Wednesday 30 April 2014

हिमाचली लोकसंस्कृति की समृद्ध संपदा लुप्त होने के कगार पर


 मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले मंडी जनपद को विरासत में लोकसंस्कृति का संपदा का अदभुत खजाना मिला है। लेकिन अधिकांश सांस्कृतिक विधाएं संरक्षण और संवर्धन के अभाव में दम तोडती नजर आ रही हैं। रियासत कालीन मंडी जनपद में जहां दर्जनों लोक नाटय और लोकनृत्य की विधाएं फलती फूलती रही। लेकिन इसके बाद यह सांस्कृतिक विरासत लगातार हाशिये पर जा रही है। कुछ विधाएं तो लगभग लुप्तप्राय ही हो गई हैं। सबसे बडा संकट तो जनपद की मंडयाली बोली और टांकरी लिपी पर आ गया है। मंडयाली की लिपी टांकरी थी लेकिन इसे जानने वाले आज गिने चुने ही रह गये हैं। मंडयाली में ही इन लोक विधाओं का संप्रेषण होता था। अनुमान लगाया जा सकता है कि जब मंडयाली बोली ही लुप्तप्राय होने के कगार पर है तो इन लोकनृत्य विधाओं के फलने फूलने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। मंडयाली के संरक्षण के लिए कोई कदम सरकार की ओर से नहीं उठाया जा रहा है। लेकिन बोली, भाषा और संस्कृति जनपद के लोगों में रची बसी है। यही कारण है कि अभी तक पुरी तरह से लुप्त नहीं हो पाई है। यह ठीक है कि रियासतकाल से भी लोकनृत्य और लोकनाटय की विधाओं को बहुत कम राज्याश्रय था लेकिन इसके बावजूद लोकमानस में अपनी जगह होने के कारण यह अपनी संपन्नता के साथ जीवित थी। यह भी सच है कि रियासतकालीन दौर के बाद बोली, भाषा और संस्कृति पर देश-विदेश के सांस्कृतिक प्रभावों से जनपदीय लोक संस्कृति की विशेषताएं संकट में आ गई हैं। ऐसे में इनके संरक्षण के प्रयास किये जाने चाहिए थे। लेकिन कोई सांस्कृतिक निति न होने के कारण लोकनाटयों व लोकनृत्यों की विधाएं गहरे संकट में हैं और कुछ के तो मात्र नाम ही सुनने को मिलते हैं। हिमाचल प्रदेश का केन्द्रीय जिला होने के कारण इसकी सीमाएं कुल्लू, कांगडा, बिलासपुर, हमीरपुर और शिमला जिलों के साथ सटी हैं। ऐसे में जनपद के लोगों का इन जिलों से संपर्क रहने के कारण इन क्षेत्रों का प्रभाव भी मंडी जनपद के लोकनाटयों और नृत्यों पर हमेशा से रहा है। मंडी जिला में करीब दो दर्जन लोकनाटय और नृत्यों की विधाएं प्रचलित थी। मंडी में लुड्डी, नागरीय नृत्य, गिद्धा, चरकटी, बुढडा, पहिया नृत्य, नाट नृत्य, जाग नृत्य, बाच नृत्य, हरिरंग नृत्य, छम्म नृत्य और लोकनाटय बांठडा की लोकविधाएं जनपद की संस्कृति की पहचान है।

लुड्डी

लुड्डी मंडी का प्रमुख लोकनृत्य है जो अभी भी लोगों के बीच अपनी पहचान बनाए हुए है। पुरूष, महिला, बच्चे, बुढे सभी इसमें भाग लेते हैं। लुडडी के दौरान नर्तकों को नृत्य की परंपरा का पालन करना होता है। धीरे-धीरे शुरू होने वाला यह नृत्य अपने चर्मोत्कर्ष पर बहुत तेज गति ले लेता है।

नागरीय नृत्य

यह नृत्य अब बहुत कम प्रचलन में रह गया है। इस नृत्य में मां श्यामाकाली की अराधना की जाती है। यह नृत्य ऋतु गीत के गायन किया जाता है।

बुढड़ा

लोकनाटय का प्रमुख पात्र बुढड़ा कहलाता है। उसके साथ दो पुरूष नारी वेश में होते हैं जिन्हे चंद्रावली कहा जाता है। नृत्य और अभिनय करते हुए बुढडा प्रांगण में प्रवेश करता है उसके बाद क्रमवार चंद्रावली, जोगी, डंडू, पहाडी आदी पात्र सम्मलित होते हैं। चानणी ओची री चागा, ग्वालू रा बांढडा लागा, लोकगीत इस लोकनाटय के दौरान गाया जाता है।

पहिया नृत्य

मंडी जनपद में कुछ विशेष अवसरों पर किये जाने वाले पहिया नृत्य भी परंपरा में रहा है। लेकिन यह लोकनृत्य भी अब लगभग गौण हो चुका है। इस नृत्य में महिलाएं सिर पर पारू (मिट्टी का बर्तन) उठाकर नृत्य करती हैं। इस पारू में छोटे-2 छेद कर दिये जाते हैं और पारू में दीपक जलाकर इसे सिर पर रखकर नृत्य किया जाता है। यह नृत्य अधिकांशत: मंदिरों के प्रांगण में कुंवारी कन्याओं द्वारा किया जाता है।

नाट नृत्य

जिला के सराज, सनोर, बदार व बल्ह क्षेत्र में नाट नृत्य आज भी जनपद की देव परंपरा का प्रमुख लोकनृत्य है। शिवरात्री के दौरान मंडी जनपद में आए देवताओं के बजंतरी और देवलू अपने वादय यंत्रों से शहर को गुंजायमान करके कदमों को नाट नृत्य में थिरकने पर मजबूर कर देते हैं। नाट नृत्य में महिला, पुरूष, जवान, बूढे सभी ढोल, नगाडों, शहनाई और करनाल की धुनों पर नृत्य करते हैं।

कलाधर्मी नहीं बन पाए लोककला के संवाहक बजंतरी

लेकिन इस परंपरा के संवाहक लोकवादक बजंतरियों को अभी तक कलाधर्मी होने का सम्मान नहीं मिल पाया है। संरक्षण के अभाव में बजंतरी अभी भी वंचित और उपेक्षित हैं जिससे उनका इस लोक परंपरा से जुडे रह पाना संकट में है। सरकार को चाहिए कि इस लोकधर्मी कला को संरक्षित करने के लिए गंभीर प्रयास किये जाएं। लोकनृत्यों का संरक्षण और संवर्धन किया जाए मंडी जिला की लुप्त प्राय मंडयाली बोली को संरक्षित किया जाए। जिससे लोकनृत्यों की पहचान बची रह सके। मंडी जनपद के लुप्तप्राय हो गए लोकनृत्यों पर शोध करवाई जाए और शोध से प्राप्त सामग्री को प्रचारित और प्रसारित किया जाए। जिससे अगली पीढी तक लोक संस्कृति का हस्तांतरण किया जा सके। स्थानीय लोककलाओं से संबंधित विषय स्कूलों में शुरू किया जाए।
 

क्या कहते हैं कला के जानकार

डा. विद्याचंद ठाकुर

हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी द्वारा डा. तुलसी रमण के संपादन में प्रकाशित हिमाचल के लोक नाट्य पुस्तक में प्रकाशित मंडी के लोकनाटय लेख में डा. विद्याचंद ठाकुर का कहना है कि बहुत से जिलों के साथ सीमा सटी होने के कारण मंडी में लोकसंस्कृति और लोकनाटय की विविधता अन्य जिलों की अपेक्षा अधिक पाई जाती है। उनके अनुसार लोकनाटय बांठड़ा का एक विकसित रूप बुढड़ा कहलाता है।

दीनू कश्यप

इसी पुस्तक में प्रकाशित दीनू कश्यप के लेख मंडी का बांठड़ा में उनका कहना है कि इस नाटय में मनोरंजन के लिए हास परिहास होते हैं। पुराने समय में नैतिक मुल्यों का उल्लंघन करने वाले किसी धनी लम्पट की पोल खोलना, शिक्षा के लिए या फिर राजा या सता द्वारा किसी बेगुनाह को दंडित किए जाने के निर्णय की भर्त्सना करना या समाज को शिक्षा देने जैसे विषय होते थे, जिन्हे यह लोकधर्मी नाटयकार अपनी सामर्थ्य के चलते जनता में ले जाते थे।

रामदयाल नीरज

हिमाचल के वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी रामदयाल नीरज का मानना है कि लोकनाटयों के कलाकार बहुधा दलित या निम्न वर्ग के ही हुआ करते थे। इनमें संवाद स्वछंदता कलाकारों का अपना अधिकार क्षेत्र रहा है।

डा. प्रेम भारद्वाज

कहानीकार मुरारी शर्मा की पुस्तक बांठडा के प्राक्कथन में डा. प्रेम भारद्वाज का कहना है कि पौराणिक धार्मिक परंपरा से अलग बांठडा का एक पारंपरिक रूप यह भी रहा है जिसका कैनवास सीधा रोजमर्रा की जिंदगी से जुडा है। सर्वसाधारण की पीड़ा को उजागर करता है।

मुरारी शर्मा

बांठडा पुस्तक के लेखक मुरारी शर्मा के अनुसार मंडयाली संस्कृति को करीब से जानने के लिए लोकनाटय बांठडा से बेहतर और माध्यम नहीं है। बांठडा में तत्कालीन समाज की मनोविनोदी वृति के अलावा सामाजिक समरसता सांस्कृतिक विविधिता, भाषिय कौशल तो है ही, वहीं पर शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करने का जज्बा एवं अंधविश्वास पर प्रहार करने की हिम्मत भी रही है। यही इसकी लोकप्रियता का मुख्य कारण भी रहा है। 

Tuesday 29 April 2014

खराब मशीनरी बेचने पर हर्जाना अदा करने के आदेश


मंडी। खराब मशीनरी बेचने को विक्रेता की सेवा में कमी करार देते हुए जिला उपभोक्ता फोरम कुल्लू ने उपभोक्ता के पक्ष में नयी मशीनरी 30 दिनों में देने का फैसला सुनाया है। ऐसा न करने पर विक्रेता को मशीनरी की कीमत 4,21,687 रूपये ब्याज सहित अदा करने होगी। इसके अलावा विक्रेता की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी और यंत्रणा के बदले 40,000 रूपये हर्जाना और 4000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करने के आदेश दिये हैं। जिला उपभोक्ता फोरम कुल्लू के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों सत्याभामा व शिव सिंह ने भुंतर के पितांबर कंपलेक्स स्थित पिट शॉप कार केयर के मैसर्ज सोहेल काहोल पुत्र आर के काहोल की शिकायत को उचित मानते हुए उतर प्रदेश के नोइडा स्थित मैनमशीन (इंडिया) लिमिटेड को उपभोक्ता के पक्ष में नयी मशीनरी निश्चित अवधि में न देने पर इसकी कीमत 9 प्रतिशत ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता गौरव सूद के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने बेरोजगार होने के कारण जीविका कमाने के लिए विक्रेता से 4,21,687 रूपये की कीमत की मशीनरी और उपकरण खरीदे थे। इस मशीनरी की एक साल की वारंटी थी। विक्रेता के कर्मियों ने इस मशीनरी को कुल्लू में फिट किया था। उक्त कर्मियों ने उपभोक्ता को मशीन चलाने का प्रशिक्षण भी दिया था। लेकिन मशीन लगाने के एक माह में ही मशीन ने कार्य करना बंद कर दिया। उपभोक्ता के विक्रेता को संपर्क करने पर विक्रेता के कर्मियों ने मशीन की जांच में पाया था कि हॉट और कोल्ड हाई प्रेशर वाशर कार्य नहीं कर रहे हैं। ऐसे में कर्मियों ने मशीन की मुरम्मत करके उपभोक्ता को आश्वस्त किया था कि अब यह खराब नहीं होगी। लेकिन इसके बाद भी कई बार मशीनरी और उपकरणों में खराबी आई। जिससे उपभोक्ता को भारी परेशानी का सामना करना पडा। ऐसे में उपभोक्ता ने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। विक्रेता के फोरम की कार्यवाही में भाग न लेने पर एकतरफा कार्यवाही अमल में लाई। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि मशीनरी खरीदने के एक माह के भीतर ही इसमें खराबी आ गई। मशीनरी की सात बार रिपेयर करने और उपकरणों को बदलने के बावजूद भी इसकी खराबी को दूर नहीं किया जा सका। जिससे यही निष्कर्ष निकलता है कि उपभोक्ता को खराब मशीन विक्रय की गई है। खराब मशीनरी बेचने को विक्रेता की सेवाओं में कमी करार देते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने विक्रेता को उपभोक्ता के पक्ष में 30 दिनों के भीतर नयी मशीनरी निशुल्क देने के आदेश दिये। ऐसा न करने पर विक्रेता को मशीनरी की कीमत ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिये। जबकि विक्रेता की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है।

