Monday 7 January 2019

ज्युणी घाटी में पहली बर्फबारी के बाद का नजारा..




एक मुव्वकिल की पेशी के सिलसिले में आज गोहर कोर्ट को जाना हुआ। पेशी से जल्द ही निपट जाने पर लौटते समय ज्युणी घाटी देखने का विचार आया और इस घाटी को पहली बार देखने के लिए चल पड़ा। हर रास्ता, हर मोड़, हर जगह नयापन लिए हुए थी क्योंकि यहां से पहली बार गुजरना हो रहा था। सड़क की हालत अभी भी कई जगह खराब है हालांकि पता चला है कि पिछले कुछ समय से सड़क पर उखड गई टायरिंग के कारण बने गड्ढों को ठीक करने का काम चल रहा है। जिससे सड़क की हालत कई जगहों पर जहां पहले ज्यादा बुरी थी अब ठीक हो गई है। रास्ते में बडे-छोटे गांव आते रहे। जाछ के आगे से बर्फ से गुजरना शुरू हुआ। कई जगह तंग सडक पर पास लेने के लिए बर्फ पर टायर ले जाने से वाहन स्कीट हो रहा था। लेकिन यात्रा जारी रखते हुए एक कैंची मोड पर सडक में बर्फ ज्यादा होने के कारण वाहन ने आगे बढने की बजाय स्कीट ज्यादा मारना शुरू कर दिया तो आगे की यात्रा को रोक देने का तय करते हुए वाहन को वहां पार्क कर दिया। पता चला कि मैं इस समय में जहल पहुंच चुका हूं। साथ की चाय की दूकान में गया तो वहां एक महिला दूकानदार इस समय मौजूद थी। दूकानदार ने मुझे चाय पिलाई। यहां चाय पीते समय बच्चों के बर्फबारी में एक दूसरे पर बर्फ के गोले बनाकर हमला करने का खेल देखा। बच्चे छिपते-छिपाते आते और दूसरे बच्चों पर बर्फ के गोलों से हमला बोल देते। बच्चे अपने घरों तक पहुंच गई बर्फ का खूब आनंद उठा रहे थे। दरअसल खुश तो सभी थे दुकानदार, किसान, बागवान, टैक्सी वाले जो बर्फबारी में टूरिस्टों को सेवाएं दे रहे थे। बर्फबारी से परेशानी भी शुरू हो गई थी। जैसे बस अब जहल तक नहीं पहुंच रही थी और सिर्फ जाछ या धंगयारा तक ही जा रही थी। वहां से लौटते समय सामने ज्युणी घाटी के दूर-दूर तक फैले खेत दिखाई दिए तो कुछ देर के लिए धूप का आनंद लेता हुआ खेतों और दूर तक फैली ज्युणी घाटी और उसके बीचों बीच बर्फीले पानी के पिघलने से अपने बढ़े हुए स्वर में कलकल बहती ज्युणी खड्ड को निहारता रहा। तभी वहां पर छमतारण (धंगयारा) गांव के कौल राम आ पहुंचे। उनसे बातचीत शुरू हुई तो उन्होने बताया कि इस घाटी को चावल की घाटी कहा जाता है। यहां पर चावल पैदा होता है। जबकि सराज में लोगों की मुख्य फसल बागवानी यानी सेबों के बगीचे हैं। ज्युणी घाटी मंडी की चुनिंदा जगहों में से एक है जहां पर चावल की खेती होती है। उन्होने बताया कि यहां से बडा देयो कमरूनाग और शिकारी को जाने का रास्ता भी है। उन्होने यह भी बताया कि अब देवीदहड एक पर्यटन स्थल के उभरने लगा है। उन्होने यह भी जानकारी दी कि पंडोह-शिमला नेशनल हाईवे घोषित होने से इस रास्ते टनल के माध्यम से करसोग के बखरोट-ततापानी पहुंचा जा सकेगा। जिससे यहां पर्यटन की संभावनाएं बढ सकती है। कुछ और आगे जाने पर जाछ के पास एक जगह फिर से रूका और ज्युणी घाटी को निहारने लगा। वहां भी एक युवक बस के इंतजार में खडा हुआ तो उससे दूर-दूर तक फैले खेतों के बारे में पूछा तो उसने बताया कि जिनमें तने लगे हुए हैं यह मक्की के खेत हैं और वह जो खाली पडे हुए खेत हैं इनमें से मटर की फसल निकाली जा चुकी है और अब इनमें आलू बीजे जाएंगे। जब चावल की खेती के बारे में उससे पूछा तो उसने बताया कि अब चावल बहुत कम बोया जाता है और अधिकतर सब्जी ही बोई जाती है। हालांकि लोगों ने सेब के बगीचे भी लगाए हैं लेकिन उतनी मात्रा में नहीं है जितने सराज घाटी में। ज्युणी खड्ड मंडी जिला की दूसरी सबसे ऊंची चोटी शिकारी माता धार से निकलती है और लंबा सफर तय करके मंडी से 17 किमी दूर पंडोह में व्यास नदी में मिलती है। इस नदी घाटी की भी एक सभ्यता-संस्कृति है जिसे ज्युणी घाटी संस्कृति कहा जा सकता है। यह घाटी बड़ा देयो कमरूनाग की हार यानि क्षेत्र माना जाता है। घाटी के बारे में बातें अनेकों हैं लेकिन बाकि फिर कभी क्योंकि यह एक दिवसीय यात्रा ज्यादा लंबी खिंचती जा रही है।
