोटे स्वतन्त्र कारीगर बाहर धकेली दिते। एतारा परिणाम ये हुआ भई सभी सभ्य देशा मंझ श्रमा री लगभग सभ शाखावां फैक्टरी प्रणाली रे अन्तर्गत संचालित हुआईं, होर लगभग इन्हा सभ शाखावां मंझा ले दस्तकारी होर मैन्युफैक्चर बडे पैमाने रे उद्योगे बाहर धकेली दितिरे। फलस्वरूप पैहलके मध्य वर्ग, ख़ास तौरा पर छोटे दर्जे रे उस्ताद-कारीगर बरबादी रे कगारा पर पौंहची गइरे, मज़दूरा री पैहलकी स्थिति बिल्कुल बधली चुकीरी, होर दो नौवें वर्ग अस्तित्वा मंझ आई गइरे, ज्यों सुले-सुले सभ होरी वर्गा जो आपणे अन्दर समांदे जाई करहाएं, यानि-
1. बडे पूँजीपतियां रा वर्ग, जे सभ सभ्य देशा मंझ जीवन-निर्वाह रे सारे सामानां होर कच्चे माल होर औज़ारां, मशीनां, फैक्टरियां बगैरा रा, जिन्हारी जीवन-निर्वाह कठे इन्हां सामानां रे उत्पादना कठे ज़रूरत पौहाईं, प्रायः पूर्णतया स्वामी हे। ये बुर्जुआ वर्ग यानि बुर्जुआ हा।
2. तिन्हां लोका रा वर्ग जिन्हां बाले बिल्कुल कुछ नीं हा, ज्यों इस करूआं पूँजीपतियां जो आपणा श्रम बेचणे कठे बाध्य हुआएं ताकि बदले मंझ जीवन-निर्वाह रे आवश्यक सामान हासिल करी सकौ। एस वर्गा जो सर्वहारा वर्ग या सर्वहारा बोल्या जाहां।
प्रश्न 5 : सर्वहारा रे श्रमा री पूँजीपतियां रे हाथा बिक्री किन्हां परिस्थितियां बिच हुआईं?
उत्तर : श्रम केसी बी दूजे माला रे साहीं एक माल हा होर एतारा दाम बी होरी माला रे दामा साहीं हे तिन्हां कानूना ले निर्धारित हुआं। बडे पैमाने रे उद्योग यानि मुक्त होड़ा रे आधिपत्य रे अन्तर्गत – जेहडा आसा देखणा, ये एक हे चीज ही – केसी माला रा दाम औसतन हमेशा तेस माला री उत्पादन लागता रे बराबर हुआं। श्रमा री उत्पादन लागत जीवन-निर्वाहा रे साधनां री ठीक से राशि ही जेतारी ज़रूरत इधी कठे पौहाईं भई मज़दूरा जो काम करने लायक रखया जाई सके होर मज़दूर वर्गा जो मरीके खत्म हुणे ले रोकेया जाई सके।
इधी कठे मज़दूरा जो आपणे श्रमा रे बदले तेताले ज्यादा नीं मिलदा जितना तेस उद्देश्य कठे जरूरी हुआं; श्रमा रा दाम यानि मज़दूरी, न्यूनतम आजीविका बणाई रखणे योग्य सिर्फ न्यूनतमा रा भुगतान हुआं। क्योंकि कारोबारा री हालत कधी बुरी हुआईं होर कधी बेहतर हुई जाईं, इधी कठे मज़दूरा जो कधी कम, ता कधी ज्यादा मिल्हां, ठीक तिहाएं जिहां कारखानेदारा जो आपणे माला कठे कधी ज़्यादा होर कधी कम मिल्हां। पर बक्त चाहे अच्छा हो या बुरा, कारखानेदारा जो औसतन आपणे माला कठेे तेतारी उत्पादन लागता ले जिहां ना ता ज़्यादा हे मिलहां होर ना कम, तिहाएं मजदूर जो तेस न्यूनतमा ले ना ता ज़्यादा मिल्हां होर ना हे कम। श्रमा री सभ शाखावां जो बड़े पैमाने रा उद्योग जिहां-जिहां अधिकाधिक आपणे कब्जे बिच करदा जाहां, मज़दूरी रा ये आर्थिक नियम तितनी हे कड़ाई के लागू हुआं।
प्रशन 6 : औद्योगिक क्रान्ति ले पैहले कुण जेह श्रमजीवी वर्ग विद्यमान थे?
उत्तर : सामाजिक विकासा री भिन्न-भिन्न मंजिला रे अनुसार श्रमजीवी वर्ग भिन्न-भिन्न अवस्थावां मंझ रैहाएं थे होर सम्पतिधारी होर सत्ताधारी वर्गा के तिन्हारे सम्बन्ध अलग-अलग प्रकारा रे हुआएं थे। प्राचीन काला मंझ मेहनतकश लोक आपणे मालिका रे दास थे, ठीक तिहाएं जिहां स्यों कई पिछडीरे देशा होर संयुक्त राज्य अमेरिका तका रे दक्षिणी भागा मंझ आज बी हे। मध्य युगा बिच स्यों भूमि रे मालिक अभिजात वर्गा रे भूदास थे, ठीक तिहाएं जिहां स्यों आज बी हंगरी, पोलैंड होर रूसा मंझ हे। मध्य युगा मंझ होर औद्योगिक क्रान्ति हुणे तका शैहरा मंझ दस्तकार बी थे ज्यों निम्न-बुर्जुआ उस्तादा री नौकरी करहाएं थे। मैन्युफैक्चरा रे विकासा रे सौगी-सौगी मैन्युफैक्चर मज़दूरा रा उदभव हुंदा लगेया जिन्हौ कमोबेश बडे पूँजीपतियें कामा पर रखी दितेया था।
प्रश्न 7 : सर्वहारा दासा ले केस मायने मंझ भिन्न हा?
उत्तर : दास सीधा-सीधा बेची दितेया जाहां, सर्वहारा जो रोज-रोज, घडी-घडी आपणे जो बेचणा पौहां। हर दासा कठे, जे एक हे मालिका री सम्पत्ति हुआं, भले ही मालिका रे हितार्थ, जीवन-निर्वाह री – से चाहे कितनी हे घटिया की नीं हो – गारण्टी रैहाईं; हर सर्वहारा कठे, जे पूरे बुर्जुआ वर्गा री सम्पत्ति हुआं होर जेसरा श्रम कल्हे तेस बक्त ख़रीदेया जाहां जेबे केसी जो तेसरी जरूरत पौहाईं, गारण्टीशुदा जीवन-निर्वाह री व्यवस्था नीं हुंदी। सर्वहारा कठे कल्हे एक समग्र वर्गा रे रूपा मंझ हे जीवन-निर्वाह री गारण्टी किती जाहीं। दास होड़ा ले बाहर रैहां, सर्वहारा तेतारे अन्दर रैहां होर तेतारे सारे उतार-चढ़ावा जो अनुभव करहां। दासा जो मात्र एक वस्तु मनया जाहां, नागरिक समाजा रा सदस्य नीं। सर्वहारा जो व्यक्ति रे रूपा मंझ, नागरिक समाजा रे सदस्य रे रूपा मंझ देखया जाहां। इधी कठे दास सर्वहारा ले बेहतर जीवन बिताई सकहां, पर सर्वहारा समाजा रे विकासा री उच्चतर मंजिला रा माहणु हुआं होर आपु दासा ले उच्चतर मंजिला मंझ हुआं। दास निजी स्वामित्व रे सभ सम्बन्धा मंझ कल्हा दासत्व रा सम्बन्धा भंग करीके आपणे जो मुक्त करहां होर इहां से आपु सर्वहारा बणी जाहां। सर्वहारा सामान्य रूपा ले निजी स्वामित्व जो मिटाई के हे आपणे जो मुक्त करी सकहां।
प्रश्न 8 : सर्वहारा भूदासा ले केस मायने मंझ भिन्न हा?
उत्तर : भूदासा बाले उत्पादना रा औज़ार – ज़मीना रा एक टुकड़ा –हुआं, जेतारे बदले से उपजा रा एक हिस्सा देई देहां या कुछ काम करहां। सर्वहारा उत्पादना रे तिन्हां औजारा के काम करहां ज्यों दूजेयां रे हुआएं, से एस दूजे कठे काम करने रे बदले आमदनी रा एक हिस्सा लैहां। भूदास देहां, सर्वहारा जो दितेया जाहां। भूदासा रे कठे जीवन-निर्वाह री गारण्टी हुआईं, सर्वहारा कठे नीं। भूदास होड़ा ले बाहर हुआं, सर्वहारा तेतारे अन्दर। भूदास या ता शैहरौ भग्गी के होर तिथि दस्तकार बणी के आपणे जो स्वतन्त्र करहां यानि आपणे मालिका जो श्रम या उपज देणे रे बदले मान देई के होर इहां मुक्त पट्टेदार बणीके, या समान्ती मालिका जो भगाई के होर आपु मालिक बणी के, संक्षेपा मंझ, इहां या तिहां सम्पत्तिधारी वर्ग होर होड़ा मंझ शामिल हुई के आपणे जो स्वतन्त्र करहां। सर्वहारा होड़, निजी स्वामित्व होर समस्त वर्गविभेद मिटाई के आपणे जो स्वतन्त्र करहां।
प्रश्न 9 : सर्वहारा दस्ताकारा ले केस मायने बिच भिन्न हा?*
प्रश्न 10 : सर्वहारा मैन्युफ़ैक्चर मज़दूरा ले केस मायने मंझ भिन्न हा?
उत्तर : सोहलवीं सदी ले लेई के अठाहरवीं सदी तका रे मैन्युफ़ैक्चर मज़दूर लगभग सभी जगहा तेस बक्त बी उत्पादना रे आपणे औजार – आपणे करघे, घरेलु चरखे होर जमीना रे तेस छोटे टुकडे रा स्वामी हुआं था जेस पर से फुरसत रे बक्त काश्त करहां था। सर्वहारा बाले इन्हां मंझा ले कुछ बी नीं हा। मैन्युफैक्चर मजदूर प्रायः देहाता मंझ आपणे भूस्वामी या आपणे मालिका रे सौगी पितृसत्तात्मक सम्बन्धा रे अन्तर्गत रैहां, सर्वहारा ज्यादातर बडे शैहरा मंझ बसहां होर आपणे मालिका रे सौगी तेसरा सम्बन्ध विशुद्ध रूपा के मुद्रा सम्बन्ध हुआं। मैन्युफ़ैक्चर मजदूर, जेसजो बडे पैमाने रा उद्योग पितृसत्तात्मक सम्बन्धा ले बाहर ली आवहां, से सम्पत्ति खोई बैठहां जेता पर तेस बक्ता तक तेसरा स्वामित्व हुआं था होर इहां से आपु सर्वहारा बणी जाहां।
• पाण्डुलिपि मंझ एंगेल्से आधा पृष्ठ खाली छाडी दितिरा। एतारा उत्तर “कम्युनिस्ट विश्वासा री स्वीकारोक्ति रा मसौदा” मंझ हा (देखा मार्क्स-एंगेल्स, क्लेक्टेड वर्क्स, खण्ड 6 पृष्ठ 101)। - सं.
प्रश्न 11 : औद्योगिक क्रान्ति रे होर समाजा रे पूँजीपतियां होर सर्वहारां मंझ बंढी जाणे रे तात्कालिक परिणाम क्या थे?
उत्तर : पैहला, मशीनी श्रमा रे करूआं औद्योगिक उत्पादा री कीमता चूँकि निरन्तर घटदी जाई करहाईं थी, एता ले शारीरिक श्रमा पर आधारित मैन्युफैक्चर या उद्योगा री पुराणी प्रणाली संसारा रे सभ देशा मंझ पूर्णतया नष्ट हुई गई। समस्त अर्द्ध-बर्बर देशा जो, ज्यों अजही तका ऐतिहासिक विकासा ले कमोबेश अलग-थलग थे होर जिन्हारा उद्योग अजही तका मैन्युफैक्चरा पर आधारित था, तिन्हौं तिन्हारे अलगावा ले इहां जबरदस्ती बाहर ली आंदा गया। तिन्हें अंग्रेजा रा ज्यादा सस्ता माल खरीदेया होर आपणे मैन्युफैक्चर मजदूरा जो नष्ट हुणे दितेया। एता ले हुआ ये भई जे देश, उदाहरणा कठे भारत, सहस्त्राब्धियां तका गतिरोधा री स्थिति मंझ रैहिरे, तिन्हारा ऊपरा ले हेठा तक क्रान्तिकरण हुई गया, होर चीन बी अब क्रान्ति बखौ अग्रसर हुई करहां। एस तरहा हुआ ये भई आज इंग्लैण्डा मंझ जेस मशीना रा आविष्कार हुआं, से एकी साला रे अन्दर चीन मंझ लाखों-लाख मजदूरा री रोजी-रोटी छीनी लैहाईं। इहां बडे पैमाने रा उद्योग पृथ्वी रे सभ जनगणा जो एकी-दूजे रे सौगी सम्बन्धा रे दायरे मंझ ली आइरा, सभ छोटी स्थानीय मण्डियां जो बटोरी के एक विश्व मण्डी बनाई दितीरी, सर्वत्र सभ्यता होर प्रगति कठे पथ प्रशस्त कितिरा होर स्थिति एहडे बिन्दु पर पौहंची गईरी भई सभ्य देशा मंझ हुणे वाल़ी हर घटना सभ होरी देशा जो प्रभावित करहाईं। एस तरहा के अगर इंग्लैण्ड होर फ्रांसा रे मजदूर अब आपणे जो स्वतन्त्र करी लौ ता एताके होरी सभ देशा मंझ क्रान्तियां जो प्रेरणा मिलणी जेतारे फलस्वरूप देर-सबेर तिथी बी मजदूरा री मुक्ति हुई जाणी।
दूजा बडे पैमाने रे उद्योगे जिथी किथी मैन्युफैक्चरा री जगहा लितिरी, तिथी औद्योगिक क्रान्तिए बुर्जुआ वर्ग, तेसरी दौलत होर तेसरी शक्ति रा अधिकतम मात्रा बिच विकास कितेया होर से देसा रा प्रथम वर्ग बणाई दिता। परिणामस्वरूप जिथी किथी एहडा हुआ, बुर्जुआ वर्गे राजनीतिक सत्ता आपणे हाथा बिच लैई लिती होर तेबे तका रे सत्ताधारी वर्गा जो – अभिजात वर्ग, शिल्प संघा रे बर्गरा होर इन्हां दोन्हों रा प्रतिनिधित्व करने वाल़े निरंकुश राजतन्त्रा जो – बाहर खदेड़ी दिता। बुर्जुआ वर्गे भूसम्पत्ति रे उत्तराधिकार या तेतारी बिक्री पर पाबन्दी मिटाई के होर अभिजात वर्गा रे विशेषाधिकार मिटाई के अभिजात वर्ग यानि सामन्त वर्गा री शक्ति नष्ट करी दिती। बुर्जुआ वर्गे सारे शिल्प संघा होर दस्तकारी रे विशेषाधिकारा जो मिटाई के शिल्प संघीय बर्गरा री ताकत खत्म करी दिती। तिने इन्हां दोन्हों री जगहा मुक्त होडा जो रखेया, यानि समाजा री एक एहड़ी प्रणाली रखी जेता मंझ हरेकी जो उद्योगा री केसी बी शाखा मंझ संलग्न हुणे रा अधिकार रैहां होर जिथी आवश्यक पूँजी रे अभावा जो छाडी के होर कोई चीज तेस कठे बाधा नीं बणी सकदी।
इधी कठे मुक्त होड़ा रा प्रचलन एसा गल्ला री सार्वजनिक घोषणा ही भई समाजा रे सदस्य एभे ले कल्हे तेसा हदा तक असमान हे जेस हदा तका तिन्हारी पूँजी असमान ही, भई पूँजी निर्णायक शक्त ही होर एता करूआं पूँजीपति यानि बुर्जुआ समाजा रा प्रथम वर्ग बणी गईरा। पर मुक्त होड़ बड़े पैमाने रे उद्योगा रे आरम्भिक काला मंझ हे आवश्यक ही क्योंकि समाजा री कल्हे ये हे एकमात्र अवस्था ही जेता मंझ बडे पैमाने रा उद्योग पनपी सकहां। बुर्जुआ वर्ग एस तरहा के सामन्ता होर शिल्प संघीय बर्गरा री सामाजिक शक्ति जिहां हे नष्ट करहां, से तिन्हारी राजनीतिक शक्ति बी नष्ट करी देहां। समाजा मंझ प्रथम वर्ग बणने ले बाद बुर्जुआ वर्गे आपणे जो राजनीतिक क्षेत्रा मंझ बी प्रथम वर्ग घोषित करी दितेया। ये काम तिन्ने प्रतिनिधिमूलक प्रणाली स्थापित करीके कितेया जे कानूना रे सामहणे समानता रे बुर्जुआ सिद्धान्त होर मुक्त होड़ा री कानूनी मान्यता पर आधारित हा होर जेतौ यूरोपीय देशा मंझ संवैधानिक राजतन्त्रा रे रूपा बिच प्रचलित कितेया गया था। इन्हां संवैधानिक राजन्त्रा रे अन्तर्गत कल्हे स्यों लोक हे निर्वाचक हुआएं जिन्हा बाले कुछ मात्रा मंझ पूँजी हुआईं, यानि, ज्यों पूँजीपति हुआएं स्यों पूँजीपति निर्वाचक प्रतिनिधि चुणाहें होर यों बुर्जुआ प्रतिनिधि अनुदाना ले इन्कार करने रे अधिकारा रे बला पर बुर्जुआ सरकार चुनाहें।
तरीजा, औद्योगिक क्रान्तिए सर्वहारा वर्गा रा तेसा हे हदा तक निर्माण कितेया जेस हदा तक तिने बुर्जुआ वर्गा रा निर्माण कितेया। बर्जुआ वर्ग जेस हिसाबा के दौलत हासिल करदा गया, सर्वहारावां री तादाद बी तेस हिसाबे बधदी गयी। चूँकि सर्वहारा जो कल्हे पूँजी हे कामा पर लगाई सकहाईं होर चूँकि पूँजी तेबे हे बधी सकहाईं जेबे से मजदूरा जो रोजगार पर रखे, सर्वहारा वर्गा री वृद्धि पूँजी री वृद्धि रे सौगी बिल्कुल कदमा के कदम मिलाई के चलहाईं। सौगी हे पूँजी बडे शहरा मंझ, जिथी उद्योग जो सभी ले ज्यादा लाभप्रद ढंगा के चलाया जाई सकहां, पूँजीपतियां होर सर्वहारां जो जमा करी देहाईं। नतीजतन एकी ए जगहा लोका रे विशाल समुहा रा ये जमाव हे सर्वहारा जो आपणी शक्ति रा बोध कराहां। एतारे अलावा, एतारा जितना ज्यादा विकास हुआं, जितनी हे ज्यादा मशीनां, जे शारीरिक श्रमा जो बाहर धकेली देहाईं, ईजाद किती जाहीं, बडे पैमाने रा उद्योग, जेहड़ा आसे पैहले हे बोली चुकीरे, मजदूरी जो तितना हे ज्यादा संकुचित करीके न्यूनतम बिन्दु पर ली आवहां होर इहां सर्वहारा री परिस्थितियां जो अधिकाधिक असहनीय बणांदा जाहां। एस तरहा के एकी बखौ सर्वहारा रे बधदे हुई असन्तोषा ले होर दूजे बखौ तेसरी बधदी हुई शक्ति रे जरिये औद्योगिक क्रान्ति सर्वहारा द्वारा सामाजिक क्रान्ति रे पथा जो प्रशस्त करहाईं।
प्रश्न 12 : औद्योगिक क्रान्ति रे होर क्या परिणाण निकल़े?
उत्तर : भाफा रे इंजन होर बाकी मशीना रे रूपा मंझ बडे पैमाने रे उद्योगे एहड़े साधना रा निर्माण कितेया जेता के अत्यल्प बक्ता बिच होर मामूली खर्चे परा औद्योगिक उत्पादना जो असीमित रूपा मंझ बधाणा सम्भव हुआ। मुक्त होड़े, जे बडे पैमाने रे उद्योगा रा अपरिहार्य परिणाम हा, उत्पादना री अनुकूल स्थितियां री बदौलत जल्दी अतीव गैहन स्वरूप ग्रैहण करी लिता; पूँजीपति बौहत बडी तादादा बिच उद्योगा मंझ घुसे। होर एताले इतना ज्यादा पैदा हुंदा लगया कि तेतारा इस्तेमाल नीं हुई सकदा था। फल ये हुआ भई तैयार माल बेचेया नीं जाई सकेया होर वाणिज्यिक संकट शुरू हुई गया। कारखाने ठप्प हुई गए, तिन्हारे मालिक दिवालिये हुई गए होर मजदूरा जो रोजी-रोटी ले हाथ धोणा पया। भारी तंगहाली शुरू हुई। कुछ बक्ता बाद अतिरिक्त माल बिकी गया, कारखाने भी के चालू हुई गए, मजदूरी भी बधी गयी, होर सुले-सुले कारोबार पैहले ले किथी ज्यादा तेज हुई गया। पर बौहत ज्यादा बक्त नीं गुजरेया था कि फेरी भी के बौहत ज्यादा परिमाणा मंझ माल उत्पादित हुंदा लगया जेता के एक होर संकट शुरू हुआ होर इने बी पूर्ववर्ती संकटा रा रस्ता पकडेया। एस तरहा के एस शताब्दी रे शुरू ले उद्योगा री हालत बराबर समृद्धि रे दौरा होर संकटा रे दौरा बिच झूलदी रैही होर एस तरहा रा संकट पाँज-सात साला रे प्रायः नियमित अन्तराला मंझ पैदा हुंदा रैहा, हर बार से आपणे सौगी मजदूरा कठे असहनीय विपतियां, आम क्रान्तिकारी उफ़ान होर पूरी मौजूदा व्यवस्था कठे सभी ले बडा संकट ल्याउंदा गया।
प्रश्न 13: नियमित रूपा ले साम्हणे आउणे वाल़े इन्हां संकटा ले क्या निष्कर्ष निकाल़े जाई सकहाएं?
उत्तर : पैहला, आपणे विकासा री आरम्भिक मंजिला मंझ बडे पैमाने रे उद्योगे हालांकि आपु मुक्त होड़ा जो जन्म दितेया, पर अब मुक्त होड़ा री परिधि तेस कठे छोटी पई गईरी; होड़ होर समान्यतया अलग-अलग व्यक्तियां रा औद्योगिक उत्पादना रा संचालन बडे पैमाने रे उद्योगा रे पाँवां मंझ बेड़ियां बणी गईरा, जिन्हौ तेजो तोड़ना हा स्यों तेस तोड़ी बी देणी; बडे पैमाने रा उद्योग जेबे तका वर्तमाना आधारा पर संचालित हुंदा रैंघा, से हर सात साला बाद आपणे जो दोहराणे वाल़ी आम अव्यवस्था रे जरिये हे जिन्दा रैही सकहां, जे हर बार सर्वहारां जो कष्टा रे कुण्डा मंझ झोंकी के ही नीं, बल्कि बौहत बडी तादादा बिच पूँजीपतियां जो बी बरबाद करीके पूरी सभ्यता जो खतरे मंझ पाई देहां; इधी कठे या ता बडे पैमाने रे उद्योगा रा परित्याग करना पौणा, जे सर्वथा असम्भव हा, या से समाजा रा एक बिल्कुल नौवां संगठन सर्वथा जरूरी बणाई देहां जेता मंझ एकी-दूजी ले होड़ करने वाल़े पृथक-पृथक कारखानेदार नीं, बल्कि पूरा समाज एक निश्चित योजना रे अनुसार होर सभी री आवश्यकतानुसार औद्योगिक उत्पादना रा संचालन करे।
दूजा, बडे पैमाने रे उद्योग होर तेसरे द्वारा सम्भव बणाये जाणे वाल़े उत्पादना रा असीम विकास एहड़ी सामाजिक व्यवस्था जो जन्म देई सकहां जेता मंझ जीवना री सभ आवश्यक वस्तुआं रा इतना बडा उत्पादन हुणा कि समाजा रा हर सदस्य आपणी सारी शक्तियां होर योग्यतावां रा पूर्णतम स्वतन्त्रा रे सौगी विकास होर उपयोग करने मंझ समर्थ हुणा। एस तरहा के बडे पैमाने रे उद्योगा रा से गुण, जे आज रे समाजा मंझ सारी गरीबी होर सारे व्यापार संकटा जो जन्म देहां, ठीक से हे गुणा हा जे एक भिन्न सामाजिक संगठना मंझ तेसा दरिद्रता जो होर इन्हां विनाशकाली उतार-चढावा जो नष्ट करी देंघा।
इधी कठे ये सपष्टतया सिद्ध हुई जाहां :
1. एभे ले इन्हां सारी बुराइयां कठे तेसा सामाजिक व्यवस्था जो उत्तरदायी ठैहराया जाई सकहां जे विद्यमान परिस्थितियां के मेल नीं खांदी।
2. इन्हां बुराइयां जो एक नौवीं सामाजिक व्यवस्था री स्थापना रे माध्यमा ले पूरी तरहा मिटाणे रे साधन उपलब्ध हे।
प्रश्न 14 : ये नौवीं सामाजिक व्यवस्था केहड़ी हुणी चहिए?