मंडी संसदीय चुनाव क्षेत्र में महिलाओं की रहेगी अहम भूमिका


 मंडी। मंडी संसदीय क्षेत्र में 17 में से पांच विधानसभा क्षेत्रों के सामान्य मतदाताओं में महिला मतदाताओं की संख्या पुरूषों से ज्यादा है। हालांकि इस संसदीय क्षेत्र में कोई भी एनआरआई मतदाता नहीं है। चुनाव आयोग ने मंडी संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं की अंतिम सूचि जारी कर दी है। जिसके मुताबिक मंडी संसदीय क्षेत्र में इस बार कुल 11,50, 408 वोटर हैं। क्षेत्र के मंडी, सरकाघाट, बल्ह, जोगिन्द्रनगर और लाहौल-स्पिति में सामान्य मतदाताओं में महिला मतदाताओं की संख्या पुरूषों से अधिक है। इनमें मंडी में महिला मतदाता 33588 और पुरूष मतदाता 32732, सरकाघाट में 39214 और 38393, बल्ह में 33615 और 33338, जोगिन्द्रनगर में 43720 और 42666 और लाहौल-स्पिति में 11300 और 11281 हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि मंडी संसदीय क्षेत्र में एक भी ओवरसीस (एनआरआई) मतदाता नहीं है। हिमाचल प्रदेश के छह जिलों के 17 विधानसभा क्षेत्रों में फैले मंडी संसदीय क्षेत्र में कुल 1985 पोलिंग स्टेशन हैं। सबसे अधिक पोलिंग स्टेशन रामपुर (149), कुल्लू (140) और बंजार (134) में हैं। संसदीय क्षेत्र के जोगिन्द्रनगर विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 87598 मतदाता हैं। जबकि इसके बाद बल्ह में 79755 और कुल्लू में 78436 मतदाता हैं। नौकरी के दौरान मतदान करने वाले मतदाताओं की संख्या 9919 है। इनमें सबसे अधिक मतदाता सरकाघाट (2148), मंडी (1232) और जोगिन्द्रनगर (1212) के हैं। इधर, 2-मंडी संसदीय चुनाव क्षेत्र के रिर्टनिंग आफीसर उपायुक्त मंडी देवेश कुमार ने मतदाताओं की अंतिम सूचि जारी करने की पुष्टि की है। उन्होने बताया कि नौकरी के दौरान मतदान करने वाले मतदाताओं को डाक के माध्यम से 24 अप्रैल को डाक मत जारी कर दिये गए हैं।

मंडी संसदीय क्षेत्र के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की संख्या

विधानसभा क्षेत्र - मतदाता

भरमौर - 67941
लाहौल-स्पिति - 23040
मनाली- 63696
कुल्लू - 78436
बंजार - 63826
आनी-  74637
करसोग- 63278
सुंदरनगर- 70582
नाचन -73206
सराज- 70120
द्रंग- 76153
जोगिन्द्रनगर -87598
मंडी- 67552
बल्ह - 67935
सरकाघाट -79755
रामपुर -68690
किन्नौर -53963
कुल -1150408  

Sunday 27 April 2014

कोटली में लोकनाटक बांठडा ने धूम मचाई


मंडी। कोटली तहसील मुखयालय के वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला प्रांगण में मंडयाली लोकनाटक बांठडा ने अपनी धूम मचाई। जबकि शिमला के संकल्प नाटय दल की प्रस्तुति दी टाइपिस्ट की प्रस्तुति भी चिर स्मरणीय रही। प्रसिध नाटककार विलियम शेक्सपियर के जन्मदिवस के अवसर पर सोसायटी फार द एम्पावरमेंट आफ कल्चरल डिवेलपमेंट की ओर से कोटली में एक दिवसीय नाटय उत्सव का आयोजन किया गया। सोसायटी की ओर से कोटली में विगत एक माह से चलाई जा रही सांस्कृतिक कार्यशाला के समापन पर यह आयोजन किया गया। नाटय उत्सव में कार्यशाला के दौरान प्रशिक्षुओं द्वारा तैयार किये गए नाटक सपनों का मायाजाल और मंडयाली लोक नाटक बांठडा की शानदार प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया। सोसायटी के अध्यक्ष वेद कुमार ने इन नाटकों का निर्देशन किया। इसके अलावा शिमला से आए नाटय दल संकल्प की प्रस्तुति दी टाइपिस्ट को भी लोगों की खूब सराहना मिली। इस नाटक का निर्देशन प्रदेश के प्रसिद्ध रंग निर्देशक केदार ठाकुर ने किया।  सोसायटी के अध्यक्ष वेद कुमार ने बताया कि कोटली में आयोजित कार्यशाला के दौरान 10 प्रशिक्षुओं को अभिनय की बारीकियां सिखाई गई। इसी दौरान सपनों का मायाजाल और लोकनाटक बांठडा की प्रस्तुतियों को तैयार करके नाटय उत्सव में प्रस्तुत किया गया। कार्यशाला के दौरान कोटली तहसील मुखयालय में स्थानीय समस्याओं को उजागर करते हुए विगत 18 अप्रैल को नुक्कड नाटकों का प्रदर्शन भी किया गया। नाटय उत्सव में अभिनय कर रहे स्थानीय प्रशिक्षुओं सिमरन, जगजीत, गौरव, कृष्ण, अंजना, ज्योती, शगुन, रोहण, जितेन्द्र कश्यप, खेम चंद, बली भद्र ठाकुर, तनुप्रिया और सोहन के अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा।  नाटय उत्सव के मुखयअतिथी कला प्रेमी अरूण कुमार और कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में एसवीएम कोटली के प्रधानाचार्य भाग सिंह ठाकुर विशेष रूप से मौजूद थे। मुखय अतिथी अरूण कुमार ने कार्यशाला और नाटय उत्सव का आयोजन करने के लिए सोसायटी के प्रयास की सराहना की। उन्होने इसे नियमित रूप से आयोजित करते रहने की जरूरत पर बल दिया। इस मौके पर स्थानीय वासी नरेन्द्र, लता, सुनील कुमार, राहुल, मिलन सिंह, प्रशांत मोहन सहित सैंकडों स्थानीय दर्शकों ने नाटय प्रस्तुतियों का आनंद उठाया।

बंदी ने फरारी के लिए पुलिस कर्मी पर किया हमला


मंडी। न्यायलय परिसर में अदालत के समक्ष पेश करने के लिए लाए गए एक विचाराधीन बंदी ने पुलिसकर्मी पर हमला करके फरार होने की कोशीश की। उसे परिसर में ही काबू कर लिया गया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करके तहकीकात शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार उपजेल मंडी में विचाराधीन बंदी खूब राम को भगौडे अपराधी के मामले में मंगलवार को अदालत के समक्ष पेश करने के लिए न्यायलय परिसर में लाया गया था। उसके साथ तीन पुलिस कर्मी तैनात थे। जिनमें एक कर्मी न्यायलय कक्ष में चला गया। इसी दौरान उक्त आरोपी ने हथकडी से आरक्षी हरिश कुमार की गर्दन और हाथ पर हमला करके परिसर से भागने की कोशीश की। लेकिन आरोपी को न्यायलय परिसर में ही काबू कर लिया गया। आरक्षी हरिश कुमार की शिकायत पर सदर थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। पता चला है कि आरोपी के खिलाफ एनडीपीएस और घर में अनाधिकृत प्रवेश के दो मामले में अदालतों में विचाराधीन हैं। लेकिन अदालत में हाजिर न होने के कारण उस पर भगौडे अपराधी का मामला भी दर्ज किया गया था। इस मामले में गिरफ्तारी के बाद से वह उपजेल मंडी में विचाराधीन बंदी है। जिला पुलिस अधीक्षक आर एस नेगी ने आरोपी के पुलिस कर्मी पर हमला करने और भागने की कोशीस करने की घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि सदर थाना पुलिस ने इस संबंध में भादंस की धारा 353 और 332 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। जिसकी जांच शहरी चौकी प्रभारी चेत सिंह भंगालिया कर रहे हैं। 

प्रिंसिपल को झूठे मामले में फंसाने का प्रकरण सुलझा


 मंडी। सराज विधानसभा क्षेत्र के गाडागुसैण स्कूल के प्रधानाचार्य को झूठे मामले में फंसाने के विरोध में क्षेत्र के सैंकडों लोगों ने मंगलवार को जिला मुख्यालय में प्रदर्शन किया। स्थानिय वासियों ने उपायुक्त मंडी के माध्यम से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को ज्ञापन प्रेषित करके इस मामले की प्राथमिकी को निरस्त करने की मांग की है। क्षेत्र के गाडागुसैण स्कूल के प्रधानाचार्य को एनडीपीएस के मामले में फंसाने को लेकर विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। मंगलवार को क्षेत्र के सैंकडों लोग जिला मुख्यालय में पहुंचे। प्रदर्शनकारियों ने उपायुक्त कार्यालय परिसर में पुलिस की कार्यवाही के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। जिसके बाद स्थानीय लोगों के प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त मंडी और जिला पुलिस अधीक्षक के समक्ष इस मामले को जोर शोर से उठाया और उनके माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को एक ज्ञापन प्रेषित किया। प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना था कि सदर थाना पुलिस ने विगत 17 अप्रैल को वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गाडागुसैण के प्रधानाचार्य कमलेश गुप्ता को एक ­ाूठे मामले में गिरफ्तार किया है। उनका कहना है कि प्रधानाचार्य कमलेश गुप्ता का सेवा संबंधी रिकार्ड हमेशा से उत्कृष्ट रहा है। उन्होने पाठशाला के लिए कई प्रभावी और ठोस कदम उठाए हैं। इसी कारण कुछ असामाजिक लोगों को असुविधा हुई और उन्होने प्रधानाचार्य को रंजिश के तहत पुलिस अधिकारियों के साथ सांठ गांठ करके झूठे मुकदमे में फंसाया है। ऐसे में इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए। उन्होने कहा कि दूर दराज के क्षेत्रों में बेहतर कार्य करने वाले शिक्षकों का मनोबल बनाए रखने के लिए इस मामले की कडी जांच की जानी चाहिए। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मामले के अन्वेषण अधिकारी की भूमिका काफी संदेहास्पद है। जिसके चलते जांच के प्रभावित होने की संभावना है। उन्होने कहा कि मामले का अन्वेषण अधिकारी बदल कर जांच का कार्य वरिष्ठ अधिकारी को दिया जाए। इसके अलावा प्रधानाचार्य के खिलाफ षडयंत्र करने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ जांच करके इस मामले के दोषियों को कडी सजा दी जाए। क्षेत्र की ग्राम पंचायत थाचाधार के पूर्व प्रधान मेघ सिंह, उप प्रधान मोहन लाल, बंजार पंचायत समिति के अध्यक्ष किशन ठाकुर, खौली पंचायत के पूर्व प्रधान राम सिंह, ग्राम पंचायत घाट के पूर्व उप प्रधान राजू, ग्राम पंचायत सराज के पूर्व प्रधान आलम चंद, उप प्रधान हीरा सिंह, विजयपाल सिंह, तेज सिंह, सूरजमणी, खेमसिंह, मान सिंह, सेवा सिंह, दुर्गा सिंह, लाभ सिंह, दौलत राम, भूपेन्द्र कुमार, खोर सिंह, वरयाम सिंह, कपूर सिंह, रमेश चंद, काहन सिंह, ठाकुर दास, भगतराम, बुधराम, तेज राम, राकेश राणा, हरीश राणा, राकेश कुमार, राजेश कुमार, मनजीत कुमार, किशोरी लाल, यशपाल, नरेन्द्र कुमार, वीर सिंह, प्रेम सिंह, उतम राम, मंगत राम, हेम सिंह ठाकुर, सुशील चौहान और धनी राम सहित सैंकडों लोगों ने प्रधानाचार्य के खिलाफ दर्ज मामले की प्राथमिकी निरस्त करने और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।
 

