Sunday 30 July 2017

नेरचौक मैडीकल कालेज में ही खुले एम्स




मंडी। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एमस) को नेरचौक मेडिकल कालेज में खोले जाने की मांग लगातार जोर पकड़ रही है। इस बारे में मंडी की संस्था पब्लिक वेलफेयर फाउंडेशन ने प्रधानमंत्री कार्यालय को ज्ञापन प्रेषित करके बिलासपुर में बनने वाले एमस को नेरचौक स्थित लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कालेज व अस्पताल में शिफट करने की मांग की थी। इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय से फाउंडेशन को पत्र जारी करके बताया गया कि एमस के स्थान का चयन राज्य सरकार के प्रस्ताव पर बिलासपुर में किया गया है। इस जवाबी पत्र में केन्द्र सरकार ने फाउंडेशन के आवेदन को निस्तारित करने की सूचना दी है। इधर, प्रधानमंत्री कार्यालय से ज्ञापन का जवाब प्राप्त होने पर फाउंडेशन ने अमर चंद वर्मा की अध्यक्षता में बैठक का आयोजन कर इस विषय में विस्तार से चर्चा की। फाउंडेशन ने बैठक में निर्णय लेते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को इस बारे में फिर से विचार करने की मांग करते हुए नेरचौक में ही एमस खोलने की मांग की है। फाउंडेशन के अनुसार लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कालेज नेरचौक को पहले ईएसआईसी मेडिकल कालेज कहा जाता था जिसे केंद्र की यूपीए सरकार के संस्थान के रूप में करीब 1000 करोड़ रूपये की राशि खर्च करके ईएसआईसी ने बनाया था। लेकिन बाद में ईएसआईसी ने यहां मेडिकल कालेज नहीं चलाने का फैसला लिया और इसके बाद से मेडिकल कालेज की तैयार अधिसंरचना बेकार पडी हुई है। मोदी सरकार के दौरान केंद्र ने हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में मेडिकल कालेज खोलने का निर्णय लिया है। लेकिन यह समझ से बाहर है कि केंद्र सरकार ने बिलासपुर में एमस खोलने का निर्णय क्यों लिया जबकि इतनी धन राशि खर्च करने के बाद भी नेरचौक के मेडिकल कालेज की अधोसंरचना खाली पड़ी है। इससे कई सवाल उठ रहे हैं। फाउंडेशन ने सवाल किया है कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को नेरचौक में एमस खोलने का प्रस्ताव क्यों नहीं किया जबकि यह केंद्र सरकार का ही संस्थान था। नेरचौक में एमस खोलने का प्रस्ताव देने से केंद्र सरकार के करोडों रूपयों की राशि बच सकती थी जो उन्हें बिलासपुर में एमस बनाने में खर्च करनी होगी। बिलासपुर में एमस बनाने के लिए स्थान चिन्हित करने से लेकर अधोसंरचना बनाने में लंबा समय लगेगा। लेकिन नेरचौक में तैयार अधिसंरचना में एमस खोलने का प्रस्ताव केंद्र के समक्ष क्यों नहीं रखा गया। जबकि नेरचौक में जल्द से जल्द एमस के कार्यरत होने के लिए अधोसंरचना तैयार थी। इस अधोसंरचना का लाभ उठाते हुए जल्द से जल्द एमस शुरू किया जा सकता था। फाउंडेशन ने सवाल उठाया है कि क्या ईएसआईसी नेरचौक एमस के लिए उपयुक्त जगह नहीं है। मंडी जिला का नेरचौक प्रदेश के केन्द्र में स्थित है और सारे प्रदेशवासी यहां पर आसानी से पहुंच सकते हैं। यह चंडीगढ़-मनाली एक्सप्रैस राजमार्ग पर स्थित है और भुंतर एयरपोर्ट से मात्र दो घंटे की सडक यात्रा पर स्थित है। अगर एमस के लिए अतिरिक्त जमीन की जरूरत हो तो यह भी नेरचौक में उपलब्ध है। इन सभी कारणों से प्रदेश में एमस खोलने के लिए सबसे उचित स्थान नेरचौक ही है। फाउंडेशन ने सवाल उठाया है कि प्रदेश के स्वास्थय मंत्री मंडी जिला से संबंध रखते हैं लेकिन वह केंद्र सरकार को क्यों संतुष्ट नहीं करवा पाये कि नेरचौक एमस के लिए सबसे उपयुक्त जगह है और इससे सारे प्रदेशवासी लाभांवित होंगे। फाउंडेशन ने सवाल किया कि क्या यह राजनैतिक फैसला या मेरिट के आधार पर लिया गया फैसला है। बिलासपुर में एमस की अनुमति से प्रदेशवासी विशेषज्ञ और आधुनिक स्वास्थय संस्थान की सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए लंबे समय तक वंचित रह जाएंगे और इसे बनाने के खर्चे में भी भारी बढौतरी हो जाएगी। फाउंडेशन ने प्रदेश व केंद्र सरकार से मांग की है कि अभी भी देरी नहीं हुई है। ऐसे में इस मामले पर पुर्नविचार किया जाए और एमस को बिलासपुर से नेरचौक शिफट करने की अनुमति देकर जल्द से जल्द इसकी स्थापना करके प्रदेशवासियों को बेहतरीन स्वास्थय सुविधायें मुहैया करवायी जाए। फाउंडेशन की बैठक में हितेन्द्र शर्मा, उत्तम चंद सैनी, समीर कश्यप, एम एल शर्मा, प्रदीप परमार और एस आर राजू मौजूद रहे।
...sameermandi.blogspot.com