उत्तर : सभी थे पैहले नौवीं सामाजिक व्यवस्था आम तौरा पर उद्योगा होर उत्पादना री सभ शाखां रे संचालना रा काम आपणे बीच होड़ करने वाल़े अलग-अलग व्यक्तियां रे हाथा ले छीनी के आपणे हाथा मंझ लेई लैणा होर फेरी समूचे समाजा री बखा ले, यानि एक सामाजिक योजना रे अनुसार होर समाजा रे सभ सदस्या री शिरकता के सौगी उत्पादना री इन्हां शाखां रा संचालन करना। एसा व्यवस्था होड़ा रा अन्त करी देणा होर साहचर्य प्रतिष्ठित करी देणा। क्योंकि अलग-अलग व्यक्तियां द्वारा उद्योगा रा संचालन अवश्यंभावी रूपा बिच निजी स्वामित्व बखौ लेई जाहां होर क्योंकि होड़ तेस तौर-तरीके रे अलावा होर कुछ नीं हीं जेता के उद्योगा जो अलग-अलग निजी सम्पत्तिधारियां द्वारा संचालित कितेया जाहां, इधी कठे निजी स्वामित्व जो उद्योगा रे वैयक्तिक संचालन होर होड़ा ले पृथक नीं कितेया जाई सकदा। एस करूआं निजी स्वामित्व जो मिटाणा पौणा होर तेतारी जगहा पर उत्पादना रे औजारा रा समान उपयोग हुणा होर सभ वस्तुआं रा वितरण समान सैहमति के हुणा, यानि तथाकथित वस्तुआं री साझेदारी हुणी। निजी स्वामित्व रा उन्मूलन समूची सामाजिक व्यवस्था रे रूपान्तरणा री, जे उद्योगा रे विकासा के अनिवार्यतः जन्म लैहां, सभी थे ज्यादा सामान्यीकृत अभिव्यक्ति ही, इधी कठे ये उचित हे हा भई ये कम्युनिस्टा री मुख्य मांग बणी गईरी।
प्रश्न 15 : ता क्या एतारा अर्थ ये हुआ भई निजी स्वामित्व रा पैहले उन्मूलन असम्भव था?
उत्तर : बिल्कुल ठीक। सामाजिक व्यवस्था मंझ हरेक परिवर्तन, स्वामित्व सम्बन्धा बिच हुणे वाल़ी हरेक क्रान्ति, पुराणे स्वामित्व सम्बन्धा के मेल नीं खाणे वाल़ी नौवीं उत्पादक शक्तियां रे सृजना रा अवश्यंभावी परिणाम हा। आपु निजी स्वामित्व रा बी इहांए उद्भव हुइरा। गल्ल ये ही भई निजी स्वामित्व हमेशा ले ता विद्यमान नीं रैहीरा; मध्य युगा रे मुकदे बक्त, जेबे मैन्युफैक्चरा रे रूपा मंझ उत्पादना री नौवीं प्रणाली चालू हुई, जेतौ तेस बक्त मौजूदा सामन्ती होर शिल्प संघीय स्वामित्व रे अधीन नीं रखेया जाई सकदा था ता मैन्युफैक्चरे, जे पुराणे स्वामित्व सम्बन्धा री परिधि ले बाहर निकल़ी चुकीरा था स्वामित्व रे एक नौवें रूपा रा – निजी स्वामित्व रा – सृजन कितेया। मैन्युफैक्चर होर बडे पैमाने रे उद्योगा री पैहली मंजिला रे दौरान निजी स्वामित्व रे अलावा स्वामित्व रा होर कोई रूप सम्भव हे नीं था। निजी स्वामित्व री नींवा पर आधारित व्यवस्था रे अलावा समाजा री होर कोई व्यवस्था नीं हुई सकदी थी। जेबे तका उत्पादन इतना पर्याप्त नीं हुंदा भई सभी कठे कल्हे आपूर्ती हे नीं, बल्कि सामाजिक पूँजी री वृद्धि कठे होर उत्पादक शक्तियां रे होर अग्गे विकासा कठे बी वस्तुआं बेशी मात्रा मंझ मुहैया कराई जाई सके, तेबे तका समाजा री उत्पादक शक्तियां पर शासन करने वाल़ा एक प्रभुत्वशाली वर्ग होर एक गरीब, उत्पीडित वर्ग हमेशा बणीरे रैहणे। यों वर्ग केस तरहा के बणहाएं, ये उत्पादना रे विकासा री मंजिला पर निर्भर करहां। मध्य युगा बिच, जे कृषि पर आश्रित था, आसौ भूस्वामी होर भूदास मिल्हाएं, उत्तर-मध्य युगा रे शैहर आसारे साम्हणे शिल्प संघा रे उस्ताद-कारीगर, तिन्हारे शागिर्द होर दिहाड़ी पर काम करने वाल़े मजदूरा जो साम्हणे ल्यावाएं; सताहरवीं शताब्दी मंझ मैन्युफैक्चर होर मैन्युफैक्चर मजदूर; उन्नहवीं शताब्दी मंझ बडे कारखानेदार होर सर्वहारा साम्हणे आवहाएं। ये सपष्ट हा भई उत्पादक शक्तियां अजही तका इतनी व्यापक रूपा के विकसित नीं हुई पाइरी थी भई स्यों सभी कठे काफी पैदा करी पांदी होर निजी स्वामित्व जो इन्हां उत्पादक शक्तियां कठे बेडियां, अवरोध बनाई सकदी। पर अब – जेबे कि बडे पैमाने रे उद्योगा रे विकासे पैहले, पूँजी होर उत्पादक शक्तियां रा अभूतपूर्व पैमाने पर सृजन करी दितिरा होर इन्हां उत्पादक शक्तियां जो अत्यल्प बक्ता मंझ अनवरत रूपा के विकसित करने वाल़े सामान विद्यमान हे; जबकि दूजे, ये उत्पादक शक्तियां चन्द पूँजीपतियां रे हाथा मंझ संकेन्द्रित ही। होर दूजी बखौ बौहत बडा जन-समुदाय अधिकाधिक संख्या मंझ सर्वहारा री कतारा मंझ पौंहचदा जाई करहां होर तेसरी हालत तेसा हे मात्रा बिच अधिकाधिक दयनीय होर असह्य हुंदी जाई करहाईं जेस मात्रा मंझ बुर्जुआ वर्गा री दौलत बधदी जाहीं जबकि तरीजे, ये शक्तिशाली होर सुगम ढंगा के विकसित हुणे वाल़ी उत्पादक शक्तियां निजी स्वामित्व होर बुर्जुआ वर्गा ले इतनी ज्यादा बधी चुकीरी भई स्यों सामाजिक व्यवस्था रे अन्दर प्रचण्ड उथल-पुथल पैदा करी करहाईं – निजी स्वामित्व जो मिटाणा सम्भव हे नीं, बल्कि नितांत अनिवार्य बी हुई गईरा।

प्रश्न 16 : क्या निजी स्वामित्व जो शान्तिपूर्ण उपाया के मिटाणा सम्भव हुणा?
उत्तर : वांछनीय ता ये हे हा होर निश्चय ही कम्युनिस्ट आखरी लोक हुंघे जे एतारा विरोध करघे। कम्युनिस्ट बौहत अच्छी तरह जाणहाएं भई षडयन्त्र निरर्थक हे नीं हानिप्रद तक हुआएं। स्यों बौहत अच्छी तरह जाणहाएं भई क्रान्तियां जाहणुआं-बुझूवां होर मनमाने तरीके के नीं रची जांदी, स्यों ता सर्वत्र होर सर्वदा तिन्हां परिस्थितियां रा अवश्यम्भावी परिणाम थी जे अलग-अलग पार्टियां होर पूरे के पूरे वर्गा री इच्छा होर नेतृत्वा ले पूर्णतः स्वतन्त्र थी। पर स्यों ये बी देखाएं भई सर्वहारा वर्गा रे विकासा जो लगभग हर सभ्य देशा मंझ बलपूर्वक कुचल़ी दितेया जाहां होर कम्युनिस्टा रे विरोधी एस तरहा क्रान्ति जो बढावा देणे वाल़े हर तरहा रे काम करहाएं। अगर उत्पीड़ित सर्वहारा वर्गा जो अन्ततः क्रान्ति मंझ धकेली दितेया जाहां ता आसे कम्युनिस्ट तेबे सर्वहारां रे ध्येय री रक्षा आपणी करनी के तिहाएं करघे जिहां एस बक्त कथनी के करहाएं।
प्रश्न 17 : क्या निजी स्वामित्व जो एकी झटके मंझ मिटाणा सम्भव हा?
उत्तर : नीं, ये तिहाएं असम्भव हा जिहां एकी हे झटके मंझ मौजूदा उत्पादक-शक्तियां जो तितनी मात्रा मंझ बधाणा असम्भव हा, जे समुदाया रा निर्माण करने कठे जरूरी हा। इधी कठे सर्वहारा क्रान्ति, जे सारी सम्भावनावां जो देखदे हुए नेडे आउंदी जाई करहाईं, मौजूदा समाजा जो सुले-सुले हे रूपान्तरित करी सकहाईं होर से निजी स्वामित्व जो तेबे हे मिटाई सकघी जेबे उत्पादना रे साधना रा आवश्यक परिमाणा बिच निर्माण हुई जांघा।
प्रश्न 18 : एसा क्रान्ति रे विकासा रा क्रम केहड़ा हुणा?
उत्तर : पैहले ता से एकी जनवादी व्यवस्था जो होर एस तरहा के प्रत्यक्ष या परोक्षा रूपा ले सर्वहारा रे राजनीतिक शासना जो स्थापित करघी। प्रत्यक्ष रूपा बिच इंग्लैण्डा मंझ, जिथी सर्वहारा एस बक्त बी आबादी री बहुसंख्या हा। परोक्ष रूपा के फ्रांस होर जर्मनी मंझ, जिथी लोका रे बहुलांशा मंझ सर्वहारां रे अतिरिक्त एहड़े छोटे किसान होर पूँजीपति बी आवहाएं जिन्हारा एस बक्त सर्वहाराकरण हुई करहां, होर ज्यों आपणे हितार्थ सर्वहारा पर अधिकाधिक आश्रित हुंदे जाई करहाएं होर इधी कठे जिन्हौ जल्दी हे सर्वहारा री मांगा रे अग्गे झुकणा पौणा। एतारे कठे शायद एक होर संघर्ष जरूरी हो, जेतारा अन्त सिर्फ सर्वाहारा वर्गा री विजय बिच हुणा।
अगर जनवादा जो सीधे निजी स्वामित्व पर प्रहार करने होर सर्वहारा रा अस्तित्व सुनिश्चित करने कठे कार्रवाइयां सम्पन्न करने रे साधना रे रूपा बिच इस्तेमाल नीं कितेया जांदा ता से सर्वहारा कठे बिल्कुल बेकार हुणा। इन्हां कार्रवाइयां बिच, जे एस बक्त बी विद्यमान सम्बन्धा री परिणाम ही, मुख्य निम्नलिखित ही,
1. वर्द्धमान आयकर, ऊँचे उत्तराधिकार कर, सगोत्रीय वंशानुक्रम (भाई, भतीजे बगैरा) रे उत्तराधिकारा रे उन्मूलन, अनिवार्य ऋण, बगैरा साधनां ले निजी स्वामित्व जो सीमित करना।
2. अंशतः राजकीय उद्योगा री बखा ले होड़ा रे जरिये होर अंशतः करेंसी नोटां मंझ मुआवजे री अदायगी रे जरिये भूस्वामियां, कारखानेदारां, रेलां होर जहाजां रे स्वामियां रा क्रमिक स्वत्वहरण करना।
3. बहुसंख्यक जनता रे खिलाफ विद्रोह करने वाल़ेयां होर उत्तप्रवासियां री सम्पति जो जब्त करी लैणा।
4. राष्ट्रीय जमीनां पर, राष्ट्रीय कारखानेयां होर वर्कशापां मंझ सर्वहारां रे श्रम या व्यवसाय रा संगठन करना होर एस तरहा के आपु मजदूरा रे बीच हुणे वाल़ी होड़ा रा अन्त करी देणा होर जेबे तका कारखानेदार मौजूद रैहाएं, तेबे तका तिन्हौ तितनी हे ऊँची मजदूरी देणे कठे बाध्य करना, जितना राज्य देहां।
5. निजी स्वामित्व रा पूर्ण उन्मूलन हुणे तका समाजा रे सभ सदस्यां रे कठे काम करने री समान अनिवार्यता। औद्योगिक सेना रा गठन, विशेष रूपा ले कृषि कठे।
6. राजकीय पूँजी वाल़े राष्ट्रीय बैंका रे माध्यमा ले होर समस्त निजी बैंका बैंकपतियां पर पाबंदी लगाई के ऋण होर बैंक कार्यप्रणाली रा राज्य रे हाथा बिच केन्द्रीकरण।
7. जेस अनुपाता बिच राष्ट्रा बाल़े मौजूद पूँजी री मात्रा होर श्रमिका री संख्या बधाईं, तेस हे अनुपाता बिच राष्ट्रीय कल-कारखानेयां, वर्कशापां, रेलां होर जलपोतां री संख्या बिच वृद्धि करना, सारी बिना जोती जमीना जो काश्ता मंझ ल्याउणा होर पैहले ले जोती जाणे वाल़ी जमीना मंझ सुधार करना।
8. सभी बच्चेयां जो, जिहाएं स्यों इतने बडे हुई जाओ भई तिन्हौ मावा री देखभाला री जरूरत नीं रौहो, राष्ट्रीय संस्थाना मंझ होर राष्ट्रीय खर्चे पर शिक्षा; शिक्षा उत्पादना ले जुडीरी हो।
9. उद्योग होर सौगी हे कृषि मंझ काम करने वाल़े नागरिका रे समुदायां कठे राष्ट्रीय जमीनां पर साझे आवासगृहां रे रूपा बिच बडे-बडे प्रासादां रा निर्माण होर शैहरी होर देहाती जीवना रे लाभा जो एस तरहा के संयोजित करना भई नागरिका जो तिन्हां मंझा ले केसी एकी री एकांगिता होर असुविधावां नीं झेलणी पौओ।
10. सभी अस्वास्थ्यकर होर कुनिर्मित मकाना होर मुहल्लेयां जो गिराई देणा।
11. नाजायज होर जायज बच्चेयां रा उत्तराधिकारा रा समान रूपा ले उपभोग।
12. परिवहना रे सभ साधनां रा राष्ट्रा रे हाथा बिच संकेन्द्रण।
निस्सन्देह ये सारी कार्रवाइयां फौरन लागू नीं किती जाई सकदी। पर एक हमेशा दूजे जो जन्म देंघी। निजी स्वामित्वा पर एक बार पैहला मूलगामी आघात हुआ नीं कि, सर्वहारा होर अग्गे बधणा होर राज्य रे हाथा मंझ सारी पूँजी, सारी कृषि, सारे उद्योग, सारे परिवहन, विनिमय रे सारे साधना जो संकेन्द्रित करने कठे आपु जो बाध्य पाणा। ये सभ कार्रवाइयां एहड़े परिणामा बखौ लेई जाहीं होर देशा री उत्पादक शक्तियां सर्वहारा रे श्रमा के जेस अनुपाता बिच बधदी जांघी ये कार्रवाइयां तितनी साध्य हुंदी जाणी होर केन्द्रीकण करने वाल़े तिन्हारे परिणामा रा विकास हुंदा जाणा। अन्ततः जेबे सारी पूँजी, सारे उत्पादन होर विनिमया रा राष्ट्रा रे हाथा बिच संकेन्द्रण हुई जाणा, ता निजी स्वामित्व रा अस्तित्व आपणे आप मिटी जाणा, मुद्रा अनावश्यक हुई जाणी होर उत्पादन इतना बधी जाणा होर लोक इतने बधली जाणे भई पुराणे सामाजिक सम्बन्धा रे अन्तिम रूप तका धराशायी हुई सकणे।
प्रश्न 19 : क्या ये सम्भव हा भई ये क्रान्ति कल्हे एक हे देशा मंझ सम्पन्न हो?
उत्तर : नीं, बडे पैमाने रे उद्योगे विश्व मण्डी रा पैहले हे निर्माण करीके पृथ्वी के समस्त जनगण होर विशेष रूपा ले सभ्य जनगणा जो एस तरहा के सुत्रबद्ध करी दितिरा भई हर जनसमुदाय दूजे रे सौगी घटित हुणे वाल़ी गल्ला पर निर्भर हुआं। एतारे अलावा बडे पैमाने रे उद्योगे सभ सभ्य देशा रा सामाजिक विकास एहड़े धरातला पर ली आउंदिरा भई इन्हां देशा मंझ पूंजीपति होर सर्वहारा समाजा रे दो निर्णायक वर्ग बणी गइरे होर तिन्हा बीच संघर्ष आज का मुख्य संघर्ष बणी चुकीरा। इधी कठे कम्युनिस्ट क्रान्ति सिर्फ राष्ट्रीय क्रान्ति हे नीं हुणी, से सभ सभ्य देशा मंझ यानि कम ते कम इंग्लैण्ड, अमेरिका, फ्रांस होर जर्मनी मंझ एकी सौगी सम्पन्न हुणी। इन्हां मंझ ले हर देशा बिच तेतौ विकसित हुणे बिच ज्यादा या कम बक्त लगणा, जे एसा गल्ला पर निर्भर करना भई केस बाले ज्यादा विकसित उद्योग, ज्यादा दौलत होर उत्पादक शक्तियां री ज्यादा मात्रा ही। इधी कठे जर्मनी बिच तेतारी सभी ले धीमी गति हुणी होर तेतौ सम्पन्न करना सभी ले कठण हुणा; इंगलैण्डा बिच से सभी ले जल्दी होर सुगमतापूर्वक सम्पन्न हुणी। एसा दुनिया रे होरी देशा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पौणा होर तिन्हारे विकासा रे अजही तका विद्यमान तरीके जो पूरी तरहा बदली देणा होर एतारी रफ्तारा जो बौहत तेज करी देणा। ये एक विश्व-व्यापी क्रान्ति ही होर इधी कठे पूरा संसारा एतारा रंगमंच बणना।
प्रश्न 20 : निजी स्वामित्व रे अन्तिम उन्मूलना रे क्या परिणाण हुणे?
उत्तर : निजी पूँजीपति सभ उत्पादक शक्तियां, संचारा रे साधनां, सौगी हे उत्पादित वस्तुआं रे विनिमय होर वितरणा रा जे उपयोग करहाएं, तेतारा समाजा हस्तगतकरण होर उपलब्ध साधनां होर समग्र रूपा बिच समाजा री आवश्यकतावां पर आधारित एकी योजना रे अनुसार समाजा ले द्वारा तिन्हारा प्रबन्धन सभी ले पैहले तिन्हां कुपरिणामा रा उन्मूलन करी देणा जे बडे पैमाने रे उद्योगा बिच आज अपरिहार्य हे। संकट खत्म हुई जांघे; विस्तारित उत्पादन, जेतारे परिणामस्वरूप समाजा री वर्तमान अवस्था मंझ अति उत्पादन हुआं होर जे दरिद्रता रा इतना सशक्त कारण हा, तेबे पर्याप्त नीं रैही जाणा होर तेजो अग्गे विस्तारित करना पौणा। समाजा री तात्कालिक आवश्यकतावां ले ज्यादा अतिरिक्त उत्पादने आपणे सौगी दरिद्रता ल्याउणे री बजाय सभणी री जरूरता पूरी करनी, नौवीं जरूरता होर तेतारे सौगी हे तिन्हारी पूर्ती रे नौवें साधन पैदा करने। से होर ज्यादा प्रगति री शर्त होर प्रेरक शक्ति बणी जाणा, प्रगति करदे बक्त तेस पूरी सामाजिक अवस्था अस्त-व्यस्त नीं करनी जेहड़ा जे अजही तका हमेशा हुंदा आइरी। निजी स्वामित्व ले एक बार मुक्त हुई चुकणे ले बाद बडे पैमाने रा उद्योग इतने बडे पैमाने पर विकसित हुणा भई तेसरे साम्हणे तेसरे विकासा रा वर्तमान स्तर तिहाएं तुच्छ लगदा लगणा जिहां आसारे जमाने मंझ बडे उद्योगा री तुलना मंझ मैन्युफैक्चर प्रणाली तुच्छ लगाहीं। उद्योगा रा ये विकास समाजा जो इतनी मात्रा मंझ वस्तुआं मुहैया करांघा भई स्यों सभणी री आवश्यकतावां जो पूरी करने कठे पर्याप्त हुणी। कृषि बी, जेतौ निजी स्वामित्व रे दबावे होर ज़मीना रे विखण्डने उपलब्ध सुधारा होर वैज्ञानिक उपलब्धियां रा उपयोग करने ले रोकीरा था, नौवीं उन्नति करनी होर समाजा जो प्रचुर मात्रा मंझ उत्पाद उपलब्ध कराणे। एस तरहा के समाजा इतने पर्याप्त उत्पाद पैदा करने भई जेतारा एहड़ा वितरण कितेया जाई सको, जे तेसरे सारे सदस्यां री आवश्यकता री पूर्ती करी सको। एताले समाजा रा विभिन्न विरोधी वर्गा बिच विभाजन अनावश्यक हुई जाणा। ये सिर्फ अनावश्यक हे नीं, बल्कि एक नौवीं सामाजिक व्यवस्था कठे असंगत बी हुणा।
वर्ग श्रम-विभाजना रे जरिये अस्तित्व बिच आए थे होर आपणे मौजूदा स्वरूपा मंझ श्रम विभाजन पूरी तरहा के विलुप्त हुई जाणा। औद्योगिक होर कृषि उत्पादना जो वर्णित ऊँचाइयां तक विकसित करने कठे यान्त्रिक होर रासायनिक साधन हे भतेरे नीं हुणे, इन्हा साधनां रा उपयोग करने वाल़े लोका री योग्यता बी तितनी हे विकसित हुणी चहिए। जिहां पिछली शताब्दी मंझ बडे पैमाने रे उद्योगा रे अन्तर्गत ल्याये गए किसान होर मैन्युफैक्चर मजदूरा जो आपणे जीवना रा पूरा रंग-ढंग बदलणा पया था, होर स्यों आपु बिल्कुल भिन्न प्रकार रे लोक बणी गए थे, ठीक तिहाएं समग्र रूपा बिच समाजा रे उत्पादना रा संयुक्त संचालन होर फलस्वरूप उत्पादना रा नौवां विकास बिल्कुल भिन्न लोका री अपेक्षा करहां होर तिन्हारा सृजन बी करहां। उत्पादना रा संयुक्त संचालन एहड़े लोका द्वारा – जेस रूपा बिच स्यों आज हे – नीं कितेया जाई सकदा जेता मंझ हर माहणु उत्पादना री केसी एकी शाखा ले सम्बन्धित हा, तेताले बंधीरा, तेस द्वारा शोषित कितेया जाहां, जेता मंझ हरेक आपणी होर सभणी योग्यतावां जो कुण्ठित करीके आपणी कल्हे एक हे योग्यता रा विकास करहां, जे पूरे उत्पादना री कल्हे एकी हे शाखा या एकी शाखा रे एक हे भागा रे काम आवहाईं। समकालीन उद्योगा कठे एहड़े लोका री आवश्यकता कम हुंदी जाहीं। जे उद्योग पूरे समाजा द्वारा संयुक्त रूपा के होर एकी योजना रे अनुसार संचालित हुआं, तेता कठे एहड़े लोका री दरकार ही जिन्हारी योग्यतावां रा सर्वतोमुखी विकास हो, जे उत्पादना री समूची प्रणाली रा सर्वेक्षण करने री क्षमता रखदा हो। फलस्वरूप, श्रम विभाजन, जेतारी जड़ा मशीनी व्यवस्था पैहले हे खोदी चुकरी, जे एकी माहणु जो किसान, दूजे जो मोची, तरीजे जो मजदूर, चौथे जो शेयर मार्केटा रा सट्टेबाज बनाहीं, एस तरहा के पूर्णतया लुप्त हुई जाणा। शिक्षा नौजवानां जो एस योग्य बनांघी भई स्यों उत्पादना री पूरी प्रणाली के शीघ्रतापूर्वक परिचित हुई सकघे, से तिन्हौ सामाजिक आवश्यकताओं यानि तिन्हारी आपणी रूचियां रे अनुसार बारी-बारी के उद्योगा री एकी शाखा ले दूजी शाखा बिच प्रवेश करने बिच समर्थ बनांघी, से तिन्हौ विकासा रे तेस एकांगीपना ले मुक्त करी देंघी जेतौ वर्तमान श्रम विभाजने तिन्हां पर थोपी रखीरा। एस तरहा के कम्युनिस्ट ढंगा के संगठित समाजा आपणे सद्स्यां जो व्यापक रूपा ले विकसित आपणी योग्यतां जो व्यापक ढंगा के उपयोगा बिच ल्याउणे रा सुअवसर प्रदान करघा। एतारे सौगी हे विभिन्न वर्ग अनिवार्यतः विलुप्त हुई जाणे। एस तरहा, कम्युनिस्ट ढंगा के संगठित समाज, एकी बखौ, वर्गा रे अस्तित्वा के मेल नीं खांदा होर दूजी बखौ, एसा समाजा रा निर्माण हे इन्हां वर्ग विभेदा जो मिटाणे रे साधन मुहैया करवाहां।
एताले ये निष्कर्ष निकल़हां भई शैहर होर देहाता रे बीच अन्तर बी एस तरहा के विलुप्त हुई जाणा, दो भिन्न वर्गा रे बजाय एक-जेह लोका रा कृषि होर औद्योगिक उत्पादना रा काम कितेया जाणा–भले ही विशुद्ध भौतिक कारणा के ही-कम्युनिस्ट साहचर्य कठे एक अनिवार्य शर्त ही। बडे शैहरा मंझ औद्योगिक आबादी रे जमावा रे सौगी-सौगी कृषक आबादी रा देशा भरा बिच बिखराव कृषि होर उद्योगा री अविकसित मंजिला रे अनुकूल हा, से अग्गे रे विकासा री, जे एस बक्त बी आपणे तो अत्याधिक प्रत्यक्ष करदा जाई करहां, राह बिच एक बाधा ही।
उत्पादक शक्तियां रे समान होर नियोजित उपयोगा कठे समाजा रे सभ सदस्यां रा आम साहचर्य; एसा हदा तक उत्पादना रा विकास भई से सभणीरी आवश्यकतावां पूरी करी सके; एहड़ी अवस्था री समाप्ती, जेता बिछ कुछ लोका री आवश्यकतावां री पूर्ती दूजेयां री कीमता पर हुंदी हो; वर्गा होर तिन्हारे विरोधा रा पूर्ण उन्मूलन; एभे तका प्रचलित श्रम-विभाजना रे उन्मूलना द्वारा, औद्योगिक शिक्षा द्वारा, गतिविधियां रे परिवर्तना द्वारा, सभी रे सर्जित वरदानां मंझ सभणीरी सहभागिता द्वारा, शैहर होर देहाता रे परस्पर विलय द्वारा समाजा रे सभी सदस्यां री योग्यतावां रा सर्वतोन्मुखी विकास- एहड़े हे निजी स्वामित्वा रे उन्मूलना रे मुख्य फल।
प्रश्न 21: समाजा रे कम्युनिस्ट ढंगा री व्यवस्था रा परिवारा पर क्या प्रभाव पौणा?