मंडी। ...आखिरकार सत्यमेव जयते की जीत हुई है। वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गाडागुसैण के प्रधानाचार्य जहां एनडीपीएस के मामले में निर्दोष साबित हो कर रिहा कर दिये गए हैं। वहीं पर इस मामले में पुलिस ने स्कूल के पुर्व डीपीई परमानंद को हिरासत में ले लिया है। जिसे अदालत ने पांच दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। गाडागुसैण के प्रधानाचार्य को एनडीपीएस के झूठे मामले में फंसाने का प्रकरण अब सुल­झा लिया गया है। पुलिस ने इस मामले की तहकीकात में यु टर्न लेते हुए जहां गाडागुसैण पाठशाला के प्रधानाचार्य पुरानी मंडी निवासी कमलेश कुमार गुप्ता पुत्र परमानंद गुप्ता को बरी कर दिया है। पुलिस ने प्रधानाचार्य के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 169 के तहत पर्याप्त सबूत और आधार न होने के कारण उन्हे निजी मुचलके पर रिहा कर दिया है। पुलिस ने इस संबंध में एक रिर्पोट जिला एवं सत्र न्यायधीश एस सी कैंथला की विशेष अदालत में विचाराधीन जमानत याचिका के जवाब में प्रस्तुत की है। जिसके चलते अदालत ने जमानत याचिका को निष्प्रभावी करने के आदेश दिये हैं। जबकि पुलिस की ओर से न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर एक विवेक खेनाल की अदालत में गाडागुसैणी निवासी डोला राम के ब्यान दर्ज किये हैं। इधर, सदर थाना पुलिस ने इस मामले में हिरासत में लिए गई शारिरिक शिक्षा प्राध्यापक जिला कुल्लू के बुरूआ (मनाली) निवासी परमानंद पुत्र उतम को अदालत के समक्ष पेश किया गया। जहां पुलिस ने आरोपी से फोन की बरामदगी, चरस के स्त्रोत और प्रधानाचार्य की गाडी खोलने में प्रयोग किये गए सामान की बरामदगी और तहकीकात शेष होने के कारण उसे पुलिस रिमांड में भेजने की अर्जी दी गई। जिसे स्वीकारते हुए न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर एक विवेक खेनाल के न्यायलय ने आरोपी को 29 अप्रैल तक पांच दिन की पुलिस रिमांड में भेजने के आदेश दिये हैं।

कैसे घटित हुआ घटनाक्रम

17 अप्रैल को सदर थाना पुलिस का दल विद्रांवणी के लिए गश्त पर तैनात था। इसी बीच पुलिस को मुखबर से सूचना मिली कि एक कार में चरस आ रही है। पुलिस ने स्वतंत्र गवाहों को शामिल करके विंद्रावणी चैक पोस्ट पर नाकाबंदी की। पुलिस ने कुल्लू की ओर से आ रही प्रधानाचार्य की कार को रोक कर इसकी तलाशी ली तो कार की डिक्की में एक कपडे के बैग में से 500 ग्राम चरस बरामद हुई। पुलिस ने प्रधानाचार्य कमलेश को हिरासत में लेकर उसे अगले दिन 18 अप्रैल को अदालत में पेश किया। अदालत ने आरोपी को चार दिन के पुलिस रिमांड में भेज दिया। रिमांड के दौरान पुलिस को दरयाफ्त के दौरान प्रधानाचार्य ने बताया कि 2013 में जनता की मांग को देखते हुए उनका तबादला थलौट से गाडागुसैणी के लिए हुआ। वह काफी अनुसाशित और सिद्धांतवादी हैं और उनकी निष्पक्ष और सटीक कार्यप्रणाली के कारण स्कूल के स्टाफ के कुछ सदस्य और असामाजिक तत्व उनके खिलाफ साजिश करने लगे। इससे पहले 16 दिसंबर 2013 को कुछ लोगों ने स्कूल के एक कमरे का ताला और दरवाजा तोडकर ताजी कटी हुई लकडी के स्लीपर रखकर ­झूठे केस में फंसाने की कोशीश की थी। जिस पर पुलिस ने इस संबंध में बालीचौकी पुलिस की कार्यवाही के दस्तावेज अपने कब्जे में लिए। प्रधानाचार्य ने पुलिस को बताया कि जिस वाहन से चरस बरामद हुई उसे वह अपने क्वाटर से बाहर सडक पर खडा करते हैं। एक बार पहले भी कुछ लोगों ने इसे डेढ किमी दूर खडा कर दिया था। उन्होने डीपीई सहित कुछ लोगों पर झूठे मामले में फंसाने का शक जाहिर किया था। उन्हे 21 अप्रैल को अदालत ने 25 अप्रैल तक पुलिस रिमांड में भेज दिया था।

कैसे हुआ मामले का पटाक्षेप

पुलिस ने शह जाहिर किये गए लोगों की कॉल डिटेल हासिल की। जिसमें घटना वाले दिन डीपीई परमानंद को लोकेशन गाडागुसैण में पाई गई। डिटेल में उसकी डोलाराम के साथ बातचीत होना पाया गया। सदर थाना पुलिस को मुखबरी करने वाले कर्मी ने अपनी दरयाफ्त में बताया कि गाडी में चरस होने की सूचना उन्हे डोलाराम ने दी थी। जिसके बाद अन्वेषण अधिकारी ने स्थानीय लोगों, स्टाफ के सदस्यों और चरस की सूचना देने वाले डोले राम के ब्यान दर्ज किये। विगत 24 अप्रैल को पुलिस ने डीपीई परमानंद को मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम की धारा 20 और 58 तथा •ाादंस की धारा 506 के तहत हिरासत में लिया।

क्या हकीकत सामने आई

परमानंद ने स्कूल में प्रधानाचार्य न होने के कारण कार्यवाहक प्रधानाचार्य का कार्य किया। अगस्त 2013 में जब कमलेश ने प्रधानाचार्य का पद संभाला तो उन्होने कुछ कार्यों में अनियमितता पाई। परमानंद के गैरहाजिर रहने के बावजूद भी उपस्थिती रजिस्टर में दर्ज करने पर कमलेश ने उच्चाधिकारियों को इसकी शिकायत की थी। जिसके कारण परमानंद का तबादला जिला शिमला के कांगला स्कूल को कर दिया गया था। जिसके कारण वह कमलेश से रंजिश रखता था। कैसे दिया घटना को अंजाम 16 अप्रैल को परमानंद गाडागुसैणी पहुंचा। रात के समय चरस का थैला कमलेश की गाडी में रख दिया। इसके बाद 17 अप्रैल को इसकी सूचना थाना को देने के लिए उसने डोला राम को कहा और खुद बस पर बैठ कर चला गया। कमलेश की कार से जब चरस बरामद हुई तो उन्हे इसका कुछ भी ज्ञान नहीं था। यह चरस परमानंद ने कमलेश को झूठे केस में फंसाने के लिए रखी थी।

स्थानिय लोगों और संगठनों ने किया था आंदोलन

प्रधानाचार्य कमलेश को ­झूठे मामले में फंसाने की सूचना मिलते ही स्थानीय पंचायतों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया था। स्थानीय लोगों ने जिला मुख्यालय पहुंच कर प्रधानाचार्य को निर्दोष करार देने की मांग की थी। अध्यापक संघ और महाजन सभा की ओर से भी विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला लगातार जारी रहा।  

डोर टू डोर गारबेज कुलैक्शन के लिए नप ने कमर कसी


 मंडी। छोटी काशी मंडी को सुंदर, स्वच्छ और स्वस्थ बनाने के लिए नगर परिषद ने अब कमर कस ली है। नगर परिषद ने डोर टू डोर गारबेज कुलेक्शन तथा अन्य समस्याओं के लिए वार्ड कमेटियों का गठन शुरू कर दिया है। इसी सिलसिले में कार्यकारी अधिकारी अजय पराशर ने वार्ड नंबर 9 लोअर भगवान मुहल्ला और वार्ड नंबर 12 रामनगर में बैठकों का आयोजन किया। मंडी। बैठकों को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि मंडी नगर में जितना कुडा उत्पन होता है उसका कुछ ही हिस्सा नगर परिषद उठा पाती है। जबकि बाकि बचा हुआ कुडा नालियों या नदियों के किनारे फैंक दिया जाता है। शहर का सारा कुडा एकत्र करने के लिए अब डोर टू डोर गारबेज कुलैक्शन की जाएगी। जिसके लिए सभी वार्डों में संबंधित पार्षदों की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया जा रहा है। जिनकी निगरानी में डोर टू डोर गारबेज कुलैक्शन की जाएगी। उन्होने कहा कि रामनगर जनसंख्या के लिहाज से मंडी का सबसे बडा वार्ड है। वार्ड में इस काम को अमली जामा पहनाने के लिए अनुबंध पर रखे गए कर्मी घरों से प्रतिदिन कुडा एकत्र करने का कार्य करेंगे। जिसके लिए प्रत्येक घर से इन कर्मियों को 30 रूपये प्रति महीने के देने होंगे। उन्होने कहा कि मंडी शहर के सभी घरों तक इस योजना को पहुंचाने के गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं। अजय पराशर ने कहा कि नदियों के किनारों, नालियों और सडक पर पडे कुडे को साफ करने के बाद जगह-2 रखे गए डंपरों को हटा दिया जाएगा। जिसके बाद स्थानीय वासियों के पास एक ही विकल्प रहेगा कि वह डोर टू डोर गारबेज कुलैक्शन से जुडे। योजना शुरू हो जाने पर इधर-उधर कुडा फैंकने पर चालान किये जाएंगे। उसी तरह दुकानों पर भी नगर परिषद के कर्मी शाम के समय वहां जा कर कुडा एकत्र करेंगे। उन्होने कहा कि घरों से एकत्र होने वाला कुडा रिसाइकल होकर नगरपरिषद की आय का साधन बनेगा। उन्होने कहा कि रामनगर वार्ड में ज्यादा आबादी समृधशाली लोगों की है। ऐसा देखने में आया है कि समृद्ध लोग ही ज्यादा कुडा पैदा करते हैं। जिसके कारण इस वार्ड में सवच्छता एक बडी चुनौती है। यह वार्ड सुकेती नदी के किनारे स्थित है जिसके कारण लोग खुले में शौच करते हैं। स्थानीय वासियों ने मांग की है कि खुले शौच को रोकने के लिए शौचालय का निर्माण किया जाए। बैठक की अध्यक्षता विश्वकर्मा मंदिर समिति के अध्यक्ष ज्ञान शर्मा ने की। इस अवसर पर स्थानीय वासियों ने वार्ड की समस्याओं को लेकर चर्चा की। बैठक में वार्ड की साफ सफाई तथा अन्य समस्याओं की निगरानी के लिए वार्ड कमेटी का गठन किया गया। वार्ड कमेटी का अध्यक्ष पार्षद सिमरनजीत कौर को बनाया गया। इसके अलावा मनोनीत पार्षद सुखनिधान सिंह सुक्खा, योगराज योगा, कुलदीप सिंह, अतर सिंह, राजीव शर्मा, बेदी व अन्य स्थानीय वासियों को वार्ड कमेटी के सदस्य बनाया गया।
इधर,  इसी सिलसिले में कार्यकारी अधिकारी अजय पराशर ने वार्ड नंबर 9 लोअर भगवान मुहल्ला में बैठक का आयोजन किया। उन्होने कहा कि लोअर भगवान वार्ड में इस काम को अमली जामा पहनाने के लिए अनुबंध पर सात कर्मी घरों से प्रतिदिन कुडा एकत्र करने का कार्य करेंगे।  उन्होने कहा कि मंडी शहर के 8000 घरों में से अभी तक 2000 घरों से ही कुडा एकत्र किया जा रहा है। बैठक की अध्यक्षता सनातन धर्म सभा के अध्यक्ष ओम चंद कपूर ने की। इस अवसर पर स्थानीय वासियों ने वार्ड की समस्याओं को लेकर चर्चा की। बैठक में वार्ड की साफ सफाई तथा अन्य समस्याओं की निगरानी के लिए वार्ड कमेटी का गठन किया गया। वार्ड कमेटी का अध्यक्ष पार्षद अलकनंदा हांडा को बनाया गया। इसके अलावा दमयंती कपूर, अन्नू मेहरा, नीलम कौशल, विमला, रत्न लाल वैद्या, राकेश कपूर, हंस राज वैद्या, ओम चंद कपूर, समीर कश्यप, प्रदीप परमार, विकास चंद्रा, तिलक राज, योगेश मोदगिल आदि वार्ड कमेटी के सदस्य बनाए गए।

पिक्चर- कमल सैनी एडवोकेट

Sunday 20 April 2014

डीएवी आर्य समाज में ईस्टर डे मनाया गया


मंडी। डीएवी आर्य समाज स्कूल में ईस्टर डे धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर बन्नी बने बच्चों ने सबका मन मोह लिया। पाठशाला की मुखयध्यापिका रचना ने बताया कि दुनिया भर में ईस्टर का त्योहार समृधि के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन से नये जीवन की प्रेरणा मिलती है। उन्होने बताया कि जर्मनी से शुरू हुए इस पर्व के मौके पर सभी जगह बन्नी बनाए जाते हैं और अंडों का चित्रण किया जाता है। इस मौके पर मौजूद अभिभावकों ने बच्चों को बन्नी रूप में देखकर उन्हे खूब सराहा।

