Wednesday 10 June 2015

जज़्बे को सलाम...



जज़्बे को सलाम...
चंडीगढ मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग 21 पर हणोगी मंदिर के नजदीक इस साहसिक यात्री पर नज़र पडी तो ठिठके बिना नहीं रह सका। उतराई की यात्रा को अवरोधित न करते हुए चढाई पर पहुंचने पर जब यात्री की गति कुछ कम हुई तो वह स्वयं ही मुखातिब होने के लिए रूक गया। दुआ सलाम के बाद जब उनका परिचय और यात्रा का सबब पूछा तो वह बताने लगे कि केरल से आया हुं और मनीकर्ण से लौट रहा हुं। यहां से हजूर साहिब जाउंगा, जहां पर झंडा गाडने के बाद नांदेड की ट्रेन से घर लौटुंगा। पोलियोग्रस्त होने के बावजूद भी साधारण उपकरणों के साथ पहाड की ऊंची-नीची कठिन यात्रा को पूरा करने के साहस पर अभिभूत हो उठा। शाम ढल रही थी और यात्री की मंजिल हणोगी माता मंदिर अभी कुछ किलोमीटर दूर थी। जिसके लिए वह भरसक प्रयत्न में था। यात्री के जज़्बे से अभिप्रेरित हो उनको सलाम करता हुआ मैं भी ऊर्जास्फुर्त महसूस करता अपने गंतव्य की ओर बढ गया।

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