उत्तर : से पुरूष होर स्त्रियां रे बीच सम्बन्धा जो विशुद्ध रूपा ले निजी मामला बनाई देंघा जेतारा कल्हे सम्बन्धित व्यक्तियां ले सरोकार हुणा होर जे समाजा ले केसी बी तरहा रे हस्ताक्षेपा री अपेक्षा नीं करघा। ये निजी स्वामित्व रे उन्मूलन होर बच्चेयां री सार्वजनिक शिक्षा री बदौलत सम्भव हुणा। एस तरहा के प्रचलित ब्याह प्रणाली री दोन्हों आधारशिला नष्ट करी दिती जाणी-निजी सम्पत्ति रे माध्यमा ले पत्नी रा आपणे पति पर होर बच्चेयां री आपणे मावा-बाबा पर निर्भरता। पत्नियां रे कम्युनिस्टां द्वारा सामाजिककरणा रे विरूद्ध नैतिकता रा उपदेश झाड़ऩे वाल़े कूपमण्डूका री चिल्ल-पों रा ये उत्तर हा। पत्नियां रा समाजीकरण एहड़ा सम्बन्ध हा जे पूरी तरहा बुर्जुआ समाजा रा चारित्रिक लक्षण हा होर आज वेश्यावृति री शक्ला मंझ आदर्श रूपा मंझ विद्यमान हा। पर वेश्यावृति री जड़ा ता निजी स्वामित्व रे अन्दर ही होर से तेसरे सौगी हे मिटघी। इधी कठे कम्युनिस्ट ढंगा रे संगठना पत्नियां रे समाजीकरणा री स्थापना रे बजाय एतारा अन्त करी देणा।
प्रश्न 22 : विद्यमान जातियां रे प्रति कम्युनिस्ट ढंगा रे संगठना रा क्या रूख हुणा?
प्रश्न 23 : विद्यमान धर्मा रे प्रति तेसरा क्या रूख हुणा?
प्रश्न 24 : कम्युनिस्ट समाजवादियां ले केस मायने बिच भिन्न हे?
उत्तर : तथाकथित समाजवादियां जो तीन समूहां मंझ बांडी सकहाएं। पैहले समूहा मंझ तेस सामन्ती होर पितृसतात्मक समाजा रे समर्थक आवहाएं, ज्यों बडे पैमाने रे उद्योग होर विश्व व्यापारा द्वारा होर बुर्जुआ समाजा द्वारा, जेजो इन्हें दोन्होए जन्म दितिरा, नष्ट कितेया जाई चुकीरा या एभे बी नित्यप्रति कितेया जाई करहां। वर्तमान समाजा रे मौजूदा कष्टा ले ये समूह निष्कर्ष निकाल़ाहां भई सामन्ती होर पितृसत्तात्मक समाजा री भी के स्थापना हुणी चहिए क्योंकि से इन्हां कष्टा ले मुक्त था। तेसरे सारे प्रस्ताव प्रत्यक्ष या परोक्ष रूपा ले एता बखौ लक्षित हे। सर्वहारा रे दुख-कष्टा कठे तेसरी दिखावटी सहानुभूति होर तेता पर घडियाल़ी आँसू बहाणे रे बावजूद प्रतिक्रियावादी समाजवादियां रे एस समूह रा कम्युनिस्ट इन्हा कारणा ले डटी के विरोध करघेः
1. स्यों एहड़ी चीजा री कामना करहाएं जे सर्वथा असम्भव ही।
2. स्यों अभिजात वर्ग, शिल्प संघा रे उस्ताद होर मैन्युफैक्चरा होर तिन्हारे सारे अमले चाकर-निरंकुश यानि सामन्ती राजेयां, पदाधिकारियां, सैनिकां, पुरोहित-पादरियां रे राजा जो, एहड़े समाजा जो भी के कायम करना चाहें, जे वर्तमान समाजा री खामियां ले मुक्त हुणे रे बावजूद आपणे हे अनेकानेक कष्टा ले ग्रस्त था होर जेता मंझ उत्पीडित मजदूरा जो कम्युनिस्ट ढंगा रे संगठना ले मुक्त करने री कोई संभावना नीं थी।
3. स्यों आपणे असली इरादेयां जो हमेशा तेस बक्त प्रकट करहाएं जेबे सर्वहारा क्रान्तिकारी होर कम्युनिस्ट बणी जाहां; तेस दशा बिच स्यों तुरन्त सर्वहारा रे विरूद्ध हमेशा बुर्जुआ वर्गा रे सौगी हुई जाहें।
दूजा समूह वर्तमान समाजा रे पक्षधरा जो लेई के बणीरा। एस समाजा री व्याधियें, ज्यों तेसरी अवश्यंभावी परिणाम ही, तिन्हां बिच तेसरे अस्तित्वा रे कठे चिन्ता पैदा करी दितिरी। इधी कठे स्यों एसा चीजा कठे प्रयत्नशील रैहाएं भई वर्तमान समाजा ले जुडीरी व्याधियां रा ता अन्त करी दितेया जाए पर एस समाजा जो अक्षुण्ण रखेया जाए। एता कठे तिन्हां मंझा ले कुछ विविध कल्याणकारी उपाय सुझाहें ता दूजे विराट सुधार प्रणालियां री वकालत करहाएं जे समाजा रे पुनर्गठना रे बहाने वर्तमान समाजा री आधारशिला जो होर एस तरहा के आपु समाजा को कायम रखघी। कम्युनिस्टा जो इन्हां बुर्जुआ समाजवादियां रा निरन्तर विरोध करना पौणा क्योंकि स्यों कम्युनिस्टा रे दुश्मणा रे हितार्थ काम करहाएं होर तेस समाजा री रक्षा करी करहाएं जेतौ कम्युनिस्ट नष्ट करने कठे कटिबद्ध हे।
आखिरा बिच, तरीजा समूह जनवादी समाजवादियां जो लेई के बणीरा, जे कम्युनिस्टा रे हे साहीं प्रश्न....* बिच उल्लिखित कार्रवाइयां जो अंशतः चाहाएं, पर स्यों कम्युनिज्मा मंझ संक्रमणा रे साधना रे रूपा बिच नीं, बल्कि वर्तमान समाजा री दरिद्रता होर दुख-कष्टा रा अन्त करने रे उपाया रे रूपा बिच चाहें। यों जनवादी समाजवादी या ता सर्वहारा हे जिन्हौ आपणे वर्गा री मुक्ति री अवस्थावां रे बारे बिच पर्याप्त ज्ञान नीं हुईरा, या स्यों निम्न-बुर्जुआ वर्गा ले, एक एहडे वर्गा रे प्रतिनिधि हे जिन्हारे हित जनवादा के हासिल हुणे होर तेसले सम्बन्धित समाजवादी कार्रवाइयां रे पूर्ण हुणे तका कई मामलेयां मंझ सर्वहारा वर्गा रे हिता रे सदृह रैहाएं। इधी कठे कार्रवाई करने रे मौकेयां पर कम्युनिस्टा जो जनवादी समाजवादियां रे सौगी समझौता करना पौणा होर जेबे सम्भव हो, तिन्हारे सौगी कम ते कम कुछ बक्ता तक, जेबे तका स्यों समाजवादी सत्ताधारी बुर्जुआ वर्गा री चाकरी नीं करदे लगदे होर कम्युनिस्टा पर प्रहार नीं करदे, आमतौरा पर एक समान नीति रा पालन करना पौणा। ये सपष्ट हा भई ये साझा कार्रवाई तिन्हां सौगी मतभेदा पर बैहस करने री सम्भावन जो खारिज नीं करदी।
• पाण्डुलिपि बिच इथी खाली जगहा ही। प्रश्न 18 रा उत्तर देखा।
प्रश्न 25 : आजकाले (1847-सं) री होर पार्टियां रे प्रति कम्युनिस्टा रा क्या रूख हा?
उत्तर : ये रूख अलग-अलग देशा रे अनुसार अलग-अलग हा। इंग्लैण्ड, फ्रांस होर बेल्जियमा बिच, जिथी बुर्जुआ वर्गा रा शासन हा, फिलहाल कम्युनिस्टा होर विभिन्न जनवादी पार्टियां रे समान हित हे, यों जनवादी जिन्हां समाजवादी कार्रवाइयां री एस बक्त सर्वत्र वकालत करी करहाएं, तेता मंझ कम्युनिस्टा रे लक्ष्यां रे जितने हे नेडे स्यों आवहाएं, यानि सर्वहारा वर्गा रे हिता री जितनी ज्यादा सपष्टता होर जितनी ज्यादा निश्चितता रे सौगी समर्थन करहाएं होर जितना ज्यादा स्यों सर्वहारा वर्गा रा सहारा लैहाएं, तिन्हारे हिता रा ये साम्य तितना हे ज्यादा हुणा। उदाहरणा कठे इंग्लैण्डा बिच चार्टिस्ट, ज्यों सभ मजदूर हे, जनवादी निम्न-पूँजीपतियां या तथाकथित उग्रवादियां री तुलना बिच कम्युनिस्टा रे ज्यादा नेडे हे।
अमेरिका बिच जिथी जनवादी संविधान प्रचलित हुई चुकीरा, कम्युनिस्टा जो तेसा पार्टी रा पक्ष लैणा चहिए जे एस संविधाना जो बुर्जुआ वर्गा रे विरूद्ध लागू करघी होर तेजो सर्वहारा वर्गा रे हिता बिच इस्तेमाल करघी, यानि तिन्हौ राष्ट्रीय कृषि सुधारका रा पक्ष लैणा पौणा।
स्विटजरलैण्डा बिच आमूल परिवर्तनवादी हालांकि अजही बी बौहत हे मिली-जुली पार्टी रे लोक हे, फेरी बी कल्हे स्यों हे एहड़े लोक हे जिन्हां सौगी कम्युनिस्ट समझौता करी सकहाएं, होर इन्हां आमूल परिवर्तनवादियां रे बीच वोद होर जेनेवा रे आमूल परिवर्तनवादी सभी थे प्रगतिशील हे।
आखिरा बिच जर्मनी आवहां, जिथी बुर्जुआ वर्गा होर राजतन्त्रा रे बिच निर्णायक संघर्ष अजही दूर हा। पर कम्युनिस्ट बुर्जुआ वर्गा जो शीघ्रातिशीघ्र सत्ता हासिल करने बिच मदद देयो ताकि तेजो जितनी जल्दी सम्भव हो, पलटेया जाई सको। इधी कठे कम्युनिस्टा जो हमेशा सरकारा रे खिलाफ उदारवादी बुर्जुआ रा साथ देणा चहिए पर एस बारे बिच तिन्हौ सतर्क रैहणा चहिए भई स्यों बुर्जुआ वर्गा रे हे साहीं आत्मवंचना रा शिकार नीं बणी जाओ यानि बुर्जुआ वर्गा री इन्हां लुभावनी घोषणावां पर विश्वास नीं करदे लगी जाओ भई तेसरी विजय ले सर्वहारा कठे लाभदायी फल निकलघे। बुर्जुआ वर्गा री विजय ले कम्युनिस्टा जो मात्र ये लाभ हुई सकहाएं : 1. विभिन्न रियायता, जे कम्युनिस्टा कठे आपणे सिद्धान्ता री रक्षा, तेता पर विचार-विमर्श होर तेतारे प्रसारा जो ज्यादा सुगम बनांघी होर एस प्रकारा ले सर्वहारा रा एक ठोस, संघर्षशील होर सुसंगठित वर्गा बिच एकीकरणा जो सुगम बनांघी; होर 2. ये सुनिश्चित हुई जाणा भई जेस दिन निरंकुश सरकारा रा तख्ता पलटी जाणा, तेस दिना ले पूँजीपतियां होर सर्वहारां रे बीच संघर्षा की बारी आई जाणी। होर तेस दिना ले हे कम्युनिस्टा री पार्टी नीति से हे हुणी जे तिन्हां देशा बिच ही जिथी बुर्जुआ वर्ग एभे सतारूढ़ हा।
एंगेल्सा रा अक्टूबर-नवंबर, 1847 बिच लिखित। पैहली बार 1914 बिच अल्ग रूपा बिच प्रकाशित।
(राहुल फाउण्डेशन, लखनऊ, ले हिन्दी बिच छपीरी पुस्तिका "कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणा पत्र" रे परिशिष्टा रा मण्डेआल़ी अनुवाद)
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Thursday 1 August 2019

कम्युनिस्ट पार्टी रा घोषणा पत्र ---कार्ल मार्क्स, फ्रैडरिक एंगेल्स (मण्डेआल़ी अनुवाद - समीर कश्यप)



यूरोपा जो एक हौआ आतंकित करी करहां - कम्युनिज्मा रा हौआ। एस हौवे जो भगाणे कठे पोप होर जार, मेटरनिख होर गीज़ो, फ्रांसिसी उग्रवादी होर जर्मन ख़ुफिया पुलिस – बूढे यूरोपा री सभी शक्तियें पवित्र गठबन्धन बणाई लितिरा।
कुण-जेह एहड़ी विरोधी पार्टी ही जे तेतारे सत्तारूढ़ विरोधियें कम्युनिस्ट बोली के बदनाम नी किती हो। कुण-जेह एहड़ी विरोधी पार्टी ही जेसे पलटुआं आपणे ले ज्यादा अग्गे बधीरी विरोधी पार्टी होर आपणे प्रतिक्रियावादी विरोधियां-दोन्हों पर हे कम्युनिस्ट हुणे रा आरोप लगाई के तिन्हारी भर्त्सना नीं किती हो। एस तथ्य ले दो गल्ला निकल़ाईं। पैहली भई यूरोपा री सभी शक्तियें स्वीकारी लितिरा भई कम्युनिज्म आपु एक शक्ति ही। दूजा भई एभे बक्त आई गईरा भई कम्युनिस्ट खुलेआम पूरी दुनिया रे सामहणे आपणे विचारौ, आपणे उद्देश्या होर आपणी प्रवृतियां जो प्रकाशित करो होर कम्युनिज्मा रे हौवे री एसा नानी-दादी री कहाणी रा पार्टी रे आपणे एक घोषणापत्रा के खात्मा करी देयो। एसा उद्देश्या ले विभिन्न देशा रे कम्यूनिस्ट लन्दना मंझ जमा हुए होर तिन्हें निम्नलिखित घोषणा पत्र, तैयार कितेया जे अंग्रेजी, फ्रांसीसी, जर्मन, इतालवी, फ्लेमिश होर डेनिश भाषा मंझ प्रकाशित कितेया जाणा।
1. बुर्जुआ होर सर्वहारा*
अजही तक आविर्भूत समस्त समाजा रा इतिहास** वर्ग संघर्षा रा इतिहास रैहीरा। स्वतंत्र माहणु होर दास, पेटीशियन होर प्लेबियन, सामन्ती प्रभु होर भूदास, शिल्प संघा रा उस्ताद-कारीगर*** होर मज़दूर-कारीगर-संक्षेपा मंझ उत्पीड़क होर उत्पीड़ित बराबर एकी-दूजे रा विरोध करदे आईरे। स्यों कधी लुहुखुआं, ता कधी प्रकट रूपा के लगातार एकी-दूजे के लड़दे रैहीरे, जेसा लड़ाई रा अंत हर बारी या ता पूरे समाजा रे क्रान्तीकारी पुनर्गठना मंझ, या संघर्तरत वर्गा री बर्बादी मंझ हुईरा।
*बुर्जुआ ले मतलब आधुनिक पूँजीपति वर्गा ले, यानि सामाजिक उत्पादना रे समाना रे स्वामियां, उजरती श्रमा रा उपयोग करने वाल़ेयां ले हा। सर्वहारा ले मतलब आधुनिक उजरती मज़दूरा ले हा, जिन्हा बाले उत्पादना रा स्वयं आपणा कोई सामान नीं हुंदा, इधी कठे स्यों ज्युंदे रैहणे कठे आपणी श्रम-शक्ति बेचणे जो विवश हुआएं। (1888 रे अंग्रेजी संस्करणा मंझ एंगेल्सा री टिप्पणी)
** मतलब सारा लिपिबद्ध इतिहास। 1847 मंझ समाजा रा पूर्व-इतिहास, यानि लिखित इतिहासा ले पैहलका सामाजिक संगठन, सर्वथा अज्ञात था। एता बाद हैक्सटहाउजेने रूसा मंझ भूमि रे सामुदायिक स्वामित्व रा पता लगाया, मोरेरे सिद्ध कितेया भई ये हे से सामाजिक आधार था, जेताके सभी टयूटन जातिएं इतिहास मंझ पदार्पण कितेया, होर सुले-सुले ये प्रकट हुआ भई ग्राम-समुदाय हे भारता ले लेई के आयरलैण्डा तका हर जगह समाजा रा आदि रूप था या रैहिरा हुणा। एस आदिम कम्युनिस्ट समाजा रे आन्तरिक संगठना रा आपणे ठेठ रूपा मंझ सपष्टीकरण मोर्गना री गोत्रा रे असली स्वरूप होर कबीले रे सौगी तेसरे वास्तविक सम्बन्धा री महती खोजा के कितेया गया। एस आदिम समुदाया रे विघटना रे सौगी समाज अलग-अलग होर अन्ततः विरोधी वर्गा मंझ विभेदित हुंदा लगहां। मैं आपणी कताब- (परिवार, निजी सम्पति होर राज्य री उत्पत्ति, दूजा जर्मन संस्करण, स्टुटगार्ट, 1886) बिच इन्हां ग्राम-समुदायां रे विघटना री प्रक्रिया जो दसणे री कोशीश कितीरी। (1888 रे अंग्रेजी संस्करणा मंझ एंगेल्सा री टिप्पणी)
*** गिल्ड-मास्टरा (या शिल्प संघा रा उस्ताद-कारीगर) ले मतलब गिल्डा रे अध्यक्षा ले नीं, तेतारे पूर्ण अधिकार प्राप्त सदस्या ले हा, जेजो गिल्डा रे भीतर मास्टरा रा स्थान प्राप्त था। (1888 रे अंग्रेजी संस्करणा मंझ एंगेल्सा री टिप्पणी)
इतिहासा रे पिछले युगा मंझ आसे लगभग सभ जगहा विभिन्न सामाजिक श्रेणियां मंझ बंढिरे समाजा रा एक पेचीदा ढांचा-सामाजिक जमाता या श्रेणियां री अलग-अलग रूपा मंझ दर्जाबन्दी देखाएं। प्राचीन रोमा मंझ पेटीशियन, नाइट, प्लेबियन होर दास मिल्हाएं। मध्ययुगा मंझ सामन्ती प्रभु, अधीनस्थ जागीरदार, उस्ताद-कारीगर, मज़दूर-कारीगर, भूदास सुझाएं होर लगभग इन्हा सभी वर्गा बिच अधीनस्थ दर्जाबन्दी हुआईं।
आधुनिक बुर्जुआ समाजे, जे सामन्ती समाजा रे ध्वंसा ले पैदा हुईरा, वर्ग विरोध खत्म नीं कितीरा। तिन्ने ता कल्हे पुराणे री जगहा पर नौवें वर्ग, उत्पीड़ना री पुराणी अवस्था री जगहा परा नौवीं अवस्था होर संघर्षा रे पुराणे रूपा री जगहा नौवें रूप खड़े करी दितिरे।
पर होरी युगा री तुलना मंझ आसारे युगा री, बुर्जुआ युगा री विशेषता ये ही भई इन्ने वर्ग विरोध सरल बणाई दितिरेः आज पूरा समाज दो विशाल शत्रु शिविरा मंझ, एकी-दूजे रे खिलाफ खड़े दो विशाल वर्गा मंझ-बुर्जुआ होर सर्वहारा वर्गा मंझ-ज्यादा ले ज्यादा बंढदा जाई करहां।
मध्ययुगा रे भूदासा ले प्रारम्भिक शैहरा रे अधिकारपत्र प्राप्त बर्गर* पैदा हुए थे। इन्हा बर्गरा ले अग्गे चलीके पैहले बुर्जुआ तत्वा रा विकास हुआ।
अमेरिका री खोज होर उतम आशा अन्तरीपा रा रस्ता तोपी लैणे ले उदीयमान बुर्जुआ वर्गा रे प्रसारा कठे नौवां क्षेत्र खुल्ही गया। ईस्ट इण्डीज़ होर चीनी बाज़ार, अमेरिका रे उपनिवेशीकरण, उपनिवेशा रे सौगी व्यापार, विनिमय रे सामान होर माल उत्पादना मंझ आम वृद्धिए वाणिज्य, नौपरिवहन होर उद्योगा जो, होर फलस्वरूप लड़खड़ांदे हुए सामन्ती समाजा मंझ क्रान्तिकारी तत्वा जो, तेजी के विकास करने रा अभूतपूर्व अवसर दितेया।
उद्योगा री सामन्ती प्रणाली, जेता मंझ औद्योगिक उत्पादना पर बन्द शिल्प संघा रा एकाधिकार हुआं था, नौवें बाज़ारा री बधदी हुई ज़रूरता जो पूरी करने कठे एभे भतेरी नीं रैही गईरी थी। इधी कठे एतारी जगहा मैन्युफैक्चरा री प्रथा लेई लैहाईं। शिल्प-संघा रे उस्ताद-कारीगर मैन्युफैक्चरिंग करने वाल़े मध्यम वर्गे धकेली के एक बखौ करी दिते। अलग-अलग निगमित शिल्प-संघा रा श्रम विभाजन प्रत्येक अलग-अलग वर्कशॉपा रे श्रम विभाजना रे अग्गे लुप्त हुई गया।
*स्वतंत्र नागरिक
एस दौरान बजार लगातार बधदे गए होर माला री मांग बी बराबर बधदी गई। एहड़ी दशा मंझ मैन्यूफैक्चरा री प्रथा बी नाकाफी सिद्ध हुंदी लगी। तेबे भाफा होर मशीना रे उपयोगे औद्योगिक उत्पादना मंझ क्रान्ति पैदा करी दिती। इधी कठे अब मैन्युफैक्चरा री जगहा दैत्याकार आधुनिक उद्योगे, होर औद्योगिक मध्यम वर्गा री जगहा औद्योगिक धन्नासेठे, पूरी की पूरी औद्योगिक फौजा रे नेतेयां, आधुनिक बुर्जुआ वर्ग लेई लिती।