जुखाला के एक मंदिर में शुद्रों का प्रवेश वर्जित


 मंडी। जाति-पाति की जडें समाज को अभी भी कितने गहरे से जकडे हुई हैं इसके प्रमाण अक्सर सामने आते रहते हैं। समाज में गहरी समाई परंपरागत जातिय विभाजन की सोच अक्सर सार्वजनिक रूप से अभिव्यक्ति में प्रकट हो कर आपराधिक वर्जनाओं की उदघोषक बन उभरती हैं। जातिय समस्या भले ही शहरी क्षेत्रों में गौण होती जा रही हो लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक संबंधों में ज्यादा बदलाव न होने से यह समस्या अभी तक पूरी तरह से हल नहीं हुई है। प्रदेश के विभिन्न स्थानों से मंदिरों में शुद्रों को प्रवेश से निषेध करने के मामले प्रकाश में आते रहते हैं। ऐसा ही एक जातिय वर्जनाओं का प्रमाण जिला बिलासपुर के जुखाला के समीप स्थित ऋषि मारकण्डेय मंदिर परिसर में स्थित शिव मंदिर में देखने को मिला। अधिवक्ता कमल सैनी हरिद्वार से वापिसी में वाया जुखाला होते हुए मंडी आ रहे थे। इसी दौरान वह जुखाला से करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित ऋषि मारकण्डेय मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे। जब वह मंदिर परिसर में स्थित शिव मंदिर में दर्शन के लिए गए तो मंदिर की सीढियों के पास- सन्यासियों के मन्दिर में शुद्र प्रवेश न करें, सामाजिक व्यवस्था बनाए रखें- लाल पेंट से लिखा हुआ नोटिस देखा तो वह आहत हो उठे। अधिवक्ता होने के नाते उन्होने इस शब्दावली को कानूनी नजरिये से अनुचित समझते हुए इस प्रमाण को अपने कैमरे में संचित कर लिया। 
क्या कहता है कानून

एस सी-एस टी (उत्पीड़न रोकथाम) अधिनियम, 1989 के अध्याय दो की धारा 3 (14) के अनुसार अगर अनुसूचित जाति और जनजाति के किसी सदस्य को किसी सार्वजनिक स्थान पर जाने के परंपरागत अधिकारों के अनुसार उसका प्रयोग करने व आने जाने के अधिकार से रोकता है तो इस अपराध के लिए इस धारा के तहत कम से कम छह महिने से लेकर पांच साल तक के कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है।

प्रसिध लेखक एस आर हरनोट की शिकायत पर उच्च न्यायलय ने लिया था संज्ञान

देश के प्रसिध साहित्यकार एस आर हरनोट ने इस मामले को प्रदेश उच्च न्यायलय को पत्र प्रेषित करके ध्यान में लाया था। जिस पर उच्च न्यायलय ने सू मोटो संज्ञान लेते हुए जिला बिलासपुर प्रशासन को नोटिस जारी किये थे। यह मामला उनके अनुसार अभी उच्च न्यायलय में विचाराधीन है। एस आर हरनोट ने बताया कि उन्हे यह जानकर हैरानी हो रही है कि यह नोटिस बोर्ड जिला प्रशासन की ओर से अभी तक हटाया नहीं जा सका है। उन्होने कहा कि मंदिर को लेकर कई बार आदेश किये जा चुके हैं लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। उन्होने कहा कि अन्याय होते देखा नहीं जा सकता। इसलिए साहित्यकार होने के नाते यह उनका दायित्व हो जाता है कि इन परिस्थितियों से लडा जाए।  

फार्म विक्रय निविदा जल्द की जाए


मंडी। उपायुक्त कार्यालय परिसर में फार्म विक्रय की निविदा प्रक्रिया जल्द शुरू करने का आग्रह किया है। सदर तहसील के कोट (सदयाणा) निवासी नरेन्द्र कुमार और बार क्लर्क तेज भान सिंह ने उपायुक्त मंडी देवेश कुमार को इस बारे में ज्ञापन सौंपा है। उन्होने बताया कि वह उपायुक्त कार्यालय परिसर में फार्म विक्रय करना चाहते हैं। लेकिन फार्म विक्रय की निविदा प्रक्रिया शुरू होने में 17 दिनों का विलंब हो गया है। उन्होने उपायुक्त मंडी से आग्रह किया है कि निविदा प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जाए।

कोटली में नुक्कड नाटकों से उठाई स्थानीय समस्याएं


मंडी। कोटली में इन दिनों जारी सांस्कृतिक कार्यशाला के प्रशिक्षुओं ने वीरवार को विभिन्न स्थानों पर नुक्कड नाटकों का प्रदर्शन किया। जिसमें स्थानिय समस्याओं को उजागर करके इनके समाधान के बारे में जागरूक किया गया। कोटली तहसील मुखयालय में सोसायटी फार द एम्पावरमेंट आफ कल्चरल डिवेलपमेंट (एसईसीडी) के ओर जारी सांस्कृतिक कार्यशाला के तहत विभिन्न स्थानों पर नुक्कड नाटकों का प्रदर्शन किया गया। सोसायटी के अध्यक्ष वेद कुमार ने बताया कि 29 मार्च से चल रही इस कार्यशाला में प्रशिक्षुओं की ओर से वीरवार को कोटली बस स्टैंड चौक, बरोटी मार्ग, अस्पताल मार्ग और वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला के नजदीक नुक्कड नाटकों का प्रदर्शन किया गया। जिसमें कुडे दान की आवश्यकता, शौचालय के उचित प्रबंध, पेयजल आपूर्ति और नशा निवारण से संबंधित समस्याओं को उजागर किया गया। वहीं पर इन समस्याओं के निराकरण के लिए जागरूकता का संदेश भी दिया गया। स्थानीय बोली में खेले गए इन नुक्कड नाटकों को दर्शकों ने खूब सराहा और इन प्रदर्शनों का खूब आनंद उठाया। वेद कुमार ने बताया कि पंचायत भवन के हाल में चल रही सोसायटी की कार्यशाला में प्रशिक्षुओं को नाटक के गुर सिखाए जा रहे हैं। कार्यशाला में सपनों का मायाजाल, बांठडा तथा अन्य नाटकों की तैयारी करवाई जा रही है। उन्होने बताया कि 24 को कोटली के कमेटी हाल में इन नाटकों का प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होने स्थानिय वासियों से नाटकों को देखने के लिए बढ चढ कर भाग लेने का आहवान किया है। वेद ने बताया कि नुक्कड नाटकों के प्रदर्शन में रोहन, गौरव, जगजीत, ज्योति, अंजना, सिमरन और कृष्ण कुमार ने बतौर अभिनेता भाग लिया।

Thursday 17 April 2014

एनडीपीएस के दो आरोपियों को 10 और 4 साल की कठोर कारावास


मंडी। चरस बरामद होने पर अदालत ने एक आरोपी को दस साल के कठोर कारावास और एक लाख रूपये जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है। आरोपी के जुर्माना राशि निश्चित समय में अदा न करने पर उसे एक साल का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। जिला एवं सत्र न्यायधीश एस सी कैंथला की विशेष अदालत ने जिला कांगडा के नूरपूर के वार्ड नंबर 5 निवासी हेम राज पुत्र अमीर चंद के खिलाफ एनडीपीएस की धारा 20 के तहत अभियोग साबित होने पर उसे उक्त सजा का फैसला सुनाया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार 22 जनवरी 2011 को सदर थाना की पंडोह चौकी पुलिस का दल अतिरिक्त उप निरिक्षक राम लाल की अगुवाई में राष्ट्रिय राजमार्ग 21 पर खोतीनाला के पास नाकाबंदी पर तैनात था। इसी दौरान औट की तरफ से आ रहे एक व्यक्ति ने पुलिस दल को देखकर पीछे की ओर भागने की कोशीश की। जिस पर पुलिस दल ने उक्त व्यक्ति को काबू किया और संदेह के आधार पर उसकी तलाशी ली। तलाशी के दौरान आरोपी की दोनों टांगों में नी कैप से बांधी हुई एक किलो 600 ग्राम चरस बरामद हुई थी। पुलिस ने बरामदशुदा चरस को अपने कब्जे में लेकर आरोपी को मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम के तहत हिरासत में लिया था। जिसके बाद आरोपी के खिलाफ अदालत में अभियोग चलाया गया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए जिला न्यायवादी जे के लखनपाल ने गवाहों और साक्ष्यों के माध्यम से आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित किया। सजा की अवधि के दौरान बचाव पक्ष का कहना था कि यह आरोपी का पहला अपराध है ऐसे में उसके प्रति नरम रूख अपनाया जाए। जबकि जिला न्यायवादी का कहना था कि इस तरह के मामलों में भारी बढौतरी हो रही है जिसके चलते आरोपी को कडी सजा दी जाए। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित हुआ है। एनडीपीएस के चेतावनीपूर्ण ढंग से बढ रहे इन मामलों से समाज पर पड रहे दुष्प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसे में अदालत ने आरोपी से बरामद चरस की मात्रा व्यवसायिक होने के कारण उसे उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया। इधर, एक अन्य मामले में चरस सहित पकडे जाने का अभियोग साबित होने पर अदालत ने एक आरोपी को चार साल के कठोर कारावास और 25 हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है। आरोपी के जुर्माना राशि निश्चित समय में अदा न करने पर उसे छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। जिला एवं सत्र न्यायधीश एस सी कैंथला की विशेष अदालत ने जोगिन्द्रनगर तहसील के योरा (डोहग) निवासी विनय कुमार पुत्र राजमल के खिलाफ मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियिम की धारा 20 के तहत अभियोग साबित होने पर उसे उक्त सजा का फैसला सुनाया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार 9 अप्रैल 2010 को पधर थाना पुलिस का दल उपनिरिक्षक सुंदर सिंह की अगुवाई में एक वाहन पर बरधान गांव की ओर जा रहा था। इसी दौरान फियुण गलू के पास पुलिस को टिक्कन से झटींगरी की ओर आता हुआ एक व्यक्ति पैदा दिखाई दिया। पुलिस के उक्त व्यक्ति के पास वाहन को रोकने पर वह पुलिस दल को देखकर घबरा गया। पुलिस ने आरोपी की शक की आधार पर तलाशी ली तो उसकी पेंट में छिपाए एक पालीथीन लिफाफे में 400 ग्राम चरस बरामद हुई थी। पुलिस ने आरोपी को मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम के तहत हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए जिला न्यायवादी जे के लखनपाल ने 10 गवाहों के ब्यान कलमबंद करवा कर आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित किया। सजा की अवधि पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष का कहना था कि यह आरोपी का पहला अपराध है ऐसे में उसके प्रति नरम रूख अपनाया जाए। जबकि जिला न्यायवादी का कहना था कि इस तरह के मामलों में भारी बढौतरी हो रही है जिसके चलते आरोपी को कडी सजा दी जाए। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित हुआ है। एनडीपीएस के चेतावनीपूर्ण ढंग से बढ रहे इन मामलों से समाज पर पड रहे दुष्प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसे में अदालत ने आरोपी से बरामद चरस की मात्रा व्यवसायिक से कम और लघु मात्रा से अधिक होने के कारण उसे उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया।

क्या होती है चरस की व्यवसायिक मात्रा

नारकोटिक ड्रगस एंड साइकोट्रोपिक सबस्टांस एक्ट (एनडीपीएस), 1985 के अनुसार एक किलो ग्राम या इससे अधिक चरस की मात्रा को व्यवसायिक मात्रा कहा जाता है और 100 ग्राम तक की मात्रा को लघु मात्रा कहा जाता है।

कितनी सजा होती है व्यवसायिक मात्रा की चरस में

एनडीपीएस एक्ट की धारा 20 के अनुसार व्यवसायिक मात्रा में चरस बरामद होने पर 20 साल तक और कम से कम दस साल की कठोर कारावास की सजा तथा एक लाख से दो लाख रूपये तक जुर्माना हो सकता है। व्यवसायिक मात्रा से कम और लघु मात्रा से अधिक चरस बरामद होने पर 10 साल तक कठोर कारावास और एक लाख रूपये जुर्माना हो सकता है। जबकि लघु मात्रा की चरस बरामद होने पर छह माह तक के कठोर कारावास और 10 हजार रूपये तक जुर्माने के प्रावधान है।