सेवानिवृत 66 कर्मियों को 6 माह में पेंशन के लाभ दे एचआरटीसी




मंडी। हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने पथ परिवहन निगम के 66 सेवानिवृत कर्मियों का बकाया भुगतान व पेंशन भत्ते 6 माह में अदा करने का फैसला सुनाया है। ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष वी के शर्मा ने मंडी सर्किट के दौरान सुनाये फैसले में याचिका को स्वीकारते हुए उक्त आदेश दिये हैं। ट्रिब्यूनल ने 66 परिवहन निगम कर्मियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए निगम को उनके बकाया भुगतान, डियरलेस रिलीफ, पेंशन व भते सेवानिवृति के बाद 65,70 और 75 वर्ष की आयु पूरी होने पर 5,10 और 15 प्रतिशत की दर से जारी करने के आदेश दिये हैं। अधिवक्ता एस पी चटर्जी के माध्यम से ट्रिब्यूनल में दायर याचिका के अनुसार याचिकाकर्ता परिवहन निगम में विभिन्न पदों पर सेवा देने के बाद सेवानिवृत हो चुके हैं। लेकिन इन कर्मियों को सेवानिवृति के बाद संशोधित डियरलेस अलाउंस का बकाया, मासिक पेंशन तथा विभिन्न आयु में मिलने वाले पेंशन भत्ते नहीं दिये जा रहे थे। ऐसे में उन्होने ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की थी। निगम का इस बारे में कहना था कि राशि उपलब्ध न होने के कारण यह भत्ते अदा नहीं किये जा सके हैं। ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में कहा कि उच्चतम न्यायलय की ओर से दी गई व्यवस्था के अनुसार वितिय कमियों या फंड उपलब्ध न होना कोई कानूनी कारण नहीं है जिसके तहत सेवानिवृति संबंधी लाभों की अदायगी नहीं की जाए। ऐसे में ट्रिब्यूनल ने याचिका को स्वीकारने का फैसला सुनाते हुए निगम को याचिकर्ताओं के पक्ष में 6 माह के भीतर सभी लाभ देने के निर्देश जारी किये हैं। याचिकाकर्ताओं में बृज लाल, केशव दत्त अवस्थी, भगत राम, बृज लाल लोहिया, सुभाष चंद्र पाल, कन्हैया लाल, देवी चंद कपूर, शंकर दास, देवी राम, शिव राम, जगदीश चंद, अमर सिंह, पवन कुमार, पुन्नु राम, बीरी सिंह, शक्ति राम, दुनी चंद, सुरेश कुमार मल्होत्रा, दिला राम, एस पी चटर्जी, यादविंदर, हेम सिंह, चंद्र सिंह, नरेश कुमार, गुलाब सिंह, शिव दत्त शर्मा, प्रेम चंद, टेक चंद, देवकी नंदन, जतिन्दर कुमार वैद्य, ठाकर दास वैद्य, नारायण दास, ज्ञान चंद, कृष्ण पाल शर्मा, मोहन लाल, भूमी सिंह, चमन लाल, रूप लाल, जगदीश चंद, दिनेश कुमार, सुरेश कुमार शर्मा, रमेश कुमार शर्मा, फतेह सिंह, नेक राम, भूरी सिंह, बेली राम, पूर्ण चंद, सूरज मणी, पदम नाभ, नरेन्द्र कुमार, दुर्गा दत्त, नंद कुमार, टेक सिंह, भगवान दास, नागेन्द्र कुमार, दौलत राम, प्रेम सिंह, मोती राम, प्रकाश चंद, तारा चंद, हेम राज, दमन सिंह, इंदरजीत, तेज सिंह राणा, प्रीतपाल सिंह गुलेरिया और सुरजीत कौर शामिल थे।
...sameermandi.blogspot.com