आधुनिक उद्योगे विश्व बजारा री स्थापना किती, जेता कठे अमेरिका री खोजे रस्ता साफ करी दितेया था। इन्ने बजारे वाणिज्य, नौपरिवहन होर स्थल संचारा री जबरदस्त उन्नति कीतिरी। एसा उन्नति रा प्रभाव उद्योगा रे विस्तारा पर पईरा, होर जेस अनुपात मंझ उद्योग, वाणिज्य, नौपरिवहन होर रेलवे मंझ वृद्धि हुई, तेस अनुपाता मंझ बुर्जुआ वर्गे उन्नति किती होर तेसरी पूँजी बधी होर तिन्ने मध्ययुगा ले चलीरे सभ वर्ग पृष्ठभूमि मंझ धकेली दिते। आसे देखाहें भई केस तरीके के आधुनिक बुर्जुआ वर्ग आपणे आपा बिच एक लम्बे विकासक्रमा री, उत्पादन होर विनिमया री प्रणालियां मंझ हुईरी कई क्रान्तियां री उपज हा।
बुर्जुआ वर्गा रे विकासा रे हर कदमा सौगी तेस वर्गा री तदनुरूप राजनीतिक उन्नति बी हुई। सामन्ती अभिजाता रे प्रभुत्व काला मंझ से एक उत्पीड़ित वर्ग था, मध्ययुगीन कम्यूना* मंझ से सशस्त्र होर स्वशासित संघ था, किथी (जेहड़ा इटली होर जर्मनी बिच) स्वतन्त्र शैहरी प्रजातन्त्र होर किथी (जिहां फ्रांसा मंझ) राजतन्त्रा री काराधीन तृतीय श्रेणी, बादा बिच मैन्युफैक्चरा री प्रथा रे दौरान तिने अभिजात वर्गा रे प्रतिसन्तुलना रे रूपा मंझ अर्धसामन्ती तत्वा यानि के पूर्ण निरंकुश राजतन्त्रा री सेवा किती होर शक्तिशाली राजतन्त्रा री आधारशीला रा काम कितेया होर आखिरा बिच आधुनिक उद्योग होर विश्व बजारा री स्थापना ले बाद आधुनिक प्रातिनिधिक राज्या मंझ अनन्य रूपा के आपणे कठे पूरा राजनीतिक प्रभुत्व जीती लितेया। आधुनिक राज्य रा कार्यकारी मण्डल पूरे बुर्जुआ वर्गा रे सम्मिलित हिता रा प्रबन्ध करने वाल़ी कमेटी रे अलावा होर कुछ नीं हा।
* फ्रांसा मंझ नवोदित शैहरे आपणे सामन्ती प्रभुआं होर मालका ले स्थानीय स्वशासन होर तृतीय श्रेणी, रे रूपा मंझ राजनीतिक अधिकार जीतणे ले बी पैहले कम्यूना, रा नावं ग्रहण करी लितेया था। इथी, सामान्यतया, बुर्जुआ वर्गा रे आर्थिक विकासा रे सम्बन्धा मंझ इंग्लैण्डा जो होर राजनीतिक विकासा रे सम्बन्धा मंझ फ्रांसा जो लाक्षणिक देश मनया गईरा। (1888 रे अंग्रेजी संस्करणा मंझ एंगेल्सा री टिप्पणी)
इटली होर फ्रांसा रे नगरवासियें आपणे नगर समुदायां जो, सामन्ती प्रभुआं ले स्वशासना रे आपणे प्रारम्भिक अधिकारा जो खरीदी लैणे या छीनी लैणे ले बाद, ये हे नावं दितेया था। (1890 रे जर्मन संस्करणा मंझ एंगेल्सा री टिप्पणी)
बुर्जुआ वर्गे इतिहास बिच बौहत हे क्रान्तिकारी भूमिका अदा कितिरी। बुर्जुआ वर्गे, जिथी बी तेसरा पलड़ा भारी हुआ, तिथी सभ सामन्ती, पितृसतात्मक होर काव्यात्मक सम्बन्धा रा अन्त करी दिता। तिने माहणु रे आपणे “स्वाभाविक बडेयां” सौगी वास्ता रखणे वाल़े कई प्रकारा रे सामन्ती सम्बन्ध निर्ममता के तोड़ी दिते होर नग्न स्वार्था रे, “नकद पैसे-कौड़ी” रे हृद्यशुन्य व्यवहारा रे सिवाय माहणुआं रे बिच कोई दूजा सम्बन्ध बाकी नीं रैहणे दितिरा। धार्मिक श्रद्धा रे स्वर्गोपम आन्दातिरेका जो, वीरोचित उत्साह होर कूपमण्डूकतापूर्ण भावुकता जो, तिने आने-पाई रे स्वार्थी हिसाब-कताबा रे बर्फीले पाणी मंझ डुबोई दितिरा। माहणु रे वैयक्तिक मूल्य तिने विनिमय मूल्य बणाई दितिरे, होर पैहलके अनगिणत अनपहरणीय अधिकारपत्रा द्वारा प्रदत स्वातन्त्रय री जगहा अब तिने एक एहड़े अन्तःकरणशुन्य स्वातन्त्रय री स्थापना कितिरी जेतौ मुक्त व्यापार बोल्हाएं। संक्षेपा मंझ धार्मिक होर राजनीतिक भ्रमजाला रे पीछे लहुखिरे शोषणा री जगहा पर तिने नग्न, निर्लज्ज, प्रत्यक्ष होर पाशविक शोषणा री स्थापना कितिरी।
जिन्हां पेशेयां रे सम्बन्धा मंझ अजही तका लोका रे मना मंझ आदर होर श्रद्धा री भावना थी, तिन्हा सभीरा प्रभामण्डल बुर्जुआ वर्गे खुराटी लितिरा। डॉक्टर, वकील, पुरोहित, कवि होर वैज्ञानिक, सभी जो तिने आपणा उजरती मजदूर बनाई लितिरा।
बुर्जुआ वर्गे पारिवारिक सम्बन्धा रे ऊपरा ले भावुकता रा परदा उतारूआं हाकी दितिरा होर पारिवारिक सम्बन्धा जो कल्हे धन-सम्बन्धा मंझ बदली दितिरा। बुर्जुआ वर्गे दसी दितिरा भई मध्ययुगा मंझ शक्ति रे तिन्हा बर्बर प्रदर्शना रे सौगी-सौगी, जिन्हारी प्रतिगामी लोक इतनी तारीफ करहाएं, अकर्मण्यता होर आलस्य किहां जुड़ीरे थे। तिन्हे हे सभी थे पैहले दसया भई माहणु री क्रियाशक्ति क्या कुछ करी सकहाईं। इन्ने जे जादू करी के दसीरा से मिश्रा रे पिरामिडा, रोमा री जल प्रणाली होर गोथिक गिरजाघरा ले किथी ज्यादा आश्चर्यजनक हा। इन्ने जेहड़े बडे-बडे अभियान आयोजित कितिरे, तिन्हारे साम्हणे पुराणे बक्ता मंझ जातियां रे समस्त निष्क्रमण होर धर्मयुद्ध फीके पई जाहें।
उत्पादना रे औजारा मंझ लगातार क्रान्तिकारी परिवर्तन होर तेतारे करूआं उत्पादना रे संबंधा मंझ, होर सौगी-सौगी समाजा रे सारे सम्बन्धा मंझ क्रान्तिकारी परिवर्तन किते बाजही बुर्जुआ वर्ग जिउंदा नीं रैही सकदा। एताले उल्टा, उत्पादना रे पुराणे तरीकेयां जो जिहां रा तिहां बणाई रखणा पैहलके सभ औद्योगिक वर्गा रे जियुंदे रैहणे री पैहली शर्त थी। उत्पादना मंझ निरन्तर क्रान्तिकारी परिवर्तन, सभ सामाजिक अवस्थावां मंझ लगातार उथल-पुथल, शाश्वत अनिश्चितता होर हलचल-यों चीजा बुर्जुआ वर्गा जो पैहलके सभ युगा ले अलग करहाईं। सभ स्थिर होर जड़ी भूत सम्बन्ध, जिन्हारे सौगी प्राचीन होर पूज्य पूर्वाग्रहां होर मता री एक पूरी श्रृंखला जुड़ीरी हुआईं, मटयाई दिते जाहें, होर सभ नौवें बणने वाले सम्बन्ध जड़ीभूत हुणे ले पैहले हे पुराणे पई जाहें। जे कुछ बी ठोस हा से हवा मंझ उड़ी जाहां, जे कुछ पावन हा से भ्रष्ट हुई जाहां, होर आखिरकार माहणु संजीदा नजरा ले जिन्दगी रे वास्तविक हालाता जो, माहणु-माहणु रे आपसी सम्बन्धा जो देखणे कठे मजबूर हुई जाहां।
आपणे माला कठे बराबर फैल्हदे बजारा री जरूरता रे करूआं बुर्जुआ वर्ग दुनिया रे कुणे-कुणे री खाक छाणहां। से हर जगहा घुसणे जो, हर जगहा पैर जमाणे जो, हर जगह सम्पर्क कायम करने जो बाध्य हुआं।
विश्व बजारा जो आपणे लाभा कठे इस्तेमाल करी के बुर्जुआ वर्गे हर देशा मंझ उत्पादन होर खपता जो एक सार्वभौमिक रूप देई दितिरा। प्रतिगामियां री भावनावां जो गैहरी चोट पौंहचांदे हुए तिने उद्योगा रे पैरा रे थाल्हे ले तेसरा राष्टीय आधार खिसकाई दितिरा जेता पर से खड़ही रा था। पुराणे जमे-जमाये सभ राष्ट्रीय उद्योग या ता नष्ट करी दिते गईरे या नित्यप्रति नष्ट किते जाई करहाएं। तिन्हारी जगहा एहड़े नौवें-नौंवे उद्योग लेई करहाएं, जिन्हारी स्थापना सभी सभ्य देशा रे कठे जिणे-मरणे रा प्रश्न बणी जाहां। तिन्हारी जगहा एहड़े नौवें उद्योग लेई करहाएं ज्यों उत्पादना रे कठे अब सिर्फ आपणे देशा रा हे कच्चा माल इस्तेमाल नीं करदे बल्कि दूरा-दूरा रे देशा ले ल्यांदीरा कच्चा माल इस्तेमाल करहाएं तिन्हारी जगहा एहडे उद्योग लैई करहाएं जिन्हारे उत्पादना री खपत सिर्फ तेस देशा मंझ नीं, बल्कि पृथ्वी रे कुणे-कुणे मंझ हुआईं। तिन्हां पुराणी जरूरता री जगहा, जिन्हौ स्वदेशा री बणीरी चीजा के पूरा कितेया जाहां था, अब एहड़ी नौवी-नौवीं जरूरता पैदा हुई गईरी जिन्हौ पूरा करने कठे दूरा-दूरा रे देसा होर भू-भागा ले माल मंगाणा पौहां। पुराणी स्थानीय होर राष्ट्रीय पृथकता होर आत्मनिर्भरता री जगहा चौतरफा पारस्परिक सम्पर्के, सार्वभौमिक अन्तरनिर्भरते लैई लितिरी। होर भौतिक उत्पादना रे हे साहीं, बौद्धिक कृतियां सार्वभौमिक सम्पत्ति बणी गईरी। राष्ट्रीय एकांगीपन होर संकुचित दृष्टिकोण-दोन्हों हे ज्यादा ले ज्यादा असम्भव हुंदे जाई करहाएं, होर अनेक राष्ट्रीय होर स्थानीय साहित्य ले एक विश्व साहित्य उत्पन्न हुई करहां।
उत्पादना रे सभ औजारा मंझ तीव्र उन्नति होर संचार साधना री विपुल सुविधा रे करूआं बुर्जुआ वर्ग सभ राष्ट्रा जो, इथी तका भई बर्बरा ले बर्बर राष्ट्रा जो बी सभ्यता री परिधी बिच खीची ल्यावहां। तेसरे माला री सस्ती कीमत एक एहड़ा तोपखाना हा जेता रे जरिये से सभ चीनी दीवारा जो ढहाई देहां, होर विदेशियां रे प्रति तीव्र होर घोर घृणा रखणे वाल़ी बर्बर जातियां जो आत्मसमर्पणा कठे मजबूर करी देहां। हरेक राष्ट्रा जो, एस भया ले भई निता तेस लुप्त हुई जाणा, से पूँजीवादी उत्पादन प्रणाली अपनाणे कठे मजबूर करी देहां से तिन्हा जो जेस चीजा कठे मजबूर करहां तेता जो से सभ्यता बोल्हां ताकि स्यों बी आपु बीच सभ्यता कायम करो यानि खुद बुर्जुआ बणी जाओ। संक्षेपा मंझ, बुर्जुआ वर्ग सारी दुनिया जो आपणे हे सांचे मंझ ढाल़ी देहां।
बुर्जुआ वर्गे देहात शैहरा रे अधीन करी दितेया। तिने बौहत बडे-बडे शैहर बसाइरे होर देहाता री तुलना मंझ शैहरा री जनसंख्या बिच प्रचण्ड वृद्धि कितिरी, होर इहां तिने जनसंख्या रा एक बडा भाग देहाती जीवना री जड़ता ले मुक्त कितिरा। जिहां बुर्जुआ वर्गे देहाता जो शैहरा रा आश्रित बणाई दितिरा, तिहां हे तिने बर्बर होर अर्धबर्बर देशा जो सभ्य देशा रा, कृषक राष्ट्रा जो औद्योगिक राष्ट्रा रा, पूरबा जो पश्चिमा रा आश्रित बणाई दितिरा।
आबादी, उत्पादना रे साधन होर सम्पति री बिखरी री अवस्था जो बुर्जुआ वर्ग ज्यादा ले ज्यादा खत्म करदा जाहां। बिखरी री आबादियां तिने एकी जगहा जमा कितिरी, उत्पादना रे साधना रा केन्द्रीकरण कितिरा होर सम्पति जो चन्द लोका रे हाथा मंझ संकेन्द्रित करी दितिरा। राजनीतिक केन्द्रीयकरण एतारा अवश्यम्भावी परिणाम था। ज्यों प्रान्त पैहले स्वतन्त्र या ढीले-ढाले ढंगा के सम्बद्ध थे होर जिन्हारे हित होर कानून, जिन्हारी सरकारा होर कर प्रणालियां अलग-अलग थी, स्यों समुहबद्ध हुई के, एक सरकार, एक विधि-संहिता, एक राष्ट्रीय वर्ग हित, एक सीमा होर कर प्रणाली रे सौगी आज एक राष्ट्र बणी गईरे।
मुश्कला के आपणे एकी शताब्दी रे शासनकाला मंझ बुर्जुआ वर्गे जितनी शक्तिशाली होर प्रचण्ड उत्पादक शक्तियां पैदा कितिरी, तितनी पिछली सभी पीढियां मंझ मिलाई के बी नीं उत्पन्न हुईरी। प्राकृतिक शक्तियां रा माहणु द्वारा वशीभूत कितेया जाणा, मशीना रा उपयोग, उद्योग होर खेतीबाड़ी मंझ रसायना रा प्रयोग, भाफ-नौपरिवहन, रेलवे, बिजली रे तार, सभ महाद्वीपा रा खेती करने लायक बणाया जाणा, नदियां ले नैहरा निकालणा, पूरी आबादियां रा बुझां छूमन्तरा के पैदा हुई जाणा-क्या पिछली शताब्दियां मंझ कोई ये सोची बी सकहां था भई सामाजिक श्रमा रे गर्भा मंझ एहड़ी उत्पादक शक्तियां सुतीरी पईरी?
एस तरहा के आसे देखाहेः उत्पादन होर विनिमया रे स्यों साधन, जिन्हारी बुनियादा पर बुर्जुआ वर्गे आपणा निर्माण कितिरा, सामन्ती समाजा मंझ हे पैदा हुई गए थे। पर उत्पादन होर विनिमया रे इन्हां साधना रे विकासा री एक खास मंजिला परा स्यों अवस्थावां, जिन्हां बिच सामन्ती समाज उत्पादन होर विनिमय करहां था, यानि कृषि होर उद्योगा रा सामन्ती संगठन, या इहां बोला भई स्वामित्व रे सामन्ती सम्बन्धा, नवोन्नत उत्पादक शक्तियां ले बेमेल हुई गए, स्यों बौहत सारी बेडियां बणी गए। तिन्हौ तोड़ी के हाकणा जरूरी हुई गया होर स्यों तोड़ी के हाकी दिते गए।
तिन्हारी जगहा बुर्जुआ वर्गा रे आर्थिक होर राजनीतिक प्रभुत्व होर अनुकूल सामाजिक होर राजनीतिक ढांचे रे सौगी मुक्त होड़े लेई लिती। आज आसारे साम्हणे ठीक एहड़ी हे तरहा री गति हुई करहाईं। उत्पादन, विनिमय होर स्वामित्व रे बुर्जुआ सम्बन्धा सौगी आमानुषिक बुर्जुआ समाज, से समाज जिने बुझां तिलिस्मा ले उत्पादन होर विनिमय रे एहडे विशाल साधन खड़े करी दितिरे, से एक एहडे जादूगरा साहीं हा जिने आपणे जादू रे जोरा के पाताल लोका री शक्तियां सादी ता लितिरी, पर अब तिन्हा जो काबू रखणे मंझ से असमर्थ हा। पिछले कई दशका ले उद्योग होर वाणिज्य रा इतिहास आधुनिक उत्पादक शक्तियां रा उत्पादना री समकालीन अवस्थावां रे खिलाफ, स्वामित्व रे तिन्हा सम्बन्धा रे खिलाफ विद्रोहा रा हे इतिहास हा, जे बुर्जुआ वर्गा होर तेसरे शासना रे अस्तितव री शर्त ही। इथी तिन्हा वाणिज्यिक संकटा री जिक्र करी देणा भतेरा हा, जिन्हारे नियतकालिक आवर्तना ले बुर्जुआ समाजा रे अस्तित्वा री हर बार ज्यादा ले ज्यादा सख्ती के सौगी परीक्षा हुआईं। इन्हां संकटा मंझ ना केवल मौजूदा पैदावार रे हे, बल्कि पैहले ले उत्पन्न उत्पादक शक्तियां रे बी एक बडे भागा जो बक्ता-बक्ता पर नष्ट करी दितेया जाहां। इन्हां संकटा रे बक्त एक महामारी फैल्ही जाहीं जे पिछले सभ युगा मंझ एक बिल्कुल बेतुकी गल्ल समझी जांदी-यानि अतिउत्पादना री महामारी। समाज अचानक आपणे आपा जो क्षणिक बर्बरता री अवस्था मंझ हटीरा पाहां, एहड़ा लगहां भई तेसरे जीवन निर्वाह रे सभ साधन केसकी अकाले या सर्वनाशी विश्वयुद्धे एकबारगी खत्म करी दितिरे, उद्योग होर वाणिज्य नष्ट हुई गईरे प्रतीत हुआएं। होर ये सभ की? इधी कठे भई समाजा मंझ सभ्यता रा, जीवन निर्वाह रे साधना रा, उद्योग होर वाणिज्य रा अतिशय हुई गईरा। समाजा री मौजूदा उत्पादक शक्तियां बुर्जुआ स्वामित्व री अवस्थावां जो अब उन्नत नीं करदी, बल्कि स्यों इन्हा अवस्थावां रे कठे अतीव सशक्त बणी जाहीं, जिन्हारी बेड़ियां मंझ स्यों जकड़ी री हुआईं, होर जिहां हे स्यों इन्हा बेड़ियां जो तोड़ी देहाईं तिहांए स्यों पूरे बुर्जुआ समाजा मंझ अव्यवस्था पैदा करी देहाईं, बुर्जुआ स्वामित्व जो खतरे मंझ पाई देहाईं। बुर्जुआ समाज री अवस्थावां तिन्हा द्वारा उत्पादित सम्पत्ति जो समाविष्ट करने कठे बौहत संकुचित हुई जाहीं। बुर्जुआ वर्ग इन्हा संकटा ले किहां आपणे जो उबारहां? एकी बखौ उत्पादक शक्तियां रे एक बडे भागा जो जबरदस्ती नष्ट करीके होर दूजी बखौ नौवें-नौवें बजारा पर कब्जा जमाई के होर सौगी हे पुराणे बजारा रा होर बी मुकम्मल तौरा पर इस्तेमाल करीके-यानि होर बी बृहत होर विनाशकारी संकटा रे कठे पथ प्रशस्त करीके, होर इन्हा संकटा जो रोकणे री क्षमता जो घटाई के।
जिन्हां हथियारा के बुर्जुआ वर्गे सामन्तवाद मारी रा था, स्यों हे अब बुर्जुआ वर्गा रे खिलाफ मोड़ी दिते जाहें। पर बुर्जुआ वर्गे एहड़े हथियार हे नीं गढ़ीरे जे तेसरा अन्त करी देंघे, बल्कि तिने एहड़े लोक बी पैदा कितिरे ज्यों इन्हा हथियारा रा इस्तेमाल करघे-आधुनिक मज़दूर वर्ग-सर्वहारा वर्ग।
जेस अनुपाता मंझ बुर्जुआ वर्गा रा, यानि पूँजी रा विकास हुआं, तेस अनुपाता मंझ सर्वहारा वर्गा रा, आधुनिक मज़दूर वर्गा रा, तिन्हां श्रमजीवियां रे वर्गा रा विकास हुआं, ज्यों तेबे तका हे जिउंदे रैही सकाहें जेबे तका तिन्हौ काम मिल्हदा रौहो, होर तिन्हौ काम तेबे तका मिल्हां, जेबे तका तिन्हारा श्रम पूँजी मंझ वृद्धि करहां। यों श्रमजीवी, ज्यों आपणे जो अलग-अलग बेचणे कठे लाचार हे, होरी व्यापारिक माला रे साहीं आपु बी माल हे, होर इधी कठे स्यों होड़ा रे उतार-चढ़ावा होर बजारा री हर तेजी-मन्दी रे शिकार हुआएं। मशीना रे विस्तृत इस्तेमाल होर श्रम विभाजना रे करूआं सर्वहारा रे कामा रा वैयक्तिक चरित्र नष्ट हुई गईरा होर इधी कठे ये काम तिन्हारे कठे आकर्षक नीं रैही गईरा। मजदूर मशीना रा पुछल्ला बनी जाहां होर तेसले सभी थे सरल, सभी थे नीरस होर आसानी के अर्जित योग्यता री मांग किती जाहीं। इधी कठे मजदूरा रे उत्पादना पर खर्च लगभग पुर्णतः तेसरे जीवन निर्वाह होर वंश वृद्धि कठे जरूरी समाना तक सीमित रैही गईरा। पर हर माला रा, होर इधी कठे श्रमा रा बी दाम तेसरे उत्पादना मंझ लगीरे खर्चे रे बराबर हुआं। इधी कठे जेस अनुपाता मंझ कामा री अरूचिकरता मंझ वृद्धि हुआईं तेस हे अनुपाता मंझ मज़दूरी घटाईं। ये हे नीं, जेस मात्रा मंझ मशीना रा इस्तेमाल होर श्रम विभाजन बधआं तेस मात्रा मंझ श्रम रा बोझ बी बधदा जाहां, चाहे ये कामा रे घण्टे बधाणे रे जरिये हो या निर्धारित बक्ता बिच मज़दूरा ले ज्यादा काम लैणे या मशीना री रफ्तार बधाणे बगैरा रे ज़रिये।