कुरियर कंपनी को 26,990 रूपये अदा करने के आदेश


मंडी। कुरियर कंपनी की सेवाओं में कमी आंकते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने उपभोक्ता के पक्ष में 26,990 रूपये की राशि ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले 3000 रूपये हर्जाना और 1000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करने के आदेश दिये हैं। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों रमा वर्मा व आकाश शर्मा ने मंडी के महाजन बाजार स्थित मैसर्ज गुरूदेव राम टेक चंद के ओम प्रकाश गुप्ता के पक्ष में ट्रैकऑन कुरियर कंपनी को उक्त राशि का भुगतान उपभोक्ता के पक्ष में 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता कैलाश बहल के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता किराना की दुकान करते हैं। उनको ग्राहकों से सोडेक्सो एसवीसी इंडिया कंपनी के भिन्न-2 मुल्यों के 26,990 रूपये के मील पास (कूपन) प्राप्त हुए। इन पासों की राशि प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता ने उक्त राशि के वौचर कुरियर कंपनी के माध्यम से सोडेक्सो कंपनी को भिजवाए थे। कुरियर कंपनी की ओर से उपभोक्ता का पार्सल दो दिनों में डिलीवर करने का आश्वासन दिया गया था। लेकिन जब यह गंतव्य तक नहीं पहुंचा तो उपभोक्ता ने कंपनी की इंदिरा मार्केट स्थित स्थानीय शाखा में संपर्क किया। स्थानीय शाखा के छानबीन करने पर यह पता चला कि मंडी, कुल्लू और बिलासपुर के पार्सल गुम हो गये हैं और इन्हे तलाश किया जा रहा है। लेकिन पार्सल न मिल पाने के कारण उपभोक्ता ने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि कुरियर कंपनी उपभोक्ता का पार्सल गंतव्य तक पहुंचाने में असफल रही है। जो कंपनी की सेवाओं में कमी को दर्शाता है। ऐसे में फोरम ने कुरियर कंपनी को उक्त राशि ब्याज सहित अदा करने के आदेश दिये। जबकि कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है।

Tuesday 15 April 2014

कांग्रेस ने किया अंबेदकर जयंती का आयोजन



मंडी। जिला कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित विभाग ने भारत रत्न डा. भीम राव अम्बेदकर की जयंती का आयोजन किया गया। ­झीड़ी के किसान भवन में आयोजित इस आयोजन की अध्यक्षता कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र मोहन ने की। इस मौके पर संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि हमारे संविधान के निर्माता ने सबको एकता और भाई चारे का पाठ पढाया है। उन्होने कहा कि आज जिस तरह से धर्म और जाति की राजनिति कुछ पार्टियों द्वारा की जा रही है उससे हमें सतर्क रहना चाहिए। राजेन्द्र मोहन ने कहा कि प्रदेश में वीरभद्र सिंह की सरकार जिस तरह से विकास के कार्य कर रही है उन्हें हर व्यक्ति तक पहुंचाना है। मंडी संसदीय क्षेत्र से प्रतिभा सिंह चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस पार्टी प्रदेश के गांव गांव में करवाए गए विकास के आधार पर वोट मांग रही है। इस बार प्रतिभा सिंह रिकार्ड मतों से चुनाव जीतेंगी। वहीं पर कांग्रेस लोकसभा में पुर्ण बहुमत प्राप्त करेगी। इस अवसर पर कर्म चंद, नरोतम राम अध्यक्ष द्रंग, सरजू देवी अध्यक्ष महिला कांग्रेस, हुक्म चंद चौधरी, देवी दयाल, बरकत अली, मंगली देवी, इन्द्र पाल, मणी देवी, राम देई, चंद्र मणी, मंजू और रमेश सहित कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद थे।  

Sunday 13 April 2014

मेगा लोक अदालत में 1340 मामले सुलझाये


 मंडी। जिला भर की अदालतों में शनिवार को आयोजित मेगा लोक अदालत में लोगों ने बढ चढ कर भाग लिया। इस लोक अदालत में 1340 मामलों का निस्तारण मौका पर ही कर दिया गया। जबकि 7,00,200 रूपये की राशि के सम­झौते हुए हैं। विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशों के तहत शनिवार को जिला की विभिन्न अदालतों में मेगा लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसमें 2981 मामलों की सुनवाई की गई। इनमें से 1340 मामलों का मौका पर ही निपटारा कर दिया गया। जबकि लाखों रूपये की राशि के मामलों में मुआवजे, चैक संबंधी और मोटर वाहन अधिनियम के तहत समझौते करवाए गए। जिला एवं सत्र न्यायधीश व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एस सी कैंथला ने बताया कि राष्ट्रिय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशों के तहत जिला की सभी अदालतों में मेगा लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसके लिए जिला के सभी न्यायलयों से मामलों को सुनवाई के लिए चिन्हित किया गया था। उन्होने बताया कि इस लोक अदालत में सम­झौता किये जाने योग्य आपराधिक मामले, निगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट एक्ट के तहत चैक के मामले, मोटर वाहन दुर्घटना ट्रिब्युनल, वैवाहिक, श्रम विवाद, भूमि अधिग्रहण, दीवानी मामले, राजस्व विवाद, मोटर वाहन अधिनियम और मनरेगा से संबंधित मामले चिन्हित किए गये थे। जिला न्यायलय परिसर में आठ बेंच स्थापित किये गए थे। वहीं पर उपमंडलीय अदालतों में भी बेंच गठित करके मामलों का निस्तारण किया गया। इसके अलावा जिला उपभोक्ता फोरम में भी मेगा लोक अदालत का आयोजन किया गया। फोरम के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों रमा वर्मा व आकाश शर्मा की बेंच ने 69 मामलों की सुनवाई की। जिनमें से 39 मामलों का मौका पर ही निपटारा कर दिया गया। जबकि लाखों रूपये की राशि के समझौते करवाए गये। शनिवार सुबह से लोगों में लोक अदालत के तहत अपने मामलों को सुल­झाने के लिए भारी उत्साह देखा गया। विशेषकर मोटर वाहन अधिनियम के चालानों के निस्तारण के लिए लोगों ने बढ चढ कर भाग लिया। जिला विधिक प्राधिकरण की ओर से इस मौकेपर लोगों के लिए चाय पान की व्यवस्था भी की गई थी।

क्रम सं         अदालत          सुनवाई         निस्तारण        राशि
1.  सत्र न्यायलय               13               12                3 लाख रूपये
2. अतिरिक्त सत्र-2            19                 5                95 हजार
3. सीजेएम                       310             122              23,400
4. कोर्ट नं-1                     295              114             28,200
5. कोर्ट नं-2                     280              124              8,200
6. कोर्ट नं-4                     305               42              23,900
7. एसजेएम                      58                51
8. एमटीएम                     846              248             36,100
9. सुंदरनगर-1                 137              109              29500
10. सुंदरनगर-2               218               98               25400
11. करसोग                       31                7                3,000
12. गोहर                        240               237            51,900
13. सरकाघाट                 109                76             10,700
14. जो.नगर                   120                95              64,900
 कुल                            2981             1340          7,00,200  

Saturday 12 April 2014

झुकता हुं लेकिन उस तरह नहीं...


 मंडी।  ... झुकता हुं लेकिन उस तरह नहीं जैसे एक चापलूस की आत्मा झुकती है किसी शक्तिशाली के सामने।  प्रख्यात कवि राजेश जोशी की यह पंक्तियां मानो सुंदरनगर की शांत झील में हिलोरें उठाती चली गई। गत दिनों सुंदरनगर के देवता मेले के उपलक्ष्य में स्थानीय बीडीओ कार्यालय के सभागार हाल में एक साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता प्रसिध कवि राजेश जोशी ने की। कार्यक्रम के पहले सत्र में नवोदित कवि पवन चौहान ने अपनी नौ कविताओं का पाठ किया। जिस पर विभिन्न साहित्यकारों ने अपने विचार प्रकट किये। इसके बाद हिमाचल की हिंदी कविता पर कवि समीक्षक यादवेन्द्र शर्मा ने शोध पत्र प्रस्तुत किया। शोध पत्र में प्रदेश के उभरते कवियों कुलदीप शर्मा, प्रदीप सैनी, आत्माराम रंजन, हंसराज भारती, कांता शर्मा, ईशिता आर गिरिश, राजीव त्रिगर्ती, नवनीत शर्मा, गणेश गन्नी, सौरभ, अनंत आलोक, सत्यनारायण स्नेही तथा विक्रम मुसाफिर से बेहतर कविता की उममीद की गई। हिमाचल की हिंदी कविता में अपनी पहचान बना चुके कवियों मोहन साहिल, ओम भारद्वाज, सुरेश सेन निशांत तथा अजेय की प्रशंसा की गई। इस शोध पत्र पर विपाशा के भूतपूर्व संपादक तुलसी रमण व सुरेश सेन निशांत ने अपने विचार प्रकट किये। कार्यक्रम के अगले सत्र में 30 कवियों ने कविता पाठ किया। जिनमें दीनू कश्यप, विजय विशाल, तुलसी रमण, यादवेन्द्र शर्मा, सुरेश सेन निशांत, प्रकाश पंत, रूपेश्वरी शर्मा, पवन चौहान और कृष्ण चंद महादेविया सहित अन्य कवि शामिल हुए।

Friday 11 April 2014

बिजली नहीं है




मुहल्ले में आज बिजली नहीं है

पगलाए न हैं बस यही कमी है

इतेफाक कि अभी गर्मी नहीं है

राहत मौसम की इतनी बडी है

अंधेरे से आज मुलाकात हुई है

लैंप, लालटेन की कमी खली है

मोमबती ने एक सहारा दिया है

जिंदगी का रंग बदलाव लिए है

भूमंडलीयता का पथ अवरोध है

इंटरनेट- टीवी भी निषेध सा है

बचपन कार्टूनों से मुक्त हुआ है

नारीत्व सोप आपेरा से बचा है

दफ्तरों का काम हराम हुआ है

तभी तो कविमन बेचैन हुआ है

11 घंटों बाद आठ बजने को है

रोशनियों ने सब ढांप लिया है

झांक इंसान में भांप लिया है

खोखला वो कितना हो गया है

जीवन फिर से शुरू हो गया है।

समीर कश्यप

11-4-2014 

Tuesday 8 April 2014

डीपीई संघ की बैठक आयोजित


मंडी। जिला डीपीई संघ की बैठक राजकीय वरिष्ट माध्यमिक पाठशाला (कन्या) में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता प्रधान अनिल पठानिया ने की। जिसमें जिला के 18 खंडों से आए हुए प्रधानों सहित 25 डीपीई ने भाग लिया। संघ के मीडिया प्रभारी प्रदीप भारद्वाज ने बताया कि बैठक में निर्णय लिया गया कि संघ ग्रेड पे व समान कार्य समान वेतन की मांग को लेकर निर्णायक लडाई न्यायलय में लडेगा। बैठक में संघ के महासचिव रमेश कुमार व अन्य वक्ताओं ने अपने विचार रखे। इस मौके पर एचजीटीओ के जिला प्रधान नरेश महाजन भी विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में मौजूद रहे। उन्होने डीपीई संघ को एचजीटीओ के ओर से पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया। बैठक में अन्य मुद्दों के अलावा 4-9-14 टाईम स्केल में हो रही देरी पर भी चर्चा की गई और सरकार व विभाग से ये लाभ शीघ्र जारी करने की मांग की गई। 

सू मोटो


सू मोटो किसी भी अथारटी द्वारा लिया जाने वाला वह एक्शन होता है जिसमें दूसरे पक्ष को औपचारिक रूप से बताए बगैर लिया जाता है। यह अधिकांशत: जजों द्वारा संज्ञान लेकर उठाए गए कदमों पर लागू होता है। ज्यादातर अपीलीय अदालतों में जजों द्वारा दूसरे पक्ष को बताए बगैर संज्ञान लिये जाने पर इसे सू मोटो एक्शन कहा जाता है। हालांकि यह अक्सर अदालतों की कार्यवाही पर लागू होता है लेकिन इसके अलावा सरकारी एजेंसियों और आधिकारिक रूप से कार्य करने की हैसियत से उठाए गए कदमों के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है।  

