मंडी। जिला एवं सत्र न्यायलय में लिपिकों के 9 पद भरे जाएंगे। इन पदों के चयन के लिए 16 अक्तूबर को लिखित परीक्षा आयोजित होगी। जिला एवं सत्र न्यायधीश वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायलय के अंतर्गत मंडी डिविजन में 9 लिपिकों की तैनाती होगी। जिसके लिए आगामी 16 अक्तूबर को सुबह 10 बजे निर्धारित पांच केन्द्रों में लिखित परीक्षा आयोजित की जाएगी। इन पदों के लिए 1969 अभ्यार्थियों ने आवेदन किया है। उन्होने बताया कि रोल नंबर एक से 1000 तक के अभ्यार्थी वल्लभ राजकीय महाविद्यालय, रोल नंबर 1001 से 1150 तक आईटीआई, रोल नंबर 1151 से 1350 तक डाईट, रोल नंबर 1351 से 1650 तक विजय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला और रोल नंबर 1651 से 1969 तक के परीक्षार्थी वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला(छात्रा) के केन्द्रों में लिखित परीक्षा देंगे। जिला एवं सत्र न्यायधीश ने बताया कि परीक्षा देने के लिए परीक्षार्थियों को रोल नंबर के साथ-2 सत्यापन पत्र भी साथ लाना होगा। उन्होने बताया कि इस परीक्षा के लिए जिन अभ्यार्थियों को अभी तक रोल नंबर नहीं मिल पाए हैं या जिनको सत्यापन पत्र के बारे में जानकारी हासिल करनी हो वह मंडी डिविजन की बेबसाईट एचपीहाईकोर्ट.निक.इनसलैशडिसट्रीकटकोर्टसलैशमंडीसलैशवैलकम.एचटीएमएल पर संपर्क कर सकते हैं।
Friday 30 September 2011
चैक बाउंस के आरोपी को एक साल की कैद
चरस रखने के आरोपी को 3 साल की कठोर कारावास
Wednesday 28 September 2011
मिलावटी घी बेचने के दो आरोपियों को 6-6 माह के कारावास की सजा
Tuesday 27 September 2011
नकली पुलिस अधिकारी को तीन माह की कैद
Sunday 25 September 2011
नवल बने चौथी बार न्यायिक कर्मचारियों के जिला प्रधान
मंडी। जिला न्यायिक कर्मचारी वैलफेयर एसोसिएशन के चुनावों में नवल शर्मा लगातार चौथी बार सर्वसम्मति से प्रधान चुने गए। एसोसिएशन की जिला ईकाई के लिए हुए चुनाव में 20 सदस्यीय कार्यकारिणी का चयन किया गया। जिला एवं सत्र न्यायलय हमीरपूर के अधीक्षक ग्रेड प्रथम मुकेश चौहान की अध्यक्षता में रविवार को जिला बार रूम में एसोसिएशन के चुनाव सभी पदों पर सहमति हो जाने के कारण सर्वसम्मति से शांतिपूर्वक ढंग से संपन हुए। दो सालों के बाद होने वाले एसोसिएशन के इन चुनावों में नवल शर्मा लगातार चौथी बार सर्वसम्मति से प्रधान चुने गए। जबकि कश्मीर सिंह को वरिष्ठ उपप्रधान, प्रेम सिंह महासचिव, राम सिंह, सोहन सिंह, श्याम लाल और तेज सिंह को उपप्रधान, नरेश कुमार को सह-सचिव, सुरेश कुमार को कोषाध्यक्ष, सुधा, रोशन लाल, प्रवीण कुमारी, भारत-भूषण,देवेन्द्र कुमार, भाग सिंह, भगवान दास, ओंकार सिंह, गुरदयाल सिंह, नवल किशोर को कार्यकारिणी सदस्य और किश्न सिंह ठाकुर को सर्वसम्मति से विधी सलाहकार चुना गया। चौथी बार अध्यक्ष पद पर आसीन हुए नवल शर्मा ने इस अवसर पर कहा कि वह कर्मचारियों की मांगों को लेकर पूरी निष्ठा से कार्य करेंगे। उन्होने जिला के सभी न्यायिक कर्मचारियों को अपना समर्थन देने के लिए धन्यावाद किया। वहीं पर चुनावों के अध्यक्ष मुकेश चौहान ने नवनिर्वाचित कार्यकारिणी को बधाई देते हुए उनसे कर्मचारियों के हितों के लिए हमेशा आवाज बुलंद करते रहने की उम्मीद जताई। नवनिर्वाचित महासचिव प्रेम सिंह ने इन चुनावों के सिलसिले में जिला भर के सभी उपमंडलों से आए करीब 200 न्यायिक कर्मियों का चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने पर धन्यावाद किया।