गुड़िया को न्याय दिलाने की मांग की




मंडी। पब्लिक वेलफेयर फाउंडेशन (मंडी) ने कोटखाई में नाबालिग गुडिया से दुराचार के बाद उसकी हत्या करने की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफतार करने की मांग की है। फाउंडेशन के अध्यक्ष अमर चंद वर्मा, पदाधिकारी हितेन्द्र शर्मा, उत्तम चंद सैनी, एम एल शर्मा और समीर कश्यप ने गुडिया को न्याय दिलाने और दोषियों को कडी से कडी सजा देने की मांग की है। फाउंडेशन ने गुडिया के शोक संतप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए उसे न्याय दिलाने के लिए चल रहे संघर्ष के प्रति अपनी एकजुटता जाहिर की है।
sameermandi.blogspot.com

मंडी शहर में भारी-भरकम हाउस टैक्स का विरोध




मंडी। पब्लिक वेलफेयर फाउंडेशन (मंडी) ने मंडी शहरवासियों पर भारी भरकम हाऊस टैक्स थोपने का विरोध किया है। फाउंडेशन की बैठक सोमवार को अमर चंद वर्मा की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में मंडी शहरवासियों पर भारी भरकम हाऊस टैक्स थोपने के नगर परिषद के आदेशों पर विस्तार से चर्चा की गई। फाउंडेशन के अनुसार नगर परिषद ने हाल ही में यूनिट एरिया तरीके से हाऊस टैक्स वसूलने की नयी प्रक्रिया बनायी है। नगर परिषद द्वारा यूनिट एरिया तरीका अपनाने से शहरवासियों द्वारा अदा किये जा रहे हाऊस टैक्स के मुकाबले बहुत अधिक टैक्स भरना पड़ रहा है। खास कर शहर के मुखय मार्गों व राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे स्थित रिहायशी मकानों और व्यवसायिक परिसरों इससे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। फाउंडेशन का कहना है कि जिस तरीके से नगर परिषद ने बढ़ा हुआ हाऊस टैक्स मंडी वासियों पर लगाया है उससे शहरवासियों में व्यापक रोष पनप रहा है। फाउंडेशन के मुताबिक नगर परिषद ने मंडी शहरवासियों से बिना बातचीत, चर्चा व विमर्श के एकतरफा फैसला लागू करते हुए यह मनमर्जी का भारी भरकम हाऊस टैक्स लगा दिया है। फाउंडेशन ने मांग की है कि इस हाऊस टैक्स को तुरंत निरस्त किया जाए और शहरवासियों के साथ सलाह मशविरा करके ही इस पर निर्णय लिया जाए। फाउंडेशन ने सभी वार्डों के पार्षदों से भी मांग की है कि वह इस बारे में कदम उठायें और भारी भरकम टैक्स से शहरवासियों को मुक्त करवाने के लिए एकजुट होकर प्रयास करें। बैठक में फाउंडेशन के पदाधिकारी अमर चंद वर्मा, हितेन्द्र शर्मा, उत्तम चंद सैनी, एम एल शर्मा, समीर कश्यप सहित विभिन्न वार्डों के स्थानीयवासी मौजूद थे।
...sameermandi.blogspot.com