आधुनिक उद्योगे पितृसतात्मक उस्ताद-कारीगरा री छोटी-जेह वर्कशापा जो औद्योगिक पूँजीपति रे विशाल कारखाने मंझ बदली दितिरा। कारखाने मंझ भरीरे झुण्डा रे झुण्ड श्रमजीवी सैनिका साहीं संगठित किते जाहें। औद्योगिक फौजा रे सपाहियां साहीं स्यों बाकायदा एक दरजावार तरतीबा मंझ बंढीरे अफसरा होर सार्जेण्टा री कमाना मंझ रखे जाहें। स्यों कल्हे बुर्जुआ वर्ग होर बुर्जुआ राज्य रे हे गुलाम नीं हे बल्कि हर दिन, हर घण्टे स्यों मशीना रे, ओवरसियरा रे होर सर्वोपरि खुद बुर्जुआ कारखानेदारा रे गुलाम हुआएं। ये तानाशाही जितना हे ज्यादा खुल्ही के ये घोषित करहाईं भई मुनाफा हे तेसरा लक्ष्य होर उद्देश्य हा, तितनी हे ज्यादा से तुच्छ, घृणित होर कौड़ी हुआईं।
शारीरिक श्रम मंझ जितनी हे प्रवीणता होर मशक्कता री जरूरत कम हुंदी जाहीं यानि जितनी हे आधुनिक उद्योगा मंझ प्रगति हुंदी जाहीं, तितनी हे ज्यादा मर्धा री जगहा जनानेयां लेंदी जाहीं। जिथी तक मज़दूर वर्गा रा प्रश्न हा, आयु होर लिंग भेदा रा कोई विशिष्ट महत्व नीं रैही गईरा। सभ श्रमा रे औज़ार हे-आयु होर लिंगभेदा रे मुताबिक केसी पर कम खर्च बैठहां, ता केसी पर ज्यादा।
कारखानेदारा रा मज़दूरा रे शोषणा रा फिलहाल अन्त हुआ नीं, होर तेजो नकद मज़दूरी मिल्ही नीं कि फौरन बुर्जुआ वर्गा रे बाकी भाग- मकान-मालिक, दुकानदार, गिरवी रखणे वाल़ा महाजन, बगैरा-तेस परा टूटी पौहाएं।
मध्यम वर्गा रे निम्न स्तर-छोटे कारोबारी, दुकानदार, आम तौरा पर किरायाजीवी, दस्तकार होर किसान-यों सभ सुले-सुले सर्वहारा वर्गा री स्थिति बिच पौंहची जाहें। कुछ ता इधी कठे भई जेस पैमाने परा आधुनिक उद्योग चलहां तेता कठे तिन्हारी छोटी जेह पूँजी पूरी नीं पौंदी होर बडे पूँजीपतियां रे सौगी होड़ा बिच से डूबी जाहीं होर कुछ इधी कठे भई उत्पादना रे नौवें-नौवें तरीकेयां रे निकल़ी आउणे रे करूआं तिन्हारे विशिष्टीकृत कौशला रा कोई मूल्य नीं रैही जांदा। इहां आबादी रे सभ वर्गा ले सर्वहारा वर्गा री भर्ती हुआईं।
सर्वहारा वर्ग विकासा री विभिन्न मंजिला ले गुजरहां। जन्म काला ले हे बुर्जुआ वर्गा के तेसरा संघर्ष शुरू हुई जाहां। शुरू मंझा कल्हे-दुकल्हे मजदूर लडहाएं, फेरी एकी कारखाने रे मज़दूर मिली के लड़हाएं, तेबे फेरी एकी उद्योगा रे एक इलाके रे सभ मजदूर एकता करीके तेस पूँजीपति ले मोर्चा लेहाएं जे तिन्हारा सीधा-सीधा शोषण करहां। तिन्हारा हमला उत्पादना री बुर्जुआ अवस्थावां पर नीं हुंदा बल्कि खुद उत्पादना रे औजारा पर हुआं। स्यों आपणी मेहनता रे सौगी होड़ करने वाल़े बाहरा ले मुंगाई रे समाना जो नष्ट करी देहाएं, मशीनां जो चूर करी देहाएं, फैक्टरियां मंझ आग लगाई देहाएं होर मध्ययुगा रे कारीगरा री खोई री हैसियता जो भी के कायम करने री बलपूर्वक कोशिश करहाएं।
एसा अवस्था बिच मज़दूर देशा भरा मंझा बिखरीरे, असम्बद्ध होर आपणी हे आपसी होड़ा रे करूआं बंढ़िरे जन-समुदाय हुआएं। अगर किथकी मिली के स्यों आपणा एक ठोस संगठन बणाई बी लैहाएं ता ये अझी तिन्हारी सक्रिय एकता रा फल नीं, बल्कि बुर्जुआ वर्गा री एकता रा फल हुआं, क्योंकि बुर्जुआ वर्गा जो आपणे राजनैतिक उद्देश्या री पूर्ति कठे पूरे सर्वहारा वर्गा जो गतिशील करना पौहां होर से एहड़ा करने मंझ अझी कुछ बक्ता तक समर्थ बी हुआं। इधी कठे एस अवस्था मंझ सर्वहारा वर्ग आपणे शत्रुआं के नीं बल्कि आपणे शत्रुआं रे शत्रुआं के, निरंकुश राजतन्त्रा रे अवशेषा, भूस्वामियां, गैर-औद्योगिक बुर्जुवा, निम्न-बुर्जुआ के लडहां। इहां, इतिहासा री समस्त गतिविधि रे सुत्र बुर्जुआ वर्गा रे हाथा मंझा केन्द्रित रैहाएं, इहां हासिल कितिरी हर जीत बुर्जुआ वर्गा री जीत हुआईं।
पर उद्योगा रे विकासा रे सौगी-सौगी सर्वहारा वर्गा री संख्या मंझ हे वृद्धि नीं हुंदी, बल्कि से बडी-बडी जमाता मंझा संकेन्द्रित हुई जाहां, तेसरी ताकत बधी जाहीं होर तेजो आपणी एसा ताकता रा ज्यादा ले ज्यादा अहसास हुंदा लगी जाहां। मशीना जेस अनुपाता मंझा श्रमा रे सभ भेदा जो मिटांदी जाहीं होर लगभग सभ जगहा मज़दूरी जो एक हे निम्न स्तरा पर ल्याउंदी जाहीं, तेस अनुपाता मंझ हे सर्वहारा वर्गा री पाँता मंझ कई प्रकारा रे हित होर जीवना री अवस्था ज्यादा ले ज्यादा एकसम हुंदी जाहीं। बुर्जुआ वर्गा री बधदी हुई आपसी होड़ होर तेताके पैदा हुणे वाल़े व्यापारिक संकटा रे करूआं मज़दूरी होर बी अस्थिर हुंदी जाहीं। मशीना मंझ लगातार सुधार, जे निरन्तर तेजी सौगी बधदा जाहां, मजदूरा री जीविका जो ज्यादा ले ज्यादा अनिश्चित बणाई देहां। अलग-अलग मजदूरा होर अलग-अलग पूँजीपतियां री टक्करा ज्यादा ले ज्यादा दो वर्गा रे बीचा री टक्करा री शक्ल लैंदी जाहीं। होर तेबे बुर्जुआ वर्गा रे विरूद्ध मज़दूर आपणे संगठन (ट्रेड यूनियना) बनांदे लगहाएं, मज़दूरी री दरा जो कायम रखणे कठे स्यों संघबद्ध हुआएं, बक्ता-बक्ता पर हुणे वाल़ी इन्हां टक्करा कठे पैहले ले तैयार रहणे रे निमित स्यों स्थायी संघा री स्थापना करहाएं। जिथि तिन्हारी लड़ाई बलवेयां रा रूप धारण करी लैहाईं।
केभे-केभे मज़दूरा री जीत बी हुआईं पर कल्ही वक्ती तौरा पर। तिन्हारी लड़ाइयां रा असली फल तात्कालिक नतीजेयां मंझ नीं, बल्कि मज़दूरा री निरन्तर बधदी हुई ताकता मंझ हा। आधुनिक उद्योगा रे उत्पन्न कितिरे संचार साधनां के, ज्यों अलग-अलग जगहा रे मज़दूरा जो एकी-दूजे रे सम्पर्का मंझ ल्याई देहाएं, एकता रे एस कामा मंझ मदद मिल्हाईं। एकी हे तरहा रे अनगिणत स्थानीय संघर्षा जो केन्द्रीकृत करीके तिन्हौ एक राष्ट्रीय वर्ग संघर्षा रा रूप देणे कठे बस एहड़े हे सम्पर्का री जरूरत हुआईं। पर हरेक वर्ग संघर्ष एक राजनीतिक संघर्ष हुआं। होर एसा एकता जो, जेतौ हासिल करने कठे पुराणे जमाने मंझ यातायाता री घोर असुविधावां रे करूआं मध्ययुगा रे बर्गरा जो सदियां लगी थी, रेला री कृपा के आधुनिक सर्वहारा कुछ हे साला मंझा हासिल करी लैहाएं।

सर्वहारा रा एकी वर्गा रे रूपा बिच संगठन होर फलतः एक राजनीतिक पार्टी रे रूपा मंझ तिन्हारा संगठन तिन्हारी आपसी होड़ा रे करूआं बराबर गडबडी मंझा पई जाहां। पर हर बारी से भी उठ खडा हुई जाहां-पैहले ले बी ज्यादा मज़बूत, दृढ़ होर शक्तिशाली बणीके। खुद बुर्जुआ वर्गा री भीतरी फूटा रा फायदा चकी के से मज़दूरा रे अलग-अलग हिता जो कानूनी तौरा पर बी मनवाई लैहां। इंग्लैण्डा मंझ दस घण्टे रे कामा रे दिना रा कानून इहां हे पारित हुआ था।
पुराणे समाजा रे विभिन्न वर्गा रे बीच टकराव कुल मिलाई के सर्वहारा वर्गा रे विकासा जो कई रूपा के मंझ मदद हे पहुंचाएं। बुर्जुआ वर्ग आपणे जो लगातार संघर्ष बिच फसीरा पांहाः पैहले अभिजात वर्गा रे खिलाफ, फेरी खुद बुर्जुआ वर्गा रे तिन्हा भागा रे खिलाफ, जिन्हारे हित औद्योगिक प्रगति रे प्रतिकूल हुई जाहें होर आखरा बिच विदेशा रे बुर्जुआ वर्गा रे खिलाफ ता हमेशा हे। इन्हां सभ लडाइयां मंझ से सर्वहारा वर्गा ले अपील करने कठे, तिन्हा ले मदद मांगणे कठे होर इहां तिन्हौ राजनीतिक अखाडे मंझ खींची ल्याउणे कठे मजबूर हुआं। इधी कठे बुर्जुआ वर्ग खुद आपणे आप हे सर्वहारा वर्गा जो आपणे राजनीतिक होर सामान्य शिक्षणा रे तत्वा के सम्पन्न करी देहां, यानि तेसरे हाथा मंझ बुर्जुआ वर्गा के लडने रे हथियार थमहाई देहां।
एतारे अलावा, जेहडा जे आसे ऊपरे देखी चुकिरे, उद्योगा री उन्नति रे करूआं, शासक वर्गा रे पूरे के पूरे समूह सर्वहारा री अवस्था मंझा पौंहचाई दिते जाहें, या कमा ले कम तिन्हारे अस्तित्वा री अवस्थावां कठे खतरा पैदा हुई जाहां। यों लोक बी सर्वहारा वर्गा जो ज्ञानोद्दीप्ति होर प्रगति रे नौवें तत्व प्रदान करहाएं।
आखिरा मंझ, वर्ग संघर्ष जेबे निर्णायक घडी रे नेडे पौंहची जाहां तेबे शासक वर्गा मंझ, असलियता मंझ सम्पूर्ण पुराणे समाजा रे अन्दर, हुई रैही री विघटना री प्रक्रिया इतना प्रचण्ड होर प्रत्यक्ष रूप धारण करी लैहाईं भई शासक वर्गा रा एक छोटा जेह हिस्सा तेसले अलग हुई के क्रान्तीकारी वर्गा रे सौगी-तेस वर्गा रे सौगी जेसरे हाथा मंझ भविष्य हुआं- आई मिल्हां। इधी कठे, जिहां पैहलके युगा मंझ सामन्ता रा एक भाग टूटीके बुर्जुआ वर्गा के आई मिल्या था, तिहाएं अब बुर्जुआ वर्गा रा एक हिस्सा होर खास तौरा पर बुर्जुआ विचारका रा एक हिस्सा जिने इतिहासा री समग्र गति जो सैद्धान्तिक रूपा मंझ समझणे रे योग्य स्तरा पर आपु जो पौहंचाई दितिरा, सर्वहारा वर्गा बिच आई के मिली जाहां।
बुर्जुआ वर्गा रे मुकाबले बिच आज जितने बी वर्ग खड़हिरे, तिन्हा सभी मंझ सर्वहारा वर्ग हे असलियता बिच क्रान्तिकारी वर्ग हा। दूजे वर्ग आधुनिक उद्योगा रे साम्हणे ह्रासोन्मुख हुई के आखरकार विलुप्त हुई जाहें, सर्वहारा वर्ग हे तेसरी मौलिक होर विशिष्ट उपज ही।
निम्न मध्यम वर्गा रे लोक-छोटे कारखानेदार, दुकानदार, दस्तकार होर किसान-यों सभ मध्यम वर्गा रे अंशा रे रूपा बिच आपणे अस्तित्वा जो नष्ट हुणे ले बचाणे कठे बुर्जुआ वर्गा ले लोहा लैहाएं। इधी कठे स्यों क्रान्तिकारी नीं, रूढ़िवादी हे। इतना हे नीं, क्योंकि स्यों इतिहासा रे चक्रा जो पीछे बखौ घुमाणे री कोशिश करहाएं, इधी कठे स्यों प्रतिगामी हे। अगर किथी स्यों क्रान्तिकारी हे ता सिर्फ इधी कठे भई तिन्हौ बौहत जल्दी सर्वहारा वर्गा मंझ मिल्ही जाणा, इधी कठे स्यों आपणे वर्तमानौ नीं, बल्कि भविष्या रे हिता री रक्षा करहाएं, आपणे दृष्टिकोणा जो छाडी के स्यों सर्वहारा रा दृष्टिकोण अपनाई लैहाएं।
“खतरनाक वर्ग”, समाजा रा कचरा, पुराणे समाजा रे निम्नतम स्तरा मंझा ले निकल़ीरा होर निष्क्रियता रे कीचड़ा मंझ सड़दा हुआ समुदाय जिथी-तिथी सर्वहारा क्रान्ति री आन्धी बिच पौउआं आन्दोलना मंझ खिंजही सकहां, पर तेसरे जीवना री अवस्था तेजो प्रतिक्रियावादी षडयन्त्रा रे भाडे रे टट्टू रा काम करने कठे कुछ ज्यादा मौजूँ बणाई देहाईं।
सर्वहारा वर्गा री मौजूदा अवस्था मंझ पुराणे समाजा री अवस्थावां रा वस्तुतः एभे नावं-निशाण तका बाकी नीं रैही गईरा। सर्वहारा बाले कोई सम्पत्ति नीं ही, आपणी जनाने होर आपणे बच्चेयां रे सौगी तेसरा जे सम्बन्धा हा से बुर्जुआ पारिवारिक सम्बन्धा ले बिल्कुल हे भिन्न हा। आधुनिक औद्योगिक श्रमे, पूँजी रे आधुनिक जुवे- जे इंग्लैण्ड, फ्रांस, अमेरिका होर जर्मनी, सब जगहा एक हे साहीं हा- तेसरे राष्ट्रीय चरित्रा रे सभ चिन्हा रा अन्त करी दितिरा। कानून, नैतिकता, धर्म- यों सभी तेस कठे बुर्जुआ पूर्वाग्रह मात्र हे, जिन्हारी ओटा मंझ घातक बुर्जुआ हित छिपिरे।
आजा तका जिन्हा-जिन्हा वर्गा रा पलड़ा भारी हुईरा, तिन्हें सभीएं आपणे पैहले ले हासिल दरजे को मज़बूत बनाणे कठे समाजा जो आपणी हस्तगतकरण प्रणाली रे अधीन करने री कोशीश कितिरी। सर्वहारा वर्ग आपणी अजही तका री हस्तगत प्रणाली रा होर तेतारे सौगी-सौगी पैहलकी हस्तगतकरण प्रणाली रा अन्त किते बिना समाजा री उत्पादक शक्तियां रा स्वामी नीं बणी सकदा। सर्वहारा वर्गा बाले बचाणे होर सुरक्षित रखणे कठे आपणा कुछ बी नीं हा, तेसरा लक्ष्य निजी स्वामित्व री पुराणी सभ गरण्टियां होर जमानता जो नष्ट करी देणा हा।
पैहलके सभ ऐतिहासिक आन्दोलन अल्पमता रे आन्दोलन रैहिरे या अल्पमता रे फायदे कठे रैहिरे। पर सर्वहारा आन्दोलन विशाल बहुमता रा, विशाल बहुमता रे फायदे रे कठे हुणे वाल़ा चेतन होर स्वतन्त्र आन्दोलन हा। आसारे वर्तमान समाजा रा सभी थे हेठला स्तर, सर्वहारा वर्ग, शासकीय समाजा री सब उपरली परतौ पलटे बगैर हिली तका नीं सकदा, किहां बी आपु जो ऊपरौ नीं चकी सकदी।
बुर्जुआ वर्गा रे खिलाफ सर्वहारा वर्गा रा संघर्ष, हालांकि सारतत्वा री दृष्टि ले नीं, पर रूपा री दृष्टि ले शुरू मंझ राष्ट्रीय संघर्ष हुआं। हर देशा रे सर्वहारा वर्गा जो, जाहिर हा, पैहले आपणे हे बुर्जुआ वर्गा के निबटणा हुआं।
सर्वहारा वर्गा रे विकासा री सभी थे सामान्य अवस्था रा वर्णन करदे हुए आसे वर्तमान समाजा रे अन्दर कम ज्यादा प्रछन्न रूपा मंझ चलणे वाल़े गृहयुद्धा रा तेस हे बिन्दु तका चित्रण कितिरा जिथी बुर्जुआ वर्गा जो बलपुर्वक उखाड़ी फैंकणा सर्वहारा वर्गा रे शासना रे कठे आधार प्रस्तुत करहां।
अजही तका जेहड़ा जे आसे देखी चुकिरे, हर तरहा रा समाज उत्पीड़क होर उत्पीड़ित वर्गा रे विरोधा पर कायम रैहिरा। पर केसी बी वर्गा रा उत्पीड़न करने रे कठे ये ज़रूरी हा भई तेजो कम ते कम एहड़ी सुविधाएं दिति जाये जेता के होर नीं सही ता, एक गुलाम वर्गा रे रूपा मंझ, से जिउंदा रैही सको। भूदास व्यवस्था रे युगा मंझ भूदासे उन्नति करी के कम्यूना री सदस्यता हासिल करी लिती थी, तिहांए जिहां निम्न-बुर्जुआ सामन्ती निरंकुशता रे जुवे रे थाल्हे बुर्जुआ बणने मंझ सफल हुई गया था। पर आधुनिक मज़दूरा री दशा बिल्कुल उल्टी ही। उद्योगा री उन्नति रे सौगी, ऊपर उठणे री बजाय, से आपु आपणे वर्गा रे अस्तित्वा के कठे जरूरी अवस्था रे स्तरा ले थाल्हे पौंदा जाहां। से कंगाल़ हुई जाहां होर तेसरी मुफलिसी आबादी होर दौलता ले बी ज्यादा तेजी के बधाईं। एहड़ी स्थिति मंझ ये बिल्कुल साफ हुई जाहां भई बुर्जुआ वर्गा अब समाजा रा शासक बणी रैहणे रे होर समाजा पर आपणे अस्तित्वा री अवस्था जो, अनिवार्य नियमा रे रूपा मंझ, लागू करने बिच अयोग्य हे। बुर्जुआ वर्ग शासन करने मंझ अयोग्य हा क्योंकि से आपणे गुलामा जो गुलामी री हालता मंझ जिन्दा रैहणे री गारण्टी देणे मंझ असमर्थ हा, क्योंकि से तेसरे जीवन स्तरा मंझ एहड़ी गिरावट नीं रोकी सकदा जेतारे फलस्वरूप से तेसरी कमाई खाणे री बजाय तेसरा पेट भरने जो मजबूर हुई जाहां। समाज अब बुर्जुआ वर्गा रे मातहत नीं रैही सकदा- दूजे शब्दा मंझ, बुर्जुआ वर्गा रा अस्तित्व अब समाजा के मेल नीं खांदा।
बुर्जुआ वर्गा रे अस्तित्व होर प्रभुत्वा री लाज़िमी शर्त पूँजी रा निर्माण होर वृद्धि ही, होर पूँजी री शर्त ही उज़रती श्रम। उज़रती श्रम पूर्णतया मज़दूरा री आपसी होड़ा पर निर्भर करहां। उद्योगा री उन्नति, जेतौ बुर्जुआ वर्ग अनिवार्यतः अग्रसर करहां, होड़ा रे करूआं उत्पन्न मज़दूरा रे अलगावा री जगहा पर तिन्हारा संसर्गजनति क्रान्तिकारी एका कायम करी देहांई। इहां आधुनिक उद्योगा रा विकास बुर्जुआ वर्गा रे पैरा रे थाल्हे ले तेसा जमीना जो हे खिसकाई देहां जेतारे आधारा पर से उत्पादन करहां होर पैदावारा जो हड़पी लैहां। इधी कठे बुर्जुआ वर्ग सर्वोपरि आपणी क्रब खोदणे वालेयां जो पैदा करहां। तेसरा पतन होर सर्वहारा वर्गा री विजय दोन्हों समान रूपा ले अनिवार्य ही।
2. सर्वहारा होर कम्युनिस्ट
समग्र रूपा मंझ सर्वहारा वर्गा रे सौगी कम्युनिस्टा रा क्या सम्बन्ध हा?