Saturday 24 September 2011
नाबालिग से दुराचार के आरोपी को 7 साल की कठोर कारावास 20,000 जुर्माना
Wednesday 21 September 2011
कर्मचारियों को 85 वें संशोधन के लाभ दिए जाएं
अधिवक्ता गौरव तिवारी का आकस्मिक निधन
Monday 19 September 2011
सेवाओं में कमी टायर निर्माता और विक्रेता पर पडी भारी
अधिवक्ता पुष्पराज शर्मा के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने इंटरनेशनल ट्रैक्टर के डीलर नेरचौक के शोरूम से एक ट्रैक्टर खरीदा था जिसमें अपोलो कंपनी के टायर लगे हुए थे। इन टायरों की 2400 घंटों की वारंटी अवधि थी। 700 घंटे के बाद ही दोनों पिछले टायर खराब हो गए। उपभोक्ता ने शोरूम में टायरों के बारे में शिकायत की। इसके बाद ट्रैक्टर कंपनी ने विशेषज्ञ से टायरों का निरीक्षण करवाया था। उपभोक्ता को जल्द टायर बदलने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन बाद में उपभोक्ता का मुआवजा इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उपभोक्ता ने टायरों का प्रयोग लगातारअसमतल धरातल में किया था जिससे टायरों को क्षति पहुंची। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि टायर में खराबी निर्माणाधीन खराबी थी जो वारंटी अवधि में ही सामने आई थी। ऐसे में फोरम ने वारंटी अवधि में टायर न बदलने को सेवाओं में कमी मानते हुए तीस दिन में टायर बदलने के अलावा हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया।
Friday 16 September 2011
रायल सुंदरम एलाइंस इंश्योरेंस कंपनी पर हर्जाना ठोंका
प्रदेश सरकार से लोकायुक्त बिल पास कराने की मांग
Thursday 15 September 2011
फोरम ने बिजली बोर्ड के बिल को निरस्त किया
मातृ भाषा
सपने में देखा कि मां
कहीं खो गई है
ढुंढने से भी नहीं मिल रही
आखिर कहां चली गई है
घर भी वहीं है और घर के भीतर
सहेजी मां की सता भी वहीं है
लेकिन मां नहीं है।
इधर-उधर खोज बीन करता हुं
आगे से पीछे, दाएं से बाएं टटोलता हुं
लेकिन नजरों से नदारद कहीं नहीं दिखती।
मां पहले तो कभी गुम नहीं होती थी
शायद कहीं पडोस में चली गई हो
लेकिन पास पडोस भी खाली
मुझे विश्वास है कि
मां कभी खो नहीं सकती
वह गुम नहीं हो सकती
वह जननी है
प्रथम गुरू भी वही है
उसी ने बतियाना सिखाया
जीवन पथ पर चलना सिखाया
लेकिन अब मुझे उसकी चिंता होने लगी है
इसी चिंता में
सपना टुटा तो पाया कि
मां तो घर में ही है
सब कुछ सहेजती
लेकिन इसके बावजूद
बच्चों की उपेक्षा का दंश झेलती
पहली बार अपना आत्मलोचन किया तो
यह स्मरण हुआ कि
इतिहास का पन्ना बना भुला दी गई मां को
सपने में ही सही
लेकिन कई दिनों के बाद
याद कर पाया हुं मैं
नींद से उठकर टेबिल पर पडे अखबारों
पर नजर दौडाई तो
मेरी मातृ-भाषा के
दर्द के बारे में
हिंदी दिवस पर इनमें
कोई व्कतव्य नहीं छपा था।
----समीर कश्यप
33-9 भगवान मुहल्ला, मंडी, हि.प्र.