राहुल की प्रेरणा ने चंद्रमणी कश्यप को बनाया पुरातत्व धरोहर का संरक्षक


महापंडित राहुल सांकृत्यायन के हिमाचल भ्रमण के दौरान उनका मंडी नगर में अल्प-प्रवास यहां के साहित्यकारों व संस्कृति कर्मियों की सृजन यात्रा का आधारभूत कारक बना। राहुल जी ने उठते-बैठते, खाते-पीते या भ्रमण करते दैनंदिन जीवन के कार्यकलापों से लेकर सृष्टि के ज्ञात-अज्ञात रूपों पर जो सटीक टिप्पणियाँ कीं वे उस समय उनके साथ चल रहे नवयुवकों के लिये यथार्थवादी जीवन दृष्टि पाने के लिये सहयोगी रहीं। इसी युवा-मण्डली मे जो राहुल जी से निरंतर प्रेरणा प्राप्त करते रहे श्री चंद्रमणि कश्यप, हिमाचल लोक संस्कृति संस्थान के संस्थापक हैं। नाटा , सांवला रंग, कुर्ता-पाजामा तथा पाँव में कपडे के जूते पहने साधारण दीखने वाले असाधारण चंद्रमणि जी से जब राहुल जी से उनके संपर्क की जानकारी पानी चाही तो संकोची स्वभाव में अतीत के गवाक्षों को खोलते हुए बोले- “तब 1954 का साल था, मंडी में इतनी भीड़ या गहमागहमी नहीं हुआ करती थी। किसी भी विशिष्ट व्यक्ति के शहर में पधारने पर सूचना एक दम मिल जाती थी। राहुल जी के मंडी आने की सूचना जैसे ही मिली हम कृष्णा होटल पहुँचे। मेरे साथ श्री हुताशन शास्त्री, श्री सुंदर लोहिया तथा श्री टेकचंद जी थे। उनके सामने जाते ही हम उनके आभामय व्यक्तित्व से अविभूत हो उठे। ऊँची व सुगठित कद-काठी, गौर वर्ण व तेजस्वी ललाट। राहुल जी टहलने के विचार से होटल से बाहर आये, उनके साथ एक महाशय जनकराज भी थे, जो नेपाली थे। हमने उनके कार्यक्रम की जानकारी चाही तो बोले कि कुल्लू बाजार मे मेरे एक प्रिय मित्र डॉ. बोध रहते हैं, उन्हीं से मिलने का कार्यक्रम है। हम मित्रों ने जब उनसे मंडी में रूकने का आग्रह किया तो बोले- वापिसी में यह नगर देखूँगा तथा विस्तार से आप लोगों से चर्चा भी करूँगा। राहुल जी जब अपने मित्र से मिल कर मंडी वापिस आये तब तक मंडी के प्रबुद्ध नागरिकों ने उनके ठहरने व खाने-पीने की सारी व्यवस्था समुचित ढंग से कर ली थी। राहुल जी को मास्टर जयवर्द्धन जी के घर ठहराया गया। महापंडित को देखने के लिए लोगों का तांता लग गया था। राहुल जी धारा-प्रवाह बोलते जा रहे थे कि जो जाति या मानव समूह अपनी सांस्कृतिक धरोहर या जीवंत परम्पराओं को भूल जाते हैं वह समाप्त हो जाते हैं। हमारी युवा मंडली की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि आप लोगों को चाहिए कि जो अपार लोक संस्कृति और पुरातत्व के महत्व की सामग्री यहाँ बिखरी पडी है उसे सहेजें, उसका संवर्धन करें तथा जिसे लिख कर संचित किया जाना है, उसे लिखें। जो भाषा, जो मुहावरे, जो लोकगीत, लोककथाएं आज हैं वे कल नहीं रहेंगे, ये रिती-रिवाज, खान-पान सभी बदल जाएंगे, इसलिये इन सभी का कालबद्ध संग्रहण भावी पीढियों के लिए आज को जानने का सबसे सशक्त माध्यम होगा। चंद्रमणि जी आगे बताते हैं- “राहुल जी की इन बातों को मैंने अपने भीतर उतार लिया था। पहली शाम इसी तरह के विभिन्न विषयों पर चर्चा में गुजरी। रात आठ बजे चौहट्टा बाजार में राहुल जी ने एक जनसभा को संबोधित किया। “दूसरे दिन प्रातः राहुल जी नगर भ्रमण को निकले। काफी लोग साथ थे। सबसे पहले हम भूतनाथ के मंदिर में गये। जहां राहुल जी ने हरी-गौरी की एक खंडित मुर्ति की प्राचीनता के महत्व को समझाते हुए मंदिर के महंत से कहा कि इसे कहीं फैंक न देना महाराज और महंत से न फैंकने का पूरा आश्वासन लेकर व्यास नदी के किनारे बने मंदिरों को देखने चल दिये। यहीं शमशान घाट पर बने मंदिर के बाहर एक यमराज की पाषाण मुर्ति को देखते हुए उन्होने बताया कि यह मुर्ति मुगल काल से पहले बनी है। तदन्तर पंकवक्तर तथा फिर त्रिलोकनाथ का मंदिर देखने गये। त्रिलोकनाथ मंदिर के हर पत्थर को राहुल जी और उनके साथी जनकराज जी बड़ी तल्लीनता और खोजी दृष्टि से देख रहे थे। अंततः मंदिर की चिनाई में से एक पत्थर को जब कुरेद कर उन्होने निकाला तो उसकी पिछली सतह पर खरोष्ठी लिपी में उत्कीर्ण मंदिर निर्माण की जानकारी प्राप्त हुई जो कि अंग्रेज इतिहासकारों द्वारा घोषित तिथी से प्राचीन थी। संभवतया तेहरवीं शताब्दी। इसी प्रकार राहुल जी टारना मंदिर भी देखने गये जहाँ के पंचमुखी शिवलिंग को उन्होने गुप्त काल के आसपास का बताया। राजा श्याम सेन के मंडी शैली के बने चित्र को उन्होने काफी सराहा।“ मंडी में लोक संस्कृति संस्थान की स्थापना के बारे में चंद्रमणी जी का कहना है- “सांकृत्यायन जी द्वारा दिखाये गये मार्ग को प्रशस्त करने का एक ही रास्ता था कि “एकला चलो”। आर्थिक स्थिती ठीक नहीं थी, निजाम हैदराबाद और चंबा के राजा भूरी सिंह के संग्रहालयों का स्वपन एक प्राथमिक कक्षाओं को पढाने वाला मास्टर पाल रहा था। मित्रों से आर्थिक मदद चाही, सभी ने हाथ झाड लिये। लोग हस्तलिखित पांडुलिपियां दुकानदारों को बेच आते और मैं उनसे खरीद लेता। तब लोगों ने “रद्दी मास्टर” का फतवा दिया। एकांत में घूमता, यात्राओं पर निकलता तो चाहने वालों ने ‘चंड महात्मा’ कहना शुरू कर दिया लेकिन मैं रूका नहीं। राहुल जी के जाने के महज अढाई साल बाद ही मेरे संग्रह में 250 के लगभग हस्तलिखित पांडुलिपियां, सौ के लगभग प्राचीन मुद्राएं, तीस पहाडी चित्र व प्राचीन धातु-पाषाण की मुर्तियां एकत्र हो गई थी। इसके बाद प्रदेश-देश और विदेश के विद्वानों का यहां आना शुरू हुआ। अखबारों-पत्रिकाओं में इस लघु लेकिन महत्वपूर्ण संग्रह पर आलेख छपने का सिलसिला जारी हुआ। विदेशियों ने इस संग्रहालय का नाम अपनी पर्यटन निर्देशिकाओं में छापा। देशी विदेशी कला व्यापारियों ने कई प्रलोभन दिये लेकिन राहुल जी के शब्दों ने मुझे जीवन के मिथ्याचारों से हमेशा उबारा है।“ उल्लेखनीय है कि राहुल जी की प्रेरणा से स्थापित लोक संस्कृति संस्थान के संग्रहालय में पांच हजार के लगभग पांडुलिपियां प्राचीन ग्रंथों की, पांच सौ के लगभग पहाडी शैली के चित्र तथा अनेकों प्राचीन मुद्राएं, मुर्तियां, चंबा रूमाल से लेकर लोक कला के वस्त्र व दूसरी चीजें संग्रहित हैं। इस संग्रहालय में डा. निहार रंजन रे, डा. डब्लयु जी आर्चर, डा. मुल्कराज आनंद तथा एम एस रंधावा से लेकर देश विदेश के कई संस्कृति कर्मी व शोधार्थी आ चुके हैं। नौकरी से निवृत होने के बाद चंद्रमणी जी पूरा समय संग्रहालय की देख रेख को दे रहे थे। संग्रहालय के लिए उन्हे मंडी के राजा की ओर से दमदमा स्थित बाबा कोट मंदिर परिसर में दो कमरे दिये गये थे। लंबे समय तक संग्रहालय यहीं पर चलता रहा लेकिन जब मंडी के राज परिवार के सदस्यों को इस परिसर की जरूरत महसूस हुई तो चंद्रमणी जी ने एक बार भी प्रतिकार किये बगैर इस परिसर से अपने संग्रहालय का सामान हटा लिया। इस अमुल्य विरासत को संरक्षित रखने के लिए उन्होने अपने छोटे से घर के दो कमरों में संग्रहालय बना लिया। जीवन के कठिन दौर में भी पुरातत्व के संरक्षण और संवर्धन के लिए अपने जीवन को समर्पित करने वाले इस महान व्यक्तित्व चंद्रमणी का अब देहावसान हो चुका है। लेकिन जिन मुल्यों और उदेश्यों के लिए वह जीवन भर संकल्पित रहे क्या वह प्राप्त कर लिये गये हैं। शायद नहीं। चंद्रमणी के बाद इस विरासत को उनके परिवार के सदस्यों ने भी अनेकों दुश्वारियों के बावजूद सहेज कर रखा हुआ है जिसके लिये उन्हे चंद्रमणी जी की हिदायतें बाध्य करती हैं। चंद्रमणी जी कि जिद थी कि संग्रहालय में अधिकतम वस्तुएं मंडी जनपद की होने के कारण इसका संग्रहालय मंडी में ही होना चाहिए। अगर सरकार इस तरह का मंडी में संग्रहालय बनाती है तो उनकी संग्रहित धरोहर वस्तुओं को इन संग्रहालय को दिया जा सकता है। लेकिन बहरहाल अभी तक चंद्रमणी के इस लोक-मणी रूपी संग्रह को सहेजने के लिए किसी ओर से कोई प्रयास सामने नहीं आए हैं। सांस्कृतिक धरोहर को बचाने का राहुल सांकृत्यायन का प्रेरणादायी विचार जो चंद्रमणी का संग्रहालय बना उसे कैसे बचाया जाए यह प्रश्न अभी भी प्रासांगिक है। इससे पूर्व कि पुरातात्विक महत्व का यह अदभूत संग्रह बगैर उचित रख रखाव के नष्ट हो कर भारी क्षति को प्राप्त हो, इसे बचाने के भागीरथी प्रयास करने की जरूरत है, जिससे हमारी आने वाली पीढियां अपनी ऐतिहासिक विरासत को जानने व समझने से वंचित न रह जाएं।

समीर कश्यप, 33/9, भगवान मुहल्ला, मण्डी नगर, हिमाचल प्रदेश 98161-55600 sameermandi@gmail.com
sameermandi.blogspot.com

Monday 7 April 2014

हिमाचल प्रदेश की सभी पंचायतों में स्थापित होंगे विधिक केंद्र


 मंडी। हिमाचल प्रदेश के दूर देहात में रहने वाले लोगों को अब घर द्वार न्याय सुलभ हो सकेगा। हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक प्राधिकण ने प्रदेश भर की सभी ग्राम पंचायतों में ग्राम विधिक संरक्षण और सहायता केन्द्र शुरू करने की पहल की है। यह केन्द्र लोगों का विधिक संस्थाओं से सीधा संवाद बनाएंगे। इन सहायता केन्द्रों में लोगों को कानून के बारे में जानकारी के अलावा न्याय हासिल करने में मदद भी दी जाएगी। पंचायतों में केन्द्रों के लिए स्थान चिन्हित किये जाने के अलावा पैरा लीगल वालंटियरों और रिटेनर लॉयर की तैनाती की कार्यवाही इन दिनों चल रही है। हिमाचल प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव वीरेन्द्र सिंह के कार्यालय से जारी पत्र से इस आशय के निर्देशों की पुष्टि हुई है। प्राधिकरण से जारी निर्देशों के अनुसार प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में ग्राम विधिक संरक्षण और सहायता केन्द्र खोले जाने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश में अभी तक चलाए जा रहे 522 पंचायत केन्द्रों की सफलता के बाद अब इन्हे सभी पंचायतों में शुरू किया जा रहा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी सेशन डिविजनों में पंचायतों को चिन्हित किया जा रहा है। इन पंचायतों में केन्द्रों को स्थापित करने की जगह सुनिश्चित की जा रही है। जबकि केन्द्रों में तैनात होने वाले पैरा लीगल वालंटियरस के प्रशिक्षण और रिटेनर लॉयरस नियुक्त करने के बारे में भी सत्र न्यायलयों को निर्देश जारी हुए हैं। प्राधिकरण ने इस संबंध में 11 अप्रैल तक कार्यवाही की रिर्पोट प्रेषित करने को कहा है।   इधर, जिला एवं सत्र न्यायधीश और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष एस सी कैंथला ने बताया कि सभी पंचायतों में विधिक संरक्षण और सहायता केन्द्र शुरू किये जाने की दिशा में कार्यवाही जारी है। लोगों को कानून से संबंधित जानकारी और सहायता घर द्वार प्रदान करने के लिए पंचायतों को चिन्हित किया जा रहा है। जबकि पैरा लीगल वालंटियर और रिटेनर लॉयर की तैनाती की जा रही है। उन्होने कहा कि विवादों का निपटारा लोक अदालतों के माध्यम से पंचायत स्तर पर ही सुनिश्चित किया जाएगा। इससे न्यायलयों के लंबित मामलों में कमी आएगी।