कम्युनिस्ट मज़दूर वर्गा री होरी पार्टियां रे मुकाबले मंझ आपणी कोई अलग पार्टी नीं बनांदे।
समग्र रूपा मंझ सर्वहारा वर्गा रे हिता रे अलावा होर तिन्हाले अलग तिन्हारा कोई हित नीं हा।
स्यों सर्वहारा आन्दोलना जो केसी खास नमूने पर ढालणे या तेतौ खास रूप प्रदान करने कठे आपणा कोई संकीर्णतावादी सिद्धान्त स्थापित नीं करदे।
कम्युनिस्ट होर दूजी मज़दूर पार्टियां मंझ सिर्फ ये अन्तर हा भईः
1. विभिन्न देशा रे सर्वहारा रे राष्ट्रीय संघर्षा मंझ राष्ट्रीयता रे सभ भेदभावा जो छाड़ी के स्यों पूरे सर्वहारा वर्गा रे सामान्य हिता रा पता लगाहें होर तिन्हौ साम्हणे ल्यावाहें।
2. बुर्जुआ वर्गा रे खिलाफ सर्वहारा वर्गा रा संघर्ष जिन्हां विभिन्न मंजला ले गुजरदा हुआ अग्गे बधहां तेता बिच हमेशा होर हर जगहा स्यों समग्र आन्दोलना रे हिता रा प्रतिनिधित्व करहाएं।
इधी कठे एकी बखौ, व्यावहारिक दृष्टि ले, कम्युनिस्ट हर देशा री मज़दूर पार्टियां रे सभी ले उन्नत होर कृतसंकल्प हिस्से हुआएं, एहड़े हिस्से ज्यों होरियां जो अग्गे बधाणे कठे प्रेरित करहाएं, दूजी बखौ, सैद्धान्तिक दृष्टि ले, सर्वहारा वर्गा रे विशाल जन-समुदाया री अपेक्षा स्यों एस अर्था मंझ उन्नत हे भई स्यों सर्वहारा आन्दोलना रे अग्गे बधणे रे रस्ते री, तेतारे हालात होर सामान्य अन्तिम नतीजेयां री सुस्पष्ट समझ रखाएं।
कम्युनिस्टा रा तात्कालीक ध्येय से हे हा जे होरी सर्वहारा पार्टियां रा हा-यानि सर्वहारा जो एकी वर्गा रे रूपा मंझ संगठित करना, बुर्जुआ प्रभुत्वा रा तख्ता पलटणा होर राजनीतिक सत्ता पर सर्वहारा वर्गा रा अधिकार कायम करना।
कम्युनिस्टा रे सैद्धान्तिक निष्कर्ष जगत-सुधारक हुणे रा दम भरने वाल़े एस या तेस माहणु रे ईजाद कितिरे या तोपी निकाल़िरे विचारा या सिद्धान्ता पर कतई आधारित नीं हा।
ये कल्ही मौजूदा वर्ग संघर्षा ले, आसारी हाखियां रे साम्हणे हुई रैहिरी ऐतिहासिक गतिविधि ले उत्पन्न यथार्थ सम्बन्धा री सामान्य अभिव्यक्ति ही। मौजूदा स्वामित्व सम्बन्धा रा उन्मूलन कम्युनिज्मा री कोई लाक्षणिक विशेषता हरगिज नीं ही।
इतिहासा मंझ सभ स्वामित्व सम्बन्ध ऐतिहासिक अवस्थावां मंझ परिवर्तन हुणे पर निरन्तर ऐतिहासिक परिवर्तना रे अधीन रैहीरे।
उदाहरणा कठे, फ्रांसीसी क्रान्तिए बुर्जुआ स्वामित्वा रे हक़ा कठे सामन्ती स्वामित्व नष्ट करी दितेया।
कम्युनिज्मा री लाक्षणिक विशेषत ये नीं ही भई ये स्वामित्वा जो आम तौरा पर खत्म करी देणा चाहां, बल्कि ये ही भई से बुर्जुआ स्वामित्वा जो ख़त्म करी देणा चाहां। पर आधुनिक बुर्जुआ निजी स्वामित्व उत्पादन होर उपजा रे हस्तगतकरणा री तेसा प्रणाली री आखरी होर सभी ले सर्वांगपूर्ण अभिव्यक्ति ही, जे वर्ग विरोधा होर मुट्ठी भर लोका द्वारा बौहता रे शोषणा पर आश्रित हा।
एस अर्था मंझ कम्युनिस्टा रे सिद्धान्ता जो कल्हे एकी वाक्य मंझ इहीं बोल्या जाई सकहाः निजी स्वामित्व रा उन्मूलन।
आसा कम्युनिस्टा पर आरोप लगाया गईरा भई आसे आपु आपणी मेहनता के पैदा कितिरी सम्पति हासिल करने रे माहणु रे अधिकारा रा अपहरण करी लैणा चाहें, जेसा सम्पति रे बारे बिच बोल्या जाहां भई से समस्त वैयक्तिक स्वतन्त्रता, क्रियाशीलता होर स्वामित्वा रा मूल आधार हा।
सख़्त मशक्क़ता के कमाई गइरी, ख़ुद हासिल कितिरी, ख़ुद पैदा कितिरी सम्पति। तुसारा मतलब क्या छोटे दस्तकार होर छोटे किसानी री सम्पति ले हा, स्वामित्व रे तेस रूपा ले हा जे बुर्जुआ रूपा ले पैहले था? तेता जो मिटाणे री कोई ज़रूरत नीं ही उद्योगा रे विकासे पैहले हे तेतारा बौहत-कुछ नष्ट करी दितिरा होर जे कुछ रैहा-सैहा हा, तेतौ बी से ध्याड़ पर ध्याड़ नष्ट करदा जाई करहां। क्या फेरी तुसारा मतलब आधुनिक बुर्जुआ निजी सम्पति ले हा? पर क्या उज़रती श्रम श्रमजीवी कठे कोई सम्पति पैदा करहां? हरगिज नीं। ये ता पूँजी पैदा करहां, यानि एहड़ी सम्पति पैदा करहां जे उज़रती श्रमा रा शोषण करहाईं, होर जेतारे बधणे री शर्त ही ये ही भई से नौवें शोषणा कठे उज़रती श्रमा जो पैदा करदी जाये। आपणे वर्तमान रूपा मंझ स्वामित्व पूँजी होर उज़रती श्रमा रे विरोधा पर कायम ही। आवा, एस विरोधा रे दोन्हों पैहलुआं पर गौर करियें।
पूँजीपति हुणा उत्पादना मंझ कल्हे व्यक्तिगत हे नीं, बल्कि एक सामाजिक हैसियत रखणा हा। पूँजी एक सामूहिक उपज ही, होर समाजा रे कल्हे अनेक सदस्या री संयुक्त कार्रवाई के ही, बल्कि अन्ततोगत्वा समाजा रे सभ सदस्यां री मिली-जुली कार्रवाई के हे एता जो गतिशील कितेया जाई सकहां।
एस तरहा के पूँजी व्यक्तिगत नीं हुई के एक सामाजिक शक्ति ही।
इधी कठे पूँजी जेबे साझा सम्पति बणाई दिती जाहीं, जेबे तेतौ समाजा रे सभ सदस्या री सम्पति रा रूप देई दितेया जहां, तेबे वैयक्तिक स्वामित्व सामाजिक स्वामित्वा बिच नीं बधली जांदा। तेबे स्वामित्वा रा कल्हा सामाजिक रूप बधली जाहां। तेतारा वर्ग रूप मिटी जाहां।
आवा, अब उज़रती श्रमा रे पहलू पर विचार करियें।
उज़रती श्रमा रा औसत दाम न्यूनतम मज़दूरी ही, यानि निर्वाह समाना री से मात्रा, जे मज़दूरा री हैसियता ले मज़दूरा री जिन्दगी क़ायम रखणे कठे बिल्कुल ज़रूरी हो। इधी कठे, उज़रती मज़दूरा जो आपणे श्रमा ले जे कुछ हस्तगत हुआं, से तेसरे अस्तित्वा जो बणाई रखणे होर प्रजनना रे कठे हे भतेरा हुआं। आसे श्रमा री उपजा रे एस व्यक्तिगत हस्तगतकरणा रा अन्त नीं करना चाहंदे, जे मुश्किला के माहणु जीवन क़ायम रखणे होर प्रजनना कठे कितेया जाहां होर जेता मंझ एहड़ी बजता री गुंजाइश नीं हुंदी जेता के दूजे रे श्रमा जो वशीभूत कितेया जाई सके। आसे जेस चीजा जो खत्म करी देणा चाहें से हा एस हस्तगतकरणा रा से दयनीय रूप, जेतारे अन्तर्गत मज़दूर पूँजी बधाणे कठे हे ज़िन्दा रैहां, होर तेजो तेस हदा तक जिन्दा रैहणे दितेया जाहां जेस हदा तक शासक वर्गा रे स्वार्था जो तेसरी ज़रूरत हुआईं।
बुर्जुआ समाजा मंझ जीवित श्रम संचित श्रमा जो बधाणे रा कल्हा एक सामान हा। कम्युनिस्ट समाजा मंझ संचित श्रम मज़दूरा रे जीवना जो व्यापक, सम्पन्न होर उन्नत बनाणे रा सामान हा।
एस तरहा, बुर्जुआ समाजा मंझ वर्तमाना रे ऊपर अतीत हावी हुआं। कम्युनिस्ट समाजा मंझ अतीता रे ऊपर वर्तमान हावी हुआं। बुर्जुआ समाजा मंझ पूँजी स्वतन्त्र ही होर तेतारी वैयक्तिकता हुआईं पर जीवित व्यक्ति परतन्त्र हा होर तेसरी कोई वैयक्तिकता नीं हुंदी।
फेरी बी बुर्जुआ वर्ग बोल्हां भई एसा परिस्थिति जो खत्म करी देणे रा मतलब वैयक्तिकता होर स्वतन्त्रता जो खत्म करी देणा हा। होर ये ठीक हे हा। एता मंझ कोई सन्देह नीं भई आसे बुर्जुआ वैयक्तिकता, बुर्जुआ स्वतन्त्रता होर बुर्जुआ स्वाधीनता जो जड़-मूला ले खत्म करी देणा चाहें।
मौजूदा बुर्जुआ अवस्थावां रे अंतर्गत स्वाधीनता रा अर्थ हा मुक्त व्यापार, मुक्त क्रय-विक्रय।
पर अगर क्रम-विक्रय मिटी जाहां, ता मुक्त क्रय-व्यय बी मिटी जाणा। आसारे पूँजीपतियां री मुक्त क्रय-विक्रय री गल्ला जो, आम स्वाधीनता रे बारे मंझ तिन्हारी सभ ‘बडी-बडी गल्ला’ जो, अगर मध्य युगा रे सीमित क्रय-विक्रया रे या तेस बक्ता रे बन्धना मंझ जकडी रे व्यापारियां रे मुकाबले बिच देखया जाए, ता तिन्हारा कुछ मतलब हुई सकहां पर क्रय-विक्रय उत्पादना री बुर्जुआ अवस्थावां होर आपु बुर्जुआ वर्गा रे कम्युनिस्ट उन्मूलना रे मुकाबले मंझ से निरर्थक हा।
आसे निजी स्वामित्वा जो खत्म करी देणा चाहें, एतौ सुणी के तुसारे रोंगटे खडे हुई जाहें। पर तुसारे मौजूदा समाजा मंझ दसा मंझा ले नौ आदमियां रे कठे निजी स्वामित्व अजही ले हे खत्म हुई चुकीरा, चन्द लोका रे बाले अगर निजी सम्पत्ति हई बी ही ता तेतारा एकमात्र कारण ये हा भई दसा मंझा ले नौ आदमियां बाले से हई हे नीं ही। इधी कठे, तुसे आसारे खिलाफ स्वामित्वा री एहडी व्यवस्था जो खत्म करी देणे री इच्छा रखणे रा आरोप लगाहें जेतारे अस्तित्वा कठे ज़रूरी शर्त ये ही भई समाजा रे अधिकांशा बाले कोई सम्पत्ति नीं हो।
संक्षेपा मंझ तुसारा आरोप ये हा भई आसे तुसारा स्वामित्व ख़त्म करी देणा चाहें। ता ये बिल्कुल ठीक हा। आसे ठीक एहडा हे करना चाहें। तुसारा बोलणा हा भई श्रमा रा जिहां हे पूँजी, मुद्रा या लगाना रे रूपा मंझ-एक एहडी सामाजिक शक्ति रे रूपा मंझ-एक एहडी सामाजिक शक्ति रे रूपा मंझ जेस पर इज़ारेदारी कायम किती जाई सके-रूपान्तरण बन्द हुई जाणा, यानी जिहां हे वैयक्तिक स्वामित्व रा बुर्जुआ स्वामित्व मंझ, पूँजी मंझ रूपान्तरण बन्द हुई जाणा, तिहां हे वैयक्तिक्ता रा लोप हुई जाणा।
तुसा जो ये कबूल करना पौणा भई ‘व्यक्ति’ रा तुसा कठे एक हे अर्थ हा-बुर्जुआ या सम्पत्ति रा बुर्जुआ स्वामी। एस माहणु जो ता जरूर हे खत्म करी देणा चहिए।
कम्युनिज़्म केसी आदमी जो समाजा री उपज हस्तगत करने री शक्ति ले वंचित नीं करदा, से कल्हा एस हस्तगतकरणा रे जरिये दूजेयां रे श्रमा जो वशीभूत करने री शक्ति ले तेजो वंचित करहां।
ये बोल्या गइरा भई अगर निजी स्वामित्वा जो खत्म करी दितेया गया ता सारा कामकाज ठप हुई जाणा होर दुनिया भरा मंझ आलस्य छाई जाणा। एतारे अनुसार ता बुर्जुआ समाजा जो घोर आलस्य रे करूआं ना जाणे कधका रसातला मंझ पौहंची जाणा चहिए था।, क्योंकि एस समाजा रे ज्यों सदस्य मेहनत करहाएं स्यों कुछ नी प्राप्त करदे होर ज्यों प्राप्त करहाएं, स्यों काम नीं करदे। असलियता मंझ ये पूरा तर्क एसा द्विरूक्ति री एक अभिव्यक्ति ही भई अगर पूँजी नीं रैहंगी ता उज़रती श्रम बी नीं रैही जाणा।
भौतिक वस्तुआं रे उत्पादन होर हस्तगतकरणा री कम्युनिस्ट प्रणाली रे सम्बन्धा बिच जे आरोप लगाये जाहें, स्यों हे आरोप तिहांए बौद्धिक रचनावां रे उत्पादन होर हस्तगतकरणा री कम्युनिस्ट प्रणालियां रे सम्बन्धा बिच बी लगाए जाहें। जिहां वर्ग स्वामित्वा रा विलोपन बुर्जुआ वर्गा जो उत्पादना रा हे विलोपन लगहां, तिहाएं वर्ग संस्कृति रा विलोपन तेजो सारी संस्कृति रा विलोपन लगहां।
से संस्कृति, जेतारे विनाशा रे बारे मंझ से इतना रोहां-धोआं, अधिकांश जनता रे कठे महज़ मशीना रे साहीं काम करने रा प्रशिक्षण मात्र हा।
पर आसा के उलझणे ले तेबे तका कोई लाभ नीं हा जेबे तका बुर्जुआ स्वामित्वा रे उन्मूलना रे आसारे इरादे जो तुसे आज़ादी, संस्कृति, कानून बगैरा री आपणी बुर्जुआ धारणावां रे मापदण्डा के नापहाएं, तुसारे विचार आपु हे बुर्जुआ उत्पादन होर बुर्जुआ स्वामित्वा री अवस्थावां री उपज हे, ठीक तिहाएं जिहां तुसारा कानून कल्हे तुसारे वर्गा री इच्छा मात्र हा जेतौ कानून बणाई के तुसे सभीयां रे ऊपर लदी दितिरा, एक एहडी इच्छा जेता रा मूलभूत स्वरूप होर जेतारी दिशा तुसारे वर्गा रे अस्तित्वा री आर्थिक अवस्थावां के निर्धारित हुआईं।
उत्पादन होर सम्पत्ति रे मौजूदा सामाजिक स्वरूप होर उत्पादना रे विकासा रे सिलसिले मंझ उत्पन्न होर विलीन हुणे वाल़े ऐतिहासिक सम्बन्धा जो प्रकृति होर तर्कबुद्धि रे शाश्वत नियमा मंझ रूपान्तरित करने रे कठे अन्ध स्वार्था रा भ्रामक बोध तुसा जो विवश करी देहां- एस भ्रामक बोधा रा शिकार बणे रैहणे बिच तुसे आपणे पूर्ववर्ती शासक वर्गा रे सौगी सहभागी हे। प्राचीन युगा रे स्वामित्व रे सम्बन्धा मंझ जेस चीज़ा जो तुसे सपष्टता के देखाहें, सामन्ती स्वामित्वा रे सम्बन्धा मंझ जेस चीज़ा जो तुसे स्वीकार करहाएं, तेतौ ख़ुद आपणे बुर्जुआ स्वामित्वा रे सम्बन्धा मंझ मंज़ूर करना तुसा कठे निश्चय हे गुनाह हा।
परिवारा रा उन्मूलन। कम्युनिस्टा रे एस कलंकपूर्ण प्रस्तावा ले कट्टरा ले कट्टर आमूल परिवर्तनवादी बी भड़की उठाहें।
मौजूदा परिवार, बुर्जुआ परिवार, केस आधारा पर खड़हीरा? पूँजी परा, निजी फायदे परा। आपणे पूरे विकसित रूपा मंझ एहड़ा परिवार कल्हे बुर्जुआ वर्गा रे बिच पाया जाहां। ये स्थिति आपणा पूरक सर्वहारा वर्गा मंझ परिवारा रे व्यवहारतः अभाव होर बाज़ारू वेश्यावृति मंझ पाहीं. ये पूरक जेबे मिटी जाणा ता सामान्य क्रमा मंझ बुर्जुआ परिवार बी मिटी जाणा, होर पूँजी रे मिटणे रे सौगी-सौगी यों दोन्हो मिटी जाणे।
क्या तुसे आसारे ऊपर ये आरोप लगाहें भई आसे बच्चेयां रा तिन्हारे मावा-बाबा ले शोषण कितेया जाणा बन्द करी देणा चाहें? एस अपराधा जो आसे स्वीकार करहाएं।
पर तुसा बोलणा भई घरेलू शिक्षा री जगहा पर सामाजिक शिक्षा कायम करीके आसे एक अत्यन्त पवित्र सम्बन्धा जो नष्ट करी देहाएं। होर तुसारी शिक्षा। क्या से बी सामाजिक नीं ही होर तिन्हा सामाजिक अवस्थावां ले निर्धारित नीं हुंदी जेता बिच तुसे समाजा रे प्रत्यक्ष या परोक्ष हस्ताक्षेपा के स्कूला बगैरा रे ज़रिये शिक्षा देहाएं? शिक्षा मंझ समाजा रा हस्ताक्षेपा कम्युनिस्टा री ईजाद नीं ही, कम्युनिस्टा ता कल्हे एस हस्तक्षेपा रे स्वरूपा जो बदली देणा चाहें होर शासक वर्गा रे प्रभावा ले शिक्षा रा उद्धार करना चाहें।
जिहां-जिहां आधुनिक उद्योगा री क्रिया के सर्वहारा वर्गा मंझ समस्त पारिवारिक सम्बन्धा री धज्जियां उडदी जाई करहाईं होर मज़दूरा रे बच्चे तिज़ारता रे मामूली सामान होर श्रम रे औज़ार बणदे जाई करहाएं, तिहां-तिहां परिवार होर शिक्षा होर मावा-बाबा होर बच्चेयां रे पुनीत अन्योन्य सम्बन्धा रे बारे बिच बुर्जुआ वर्गा री बकवास होर बी घिनौनी सूझदी लगाहीं।
पर पूरा का पूरा बुर्जुआ वर्ग गल़ा फाड़ी के एकी स्वरा के चिंगी उठहां- तुसा कम्युनिस्टा ता जनानेयां सामुदायिक भोगा री चीज बणाई देणी।
बुर्जुआ आपणी पत्नी जो उत्पादना रे एकी औज़ार रे सिवा होर कुछ नीं समझदा। तिने सुणी रखीरा भई कम्युनिस्ट समाजा मंझ उत्पादना रे औज़ारा रा सामुहिक रूपा मंझ उपयोग हुणा। इधी कठे, स्वभावतः, से एतारे अलावा होर कोई निष्कर्ष नीं निकाल़ी पांदा भई तेस समाजा मंझ सभ चीज़ा रे साहीं औरता बी सभी रे साझा री हुई जाणी।
से सुपने मंझ बी नीं सोची सकदा भई दरअसल मक़सद ये हा भई औरता री उत्पादना रे औज़ारा साहीं स्थिति जो खत्म करी दितेया जाणा। कुछ बी हो, स्त्रियां रे समाजीकरणा रे खिलाफ बुर्जुआ रे सदाचारी आवेशा ले ज्यादा हास्यास्पद दूजी होर कोई चीज़ नीं ही। स्यों ये समझणे रा बहाना करहाएं भई कम्युनिसज़्मा रे अन्तर्गत स्त्रियां रा समाजीकरण खुल्लम-खुल्हा होर ज्यादा ले ज्यादा तौरा पर स्थापित कितेया जाणा। कम्युनिस्टा जो स्त्रियां रा समाजीकरण स्थापित करने री कोई जरूरत नीं ही, क्योंकि ये स्थिति ता लगभग अनादिकाला ले चली आईरी।
आसारे बुर्जुआ वर्गा रे सदस्या जो मज़दूरा री बहू-बेटियां जो आपणी मर्ज़ी रे मुताबिक़ इस्तेमाल करने ले सन्तोष नीं हुंदा, वेश्यावां ले बी तिन्हारा मन नीं भरदा, इधी कठे एकी-दूजे री बीवियां पर हाथ साफ करने मंझ तिन्हौ विशेष आन्नद प्राप्त हुआं।
बुर्जुआ ब्याह असलियता मंझ पत्नियां री साझेदारी री हे एक व्यवस्था ही, इधी कठे कम्युनिस्टा रे खिलाफ़ ज्यादा ले ज्यादा ये हे आरोप लगाया जाई सकहां भई स्यों स्त्रियां जो सर्वोपभोग्यता री मौजूदा ढोंगपूर्ण होर गुप्त प्रथा जो खुल्हा, कानूनी रूप देणा चाहें। कुछ बी हो, गल्ल आपणे आप साफ ही भई उत्पादना री वर्तमान व्यवस्था जेबे खत्म हुई जाणी, तेबे स्त्रियां री तेस व्यवस्था ले उत्पन्न सर्वोपभोग्यता रा यानि खुल्ही होर ख़ानगी, दोन्हों तरहा री वेश्यावृति रा अनिवार्यतः अन्त हुई जाणा।
कम्युनिस्टा पर ये आरोप बी लगाया जाहां भई स्यों स्वदेश होर राष्ट्रीयता जो मटाई देणा चाहें।
मज़दूरा रा कोई स्वदेश नीं हा। जे तिन्हा बाले हया हे नीं तेतौ तिन्हा ले छिनये नीं जाई सकदा। क्योंकि सर्वहारा वर्गा जो सभी ले पैहले राजनीतिक प्रभुत्व प्राप्त करणा हा, राष्ट्रा मंझ प्रधान वर्गा रा स्थान ग्रहण करणा हा, ख़ुद आपणे जो राष्ट्रा रे रूपा मंझ संगठित करणा हा, इधि कठे एस हदा तका से आपु राष्ट्रीय चरित्र रखहां, हालांकि एस शब्दा रे बुर्जुआ अर्था बिच नीं।
बुर्जुआ वर्गा रे विकास, वाणिज्य री स्वाधीनता, विश्व बाज़ार होर उत्पादन प्रणाली मंझ होर तदनुरूप जीवना री अवस्थावां मंझ एकरूपता रे करूआं जनगणा रे राष्ट्रीय भेदभाव होर विरोध दिन पर दिन मिटदे जाई करहाएं। सर्वहारा वर्गा रा प्रभुत्व हुणे पर ये होर बी तेज़ी के मिटणे। सर्वहारा वर्गा रे विस्तारा री पैहली शर्त ये ही भई कम ते कम प्रमुख सभ्य देश मिली के एकी सौगी क़दम चको।
जेस अनुपाता बिच एक माहणु ले दूजे माहणु रा शोषण खत्म हुणा, तेस अनुपाता मंझ एक राष्ट्रा ले दूजे राष्ट्रा रा शोषण बी खत्म हुणा। जेस अनुपाता बिच एक राष्ट्रा रे अन्दर वर्गा रा विरोध खत्म हुणा, तेस हे अनुपाता मंझ राष्ट्रा रा आपसी बैरभाव बी दूर हुणा।
धार्मिक, दार्शनिक होर सामान्यतः विचारधारात्मक दृष्टि ले कम्युनिज्मा रे खिलाफ ज्यों आरोप लगाए जाहें, स्यों एस लायक नीं हे भई तिन्हा पर गम्भीरता रे सौगी विचार कितेया जाये।
क्या ये समझणे कठे डुग्घी अन्तर्दृष्टि री जरूरत ही भई माहणु रे विचार, मत होर तेसरी धारणावां- संक्षेपा मंझ तेसरी चेतना- तेसरे भौतिक अस्तित्वा री अवस्थावां, तेसरे सामाजिक सम्बन्ध होर सामाजिक जीवना रे प्रत्येक परिवर्तना रे सौगी बधलाहीं?
विचारा रा इतिहास एतारे सिवा होर क्या साबित करहां भई जेस अनुपाता मंझ भौतिक उत्पादना मंझ परिवर्तन हुआं, तेस हे अनुपाता मंझ बौद्धिक उत्पादना रा स्वरूप परिवर्तित हुआं। हर युगा रे प्रभुत्वशाली विचार सदा तेसरे शासक वर्गा रे हे विचार रैहीरे।
जेबे लोक समाजा बिच क्रान्ति लयाउणे वाल़े विचारा री गल्ल करहाएं, तेबे स्यों कल्हे एस तथ्य जो व्यक्त करहाएं भई पुराणे समाजा रे अन्दर एक नौवें समाजा रे तत्व पैदा हुई गईरे। होर पुराणे विचारा रा विघटन अस्तित्वा री पुराणी अवस्थावां रे विघटना रे सौगी कदम मिलाई के चलहां।
प्राचीन दुनिया जेस बक्त आपणे आखरी साह गिणी करहाईं थी, तेस समय प्राचीन धर्मां जो ईसाई धर्मे पराभूत कितेया था। जेबे अठारवीं शताब्दी मंझ ईसाई मत तर्कबुद्धिवाली विचारा रे साम्हणे धराशायी हुआ, तेस बक्त सामन्ती समाजे तत्कालीन क्रान्तीकारी बुर्जुआ वर्गा ले आपणी मौता री लड़ाई लड़ी थी। धर्म होर अन्तःकरणा री स्वतन्त्रता री गल्ला ज्ञान जगता मंझ मुक्त होड़ा रे प्रभुत्वा जो हे व्यक्त करहाईं थी।
बोल्या जाणा भई “ ये ठीक हा भई इतिहासा रे विकासक्रमा बिच धार्मिक, नैतिक, दार्शनिक, राजनीतिक होर कानून सम्बन्धी विचार बधलदे आईरे, पर धर्म, नैतिकता, दर्शन, राजनीति होर कानून ता सदा एस परिवर्तना ले बचीरे रैहिरे।
“एतारे अलावा स्वाधीनता, न्याय बगैरा एहड़े शाश्वत सत्य बी हये ज्यों हर सामाजिक अवस्था मंझ समान रूपा ले लागू हुआएं। पर इन्हौ नौवें आधार पर प्रतिष्ठित करने रे बजाय कम्युनिज़्म सभ शाश्वत सत्यां जो ख़त्म करी देहां, से समस्त धर्म होर समस्त नैतिकता जो मिटाई देहां, इधी कठे कम्युनिज़्म विगत इतिहासा रे समस्त अनुभवा रे विपरीत आचरण करहां।“
एस आरोपा रा सारतत्व क्या हा? पिछले हरेक समाजा रा इतिहास वर्ग विरोधा रे विकासा रा इतिहास हा, तिन्हा वर्ग विरोधा रा जिन्हें भिन्न युगा मंझ भिन्न रूप धारण कितेया था।
पर तिन्हें चाहे जे बी रूप धारण कितेया हो, पिछले सभ युगा मंझ एक चीज़ हर अवस्था मंझ मौजूद थी- समाजा रे एक हिस्से ले दूजे हिस्से रा शोषण। इधी कठे ये कोई आश्चर्य री गल्ल नीं ही भई विगत युगा री सामाजिक चेतना अनेकानेक विविधतावां होर विभिन्नतावां रे बावजूद जिन्हा सामान्य रूपा या सामान्य विचारा रे दायरे मंझ गतिशील रैहीरी, स्यों वर्ग विरोधा रे पूर्ण रूपा ले विलुप्त हुणे ले पैहले पूरी तरहा नीं मिटी सकदे।
कम्युनिस्ट क्रान्ति समाजा रे परम्परागत स्वामित्व सम्बन्धा ले एक आमूल विच्छेद हा, फेरी एता मंझ हैरानी क्या भई एसा क्रान्ति रे विकासा रा अर्थ हा समाजा रे परम्परागत विचारा ले आमूल सम्बन्ध विच्छेद?
