Friday 22 April 2016

आरटीआई सूचना में देरी पर जिला खनन अधिकारी को 25 हजार जुर्माना


मंडी। राज्य सूचना आयुक्त ने जिला खनि अधिकारी को आरटीआई की सूचना देने में देरी करने पर 25000 रूपये जुर्माने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा जनसूचना अधिकारी को अपीलकर्ता के पक्ष में 2500 रूपये हर्जाना भी अदा करना होगा। राज्य सूचना आयुक्त भीम सेन के न्यायलय ने मंडी जिला के बालीचौकी तहसील के सुधराणी (खलवाहण) निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट संत राम की दूसरी अपील को स्वीकारते हुए जिला खनी अधिकारी कुलभूषण शर्मा को उक्त जुर्माना व हर्जाना अदा करने का फैसला सुनाया है। अपीलकर्ता संत राम ने खनि अधिकारी से बालीचौकी क्षेत्र के एक खनन पट्टे के बारे में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी। लेकिन खनि अधिकारी ने मांगी गई सूचना देने से आनाकानी की। ऐसे में अपीलकर्ता ने पहली अपील दायर की थी। हालांकि इस अपील के दौरान खनि अधिकारी को कार्य ठीक ढंग से करने के हिदायत दी गई। लेकिन अपीलकर्ता पहली अपील के फैसले से संतुष्ट नहीं हुए। जिसके चलते उन्होने राज्य सूचना आयुक्त के न्यायलय में दूसरी अपील दायर करके पूरी व सही जानकारी देने और जनसूचना अधिकारी को गुमराह करने वाली जानकारी देने पर जुर्माना करने की प्रार्थना की थी। आयुक्त ने अपने फैसले में कहा कि खनि अधिकारी ने स्टेट जियोलोजिस्ट को पत्र लिख कर संबंधित माइनिंग लीज को समाप्त करने की प्रस्तावना की थी। इस पत्र पर कार्यवाही करते हुए जवाब में स्टेट जियोलोजिस्ट ने खनि अधिकारी को वापसी संदर्भ भेजते हुए जानकारी दी थी कि सभी खनि अधिकारियों को यह जानकारी दी गई है कि प्रदेश उच्च न्यायलय के आदेशों के 15 जून 2012 के आदेशों के बाद की गई माइन लीज का संचालन रोक दिया गया है और इसके लिए पर्यावरण मंजूरी जरूरी की गई है। आयुक्त ने अपने फैसले में कहा कि ऐसी स्थिति में खनि अधिकारी को स्टेट जियोलोजिस्ट के निर्देशों पर कार्यवाही करते हुए अपीलकर्ता को इसकी जानकारी देनी चाहिए थी। जबकि जनसूचना अधिकारी ने अपीलकर्ता को जियोलोजिस्ट के पास कार्यवाही लंबित होने के बारे में गल्त सूचना दी। आयुक्त ने इसे गुमराह करने वाली सूचना करार दिया है। आयुक्त ने अपने फैसले में कहा कि हालांकि जनसूचना अधिकारी ने मौखिक रूप से माना कि खनन कार्य बंद कर दिया गया है। लेकिन इस बारे में कोई कार्यालय आदेश प्रस्तुत नहीं किया गया। आयुक्त ने जनसूचना अधिकारी को निर्देश दिये हैं कि वह अपीलकर्ता को बिंदुवार सूचना रिर्काड के आधार पर उपलब्ध करवाए। इसके अलावा खनन बंद करने के कार्यालय आदेश भी मुहैया करवाये जाएं। आयुक्त ने कहा कि जनसूचना अधिकारी ने सूचना देने में 100 से ज्यादा दिनों की देरी की है। जिसके लिए 250 रूपये प्रतिदिन का जुर्माना निर्धारित है। ऐसे में आयुक्त ने सूचना के अधिकार के तहत निर्धारित अधिकतम जुर्माना राशि के रूप में 25000 रूपये सरकार के कोष में जमा करवाने के आदेश दिये हैं। वहीं पर खनि अधिकारी को आरटीआई कार्यकर्ता संत राम के पक्ष में अपील व्यय के रूप में 2500 रूपये हर्जाना भी अदा करने का फैसला सुनाया है।
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