ग्राम विधिक संरक्षण और सहायता केन्द्र के कार्य

केन्द्र में लोगों को न्याय हासिल करने की जानकारी, जागरूकता और सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। विवादों का निपटारा लोक अदालतों में किया जाएगा जिससे न्यायलय में लंबित मामलों में कमी आएगी। केन्द्र में तैनात पैरा लीगल वालंटियर और रिटेनर लॉयर लोगों को विवाद के आरंभिक समय में ही ग्रास रूट पर आवश्यक जानकारी और परामर्श मुहैया करवाएंगे। लोगों को न्यायलय में दाखिल होने वाली प्राइवेट कंपलेंट, पुलिस को कंपलेंट, निगोशिएबल इंस्टु्रमेंट अधिनियम की धारा 138 के तहत नोटिस बनाने, कोर्ट से आदेश होने पर सीआरपीसी की धारा 357 के तहत विकटिम कंपनशेसन स्कीम के तहत विधिक सहायता उपलब्ध करवाना, वरिष्ठ नागरिकों की ओर से दरखास्तें लिखना, परित्यक्त माता पिता को गुजारा भता दिलाने में उनकी मदद करेंगे।

कौन होंगे पैरा लीगल वालंटियर

वर्तमान व पुर्व अध्यापक, स्कूल व कालेज के प्रवक्ता, आंगनवाडी कार्यकर्ता, डाक्टर व अन्य सरकारी कर्मचारी, कानून व अन्य विषयों के छात्रों को पैरा लीगल वालंटियर के तौर पर तैनात किया जाएगा। इसके लिए जिला पंचायत अधिकारी, जिला कल्याण अधिकारी, तहसील कल्याण अधिकारी, गैर सरकारी संस्थाओं और एजेसियों के माध्यम से स्थानिय स्तर पर पैरा लीगल वालंटियर तैनात किये जाएंगे। दो पैरा लीगल वालंटियर और एक रिटेनर लॉयर का पैनल सप्ताह के एक दिन केंद्र में उपलब्ध रह कर लोगों को सहायता प्रदान करेगा। जिसके लिए पैरा लीगल वालंटियर और रिटेनर लॉयर को मानदेय भी दिया जाएगा। 

Sunday 6 April 2014

बीएसपी भरेगी मंडी में 17 को नामांकन


मंडी। बहुजन समाज पार्टी के मंडी संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी लाला राम शर्मा 17 अप्रैल को अपना नामांकन पत्र भरेंगे। बसपा के जिला अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार एडवोकेट ने बताया कि बसपा की राष्ट्रिय अध्यक्ष मायावती के निर्देशों के अनुसार सोशल इंजिनियरिंग के एजेंडे के तहत लाला राम शर्मा को मंडी संसदीय क्षेत्र से पार्टी का प्रत्याशी चुना गया है। उन्होने कहा कि लाला राम शर्मा के 17 अप्रैल को होने वाले नामांकन और उन्हे चुनावों में बहुमत से जिताने के लिए 8 अप्रैल को जिला इकाई की बैठक आयोजित की जाएगी। जिसमें राज्य सभा सांसद व प्रदेश के प्रभारी अवतार सिंह करीमपुरी विशेष रूप से मौजूद रहेंगे। उन्होने कहा कि बसपा के प्रत्याशी लाला राम शर्मा ने 2009 में भी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडा था। उन्होने जिला बसपा के सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को 8 अप्रैल की बैठक में बढ चढ कर भाग लेने का आहवान किया है। 

जिला डीपीई संघ की बैठक 6 को


मंडी। जिला डीपीई संघ की बैठक का आयोजन 6 अप्रैल को राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला (कन्या) में किया जाएगा। संघ के अध्यक्ष अनिल पठानिया व महासचिव रमेश ने जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में ग्रेड पे, टाईम स्केल तथा वेतन विसंगतियों के संदर्भ में चर्चा की जाएगी व भविष्य की रणनिति बनाई जाएगी।  

आपदा प्रबंधन दिवस आयोजित



   मंडी। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रंधाडा में आपदा प्रबंधन दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पाठशाला के सभी बच्चों व अध्यापकों ने आपदा प्रबंधन के गुर सिखे और मॉक ड्रिल भी की गई। पाठशाला के अध्यापक प्रदीप भारद्वाज ने छात्रों को भूकंप के दौरान आपदा प्रबंधन व प्राथमिक सहायता के टिप्स दिये। इस मौके पर पाठशाला के प्रधानाचार्य हेमराज गोयल और पाठशाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष हरिश शर्मा ने भी आपदा प्रबंधन पर अपने विचार रखे। 

वितिय कंपनी को 2,50,000 रूपये हर्जाना


मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने वितिय कंपनी को 30 के भीतर उपभोक्ता के पक्ष में 2,50,000 रूपये हर्जाना ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में 5000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करना होगा। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों रमा वर्मा व आकाश शर्मा ने बालीचौकी तहसील के कुकलाह (खोलानाल) निवासी टेक चंद पुत्र उतम राम की शिकायत को उचित मानते हुए महिन्द्रा एंड महिन्द्रा फाइनैंस सर्विस लिमिटेड की नेरचौक शाखा और मुमबई स्थित मुखय कार्यालय को उपभोक्ता के पक्ष में उक्त हर्जाना राशि 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता मनीष भारद्वाज के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने जीविका कमाने के लिए टाटा सूमो ग्रांडे एल एक्स वाहन को कंपनी से वितिय सहायता लेकर खरीदा था। उपभोक्ता नियमित रूप से कंपनी को किस्तें जमा करवा रहा था। इसके अलावा उपभोक्ता ने अग्रिम राशि भी जमा करवाई थी। लेकिन मार्च 2012 में कंपनी ने कब्जे का नोटिस दिये बगैर बाहुबलियों की ताकत का प्रयोग करके वाहन को बलपूर्वक छीन लिया था। जिसके चलते उपभोक्ता ने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि तथ्यों से साबित हुआ है कि कंपनी ने कानूनी प्रावधानों को अपनाए बगैर उपभोक्ता के वाहन को ताकत का प्रयोग करके छीना है। जो न केवल कंपनी की सेवाओं में कमी है बल्कि यह अनुचित व्यापार कार्यप्रणाली को भी दर्शाता है। ऐसे में फोरम ने कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी और असुविधा के बदले उक्त हर्जाना राशि 30 दिनों में ब्याज सहित अदा करने के अलावा शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है।

Thursday 3 April 2014

मेडिकल नेगलिजेंस पर 3,00,000 रूपये हर्जाना


 मंडी। निजी अस्पताल की चिकित्सकीय लापरवाही के चलते जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में तीन लाख रूपये हर्जाना ब्याज सहित अदा करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में 5000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करने के आदेश दिये हैं। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों रमा वर्मा व आकाश शर्मा ने धर्मपुर तहसील के बरोटी गांव निवासी अनिता देवी पत्नी ज्ञान चंद की शिकायत को उचित मानते हुए मंडी के महात्मा गांधी रोड स्थित मांडव अस्पताल, सर्जन एल डी वैद्या, डा. आर प्रसाद की सेवाओं में कमी मानते हुए अस्पताल को बीमाकृत करने वाली न्यु इंडिया एसोरेंस कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में उक्त राशि 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित अदा करने के आदेश दिये हैं। अधिवक्ता अजय ठाकुर और पुष्प राज शर्मा के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता अपेंडेसाइटिस के उपचार के लिए मांडव अस्पताल में भरती हुई थी। जहां 11 फरवरी 2013 को उनका आपरेशन किया गया था। चिकित्सकों ने सलाह दी गई थी कि होश आने तक उन्हे आपरेशन थियेटर में ही रहना होगा। इस बीच किसी को उनसे मिलने की इजाजत नहीं थी। जब उपभोक्ता को होश आया तो उसे पैरों में जलने से आए फफोलों के लिए कारण तेज दर्द महसूस हुआ। इस पर तीमारदारों ने चिकित्सकों से आपरेशन थियेटर में पैर जलने का कारण पूछा। लेकिन वह इस बारे में कुछ नहीं बता सके। इसके बाद चिकित्सक उपभोक्ता के पास गए और पैर के जले हुए हिस्से में दवाई लगा कर उपचार किया। उपभोक्ता को 15 फरवरी 2012 को अस्पताल से जखमों पर पट्टी लगाने की हिदायत देकर छुट्टी दे दी गई। लेकिन 9 अप्रैल तक उनके जखम ठीक न होने पर उन्हे किसी अन्य अस्पताल में उपचार कराने के लिए कहा गया। उपभोक्ता ने हरिहर अस्पताल में अपना इलाज करवाया। ऐसे में उपभोक्ता ने मांडव अस्पताल और चिकित्सकों की सेवाओं में कमी के चलते फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। सुनवाई के दौरान अस्पताल और चिकित्सकों का कहना था कि उपभोक्ता का पैर गर्म पानी की बोतल के कारण जला था। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि प्रतिवादी पक्ष यह साबित करने में असमर्थ रहा है कि उपभोक्ता के पैर में गहरी जलने की चोट कैसे आई है। इस संबंध में डा. कार्तिक कपूर ने अपने ब्यान में कहा कि उपभोक्ता के पैर की गहरी चोटें गर्म पानी की बोतल से संभव नहीं हैं। आपरेशन थियेटर ले जाने से पहले उपभोक्ता के पैर में कोई चोट नहीं थी। जो अस्पताल और चिकित्सकों की डयुटी में लापरवाही को दर्शाता है। ऐसे में फोरम ने अस्पताल को बीमाकृत करने वाली बीमा कंपनी को उक्त हर्जाना ब्याज सहित अदा करने के अलावा शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है।

Wednesday 2 April 2014

टीसीपी के प्रभावित होंगे लामबंद


 मंडी। मकान नियमितिकरण संघर्ष समिति की बैठक मंगलवार को आयोजित की गई। बैठक में मकान नियमितिकरण की प्रक्रिया सरल व कम शुल्क पर करने के बारे में चर्चा की गई। समिति के संयोजक उत्तम चंद सैनी ने बताया कि बैठक में निर्णय लिया गया है कि प्रदेश स्तर पर टीसीपी कानूनों का विरोध कर रहे लोगों से समन्वय बनाया जाएगा। वहीं पर जिला व मंडी नगर के प्रभावितों को भी लामबंद किया जाएगा। उन्होने कहा कि हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थितियों के अनुरूप टीसीपी कानून के प्रावधान न होने के कारण लोगों को अनेकों समस्याओं का सामना करना पड रहा है। संघर्ष समिति के अध्यक्ष अमर चंद वर्मा ने कहा कि टीसीपी कानूनों को शहर के साथ लगते गांवों में भी लागू किया जा रहा है। लेकिन इससे पहले संबंधित पंचायतों से पूछा जाना चाहिए था और इन गांवों में पहले शहरीकरण की दशाओं का निर्माण करना चाहिए था। लेकिन टीसीपी कानूनों को इन क्षेत्रों में लागू किये जाने से लोगों में बेचैनी का माहौल है। गांव वासियों की मांग है कि इन प्रावधानों को लागू किये जाने से पहले स्थानिय वासियों की राय ली जानी चाहिए। समिति की कार्यकारिणी के सदस्य हितेन्द्र शर्मा ने कहा कि जिन लोगों ने एमसी व टीसीपी से पास नक्शों में बदलाव किया है या बिना नक्शे से घर बना दिया है तो उन्हे वर्ष 2012 के नियमों के तहत जुर्माने के तौर पर 10 गुणा फीस अदा करनी होगी। उन्होने कहा कि इन संशोधित नियमों को वापिस लेकर इससे पहले की स्थिति बहाल की जानी चाहिए और साल 2002 में कुसुमपटी नगर पंचायत में दी गई छूट की तरह एक बार की छूट दी जानी चाहिए। समिति सदस्य लवण ठाकुर ने कहा कि मंडी शहर में जगह की कमी के कारण लोग उपलब्ध जमीन पर अपनी सुविधा के मुताबिक घरों का निर्माण करते आए हैं। ऐसे में टीसीपी के सैट बैक आदि से संबंधित प्रावधानों का लागू नहीं किया जा सकता। कार्यकारिणी सदस्य हरमीत सिंह बिट्टू ने कहा कि इन प्रावधानों को नये शहर, कालोनी व सरकारी भवनों पर ही लागू किया जाना चाहिए। इन कडे कानूनों के तहत शहरवासियों की मूलभूत बिजली-पानी की सुविधा से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए। संघर्ष समिति के सचिव समीर कश्यप ने बताया कि इन कानूनों से प्रभावित लोगों से संपर्क करके उनकी समस्याओं पर विचार किया जाएगा और हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से सरकार को अवगत करवाया जाएगा।  