पर कम्युनिज़्मा रे ख़िलाफ़ बुर्जुआ रे आरोपा री कथा एभे समाप्त किती जाए।
ऊपर आसे देखी आईरी भई मज़दूर वर्गा री क्रान्ति रा पैहला कदम सर्वहारा वर्गा जो ऊपर चकी के शासक वर्गा रे आसना पर बठाणा होर जनवादा कठे हुणे वाल़ी लड़ाई जो जीतणा हा।
सर्वहारा वर्गा आपणा राजनीतिक प्रभुत्व बुर्जुआ वर्गा ले सुले-सुले सारी पूँजी छीनणे कठे, उत्पादना रे सारे औज़ारा जो राज्य, यानि शासक वर्गा रे रूपा बिच संगठित सर्वहारा वर्गा रे हाथा मंझ केन्द्रीत करने कठे होर समग्र उत्पादक शक्तियां मंझ यथाशीघ्र वृद्धि कठे इस्तेमाल करना।
निस्संदेह, शुरू मंझ ये काम स्वामित्व रे अधिकारा पर होर बुर्जुआ उत्पादन प्रणालियां पर निरंकुश हमलेयां रे बिना नीं हुई सकदा; यानि एहड़े उपाया रे बगैर नीं हुई सकदा ज्यों आर्थिक दृष्टि ले अपर्याप्त होर अव्यावहारिक प्रतीत हुआएं, पर ज्यों विकासक्रमा मंझ आपणी सीमा जो लंघी जांघे, पुराणी समाज व्यवस्था रे होर बी गैहन भेदना जो अनिवार्य बणाई देंघे होर ज्यों उत्पादन प्रणाली मंझ पूर्णतया क्रान्ति ल्याउणे रे सामाना रे रूपा मंझ अनिवार्य हुंघे।
निस्सन्देह, अलग-अलग देशा मंझ यों उपाय अलग-अलग हुणे।
फेरी बी थाल्हे दितिरे तरीक़े सभी ले अग्गे बधिरे देशा मंझ आम तौरा पर लागू हुई सकहाएः
1. भूस्वामित्व रा उन्मूलन होर समस्त लगाना रा सार्वजनिक प्रयोजना कठे उपयोग।
2. भारी वर्द्धमान या आरोही आयकर।
3. उतराधिकारा रा उन्मूलन।
4. सभ उत्प्रवासियां होर विद्रोहियां री सम्पत्ति री ज़ब्ती।
5. सरकारी पूँजी होर पूर्ण एकाधिकारा ले सम्पन्न राष्ट्रीय बैंका द्वारा राज्य रे हाथा मंझ उधारा रा केन्द्रीकरण।
6. संचार होर यातायाता रे सामाना रा राज्य रे हाथा मंझ केन्द्रीकरण।
7. राजकीय कारखाने होर उत्पादना रे औज़ारा रा विस्तार करना; एक आम योजना बणाई के परती ज़मीना जो जोतणा होर ख़ेती री ज़मीना रा सामान्यतः सुधार करना।
8. हरेका कठे काम करना समान रूपा ले अनिवार्य कितेया जाणा। खासकर कृषि कठे औद्योगिक सेना कायम करना।
9. कृषि रे सौगी मैन्युफ़ैक्चरिंग उद्योगा रा संयोजन; सुले-सुले देहाता होर शैहरा रा अन्तर मिटयाई देणा।
10. सार्वजनिक पाठशाला मंझ सभ बच्चेयां कठे मुफ्त शिक्षा व्यवस्था। वर्तमान रूपा मंझ कारखानेयां मंझ बच्चेयां ले काम लैणा खत्म करी देणा। शिक्षा होर औद्योगिक उत्पादना रा संयोजन, बगैरा।
विकासक्रमा मंझ जेबे वर्गा रे भेद मिटी जाणे होर सारा उत्पादन पूरे राष्ट्रा कठे एकी विशाल संघ रे हाथा मंझ संकेन्द्रित हुई जाणा, तेबे सार्वजनिक सत्ता आपणा राजनीतिक रूप खोई देणा। राजनीतिक सत्ता, एस शब्दा रे असली अर्था मंझ, एक वर्गा ले दूजे वर्गा रा उत्पीडन करने री संगठित शक्ति हे ही। बुर्जुआ वर्गा रे खिलाफ आपणे संघर्षा रे दौरान, परिस्थितियां ले मजबूर हुई के सर्वहारा जो अगर आपणे जो एकी वर्गा रे रूपा मंझ संगठित करना पौहां, अगर क्रान्ति रे ज़रिये से आपणे आपा जो शासक वर्ग बणाई लैहां, होर इहां से उत्पादना री पुराणी अवस्थावां रा बलपूर्वक अन्त करी देहां, ता तिन्हां अवस्थावां रे सौगी-सौगी से वर्ग विरोधा रे अस्तित्व होर आम तौरा पर ख़ुद वर्गा री अवस्थावां रा ख़ात्मा करी देहां होर इहां से एक वर्गा रे रूपा मंझ आपु आपणे प्रभुत्वा रा बी ख़ात्मा करी देहां।
तेबे वर्ग होर विरोधा ले बिन्हिरे पुराणे समाजा री जगहा पर एक एहड़े संघा री स्थापना हुणी जेता मंझ व्यष्टि रा स्वतन्त्र विकास समष्टि रे स्वतन्त्र विकासा री शर्त हुणी।
3. समाजवादी होर कम्युनिस्ट साहित्य
1. प्रतिक्रियावादी समाजवाद
क. सामन्ती समाजवाद
फ्रांस होर इंग्लैण्डा रे अभिजाता री ऐतिहासिक स्थिति एहड़ी थी भई आधुनिक बुर्जुआ समाजा रे खिलाफ़ पैम्फलेट लिखणा तिन्हारा धन्धा बणी गया। जुलाई 1830 री फ्रांसीसी क्रान्ति मंझ होर इंगलैण्डा रे सुधार आन्दोलना मंझ यों अभिजात भी के इन्हा घृणास्पद नवप्रतिष्ठित अनभिजाता ले पराभूत हुए। एता ले बाद कोई महत्वपूर्ण लड़ाई लड़णे री सम्भावना नीं रैही गई। कल्हे साहित्यिक लड़ाई हे एभे सम्भव थी। पर साहित्य रे क्षेत्रा मंझ बी पुनर्स्थापन काला* रे पुराणे नारेयां रा प्रयोग असम्भव हुई गया था।
लोका री सहानुभूति हासिल करने कठे इन्हा अभिजाता जो बाहरी रूपा ले आपणे हिता जो हाखियां ले ओझल करणा पया होर कल्हे शोषित मज़दूर वर्गा रे हिता जो लेई के तिन्हें बुर्जुआ वर्गा रे खिलाफ आपणा अभियोग पत्र तैयार कितेया। अभिजात वर्गे आपणे नौवें प्रभु रे खिलाफ विद्रूपात्मक रचनावां लिखी के होर तेसरे काना मंझ तेसरे आउणे वाल़े सर्वनाशा री भयानक भविष्योक्तियां फुसफुसाईके तिन्हा ले आपणा बदला लितेया।
सामन्ती समाजवादा री उत्पत्ति एस तरहा के हुईः कुछ रोणा-धोणा, कुछ विद्रूपात्मक रचनावां रे तीर चलाणा; कुछ अतीता जो प्रतिध्वनित करना, कुछ भविष्य रा डर दसणा; कधी-कधी आपणी कटु व्यंग्यपूर्ण होर पैनी आलोचना के बुर्जुआ वर्गा रे मर्मस्थला पर चोट पौहंचाणा; पर आधुनिक इतिहासा री प्रगति जो हृद्यंगम करने मंझ आपणी सम्पूर्ण असमर्थता रे करूआं आपणे प्रभावा मंझ सदा हास्यास्पद रैही जाणा।
• इंग्लैण्डा मंझ 1660 ले 1689 रा पुनर्स्थापना काल नीं, बल्कि फ्रांस मंझ 1814 ले 1830 रा पुनर्स्थापन-काल। (1888 रे अंग्रेजी संस्करणा बिच एंगेल्सा री टिप्पणी)
जनता जो आपणे बखौ करने कठे इन्हें अमीर-अमरेयां सर्वहारा री भीखा री झोल़ी जो आपणा झण्डा बणाया। पर जेबे-जेबे जनता इन्हारे सौगी हुई, तेसे इन्हारे कुल्हेयां पर सामन्ता रे वंश-चिन्हा रे ठप्पे हे लगीरे देखे, होर से हासी रे जोरदार होर तिरस्कारपूर्ण ठहाकेयां रे सौगी तिन्हौ छाडी के चली गई।
फ्रांसीसी लेजिटिमिस्टा रे एकी हिस्से होर तरूण इंग्लैण्डे, एहड़ा हे नज़ारा पेश कितेया।
ये बोल्दे बक्त भई तिन्हारे शोषणा रा तरीका बुर्जुआ वर्गा रे शोषणा रे तरीके ले भिन्न था, सामन्तवादी भूली जाहें भई जिन्हा परिस्थितियां होर अवस्थावां मंझ स्यों शोषण करहाएं थे, स्यों बिल्कुल भिन्न थी होर एभे पुराणी पई चुकीरी। ये साबित करदे बक्त भई तिन्हारे शासना मंझ आधुनिक सर्वहारा वर्गा रा कोई अस्तित्व नीं थी, स्यों भूली जाहें भई आधुनिक बुर्जुआ वर्गा तिन्हारी ही सामाजिक व्यवस्था री अनिवार्य सन्तान ही।
कुछ बी हो, आपणी आलोचना रे प्रतिक्रियावादी स्वरूपा जो स्यों इतना कम लकोआएं भई बुर्जुआ वर्गा रे खिलाफ़ तिन्हारा सबी ले बडा इल्ज़ाम ये हुआं भई बुर्जुआ शासना मंझ एक एहड़ा वर्ग पनपी रैहिरा जेस पुराणी समाज व्यवस्था समूल उखाड़ी फैंकणी।
बुर्जुआ वर्गा जो तिन्हारा उलाहना एसा गल्ला कठे इतना नीं हा भई से सर्वहारा वर्गा जो उत्पन्न करी करहां, जितना एसा गल्ला कठे भई से क्रान्तिकारी सर्वहारा वर्गा जो जन्म देई करहां।
इधी कठे, आपणे राजनीतिक व्यवहारा मंझ स्यों मज़दूर वर्गा रे ख़िलाफ़ प्रयोग किति जाणे वाल़ी सभ दमनकारी कार्रवाइयां रा समर्थन करहाएं, होर आपणी बडी-बडी डींगा रे बावजूद रोज़मर्रा रे जीवना मंझ उद्योगा रे कल्पवृक्षा ले पईरे सोने रे फला जो बीनणे कठे होर ऊन, चुकन्दरा री चीनी होर आलू री बणीरी स्पिरिटा रे व्यापारा कठे स्यों सत्य, प्रेम होर सम्माना रा सौदा करने कठे सदैव तैयार रैहाएं।*
* ये मुख्यतया जर्मनी पर लागू हुआं, जिथी भूसम्पतिधारी अभिजात होर युंकर आपणी ज़मीना रे बौहत बडे हिस्से पर आपणे बखा ले गुमाश्तेयां ले काश्त करवाहें होर, एतारे अलावा, बडे पैमाने पर चुकन्दरा ले चीनी होर आलू ले स्पिरिट बनाणे रा बी धन्धा करहाएं। ब्रिटेना रे ज्यादा धनी अभिजात अजही एसा हदा तका नीं गिरिरे पर स्यों बी जाणहाएं भई किहां न्यूनाधिक संदिग्ध ज्वाइंट स्टाक कम्पनियां रे प्रवर्तका मंझ आपणा नावं देई के लगाना री घटदी हुई आमदनी जो पूरा कितेया जाए। (1888 रे अंग्रेज़ी संस्करणा मंझ एंगेल्सा री टिप्पणी)
जिहां पादरी होर ज़मींदारा रा चोली-दामना रा साथ रैहीरा, तिंहाए ईसाई समाजवाद होर सामन्ती समाजवाद दोन्हों जन्मा रे साथी हे। ईसाइयां री वैराग्य भावना जो समाजवादा रा रंग देई देणे ले ज्यादा आसान काम दूजा नीं हा। क्या ईसाई धर्म निजी स्वामित्व, ब्याह होर राज्य रे खिलाफ़ फतवे नीं देंदा रैहीरा? इन्हा चीज़ा रे बदले क्या तिने दानपुण्य होर गरीबी, ब्रह्मचर्य होर शारीरिक तप, मठ-निवास होर मातृ गिरजाघरा री शरण लैणे रा उपदेश नीं दितिरा? ईसाई समाजवाद कल्हा से पवित्र जल हा जेतारे छींटे मारी के पादरी अमीर-उमरा रे सन्तप्त हृद्यां रा पवित्रीकरण करहां।
(ख) निम्न-बुर्जुआ समाजवाद
सामन्ती अभिजात वर्ग कल्हा वर्ग नीं हा जे बुर्जुवा वर्गे बरबाद कितेया, से हे एकमात्र वर्ग नीं हा जेसरे अस्तित्वा री अवस्थावां आधुनिक समाजा रे वातावरणा बिच घुटी के रैही गईरी होर दम तोड़ी चुकीरी। मध्ययुगा रे बर्गर होर छोटे किसान भूस्वामी आधुनिक बुर्जुआ वर्गा रे पूर्वज थे। तिन्हां देशा मंझ, ज्यों उद्योग होर वाणिज्य री नज़रा ले अल्पविकसित हे, यों दोन्हों वर्ग अजही बी उदीयमान बुर्जुआ वर्गा रे सौगी पनपी करहाएं।
तिन्हा देशा मंझ जिथी आधुनिक सभ्यता रा पूरा विकास हुई चुकीरा, निम्न-बुर्जुआ वर्गा रा एक नौवां वर्ग बणी गईरा जे सर्वहारा वर्ग होर बुर्जुआ वर्गा रे बीच झूलदा रैहां होर बुर्जुआ समाजा रे एक पूरक अंगा रे रूपा मंझ सदा आपणा नवीनीकरण करदा रैहां। पर होड़ा री चक्की मंझ पिसी के एस वर्गा रे अलग-अलग सदस्य टूटी-टूटी के बराबर सर्वहारा वर्गा मंझ शामिल हुंदे जाएं होर आधुनिक उद्योगा रा विकास हुणे रे सौगी स्यों तेस क्षणा जो बी नेडे आउंदा देखाएं जेबे आधुनिक समाजा रे एक स्वतन्त्र अंगा रे रूपा मंझ तेसरा बिल्कुल खात्मा हुई जाणा और उद्योग, खेती होर वाणिज्य रे क्षेत्रा मंझ ओवरसियरा, नाज़िरा होर दुकान-कर्मचारियां तिन्हारी जगहा लेई लैणी।
फ्रांसा साहीं देशा मंझ, जिथी आधी ले ज्यादा आबादी किसाना री ही, ये स्वाभाविक था भई जे लेखक बुर्जुआ वर्गा रे ख़िलाफ़ सर्वहारा वर्गा रा साथ देहाएं थे, स्यों बुर्जुआ शासन व्यवस्था री आपणी आलोचना मंझ किसाना होर निम्न-बुर्जुआ वर्गा रे मानदण्डा रा प्रयोग करदे होर मज़दूर वर्गा रे समर्थना मंझ इन्हां मध्यम वर्गा रे दृष्टिकोणा ले आवाज़ उठादें। निम्न-बुर्जुआ समाजवादा री उत्पत्ति इहां हुई। कल्हे फ्रांसा बिच हे नीं, बल्कि इंग्लैण्डा मंझ बी एस मता रे नेता सिसमोन्दी थे।
समाजवादा री एसा शाखा रे अनुयायियें आधुनिक उत्पादना री अवस्थावां रे अन्तर्विरोधा रा बौहत हे बरीकी सौगी विश्लेषणा किता। अर्थशास्त्रियां री ढोंगपूर्ण वक़ालता रा तिन्हें पर्दाफ़ाश कितेया। मशीना रे उपयोग होर श्रम विभाजना रे विनाशकारी परिणामा, पूँजी होर भूमि रा मुट्ठीभर लोका रे हाथा मंझ संकेन्द्रति हुणा, अति-उत्पादन होर संकट, इन्हा सभी जो तिन्हें अकाटय रूपा के प्रमाणित कितेया, तिन्हें निम्न-बुर्जुआ वर्गा होर किसाना री बरबादी री अवश्यम्भाविता, सर्वहारा वर्गा री दुर्दशा, उत्पादना मंझ अराजकता, माना रे वितरणा मंझ घोर असमानता, एकी-दूजे जो ख़त्म करी देणे कठे राष्ट्रा रे बीच औद्योगिक युद्ध, पुराणे नैतिक बन्धना ले विच्छेदन, पुराणे पारिवारिक सम्बन्धा होर पुराणी जातियां रे विघटना बखौ इशारा कितेया।
पर आपणे सकारात्मक उद्देश्यां मंझ एस तरहा रा समाजवाद या ता ये चाहां भई उत्पादन होर विनमय रे पुराणे साधनां जो होर तेता सौगी पुराणे सम्पत्ति सम्बन्धा जो होर पुराणे समाजा जो भी के क़ायम करी दितेया जाए, या उत्पादन होर विनिमय रे आधुनिक साधना जो तिन्हां पुराणे सम्पत्ति सम्बन्धा रे शिकंजे मंझ कसी दितेया जाए ज्यों तिन्हें तोड़ी दिते थे होर जिन्हारा इन्हां साधना रे ज़रिये टूटणा अनिवार्य था। हर सूरता मंझ ये समाजवाद प्रतिक्रियावादी होर कल्पनावादी दोन्हों हा।
एसरे अन्तिम शब्द हेः उद्योगा जो चलाणे कठे निगमित शिल्पसंघ बणाये जायें होर खेती मंझ पितृसत्तात्मक सम्बन्ध क़ायम हों।
आखरा बिच जेबे काठे ऐतिहासिक तथ्यां तिन्हारा आत्मवंचना रा नशा उतारी दिता, ता समाजवादा रा ये रूप ख़ुमारी रे दौरे मंझ ख़त्म हुई गया।
(ग) जर्मन या “सच्चा” समाजवाद
फ्रांसा रा समाजवादी होर कम्युनिस्ट साहित्य, से साहित्य जे सत्तारूढ़ बुर्जुआ वर्गा रे दबाबा मंझ पैदा हुआ था, होर जे तेसरे ख़िलाफ़ हुणे वाल़े संघर्षा री अभिव्यक्ति था, जर्मनी मंझ तेस बक्त ल्यांदा गया जेबे तेस देशा मंझ सामन्ती निरंकुशता रे ख़िलाफ़ तिथी रे बुर्जुआ वर्गे अजही आपणी लड़ी शुरू हे कितिरी थी।
जर्मनी रे दार्शनिके, अधकचरे दार्शनिके होर बुद्धिविलासियें ये साहित्य बडी उत्सुकता रे सौगी अपनाया। स्यों कल्हे ये भूली गये भई जेबे ये साहित्य फ्रांसा ले जर्मनी आया था ता तेतारे सौगी फ्रांसा री सामाजिक परिस्थितियां नीं आई थी। जर्मनी री सामाजिक अवस्थावां रे सम्पर्का मंझ एस फ्रांसीसी साहित्ये आपणा सारा तात्कालिक व्यवहार खोई दितेया होर विशुद्ध साहित्यिक रूप ग्रहण करी लितेया। उठाहरवीं शताब्दी रे जर्मन दार्शनिका री नज़रा मंझ पैहली फ्रांसीसी क्रान्ति री मांगा “व्यावहारिक तर्कबुद्धि” री सामान्य मांगा ले अलाव होर कुछ नीं थी होर क्रान्तिकारी फ्रांसीसी बुर्जुआ वर्गा री इच्छा री अभिव्यक्ति तिन्हारी दृष्टि बिच शुद्ध इच्छा, अपरिहार्य इच्छा, सामान्यतः सच्ची मानवीय इच्छा रे नियमा री द्योतक थी। जर्मन साहित्कारा रा एकमात्र काम ये था भई स्यों फ्रांसा रे इन्हां नौवें विचारा रा आपणे प्राचीन दार्शनिक विवेका रे सौगी सामंजस्य स्थापित करने, या इहां बोला भई आपणे दार्शनिक दृष्टिकोणा जो छाडे बाजही इन्हां फ्रांसीसी विचारा जो अपनाई लैणा।
अपनाई लैणे रा ये काम तिहां हे पूरा कितेया गया जिहां केसी बी विदेशी भाषा जो आत्मसात कितेया जाहां, यानि अनुवादा रे जरिये।
सुविदित हा भई मठवासी केस तरहा के तिन्हां पाण्डूलिपियां रे ऊपर, जिन्हां मंझ प्राचीन मूर्तिपूजका री क्लासिकी रचनावां लिखीरी थी, कैथोलिक सन्ता री फूहड जीवनियां लिखी करहाएं थे। जर्मन साहित्यकारे अपवित्र फ्रांसीसी साहित्य रे सम्बन्धा बिच ये प्रक्रिया उल्टी दिती। आपणी दार्शनिक बकवासा जो तिन्हें मूल फ्रांसीसी कृतियां री पुश्ता पर लिखेया। उदाहरणा कठे, मुद्रा री आर्थिक क्रियावां री फ्रांसीसी आलोचना री पुश्ता पर तिन्हें लिखेया “मानवता रा विच्छेद” होर बुर्जुआ राज्य री फ्रांसीसी आलोचना री पुश्ता पर “ सामान्य प्रवर्गा रा सत्ताच्युत कितेया जाणा’ बगैरा, बगैरा।
फ्रांसीसी ऐतिहासिक समालोचना री पुश्ता पर इन्हां दार्शनिक उक्तियां री प्रस्तावनावां जो तिन्हें “कर्म दर्शन”, “सच्चा समाजवाद”, “समाजवादा रा जर्मन विज्ञान”, “समाजवादा रा दार्शनिक आधार”, बगैरा भारी-भरकम नावं दिते।
इहां फ्रांसीसी समाजवादी होर कम्युनिस्ट साहित्य बिल्कुल शक्तिहीन बणाई दितेया गया। होर, क्योंकि जर्मना रे हाथा मंझ पई के तिने एकी वर्गा रे विरूद्ध दूजे वर्गा रे संघर्षा जो अभिव्यक्त करना छाड़ी दितेया, इधी कठे तिन्हौ एहड़ा बोध हुआ भई तिन्हें फ्रांसीसी एकांगीपना, परा काबू पाई लितेया होर सच्ची आवश्यकतावां री नीं, बल्कि सच्चाई री आवश्यक्तावां रा प्रतिनिधित्व कितेया; सर्वहारा वर्गा रे हिता रा नीं, बल्कि मानव स्वभावा रे हिता रा, माहणु रे हिता रा प्रतिनिधित्व कितेया जे केसी वर्गा रा नीं हा, जेसरा कोई वास्तविक अस्तित्व नीं हा, जे कल्हा हवाई दार्शनिक कल्पनालोका रा प्राणी हा।
इने जर्मन समाजवादे, जिने स्कूली बच्चे रे साहीं आपणे मामूली कार्यभारा जो इतनी संजीदगी होर सत्यनिष्ठा सौगी ग्रहण कितेया था होर आपणी “फीके पकवाना वाल़ी ऊच्ची दूकाना” रा ढंढोरा पिटेया था, सुले-सुले आपणी पाण्डित्यपूर्ण मासूमियत खोई दिती।
अभिजात वर्ग होर निरंकुश राजतन्त्रा रे ख़िलाफ़ जर्मन बुर्जुआ वर्ग, होर खास तौरा ले प्रशियाई बुर्जुआ वर्गा रा संघर्ष-दूजे शब्दा बिच, उदारवादी आन्दोलन-ज्यादा गम्भीर बणी गया।
एताले “सच्चे” समाजवादियां जो चिरवांछित ये मौका मिल्या भई राजनीतिक आन्दोलना रे सामहणे स्यों आपणी समाजवादी मांगा रखो; उदारवाद, प्रतिनिधिमूलक सरकार, बुर्जुआ होड़, बुर्जुआ प्रेस स्वातन्त्रय, बुर्जुआ कानून, बुर्जुआ स्वतन्त्रता होर समानता, बगैरा जो परम्परागत लानता भेजो होर जनसाधारणा जो दसो भई एस बुर्जुआ आन्दोलना के तिन्हौ कोई फायदा नीं हा, बल्कि नुकसान हे नुकसान हुणा। जर्मन समाजवादे बडे मौके पर ये गल्ल भूली दिती भई फ्रांसिसी मीमांसा, जेतारी से एक बेहूदा प्रतिध्वनि मात्र था, आधुनिक बुर्जुआ समाजा रे अस्तित्व री, तेसरे अस्तित्वा री तदनुरूप आर्थिक परिस्थितियां री होर तेता रे अनुरूप ढलिरे राजनीतिक विज्ञाना री, यानि ठीक तिन्हा चीजा री पूर्वकल्पना करूआं चलहाईं,जेतारी प्राप्ती जर्मनी मंझ अजही तका चलीरे अनिर्णीत संघर्ष रा लक्ष्य थी।
निरंकुश सरकारा जो, तिन्हारे पादरियां, प्रोफेसरे, देहाती रईसा होर नौकरशाहा जो खतरनाक बुर्जुआ वर्गा री जबरदस्त बढ़ता जो रोकणे रा एस समाजवादा रे रूपा मंझ एक मनचाहा हौआ मिली गया।
हण्टरा होर गोलियां री कौड़ी ख़ुराका रे बाद, जे इन्हें सरकार तेस बक्त जर्मनी रे विद्रोही मजदूरौ पियाई थी, ये आखरा बिच दिती गयी एक मीठी गोल़ी थी।
एस तरहा के जिथी ये “सच्चा” समाजवाद जर्मन बुर्जुआ वर्गा रे खिलाफ लड़ाई मंझ सरकारा रा अस्त्र बणी गया, तिथी हे प्रत्यक्ष रूपा के तिने एक प्रतिक्रियावादी हित, जर्मन कूपमण्डूका रे हिता रा प्रतिनिधित्व कितेया। जर्मनी मंझ निम्न-बुर्जुआ वर्ग हे, जे सोल़वीं शताब्दी रा एक अवशेष हा होर तधी ले बारम्बार विभिन्न रूप धारण करीके प्रगट हुंदा रैहीरा, तिथी री वर्तमान अवस्था रा वास्तविक सामाजिक आधार हा।
