Wednesday 27 December 2017

जातिसूचक शब्द कहने पर 22 आरोपी अदालत में तलब





मंडी। अनुसूचित जाति के लोगों की जमीन हडपने की कोशीश करने और उन्हें जातिसूचक शब्द कहने के मामले में अदालत ने 22 आरोपियों को तलब किया है। सभी आरोपियों को 15 जनवरी को अदालत के समक्ष हाजिर होना होगा। जिला एवं सत्र न्यायधीश सी एल कोछड़ की विशेष अदालत ने थुनाग तहसील के चोहट (बागाचनोगी) गांव निवासी टेक सिंह और देवी राम की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए चोहट गांव के आरोपी जीवन सिंह, श्याम सिंह, सरला देवी, लीला देवी, मेघ सिंह, सरन दास, गौरी देवी, सवारू राम, टीकम राम, भागू राम, चेत राम, झली राम, लुदरमणी, शेर सिंह, खुबे राम, टेक सिंह, दिनेश, डुमणी राम, खेम सिंह, घनश्याम, सोहन लाल और पालू राम को अदालत में तलब किया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि शिकायतकर्ताओं की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपियों के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निरोधक अधिनियम की धारा 3 के तहत अपराध करने का प्रथमदृष्टया मामला बनता है। जिसके चलते अदालत ने उक्त सभी 22 आरोपियों को अदालत में तलब किया है। अधिवक्ता रवि कुमार बधान के माध्यम से अदालत में दायर शिकायत के अनुसार 10 दिसंबर 2015 को उक्त आरोपियों ने शिकायतकर्ताओं व अन्य अनुसूचित जाति के लोगों की जमीन पर आकर जबरन कब्जा करने की कोशीश की और सारी फसल को उजाड़ दिया। इतना ही नहीं उक्त आरोपियों ने उन्हें जातिसूचक शब्दों से संबोधित करके उन्हें जमीन छोड़ कर चले जाने और ऐसा न करने पर जान से मारने की धमकियां दी। जिसके चलते शिकायतकर्ताओं ने उपायुक्त मंडी के पास 11 फरवरी 2015 को इस घटना की शिकायत दर्ज करवाई थी। उपायुक्त मंडी कार्यालय से यह शिकायत अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी को प्रेषित की गई। जिन्होने तहसीलदार थुनाग के माध्यम से इस मामले की जांच करवाई थी। अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी ने जांच रिर्पोट मिलने के बाद शिकायतकर्ताओं को गोहर पुलिस थाना में संपर्क करने को कहा। शिकायतकर्ताओं के जंजैहली पुलिस चौकी में संपर्क करने पर उनसे फिर से लिखित शिकायत की मांग की गई। उन्हें लिखित शिकायत सौंपने पर पुलिस ने अनुसूचित जाति अत्याचार अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज करके इस मामले की जांच पुलिस उपाधीक्षक (मुखयालय) को सौंपी थी। लेकिन उपाधीक्षक ने सही तरीके से जांच न करके प्राथमिकी को निरस्त करने के लिए 23 मई 2016 को अदालत में रिर्पोट पेश की थी। इस मामले के अन्वेषण अधिकारी ने शिकायतकर्ताओं के बयानों में वह जातिसूचक शब्द नहीं लिखे थे जो उन्होने अपने बयान में बताए थे और इस तरह अन्वेषण अधिकारी ने मामले को मोड देकर आरोपियों को बचाने की नीयत से उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने की रिर्पोट तैयार की। ऐसे में शिकायतकर्ताओं ने अदालत में प्राइवेट कंपलेंट दायर की थी। अदालत ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए आरोपियों के खिलाफ प्रथमदृष्टया साक्ष्य होने के कारण उन्हें 15 जनवरी को होने वाली मामले की सुनवाई में उपस्थित होने के लिए तलब किया है।
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