अधिवक्ताओं को सिखाए कौशल विकास के गुर




मंडी। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से आयोजित पैनल अधिवक्ताओं की दो दिवसीय कार्यशाला रविवार को संपन्न हो गई। राज्य विधिक प्राधिकरण के सदस्य सचिव यशवंत चोगल ने कार्यशाला के समापन अवसर पर कहा कि महिलाओं, अनुसूचित जाति-जनजाति, गरीब, बेसहारा, अपंग और जरूरतमंद लोगों तक न्याय पहुंचाना पैनल अधिवक्ताओं की प्राथमिकता होना चाहिए। इन लोगों तक उच्च स्तरीय कानूनी सहायता प्रदान करने के उदेश्य से ही अधिवक्ताओं की इस कार्यशाला को आयोजित किया गया है। उन्होने बताया कि कार्यशाला में संवैधानिक पहलुओं, विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, लीगल सर्विस अधिवक्ताओं की भूमिका और जिममेवारियों, क्लाइंट से संपर्क व बातचीत, आपराधिक व दीवानी मामलों की तैयारी, गिरफतार किये गए व्यक्ति के अधिकार, जमानत, प्ली बारगेनिंग, अधिवक्ताओं के कौशल विकास आदि विभिन्न विषयों के गुर अधिवक्ताओं को सिखाये गए। उन्होने बताया कि विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से गरीबों, महिलाओं, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों सहित अन्य वर्गों को मुफत कानूनी सहायता प्रदान की जाती है। लेकिन अक्सर यह कहा जाता था कि इन वर्गों को दी जाने वाली कानूनी सहायता स्तरीय व गुणात्मक तक नहीं होती। जिसके चलते प्राधिकरण ने निर्णय लिया है कि लीगल सर्विस अधिवक्ताओं को कुशलता का प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वह अपना कार्य ज्यादा क्षमता से कर सकें। उन्होने कार्यशाला में भाग लेने वाले सभी अधिवक्ताओं को गरीब-असहाय लोगों तक न्याय पहुंचाने की मुहिम में बढ़चढ़ कर कार्य करने का आहवान किया। कार्यशाला में जिला एवं सत्र न्यायलय मंडी, उपमंडलीय न्यायलय करसोग और गोहर के अधिवक्ताओं ने भाग लिया। इस मौके पर प्रशिक्षित मीडिएटर समीर कश्यप भी मौजूद थे।

मंडी। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से पैनल अधिवक्ताओं की दो दिवसीय कार्यशाला का आरंभ शनिवार को हुआ। उपायुक्त कार्यालय सभागार में आरंभ हुई कार्यशाला के उदघाटन सत्र की अध्यक्षता जिला एवं सत्र न्यायधीश सी एल कोछड़ ने की। इस अवसर पर उन्होने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण के पैनल अधिवक्ताओं को जरूरतमंद लोगों को न्याय दिलाने के लिए भरसक प्रयास करने चाहिए। विवादों को जल्दी निपटाने के लिए अधिवक्ताओं को वैकल्पिक विवाद निस्तारण के लिए ज्यादा से ज्यादा जागरूकता लानी चाहिए। उन्होने लोक अदालत, मिडिएशन और प्ली बारगेनिंग में बढ़चढ़ कर भाग लेने और लोगों को इन वैकल्पिक माध्यमों से लाभ उठाने को प्रेरित करने के लिए अधिवक्ताओं का आहवान किया। इस अवसर पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव यशवंत चोगल ने कहा कि प्राधिकरण की ओर से गरीबों व जरूरतमंद लोगों को निशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए पैनल अधिवक्ता नियुक्त किये गए हैं। इन पैनल अधिवक्ताओं को समय-2 पर कुशलता विकसित करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसी कड़ी में मंडी में यह दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। उन्होने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से लोगों को प्रदान की जाने वाली कानूनी सहायता का स्तर और ज्यादा बेहतर करने के उदेश्य से यह कार्यशाला आयोजित हो रही है। इस अवसर पर मुखय न्यायिक दंडाधिकारी राजेश चौहान विशेष रूप से मौजूद रहे। कार्यशाला में जिला एवं सत्र न्यायलय सहित उपमंडलीय न्यायलयों में कार्यरत प्राधिकरण के पैनल अधिवक्ता भाग ले रहे हैं।
...sameermandi.blogspot.com

मंडी में बनाया जाए आधुनिक पुस्तकालयः शहीद भगत सिंह विचार मंच

मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी मंडी में आधुनिक और बेहतरीन पुस्तकालय के निर्माण की मांग की गई है। इस संदर्भ में शहर की संस्...