एस वर्गा जो बरकरार रखणा जर्मनी री वर्तमान अवस्था जो बरकरार रखणा हा। बुर्जुआ वर्गा रा औद्योगिक होर राजनीतिक प्रभुत्व, एकी बखौ ता पूँजी रे संकेन्द्रणा के होर दूजी बखौ क्रान्तिकारी सर्वहारा वर्गा रे उदय के, तेसरे निश्चित विनाशा रा ख़तरा पैदा करहां। लगहां था भई “सच्चा” समाजवाद एकी हे तीरा के इन्हा दोन्हों चिड़ियां जो ख़त्म करी देंघा। यानि “सच्चा” समाजवाद एकी महामारी साहीं फैल्ही गया।
जर्मन समाजवादियें आपणे करूणाजनक “शाश्वत सत्य” री ठठरी जो जेबे कल्पनामय भावा रे झीने आवरणा बिच लपेटेया, एस आवरणा मंझ आलंकारिक भाषा रूपी फूलदार सलमा-सितारेयां री कसीदाकारी किती, होर एता जो रूग्ण भावुकता रे नीहार-जला बिच भिगोई के बाज़ारा मंझ ली आये, ता फेरी क्या कैहणा था, एहड़े खरीदारा रे बीच तेसरे एस माला री ख़ूब खपत हुई।
होर आपणी बखा ले जर्मन समाजवादे निम्न-बुर्जुआ कूपमण्डूका रे आडम्बरपूर्ण प्रतिनिधि हुणे रे आपणे पेशे जो ज्यादा ले ज्यादा स्वीकार कितेया।
जर्मन समाजवादियें घोषणा किती भई जर्मन राष्ट्र हे आदर्श राष्ट्र हा होर जर्मनी रा तुच्छ कूपमण्डूक हे आदर्श मानव हा। एस आदर्श मानवा री हर अरपाधपूर्ण नीचता री तिन्हें एक रहस्यमय, उच्च, समाजवादी व्याख्या किती-असलियता ले बिल्कुल विपरीत व्याख्या। आखरा बिच ता स्यों कम्युनिज्मा री “पाशविक विनाशकारी” प्रवृति रा सीधा-सीधा विरोध करने री पराकाष्ठा तका पौहंची गए। जर्मनी मंझ आजकाले (1847) समाजवादी होर कम्युनिस्ट साहित्य रे नावां ले जिन्हा चीज़ा रा प्रचार हुई करहां, तिन्हां बिच बौहत थोहड़े जो छाड़ी के बाक़ी सभ एस हे गन्दे होर क्षयकारी साहित्य री कोटि बिच आवहां।*
• 1848 री क्रान्तिकारी आन्धीए एस पूरी लीचड़ प्रवृति रा सफाया करी दितेया होर तिन्हारे समर्थका री समाजवादा बिच टांग अड़ाणे री इच्छा दूर करी दिती। एसा प्रवृति रे मुख्य होर क्लासिकी प्रतिनिधि श्री कार्ल ग्रून हे। (1890 रे जर्मन संस्करणा बिच एंगेल्सा री टिप्पणी)
(II) रूढ़िवादी या बुर्जुआ समाजवाद
बुर्जुआ वर्गा रा एक हिस्सा समाजा री बुराइयां जो इधी कठे दूर करना चाहां ताकि बुर्जुआ समाजा जो बरकरार रखाया जाई सके।
अर्थशास्त्री, परोपकारी, मानवतावादी, श्रमजीवी वर्गा री हालत सुधारणे रे आकांक्षी, ख़ैरात बांडणे वाल़े प्रबन्धक, पशु-रक्षा समितियां रे सदस्य, दारूबन्दी रे दीवाने, हरेक कल्पनीय प्रकारा रे छोटे-मोटे सुधारक – सभ एसा श्रेणी बिच आवहाएं। एतारे अलावा, एस तरहा रे समाजवादा रा एक सम्पूर्ण पद्धति रे रूपा बिच विशदीकरण तका करी दितेया जाहां।
समाजवादा रे एस रूपा रे उदाहरणा रे रूपा मंझ आसे प्रूदों री कताब (दरिद्रता रा दर्शन) जो लैई सकहाएं।
बुर्जुआ समाजवादी आधुनिक सामाजिक अवस्थावां रा पूरा लाभ चकणा चाहें, पर आधुनिक व्यवस्थावां मंझ अनिवार्यतः पैदा संघर्षा होर ख़तरेयां ले दूर रैही के ही। स्यों मौजूदा सामाजिक व्यवस्था जो चाहें, पर बगैर तेतारे क्रान्तिकारी होर विघटनशील तत्वा के ही। स्यों चाहें भई बुर्जुआ वर्ग हो, पर सर्वहारा नीं हो। बुर्जुआ वर्ग जेसा दुनिया मंझ सर्वेसर्वा हा स्वभावतः से तेसा दुनिया जो सर्वश्रेष्ठ मनहां; बुर्जुआ समाजवाद एसा सुखद अवधरणा जो कमोबेश एक सम्पूर्ण पद्धित रा रूप देई देहां। इधी कठे बुर्जुआ समाजवादी लोक जेबे सर्वहारा ले ये अपेक्षा करहाएं भई तिन्हां एस तरहा री पद्धति क़ायम करणी होर ऐहडा करीके सीधे नौवें यरूशलमा पौहंची जाणा ता दरअसल स्यों ये अपेक्षा करहाएं भई सर्वहारा वर्ग वर्तमान समाजा री सीमावां रा उल्लंघन नी करे होर बुर्जुआ वर्गा रे बारे बिच आपणी सभ घृणापूर्ण भावनावां जो तिलांजलि देई दे।
एस समाजवादा रा एक दूजा, ज्यादा व्यवहारिक पर कम व्यवस्थित रूप से हा जे हरेक क्रान्तिकारी आन्दोलना जो मज़दूर वर्गा री दृष्टि मंझ ये दसुआं गिराणा चाहां भई तेजो राजनीतिक सुधारा के नीं, बल्कि जीवना री भौतिक अवस्थावां, आर्थिक सम्बन्धा मंझ परिवर्तना के हे कोई लाभ हुई सकहां। पर जीवना री भौतिक अवस्थावां मंझ परिवर्तना ले एस समाजवादा रा मतलब ये कदापि नीं हा भई उत्पादना री पूँजीवादी पद्धतियां जो खत्म करी दितेया जाए, जेतौ क्रान्ति रे ज़रिये हे खत्म कितेया जाई सकहां, बल्कि तेतारा मतलब इन्हां सम्बन्धा पर आधारित प्रशासकीय सुधारा ले हा, यानि एहड़े सुधारा ले जे केसी हालता मंझ पूँजी होर श्रमा रे सम्बन्धा मंझ परिवर्तन नीं ल्याउंदे होर ज़्यादा ले ज़्यादा बुर्जुआ सरकारा रा खर्च कम करी देहाएं होर तेसरे प्रशासकीय कामा जो कुछ सरल बणाई देहाएं।
बुर्जुआ समाजवाद पर्याप्त अभिव्यक्ति तेबे होर सिर्फ तेबे हे प्राप्त करहां जेबे से कल्हे भाषा रा एक अलंकार बणी जाहां।
मुक्त व्यापार: मज़दूर वर्गा री भलाई कठे। संरक्षण शुल्कः मज़दूर वर्गा री भलाई कठे। जेल सुधारः मज़दूर वर्गा री भलाई कठे। बुर्जुआ समाजवादा रा ये हर्फ-आखरी हा, बस ये हे एक हर्फ हा जे से संजीदगी के मनहां।
तेसरा लुब्बे लुबाब एस मुहावरे मंझ हाः बुर्जुआ, बुर्जुआ हा मज़दूर वर्गा री भलाई कठे।
(III) आलोचनात्मक-कल्पनावादी समाजवाद होर कम्युनिज़्म
इथी आसे बाब्येफ़ होर दूजे लेखका री कृतियां री तरहा रे तेस साहित्य री चर्चा नीं करदे लगीरे जिने हरेक महान आधुनिक क्रान्ति मंझ सर्वहारा वर्गा री मांगा हमेशा मुखरित कितिरी।
आपणे वर्गा लक्ष्यां जो हासिल करने कठे सर्वहारा री पैहली सीधी-सीधी कोशिशा सार्वभौमिक उतेजना रे काला मंझ किती गई थी, जेबे सामन्ती समाजा रा तख़्ता पलटेया जाई करहां था। सर्वहारा री तेस बक्ता री अविकसित अवस्था रे करूआं होर सौगी हे तेसरी मुक्ति कठे जरूरी आर्थिक अवस्थावां रे अभावा रे करूआं - तिन्हां अवस्थावां रे करूआं, जिन्हा अजही उत्पन्न हुणा था होर ज्यों आसन्न बुर्जुआ युगा द्वारा हे उत्पन्न हुई सकहाईं थी – इन्हां कोशीशा रा असफल हुणा अनिवार्य था। सर्वहारा वर्गा रे इन्हां प्रथम आन्दोलना रे सौगी-सौगी जे क्रान्तिकारी साहित्य सृजित हुआ, तेतारा अनिवार्यतः प्रतिक्रियावादी चरित्र था। तिने सार्वभौमिक वैराग्य होर भोंडे रूपा मंझ सामाजिक बराबरी री भावनावां पैदा किती।
सेण्ट सीमों, फूरिये, ओवेन होर दूजे लोका री पद्धतियां रा जन्म – जिन्हौ असलियता मंझ समाजवादी होर कम्युनिस्ट पद्धतियां बोल्या जाई सकहां था – सर्वहारा होर बुर्जुआ वर्गा रे संघर्षा रे उपरोक्त आरम्भिक अविकसित काला मंझ हुआ था।
एता बिच सन्देह नीं हा भई इन्हां पद्धतियां रे संस्थापक तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था मंझ वर्ग विरोध होर विघटनशील तत्वा री क्रिया जो देखाहें थे। पर तिन्हारी दृष्टि मंझ सर्वहारा, जे अजही आपणे शैशव काला मंझ था, एहड़ा वर्ग था जेता मंझ ना ता ऐतिहासिक पेशक़दमी थी होर ना हे स्वतन्त्र राजनीतिक आन्दोलना री कोई क्षमता थी।
चूंकि वर्ग विरोधा रा विकास उद्योगा रे विकासा रे सौगी क़दम मिलाई के चलहां, इधी कठे स्यों तेस बक्त जेहड़ी आर्थिक स्थिति पाहें, से अजही तिन्हौ सर्वहारा री मुक्ति रे कठे जरूरी अवस्थावां प्रदान नीं करदी। इधी कठे स्यों इन्हां अवस्थावां जो उत्पन्न करने मंझ समर्थ नौवें सामाजिक विज्ञाना री, नौवें सामाजिक नियमा री तलाश करहाएं।
स्यों चाहें भई ऐतिहासिक क्रिया री जगहा तिन्हारी व्यक्तिगत आविष्कारक विद्या लेई लौ; इतिहासा द्वारा सृजित सर्वहारा री मुक्ति री अवस्थावां रा काम तिन्हारी कल्पित अवस्थावां पूरा करी देयो; सर्वहारा रे सुले-सुले होर स्वतः पैदा हुणे वाल़े वर्ग संगठना रा काम इन्हा आविष्कारका द्वारा खास तौरा ले आविष्कृत एक समाज संगठन करी देयो। तिन्हारी दृष्टि मंझ भावी इतिहास तिन्हारी सामाजिक योजनावां रे प्रचार होर तिन्हारे व्यावहारिक क्रियान्वयना रा औज़ार मात्र बणी के रैही जाहां।
आपणी योजनावां तैयार करदे बक्त, तिन्हौ सर्वाधिक पीड़ित वर्ग हुणे रे नाते सभी ले ज़्यादा मज़दूर वर्गा रे हिता रा ख़्याल रैहां। तिन्हारी दृष्टि मंझ सर्वहारा रे अस्तित्वा रा कल्हा एक हे अर्थ हा – सर्वाधिक पीड़ित वर्ग।
वर्ग संघर्षा री अविकसित अवस्था होर आपणे परिवेशा रे करूआं एस तरहा रे समाजवादी आपणे जो सभ वर्ग विरोधा ले बौहत ऊपर समझाएं। समाजा रे हरेक सदस्य री, सभी थे ज़्यादा सम्पन्न सदस्यां री बी हालता जो स्यों बेहतर बनाणा चाहें। इधी कठे स्यों आदतन वर्ग भेदा रा लिहाज़ किते बिना पूरे समाजा ले या एहड़ा बोला भई ख़ास तौरा पर शासक वर्गा ले अपील करहाएं। स्यों सोचहाएं भई भला एहड़ा किहां हुई सकहां जे तिन्हारी प्रणाली जो एकी बारी समझी लैणे ले बाद लोक ये नी देखो भई से समाजा री यथासम्भव सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था रे कठे यथासम्भव सर्वश्रेष्ठ योजना ही?
इधी कठे, सभ राजनीतिक, होर ख़ास तौरा ले क्रान्तिकारी कार्रवाइयां जो स्यों ठुकराई देहाएं। आपणे उद्देश्या जो स्यों शान्तिमय तरीकेयां ले हासिल करना चाहें, होर छोटे-छोटे प्रयोगा रे जरिये, जिन्हारी असफलता अवश्यम्भावी ही, होर नमूने रे ज़ोरा के स्यों आपणे नवीन सामाजिक दिव्य-सन्देशा कठे मार्ग प्रशस्त करने री कोशीश करहाएं।
भावी समाजा रे यों हवाई चित्र, ज्यों एहड़े बक्ता बिच बणाये जाहें जेबे सर्वहारा वर्ग अजही बौहत अविकसित दशा मंझ हुआं होर तेसरी स्वयं आपणी हे स्थिति रे बारे मंझ एक अत्यन्त काल्पनिक धारणा हुआईं, समाजा रे आम पुनर्निमाणा री तेसरी पैहली नैसर्गिक आकांक्षावां के मेल खाहें।
पर इन्हां समाजवादी होर कम्युनिस्ट प्रकाशना मंझ आलोचना रा बी एक तत्व रैहां। स्यों वर्तमान समाजा रे हरेक सिद्धान्ता पर प्रहार करहाएं। इधी कठे मज़दूर वर्गा रे प्रबोधना कठे तिन्हारे अन्दर अत्यन्त मूल्यवान सामग्री मौजूद रैहाईं। तिन्हां बिच भावी समाजा रे बारे मंझ जे बी अमली तजवीज़ा पेश किती गईरी – भई शैहर होर देहाता रा फ़र्क मटाई दितेया जाये, परिवारा री प्रथा रा, अलग-अलग माहणुआं रे निजी फ़ायदे कठे उद्योग चलाणे री पद्धति रा होर मज़दूरी व्यवस्था रा अन्त करी दितेया जाये, सामाजिक सामंजस्य री स्थापना किती जाये, राज्य री क्रिया रा कल्हे उत्पादना रे निरीक्षणा मंझ रूपान्तरण कितेया जाये – यों सभ तजवीज़ा तिन्हा वर्गा विरोधा री समाप्ति री दिशा बखौ इंगित करहाईं जे तेस बक्त भड़कदे लगे थे होर ज्यों इन्हां प्रकाशना मंझ कल्हे आपणे सभी ले प्रारम्भिक, अस्पष्ट होर अपरिभाषित रूपा मंझ अभिव्यक्त हुईरे। इन्हां तजवीज़ा रा स्वरूप, इधी कठे, विशुद्ध काल्पनिक हा।
आलोचनात्मक-कल्पनावादी समाजवाद होर कम्युनिज़्मा रा महत्व इतिहासा रे विकास क्रमा रे सौगी घटदा जाहां। आधुनिक वर्ग संघर्ष जिहां-जिहां बधहां होर निश्चित आकार ग्रहण करहां, तिहां-तिहां एस संघर्ष ले दूर खड़े रैहणे री बेतुकी स्थिति रा, एस संघर्षा रा विरोध करने री बेतुकी गल्ला रा सारा व्यावहारिक महत्व होर सैद्धान्तिक औचित्य बी ख़त्म हुंदा जाहां। फलतः हालांकि इन्हा पद्धतियां रे संस्थापक बौहत गल्ला मंझ क्रान्तिकारी थे, तेबे बी तिन्हारे शिष्ये हमेशा प्रतिक्रियावादी संकीर्ण गुट हे बणाइरे। सर्वहारा रे प्रगतिशील ऐतिहासिक विकास ले विपरीत स्यों आपणे गुरूआं रे मूल विचारा के चिपकीरे। इधी कठे स्यों हमेशा वर्ग संघर्षा जो चेतनाशून्य करने होर विरोधी वर्गा मंझ मेल-मिलाप करवाणे री कोशिश करहाएं। स्यों अजही बी आपणी काल्पनिक सामाजिक व्यवस्थावां जो प्रयोगत्मक रूपा मंझ चरितार्थ करने, इक्के-दूक्के “फालांस्तर” खड़े करने, “गृह-उपनिवेश” (होम-कॉलौनी) स्थापित करने, एक नौवीं “छोटी इकारिया”*- नौवें यरूशलमा रा जेबी संस्करण – क़ायम करने रे सुपने देखाहें, होर इन्हां सभ हवाई किलेयां जो अमली शक्ल देणे कठे स्यों बुर्जुआ वर्गा री भावनावां होर तिन्हारी थैलियां रा आश्रय लैणे जो मजबूर हुआएं। सुले-सुले यों लोक बी प्रतिक्रियावादी रूढ़िवादी समाजवादियां री जमाता मंझ पौहंची जाहें, जिन्हारा ऊपर चित्रण कितेया गईरा। अन्तर कल्हा इतना रैहां भई तिन्हारी अपेक्षा इन्हारा पाण्डित्य ज़्यादा व्यवस्थित हुआं होर स्यों आपणे सामाजिक विज्ञाना री चमत्कारिक शक्ती मंझ कट्टर होर मूढ़ग्राही विश्वास रखाहें।
इधी कठे, मज़दूर वर्गा री हर राजनीतिक कार्रवाई रा स्यों प्रचण्ड विरोध करहाएं। तिन्हारे मुताबिक एहड़ी कार्रवाइयां कल्हे नौवें दिव्य-सन्देशा मंझ अन्ध अविश्वासा रा हे परिणाम हुई सकहाईं।
इंग्लैण्डा मंझ ओवेनपन्थी चार्टिस्टा रा, होर फ्रांसा बिच फूरियेपन्थी सुधारवादियां रा विरोध करहाएं ज्यों आपणे विचार “ला रिफ़ार्मा” मंझ प्रस्तुत करहाएं।
• “फालांस्तेर” शार्ल फूरिये री योजना पर आधारित समाजवादी बस्तियां थी; “इकारिया” काबे आपणी कल्पना-नगरी (यूटोपिया) जो होर बादा बिच अमरीका री आपणी कम्युनिस्ट बस्ती जो बी दितेया गया नावं था। (1888 रे अंग्रज़ी संस्करणा मंझ एंगेल्सा री टिप्पणी)
ओवेन आपणे आदर्श कम्युनिस्ट समाजा जो “गृह-उपनिवेश” (होम-कॉलौनी) बोल्हाएं थे। “फालांस्तेर” फूरिये कल्पित सार्वजनिक प्रासादा जो दितेया गया नावं था। “इकारिया” तिन्हा कल्पना-देशा जो दितिरा नावं था, जेतारी कम्युनिस्ट संस्थावां जो काबे चित्रित कितेया था। (1890 रे जर्मन संस्करणा बिच एंगेल्सा री टिप्पणी)।
4. विभिन्न विरोधी पार्टियां रे सम्बन्धा बिच कम्युनिस्टा रा रूख़
दूजे अध्याया बिच मज़दूर वर्गा री वर्तमान काला री पार्टियां रे सौगी, जिहां इंग्लैण्डा मंझ चार्टिस्टा रे सौगी होर अमेरिका बिच कृषि सुधारका रे सौगी, कम्युनिस्टा रा सम्बन्ध सपष्ट कितेया जाई चुकीरा।
कम्युनिस्ट मज़दूरा रे तात्कालिक लक्ष्यां कठे लड़हाएं, तिन्हारे सामयिक हिता री रक्षा कठे प्रयत्न करहाएं पर वर्तमाना रे आन्दोलन मंझ स्यों एस आन्दोलना रे भविष्य रा बी प्रतिनिधित्व करहाएं होर तेतारा ध्यान रखाएं। फ्रांसा मंझ रूढ़िवादी होर आमूल परिवर्तनवादी बुर्जुआवां रे खिलाफ कम्युनिस्ट समाजवादी जनवादियां* रे सौगी एका कायम करहाएं पर एहड़ा करदे हुए स्यों महान क्रान्ति रे दिना ले परम्परागत रूपा मंझ चली आउंदी लफ्फाज़ी होर भ्रान्तियां रे प्रति आलोचना रा रूख़ अपनाणे रे आपणे अधिकारा जो सुरक्षित रखाहें।
स्विटज़रलैण्डा मंझ स्यों आमूल परिवर्तनवादियां रा समर्थन करहाएं पर एस गला जो भुलाए बिना भई ये पार्टी परस्पर-विरोधी तत्वा रे मेला के बणीरीः कुछ ता एता मंझ फ्रांसीसी किस्मा रे जनवादी समाजवादी हे होर कुछ उग्र परिवर्तनवादी बुर्जुआ।
• तेस बक्त एसा पार्टी रा प्रतिनिधित्व संसदा मंझ लेद्रु-रोलें, साहित्य मंझ लूई ब्लाँ होर दैनिक पत्रा मंझ ला रिफ़ार्म करहां था। सामाजिक-जनवादा रा नावं एतारे आविष्कारका रे अनुसार जनवादी होर गणतन्त्रवादी पार्टी रे तेस हिस्से रा द्योतक था, जे कमोबेश समाजवादा रे रंगा मंझ रंघिरा था। (1888 रे अंग्रेज़ी संस्करणा मंझ एंगेल्सा री टिप्पणी)।
फ्रांसा मंझ तेस बक्त जे पार्टी आपणे जो समाजवादी-जनवादी बोल्हाईं थी, तेतारा प्रतिनिधित्व राजनीतिक जीवना मंझ लेद्रु-रोलें होर साहित्य मंझ लूई ब्लाँ करहाएं थे; एस तरहा के स्यों आजा रे जर्मन सामाजिक-जनवादा ले बिल्कुल हे भिन्न पार्टी थी। (1890 रे जर्मन संस्करणा मंझ एंगेल्सा री टिप्पणी)
पोलैंडा मंझ स्यों तेसा पार्टी रा समर्थन करहाएं जे कृषि क्रान्ति जो राष्ट्रीय आज़ादी री पैहली शर्त मनहाईं होर जेसे 1846 मंझ क्रैको विद्रोहा री आग सुलगाई थी।
जर्मनी मंझ तिथी रा बुर्जुआ वर्ग जिथी तका क्रान्तीकारी ढंगा के कार्रवाई करहां, तिथी तका स्यों तेसरे सौगी मिली के निरंकुश राजतन्त्र, सामन्ती भूस्वामियां होर निम्न बुर्जुआ रे खिलाफ़ लडहाएं।
पर स्यों मज़दूर वर्गा जो सर्वहारा होर बुर्जुआ वर्गा रे शत्रुतापूर्ण विरोधा रा यथासम्भव सपष्टा ले सपष्ट बोध करवाणे रा काम, क्षणा भरा कठे बी नीं रोकदे, ताकि जर्मन मज़दूर तिन्हां सामाजिक होर राजनीतिक अवस्थावां जो, जिन्हौ बुर्जुआ वर्ग आपणे प्रभुत्वा रे सौगी अनिवार्यतः लागू करघा, फौरन बुर्जुआ वर्गा रे विरूद्ध, हथियारा रे रूपा मंझ इस्तेमाल करना शुरू करी सके, ताकि जर्मनी मंझ प्रतिक्रियावादी वर्गा रे पतना ले बाद स्वयं बुर्जुआ वर्गा रे खिलाफ़ तुरन्त हे लड़ाई री शुरूआत हुई जाए।
जर्मनी री बखौ कम्युनिस्ट ख़ास तौरा पर इधी कठे ध्यान देहाएं भई ये देश एहड़ी बुर्जुआ क्रान्ति रे दरवाजे पर खड़ीरा जे अनिवार्यतः यूरोपीय सभ्यता री ज़्यादा उन्नत अवस्थावां मंझ, होर इंग्लैण्डा री सताहरवीं शताब्दी होर फ्रांसा री अठाहरवीं शताब्दी री तुलना मंझ, एक ज्यादा उन्नत सर्वहारा जो लेई के सम्पन्न हुणी; होर इधी कठे जर्मनी री ये बुर्जुआ क्रान्ति एता बाद तुरन्त हे हुणे वाल़ी सर्वहारा क्रान्ति री पूर्वपीठिका हुणी।
संक्षेपा मंझ, कम्युनिस्ट सर्वत्र मौजूदा सामाजिक होर राजनीतिक व्यवस्था रे खिलाफ़ हर क्रान्तिकारी आन्दोलना रा समर्थन करहाएं।
इन्हां सभ आन्दोलना मंझ स्यों प्रमुख प्रश्ना रे रूपा मंझ सम्पत्ति रे प्रश्ना जो, चाहे तेस बक्त तेतारा जेस अंशा मंझ बी विकास हुईरा हो, सर्वोपरि स्थान देहाएं।
आखरा बिच, स्यों सर्वत्र देशा री जनवादी पार्टियां रे बीच एकता होर समझौता करवाणे री कोशिश करहाएं।
कम्यूनिस्ट आपणे विचारौ और उद्देश्या को छिपाणा आपणी शाना रे खिलाफ समझाएं। स्यों खुलेआम एलान करहाएं भई तिन्हारे लक्ष्य पूरी वर्तमान सामाजिक व्यवस्था जो बलपूर्वक उलटुआं हे सिद्ध किते जाई सकहाएं। कम्युनिस्ट क्रान्ति रे भया ले शासक वर्गा जो कांबणे देया। सर्वहारा बाले गुआणे कठे आपणी जंजीरा रे सिवाए कुछ नीं हा। जीतणे कठे तेसरे साम्हणे सारी दुनिया ही।
दुनिया रे मज़दूरो, एक हो।
मार्क्स होर एंगेल्सा द्वारा दिसम्बर,1847-जनवरी, 1848 मंझ लिखित। पैहले-पैहल लन्दना मंझ फ़रवरी, 1848 मंझ जर्मना मंझ प्रकाशित।
(राहुल फाउण्डेशन, लखनऊ, ले हिन्दी बिच छपीरी पुस्तिका "कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणा पत्र" रा मण्डयाली अनुवाद)



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