Friday, 2 September 2011

उपायुक्त कार्यालय में नगर नियोजन के कायदों को ताक पर रख हो रहा निर्माण




मंडी। ऐसा लगता है कि नगर नियोजन के सारे कायदे कानून जनता पर ही लागू होते हैं। जबकि प्रशासन इन कायदे कानूनों के दायरे से बाहर है। तभी तो प्रशासन कानूनों के प्रावधानों की अनदेखी कर अपनी मनमर्जी से निर्माण करता है। लेकिन शायद यह भूला दिया जाता है कि इसका आम जनता में क्या संदेश जाएगा। इन दिनों उपायुकत कार्यालय के प्रवेश द्वार की पोर्च के ऊपर एक कमरे का निर्माण कार्य चल रहा है। यह निर्माण न केवल देखने में बदसूरत लग रहा बल्कि इससे उपायुक्त कार्यालय के खूबसूरत भवन की शोभा भी खराब हो गई है। सुत्रों से पता चला है कि इस निर्माण के लिए उपायुक्त कार्यालय की ओर से नगर निगम विभाग की अनुमती भी नहीं ली गई है। जिससे प्रतीत होता है कि प्रशासन का नगर नियोजन विभाग जैसी संस्था के प्रति कोई सम्मान नहीं है। जबकि शहरों में इस विभाग की विशेष अहमियत होती है। इसी तरह का निर्माण कार्य जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय के प्रवेश द्वार के पोर्च के ऊपर किया जा रहा है। इस भवन में एक खिडकी को हटा कर पोर्च के ऊपर की छत में भी एक कमरा बनाया जा रहा है। सुत्रों से पता चला है कि पुलिस विभाग यहां पर एक कैंटीन बनाने की सोच रहा है। उल्लेखनीय है कि मंडी में पहले भी नगर नियोजन के मामलों में प्रदेश उच्च न्यायलय हस्ताक्षेप कर चुका है। उपायुक्त कार्यालय में कुछ साल पहले भी नगर नियोजन नियमों का उल्लंघन करके बिना अनुमति से ऊपरी मंजिल में कुछ कमरों का निर्माण कार्य करवाया गया था। आरटीआई बयुरो के संयोजक लवण ठाकुर ने उपायुक्त कार्यालय में प्रवेश द्वार की पोर्च पर बिना अनुमति से हो रहे निर्माण कार्य की शिकायत मंडी के नगर नियोजक को की है। उन्होने शिकायत के माध्यम से मांग की है कि नियमों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों को नोटिस जारी करके यह निर्माण कार्य तुरंत बंद करवाया जाए। इसके अलावा दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही अमल में लाई जाए। इधर, इस बारे में जब नगर नियोजक सुनील कपूर से बात की गई तो उन्होने बताया कि वह इस समय स्टेशन से बाहर हैं। इस बारे में वह मंडी आकर ही बता सकती हैं। वहीं पर जब उपायुकत मंडी देवेश कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होने कहा कि उन्हे इस निर्माण के बारे में जानकारी नहीं है। यह कार्य उनकी तैनाती से पहले शुरू हुआ है। 

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