Thursday, 8 September 2011

झूठा ब्यान देने पर पीडिता पर कार्यवाही


मंडी। पीडिता के ब्यान से मुकर जाने और झूठा ब्यान देने पर अदालत ने उसके खिलाफ कार्यवाही करने के आदेश जारी किए हैं। जबकि इस मामले में आरोपी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य न होने के कारण उसे बरी कर दिया गया। जिला एवं सत्र न्यायधीश वीरेन्द्र सिंह के न्यायलय ने दुराचार के एक मामले में पीडिता के अपने ब्यान से मुकर जाने पर संज्ञान लेते हुए उसके खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 344 के तहत नोटिस जारी किया। अदालत ने कारण बताओ नोटिस का जवाब जारी करते हुए कहा कि कयों नहीं पीडिता के खिलाफ झूठा बयान दर्ज करवाने की बारे में कार्यवाही की जाए। मामले के तथ्यों के अनुसार पांच बच्चों की मां पीडित महिला ने 19 जुलाई 2009 को औट थाना में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। पीडिता का कहना था कि घटना वाले दिन जब वह घर में ही थी तो आरोपी वहां आया और उससे राशन कार्ड मांगा। जब वह राशन कार्ड लेने गई तो आरोपी ने उसके साथ जबरन दुराचार किया था। पीडिता के शोर मचाने पर गांव का ही एक व्यकित मौका पर पहुंचा। जबकि आरोपी मौका से फरार हो गया। पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर आरोपी को हिरासत में लेने के बाद अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोग के दौरान पीडिता का ब्यान भी दर्ज किया गया। लेकिन वह पुलिस के सामने दिए गए ब्यान से अदालत में मुकर गई। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि गवाहों के मुकरने का प्रचलन समाज में लगातार बढता जा रहा है। झूठा बयान देने की इस कुरीति को समाप्त करने के लिए ऐसा करने वालों पर कार्यवाही होनी चाहिए। हालांकि पीडिता ने पुलिस के पास आरोपी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। लेकिन गवाहों के कटघरे में आते ही पीडिता ने जानबूझ कर झूठा बयान दर्ज करवाया। पीडिता के बयान से यह मामला पूरी तरह से ध्वसत हो गया। इन हालातों में अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया। जबकि झूठा ब्यान दर्ज करवाने पर पीडिता को कारण बताओ नोटिस का जवाब 29 सितंबर को अदालत में पेश करने के आदेश दिए।

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