98161-55600
sameermandi@gmail.com
14-9-2011
Tuesday 13 September 2011
चरस तस्करी का आरोपी बरी
ट्रैक्टर के टायर 30 दिन में बदलने के आदेश
अदालतों का कार्य हिन्दी में करने वाले अकेले अधिवक्ता हैं नरेन्द्र
मंडी। जिला एवं सत्र न्यायलय में कार्यरत अधिवक्ता नरेन्द्र कुमार शर्मा प्रदेश के एक मात्र अधिवक्ता हैं जो जिला और अधीनस्थ न्यायलयों का कार्य हिन्दी भाषा में करते हैं। जहां प्रदेश भर के न्यायलयों में अंग्रेजी भाषा में ही कार्यवाही चलती है। वहीं नरेन्द्र प्रदेश भर में एक मात्र अधिवक्ता हैं जो अदालतों का सारा कार्य हिंदी भाषा में ही करते हैं। चाहे किसी मामले में दिवानी दावा बनाना हो, आपराधिक शिकायत दर्ज करनी हो, कोई पुर्ननिरिक्षण याचिका दायर करनी हो या चाहे कोई जवाब पेश करना हो, नरेन्द्र तमाम कार्य हिन्दी में ही करते हैं। हिन्दी भाषा के प्रति इस प्रेम के कारण उन्हे अदालतों में कई बार न्यायधीशों का विरोध भी सहना पडा। वहीं पर कुछ न्यायधीशों ने उन्हें हिंदी में ही काम करने के लिए प्रेरित भी किया। खुद नरेन्द्र कुमार भी यह मानते हैं कि अधीनस्थ न्यायलयों में हिंदी में ही कार्य करते रहने के लिए उन्हे वर्ष 1999 में सुंदरनगर न्यायलय में कार्यरत न्यायिक दंडाधिकारी दुर्गा सिंह खेनल ने प्रेरित किया था। न्यायधीश ने नरेन्द्र के प्रयासों को सराहते हुए उन्हे भविषय में हिंदी में ही कार्य करते रहने के लिए उत्साहित किया था। इसके बाद नरेन्द्र ने आज तक हिन्दी को ही अदालत की भाषा के रूप में प्रयोग किया है। नरेन्द्र का कहना है कि भारतीय संविधान की धारा 345 की व्यवस्था के अनुसार हिमाचल प्रदेश सरकार ने जिला स्तर के न्यायलय की भाषा हिन्दी रखी है। प्रदेश उच्च न्यायलय के न्यायमुर्ति एम आर वर्मा ने वर्ष 2000 के निर्णय में जिला स्तर के न्यायलयों की भाषा हिंदी मानी है। नरेन्द्र के अनुसार उतर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदी राज्यों की सरकारों ने अपने उच्च न्यायलयों में हिंदी को लागू करवाया है। लेकिन हिंदी भाषी राज्य होने के बावजूद प्रदेश सरकार ने अभी तक ऐसी कोई पहल नहीं की है। हिंदी भाषा दिवस के अवसर पर उन्होने प्रदेश सरकार से मांग की है कि प्रदेश में भी हिंदी को अदालती कामकाज की भाषा बनाने के संबंध में आवश्यक कार्यवाही की जाए।
Monday 12 September 2011
इंदिरा मार्केट के ड्रेस विक्रेता को हर्जाना
महिला ने पुलिस कर्मी पर लगाया गालीगलौच और धमकाने का आरोप
Thursday 8 September 2011
प्लाट आबंटन में देरी पडी हाउसिंग अथारटी पर भारी
झूठा ब्यान देने पर पीडिता पर कार्यवाही
Tuesday 6 September 2011
वैब पोर्टल पर 1000 रूपये हर्जाना ठोंका
नयी बैटरी 30 दिन में देने के आदेश
Friday 2 September 2011
उपभोक्ता के पक्ष में बीमा कंपनी को 2,61,543 रूपये ब्याज सहित अदा करने के आदेश
देवताओं और डायनों के युद्ध में इस बार डायनें जीती
