Friday 20 November 2015

प्रशासनिक ट्रिब्युनल ने वेतन बढ़ोतरी की वसूली के आदेश किए निरस्त


मंडी। हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्युनल ने शिक्षा विभाग द्वारा मुखय अध्यापिका से वेतन वृद्धियों की वसूली संबंधी आदेशों को निरस्त करने का फैसला सुनाया है। ट्रिब्युनल के अध्यक्ष वी के शर्मा व सदस्य प्रेम कुमार की बेंच ने मंडी सर्किट के दौरान सुनाए फैसले में सरकाघाट तहसील के गोपालपुर खंड के बरछवाड स्कूल में तैनात मुखय अध्यापिका यशोधा देवी की याचिका को स्वीकारते हुए शिक्षा विभाग की ओर से जारी वेतन वृद्धि वसूली संबंधी आदेशों को निरस्त करने के आदेश दिये हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार उन्होने 2005 में ट्रिब्युनल में याचिका दायर की थी। इस याचिका में उनका कहना था कि 1996 में उन्हें विभाग ने मुखय अध्यापिका के पद पर पदोन्नत होने पर दो वेतन वृद्धियां दी थी। लेकिन विभाग ने साल 2004 में पदोन्नति पर दी गई यह वेतन वृद्धियां वापिस लेने के आदेश दिये थे। ऐसे में याचिकाकर्ता ने इन विभागीय आदेशों को चुनौती देते हुए ट्रिब्युनल का दरवाजा खटखटाया था। अधिवक्ता आर के शर्मा के माध्यम से ट्रिब्युनल में दायर याचिका के माध्यम से याचिकाकर्ता का कहना था कि उन्हे मुखय अध्यापिका के पद पर पदोन्नत होने के बाद 22(सी) नियमों के तहत पंजाब पैट्रन पर लाभ मिलना उचित था। याचिकाकर्ता ने शिक्षा विभाग के वसूली संबंधी आदेशों को निरस्त करने की प्रार्थना की थी। ट्रिब्यूनल ने मंडी सर्किट बेंच के दौरान याचिका की सुनवाई करते हुए तथ्यों के मद्देनजर इसे उचित मानते हुए स्वीकार करने के आदेश दिये हैं। इसी के साथ टिब्युनल ने शिक्षा विभाग को याचिकाकर्ता को मुखय अध्यापिका बनने पर मिली वेतन वृद्धिों की वसूली करने के आदेशों को निरस्त करने का फैसला सुनाया है।
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