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सार्वजनिक शौचालय दिन-रात कार्यरत रखने के फोरम ने दिए नप को निर्देश, गारबेज कुलेक्शन सही तरीके से करने को कहा




मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने यूजर चार्जेस लेने के बावजूद नगर परिषद और ठेकेदारों द्वारा सही तरीके से कूडा एकत्र न करने और सार्वजनिक शौचालयों को स्वच्छ न रखने को उनकी सेवाओं में कमी करार दिया है। फोरम ने नगर परिषद और ठेकेदारों को निर्देश दिया है कि वह शहर में सही तरीके से नियमित तौर पर डोर टू डोर गारबेज कुलेक्शन करें और सार्वजनिक शौचालयों को स्वच्छ तथा दिन-रात कार्यरत रखें। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष राजन गुप्ता तथा सदस्यों विभूती शर्मा व आकाश शर्मा ने मंडी के समखेतर स्थित हिमाचल प्रदेश उपभोक्ता संघ की शिकायत को उचित मानते हुए नगर परिषद मंडी और उसके ठेकेदारों की सेवाओं में कमी मानते हुए उन्हें उक्त निर्देश दिए हैं। अधिवक्ता लवण ठाकुर के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता संघ समय-समय पर मुहल्ला सभाओं का आयोजन करता रहता है। इसी दौरान शहरवासियों ने गारबेज बिनों की सफाई न करने, गलत् तरीके से और अनियमित तरीके से डोर टू डोर गारबेज कुनेक्शन करने, ठेकेदारों के कर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार करने, कूडे को एकत्र करने में कुप्रबंध और अवैज्ञानिक तरीके से इसके निस्तारण के बारे में बताया। संघ ने स्थानीयवासियों से प्राप्त जानकारी के तथ्य जांचने के लिए एक कमेटी का गठन किया। कमेटी ने इस मामले की पडताल की तो पता चला कि लोगों की शिकायतें सही हैं। इस कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार शहर में कई जगहों पर नियमित तौर पर डस्ट बीनों और डंपिंग साइटों के पास कूडे के ढेर लगे होते हैं। सही तरीके से डोर टू डोर कूडा एकत्र न होने से लोग नजदीकी नाली या किसी सुनसान जगह पर कूडा फैंकने पर मजबूर है। शहर के हर मुहल्ले के मुख्य स्थानों पर लगे बडे डस्टबीन नगर परिषद ने पहले ही हटा दिये हैं। नालियों से यह कूडा शहर में से बहती नदियों और खड्डों में मिल कर इनके पानी को दूषित करता है। अधिकांश सार्वजनिक शौचालय या तो बंद हैं या बहुत गंदगी की हालत में हैं। ठेकेदारों द्वारा काम पर लगाए गए लोगों की संख्या बहुत कम है। नगर परिषद ने न तो प्रशिक्षित कुशल सैनिटरी निरिक्षक और न ही कुशल सैनिटरी सुपरवाइजर नियुक्त किए हैं। सफाई का काम एक कुशलता भरा कार्य है। ठेकेदारों द्वारा नियुक्त कर्मी अकुशल हैं। इनके प्रशिक्षण का कोई प्रबंध नहीं किया गया है। जिसके चलते शहर में मापदंडों के मुताबिक सफाई नहीं हो रही है। ठेकेदार सफाई कर्मियों को बहुत कम तनख्वाह देता है। यह तनख्वाह न्यूनतम वेतन से भी कम दी जा रही है जो श्रम कानूनों की अवहेलना है। इसके अलावा इन ठेका कर्मियों को वेतन भी सही समय पर नहीं मिलता है। इन मजदूरों के लिए कोई बीमा या स्वास्थय