एमआरपी से महंगी शराब बेचने पर 20 हजार हर्जाना


मंडी। कीमत से ज्यादा राशि वसूलना शराब विक्रेता को उस समय महंगा साबित हुआ जब उपभोक्ता फोरम ने उन्हे 20,000 रूपये हर्जाना अदा करने का फैसला सुनाया। वहीं पर विक्रेता को व्हीस्की को बोतल पर अधिक वसूले गए 15 रूपये ब्याज सहित अदा करने और 4000 रूपये शिकायत व्यय भी देने के आदेश दिये हैं। जिला उपभोक्ता फोरम कुल्लू के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों सत्याभामा व शिव सिंह ने मनाली तहसील के छियाल गांव निवासी इंद्रजीत ठाकुर पुत्र टिकम राम ठाकुर की शिकायत को उचित मानते हुए माल रोड स्थित एल-2 के विक्रेता मैसर्ज योगेश गुप्ता को उपभोक्ता के पक्ष में अधिक वसूली राशि 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित लौटाने के आदेश दिये हैं। अधिवक्ता हरीश ठाकुर के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने 23 अप्रैल 2011 को विक्रेता की दुकान से इंपिरियल ब्लू सुपिरियर व्हीस्की खरीदी थी। विक्रेता ने उनसे बोतल के असली मूल्य 245 रूपये के बजाय 260 रूपये वसूले थे। जिसका विक्रेता ने उन्हे बिल भी जारी किया था। उपभोक्ता ने हालांकि विक्रेता को असली कीमत के बारे में बताया भी था लेकिन कोई सुनवाई न होने पर उन्होने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि उपभोक्ता ने खरीदी गई बोतल को पेश किया था। जिसमें अधिकतम मूल्य 245 रूपये लिखा हुआ है। बोतल पर अंकित मूल्य से अधिक राशि वसूलना न केवल गैरकानूनी है बल्कि सेवाओं में कमी और अनुचित व्यापार कार्यशैली को भी दर्शाता है। जिसके चलते फोरम ने विक्रेता को उक्त हर्जाना राशि अदा करने व अधिक वसूली गई राशि को ब्याज सहित लौटाने के अलावा शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है।

दुराचार का आरोपी शिक्षक न्यायिक हिरासत में


 मंडी। सदर तहसील की प्राथमिक पाठशाला महीगलू की चौथी कक्षा की 9 वर्षिय छात्रा से दुराचार के आरोपी शिक्षक को अदालत ने 10 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। इस बीच पीडित छात्रा की मेडिकल रिर्पोट में उससे दुराचार होने की पुष्टि हुई है। सोमवार को पधर थाना पुलिस ने तीन दिनों के पुलिस रिमांड के बाद मामले के आरोपी शिक्षक पुने राम उर्फ पुनु को अदालत के समक्ष पेश किया। जहां न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर दो रमणीक शर्मा के न्यायलय ने आरोपी से पुलिस तहकीकात शेष न होने के कारण उसे 9 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में उपजेल मंडी भेजने के आदेश दिये हैं। उल्लेखनीय है कि उक्त पाठशाला में तैनात जेबीटी अध्यापक गांव काहरा (कमांद) गांव निवासी पुने राम उर्फ पुनु पुत्र धनी राम ने छात्रा के साथ पाठशाला परिसर में ही अश्लील हरकतें और दुराचार किया। इस घृणित कुकृत्य के बाद उक्त आरोपी अध्यापक ने छात्रा को परीक्षा में फेल कर देने की धमकी देकर इस बारे में किसी को न बताने के लिए कहा था। जिस पर पुलिस ने आरोपी अध्यापक के खिलाफ भादंस और लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षक अधिनियम 2012 (पोकसो) के तहत मामला दर्ज करके हिरासत में ले लिया था। जिसे अदालत ने तीन दिन के पुलिस रिमांड में भेज कर सोमवार को अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिये थे। पुलिस रिमांड के दौरान पुलिस ने आरोपी से तहकीकात व बरामदगी संबंधी कार्यवाही पूरी कर ली है। वहीं पर पीडिता की मेडिकल रिर्पोट भी पुलिस को हासिल हो गई है। जिसमें स्त्री रोग विशेषज्ञ ने पीडिता से दुराचार होने की पुष्टि की है। लेकिन इसके बारे में सही जानकारी एफएसएल को भेजे जाने वाले नमूनों के अंतिम परिणामों के बाद ही मिल सकेगी। इधर, पधर थाना प्रभारी भीम सेन ने आरोपी शिक्षक को न्यायिक हिरासत में भेजने के बारे में पुष्टि की है। उन्होने कहा कि पीडिता की मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बाद अब मेडिकल नमूनों को रासायनिक परिक्षण के लिए एफएसएल भेजा जा रहा है। 

मकान नियमितिकरण संघर्ष समिति की बैठक मंगलवार को


मंडी। मकान नियमितिकरण संर्घष समिति की बैठक मंगलवार एक अप्रैल को होटल आर्यन बैंग्लो में आयोजित की जाएगी। समिति के संयोजक उत्तम चंद सैनी और सचिव समीर कश्यप ने बताया कि टीसीपी नियमों के संशोधित प्रावधानों के चलते शहरवासियों का मकान बनाना बेहद कठिन काम हो गया है। इन प्रावधानों के तहत लोगों को 10 गुणा फीस अदा करके मकान नियमितिकरण करना पड रहा है। ऐसा न करने पर उन्हे बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है। उन्होने टीसीपी प्रावधानों से प्रभावित लोगों को समिति की मंगलवार शाम तीन बजे आयोजित होने वाली बैठक में बढ चढ कर भाग लेने का आहवान किया है। जिससे इन कडे प्रावधानों को निरस्त करने के लिए संर्घष की रणनिति तैयार की जा सके।

सुंदरनगर में कवि संगोष्ठी आयोजित


 मंडी। सुंदरनगर स्थित बीडीओ कार्यालय सभागार में रविवार को भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से बहुभाषी कवि संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें करीब 70 कविओं ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। संगोष्ठि की अध्यक्षता साहित्यकार केशव शर्मा ने की। वरिष्ठ साहित्यकार सुंदर लोहिया, दीनू कश्यप, यादवेन्द्र शर्मा, सुरेश सेन निशांत, डा. गंगा राम राजी, पवन चौहान, कृष्ण चंद महादेविया, द्विजेन्द्र द्विज, हरि प्रिया शर्मा, प्रकाश पंत, रवि राणा शाहिन, मधुकर भारती, विजय विशाल, रूपेश्वरी शर्मा, मुरारी शर्मा, इंदू वैद्य, प्रकाश चंद्र धीमान, अर्चना धीमान, रूप उपाध्याय, लवण ठाकुर, पुर्णेश गौतम, राजेन्द्र पाल शर्मा और समीर कश्यप सहित करीब 70 कविओं ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। इस अवसर पर जिला भाषा अधिकारी राजकुमार सकलानी, वरिष्ठ पत्रकार अदीप सोनी, सुरेन्द्र शर्मा और सुंदरनगर के गणमान्य नागरिक भी विशेष रूप से मौजूद थे। संगोष्ठी का संचालन कुलदीप गुलेरिया ने किया। 

Tuesday 1 April 2014

कोटली में सांस्कृतिक कार्याशाला आरंभ


 मंडी। कोटली तहसील मुख्यालय में शनिवार को सांस्कृतिक कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। पंचायत भवन में आयोजित की जा रही सोसायटी फार द एम्पावरमेंट आफ कल्चरल डिवेलपमेंट सोसायटी (एसईसीडी) की ओर से इस कार्यशाला का शुभारंभ कोटली पंचायत के प्रधान चमन लाल ने किया। इस मौके पर उन्होने सोसायटी के निर्देशक वेद कुमार द्वारा कोटली में पहली बार सांस्कृतिक कार्याशाला आयोजित करने पर उन्हे शुभकामनाएं दी। हिमाचल कलचर एवं शोध संस्थान सतोहल से प्रशिक्षित सोसायटी के निर्देशक वेद कुमार ने इस अवसर पर कहा कि सोसायटी सांस्कृतिक गतिविधियों को जारी रखने के लिए विभिन्न जगहों पर कार्यशालाओं का आयोजन करती रहती है। इसी सिलेसिले में कोटली में यह पहली कार्यशाला शुरू की गई है। उन्होने बताया कि इस कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रशिक्षुओं को अभिनय की बारीकियां सिखाई जाएगी। इसके अलावा बाडी मूवमेंट, वाई, संपच, योगा और थांगटा के बारे में भी प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होने बताया कि कार्यशाला के दौरान एक नाटक तैयार किया जाएगा। जिसका मंचन कोटली, मंडी व अन्य जगहों पर किया जाएगा। इस मौके पर सोसायटी के मुखय प्रभारी व कोषाध्यक्ष खेेम सिंह, उपाध्यक्ष जितेन्द्र कश्यप, सचिव बलीभद्र शर्मा, जगजीत, नवीन कुमार, ज्योति कुमारी, रोहन, कृष्ण कुमार, हेम राज, चेतराम, लेखराज तथा स्थानीय वासी मौजूद थे।

जेबीटी शिक्षक ने गुरू-शिष्य परंपरा को किया शर्मशार


 मंडी। देवभूमि हिमाचल प्रदेश में गुरू-शिष्य परंपरा उस समय शर्मशार हो गई जब एक जेबीटी अध्यापक ने चौथी कक्षा की छात्रा को अपनी हवश का शिकार बनाया। पुलिस ने आरोपी अध्यापक के खिलाफ भादंस और लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षक अधिनियम 2012 (पोकसो) के तहत मामला दर्ज करके हिरासत में ले लिया है। जिसे अदालत ने तीन दिन के पुलिस रिमांड में भेज दिया है। जानकारी के अनुसार सदर तहसील की प्राथमिक पाठशाला महीगलू की चौथी कक्षा की 9 वर्षिय छात्रा विगत 22 मार्च को पर्यावरण विषय की परीक्षा देने के लिए गई हुई थी। इसी दौरान पाठशाला में तैनात जेबीटी अध्यापक गांव काहरा (कमांद) गांव निवासी पुने राम उर्फ पुनु पुत्र धनी राम ने छात्रा के साथ पाठशाला परिसर में ही अश्लील हरकतें और दुराचार किया। इस घृणित कुकृत्य के बाद उक्त आरोपी अध्यापक ने छात्रा को परीक्षा में फेल कर देने की धमकी देकर इस बारे में किसी को न बताने के लिए कहा। छात्रा ने अपने घर आकर परिजनों को इस बारे में बताया। जिस पर परिजनों ने गांव वालों और कमांद व नवलाये पंचायत के प्रधान को सूचित किया। वहीं पर स्कूल प्रबंधन कमेटी के प्रधान की अध्यक्षता में एक बैठक भी आयोजित की गई और घटना की सूचना पुलिस को देने का निर्णय लिया गया। इसके बाद परिजन और पीडित छात्रा पधर स्थित पुलिस थाना में पहुंचे। पुलिस ने आरोपी अध्यापक के खिलाफ भादंस की धारा 354, 376, 506 व 509 तथा लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षक अधिनियम 2012 (पोकसो) अधिनियम की धारा 4 के तहत मामला दर्ज करके आरोपी को हिरासत में लिया। जिसे शनिवार को अदालत में पेश किया। जहां न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर चार गीतिका कपिला के न्यायलय ने आरोपी से पुलिस तहकीकात और पूछताछ शेष होने के कारण उसे तीन दिन के पुलिस रिमांड में •ोज दिया है। पुलिस ने पीडित छात्रा का मेडिकल भी करवाया है लेकिन अभी तक मेडिकल रिर्पोट नहीं मिल पाई है। शनिवार को ही पीडित छात्रा ने अपने आरोपों के बारे में अदालत के समक्ष आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत ब्यान दर्ज करवाया है। इधर, जिला पुलिस अधीक्षक आर एस नेगी ने मामला दर्ज होने की पुष्टि करते हुए बताया कि पधर थाना प्रभारी भीम सेन की अगुवाई में मामले की तहकीकात की जा रही है। उन्होने बताया कि आरोपी शिक्षक को हिरासत में ले लिया गया है और उससे पुलिस रिमांड के दौरान पूछताछ व छानबीन जारी है।

क्या है लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षक अधिनियम 2012 (पोकसो)

लैंगिक हमला, लैंगिक उत्पीडन और अश्लील साहित्य के अपराधों से बालकों का संरक्षण करने और ऐसे अपराधों पर विचार करने के लिए विशेष न्यायलयों की स्थापना और उनसे संबंधित या जुडे हुए विषयों के लिए उपबंध करने के लिए यह अधिनियम बनाया गया है।

क्या है धारा 4

जो कोई प्रवेशन लैंगिक हमला करेगा उसे सात वर्ष से आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी अदा करना होगा।  

मंडी में बनाया जाए आधुनिक पुस्तकालयः शहीद भगत सिंह विचार मंच

मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी मंडी में आधुनिक और बेहतरीन पुस्तकालय के निर्माण की मांग की गई है। इस संदर्भ में शहर की संस्...