उपायुक्त कार्यालय में नगर नियोजन के कायदों को ताक पर रख हो रहा निर्माण
मंडी। ऐसा लगता है कि नगर नियोजन के सारे कायदे कानून जनता पर ही लागू होते हैं। जबकि प्रशासन इन कायदे कानूनों के दायरे से बाहर है। तभी तो प्रशासन कानूनों के प्रावधानों की अनदेखी कर अपनी मनमर्जी से निर्माण करता है। लेकिन शायद यह भूला दिया जाता है कि इसका आम जनता में क्या संदेश जाएगा। इन दिनों उपायुकत कार्यालय के प्रवेश द्वार की पोर्च के ऊपर एक कमरे का निर्माण कार्य चल रहा है। यह निर्माण न केवल देखने में बदसूरत लग रहा बल्कि इससे उपायुक्त कार्यालय के खूबसूरत भवन की शोभा भी खराब हो गई है। सुत्रों से पता चला है कि इस निर्माण के लिए उपायुक्त कार्यालय की ओर से नगर निगम विभाग की अनुमती भी नहीं ली गई है। जिससे प्रतीत होता है कि प्रशासन का नगर नियोजन विभाग जैसी संस्था के प्रति कोई सम्मान नहीं है। जबकि शहरों में इस विभाग की विशेष अहमियत होती है। इसी तरह का निर्माण कार्य जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय के प्रवेश द्वार के पोर्च के ऊपर किया जा रहा है। इस भवन में एक खिडकी को हटा कर पोर्च के ऊपर की छत में भी एक कमरा बनाया जा रहा है। सुत्रों से पता चला है कि पुलिस विभाग यहां पर एक कैंटीन बनाने की सोच रहा है। उल्लेखनीय है कि मंडी में पहले भी नगर नियोजन के मामलों में प्रदेश उच्च न्यायलय हस्ताक्षेप कर चुका है। उपायुक्त कार्यालय में कुछ साल पहले भी नगर नियोजन नियमों का उल्लंघन करके बिना अनुमति से ऊपरी मंजिल में कुछ कमरों का निर्माण कार्य करवाया गया था। आरटीआई बयुरो के संयोजक लवण ठाकुर ने उपायुक्त कार्यालय में प्रवेश द्वार की पोर्च पर बिना अनुमति से हो रहे निर्माण कार्य की शिकायत मंडी के नगर नियोजक को की है। उन्होने शिकायत के माध्यम से मांग की है कि नियमों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों को नोटिस जारी करके यह निर्माण कार्य तुरंत बंद करवाया जाए। इसके अलावा दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही अमल में लाई जाए। इधर, इस बारे में जब नगर नियोजक सुनील कपूर से बात की गई तो उन्होने बताया कि वह इस समय स्टेशन से बाहर हैं। इस बारे में वह मंडी आकर ही बता सकती हैं। वहीं पर जब उपायुकत मंडी देवेश कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होने कहा कि उन्हे इस निर्माण के बारे में जानकारी नहीं है। यह कार्य उनकी तैनाती से पहले शुरू हुआ है।
दूध का दाम बढाने का किया स्वागत
स्पीड पोस्ट समय पर न पहुंचाने पर डाक विभाग को हर्जाना
14 माह से कर्मी को नहीं हुआ भुगतान
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मंडी। करीब पाँच सौ साल पहले स्थापित हुए हिमाचल प्रदेश के मण्डी नगर के बिखरे पड़े दुर्लभ चित्रों को एक एलबम के रूप में समेटने का प्रय...