मंडी। गणेश चतुर्थी के अवसर पर मंडी के विभिन्न मंदिरों में जाग का आयोजन हुआ। देवधार मंदिर में हुई जाग के दौरान इस बार देवताओं और डायनों के बीच हुए युद्ध में डायनों की जीत हुई है। जिला की सनोर घाटी के जला गांव के प्राचीन गणेश मंदिर में जलौउणी गणेश चौथ पर हुई जाग में मंडी और कुल्लू जिला के हजारों लोगों ने भाग लिया। मंदिर के पुजारी भवानी दत शर्मा और मंदिर प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारी अतुल शर्मा ने बताया कि सबसे पहले आदि गणेश का वैदिक पूजन किया गया। जिसके बाद 108 कलश और दीप प्रज्जवलित करके गणेश भगवान की अर्चना की गई। जला गांव में सथित गणेश भगवान के भंडार से देवता का रथ मंदिर तक पहुंचाया गया। जहां पर जाग का समारोह आयोजित हुआ। जाग के दौरान लोगों के कष्टों का निवारण देवता के गुर के माध्यम से किया गया। इस अवसर पर मंडी और कुल्लू जनपद के हजारों श्रद्धालुओं ने बढ चढ कर भाग लिया। वहीं मंडी के समीपवर्ती देवधार गांव में स्थित सत बालाकमेश्वर मंदिर में भी जाग का आयोजन हुआ। प्राचीन समय से आयोजित होने वाली इस जाग में भी हजारों लोगों ने अपनी शिरकत की। रात करीब 12 बजे देवता के भंडार से मंदिर के लिए मशालें उठाए हुए श्रद्धालु जयकारों का उदघोष करते हुए मंदिर तक पहुंचे। जिसके बाद मंदिर के कपाट खोले गए। मंदिर कमेटी के प्रधान भूप चंद शर्मा, स्थानिय निवासी विकास शर्मा, धीरज शर्मा, मनीष कटोच, सोनू, पुषपराज शर्मा और पाल ने बताया कि जाग के दौरान देवता के गुर सहित हार के करीब 200 लोगों ने खेल में भाग लिया। इसके बाद सुबह होने तक प्रश्नों और खेलों का सिलसिला सुबह तक चलता रहा। जाग का रोचक पहलू यह रहा कि देवताओं और डायनों के मध्य हुए युध के दौरान इस बार डायनों की जीत हुई। परंपरागत विश्वास के अनुसार डायनों की जीत से आर्थिक संपन्नता आती है लेकिन जान माल का नुकसान होता है।
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