योजना नहीं है। नगर परिषद और सरकार इन ठेका कर्मियों के कानूनी अधिकारों को सुरक्षित रखने में पूरी तरह से असफल हैं। गारबेज कुलेक्टरों को सफाई के उचित उपकरण नहीं दिए गए हैं। इतना ही नहीं ठेका कर्मियों को झाडू और अन्य उपकरण भी अपने आप ही खरीदने होते हैं। सफाई किट, साबुन, दस्ताने, जूते जैसी स्वास्थय के लिए जरूरी चीजें उन्हें मुहैया नहीं करवाई जाती है। कूडा एकत्र करने की किट और उपकरण गारबेज कुलेक्टर को मुहैया नहीं करवाए जाते। वह घरों में अपने गंदी बोरियों या फटी हुई टोकरियों के साथ प्रवेश करते हैं जिनसे धूल और कूडा कचरा रास्तों और गलियारों में गिरता रहता है। इससे क्षेत्र दूषित हो जाता है। इन बोरियों से गंदी बदबू निकलती रहती है। गारबेज कुलेक्टरों को नगर परिषद की ओर से पहचान पत्र नहीं दिए गए हैं। टूटी फूटी ट्राली या रेहडियों का प्रयोग कूडा ले जाने के लिए होता है जिसमें से गंदगी रिसती रहती है और सडक पर बिखरती रहती है। कूडा बिना ढंके हुए वाहनों में ले जाया जाता है। जिससे निकलने वाली गंदी बदबू से सारा क्षेत्र दूषित होता जाता है। शहर से डंपिंग साइट तक भी कूडा बिना ढंके हुए वाहनों में ले जाया जाता है। कई बार तो कूडा डंपिंग साइट तक भी न पहुंच कर इधर-उधर नदियों-खडडों के किनारे भी फैंक दिया जाता है। डंपिंग साइट गल्त जगह पर बनी हुई है। इस जगह पर व्यास नदी की ओर 70 डिग्री की ढलान है। जैसे ही बारिश होती है डंपिंग साइट की सारी गंदगी व्यास नदी में समा जाती है जिससे पानी प्रदुषित हो जाता है। डोर टू डोर गारबेज कुलेक्शन का पहला प्रयास सितंबर 2014 में हुआ था। उस समय यह असफल रहा था। लेकिन इसके बाबजूद नगर परिषद ने जल्दबाजी में सभी 13 वार्डों के मुख्य स्थानों पर लगाए गए डस्टबीन हटा दिए थे। अब शहर के किसी वार्ड में डस्टबीन नहीं हैं। आसपास के क्षेत्रों से हजारों लोग हर रोज शहर में आते हैं। इन लोगों द्वारा कूडा फैंकने के लिए कोई डस्टबीन उपलब्ध नहीं करवाया गया है। नगर परिषद और ठेकेदारों के बीच हुए अनुबंध के मुताबिक उन्हें वार्ड और क्षेत्र में आने वाले शौचालय भी स्वच्छ रखने हैं। जबकि ये शौचालय अधिकांश बंद ही रहते हैं और जो खुले हैं वहां भी गंदगी बिखरी रहती है। डोर टू डोर गारबेज कुलेक्शन स्कीम एक पेड स्कीम है। जिसमें हर घर, व्यवसायिक प्रतिष्ठान, होटल आदि राशि अदा करते हैं। राशि नियमित रूप से अदा की जाती है लेकिन इसके बाबजूद भी शहरवासियों को नगर परिषद की सेवाओं की कमी के कारण परेशानियां उठानी पडती हैं। इन तथ्यों को लेकर उपभोक्ता संघ ने फोरम में शिकायत दायर की थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि यूजर चार्जेस लेने के बावजूद नगर परिषद और ठेकेदार सही तरीके से गारबेज कुलेक्शन करने और सार्वजनिक शौचालयों को स्वच्छ रखने में असफल रहे हैं। जिसके चलते यह साफ तौर पर कहा जा सकता है कि उनके द्वारा प्रदान की जाने वाले सेवाओं में कमी है। ऐसे में फोरम ने नगर परिषद और ठेकेदारों को निर्देश दिया है कि वह शहर में सही तरीके से नियमित तौर पर डोर टू डोर गारबेज कुलेक्शन करें और सार्वजनिक शौचालयों को स्वच्छ तथा दिन रात कार्यरत रखें।
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मंडी में बनाया जाए आधुनिक पुस्तकालयः शहीद भगत सिंह विचार मंच

मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी मंडी में आधुनिक और बेहतरीन पुस्तकालय के निर्माण की मांग की गई है। इस संदर्भ में शहर की संस्...