Sunday 14 May 2017

ब्यासा री लैहरा...




मचलदी हुई हवा के छम-छम
आसारे सौगी-सौगी बैहाईं ब्यासा री लैहरा
जुगा जो बोला कल्हे नीं आसे
आसारे सौगी-सौगी बैहाईं ब्यासा री लैहरा
वेदा बिच थी आर्जकीय ये
बादा बिच ब्यासा नावं पया
धरती इथिरी सोना उगलदी
जड़ी-बुटियां के थी भरी
वेदा री ऋचा भी इथी हे बणी।
ऋषियां रा भी ये हा कैहणा
ब्यासा ही धरती रा गैहणा
माथे जो झुकाई के
नावं लौ ऐसारा
ये ता ही ताकत आसारी
तेभे ता आसे करहाएं
ऐसा जो नमन।
हरियाली ठंडी छाई जाहीं
छांवां बिच ऐसारे चादरू री
प्यारा रा पैहला दर्पण देखेया
आसे ता ऐसारे दर्शना बिच
इहाएं नीं खांदे आसे, ऐतारी सगंध
साथ आसारा दितिरा ऐसे
जेबे सभिये मुंह फेरी लैया
होर जेबे धुप्पे रे ध्याड़े
साहीं दुखे आसे घेरी लैये
ता एसारे हे पैरा बिच
सई गए आसे।
ऐस मुल्खा मंझ तेरे,
लाखों माहणु
शोभले माहणु
बांके माहणु
हाहाकार करे
तू कुछ भी नी बोलेा
हो ब्यासा सुण
तू आसौ दस
हो ब्यासा तू बैहाईं किधियो
डैमा बिच तू, बान्ही दितिरी
धार तेरी, मटयाई दितिरी
सब जीव तेरे किथियो चली गए
खुशहाल तेरी घाटी
जवाड़ पई गईरी
डाइनामाइटे तेरा
नास करी दिता
हो ब्यासा सुण
हो ब्यासा तू बैहाईं किधियो
धर्मां री अंधभक्ति शोषण कराहीं
चोर होर डाकू ऐभे राज कराहें
यों भोल़े लोका जो तोडी कराहें
जाति पाती री दीवार
बढया करहाईं
जुगा ते आसे सब सैहंदे लगीरे
हो ब्यासा सुण
हो ब्यासा तू बैहाईं किधियो।
शिक्षा रे बाजही बच्चे इथिरे
कामकाजा बाजही बेकार पइरे
ढब्बे री दौड़ ही लगीरी अंधी
किथी भ्रष्ट प्रशासन
किथी लुटदे संसाधन
किथी लाचार नारी
किथी दुष्ट अत्याचारी
आपणा सौदा भी देखहाईं तू
हो ब्यासा सुण
हो ब्यासा तू बैहाईं किधियो।
सुणा हो सुणा
रूका ता जरा,
खडहा ता जरा,
ये ब्यासा संदेसा तुसौ देई कराहीं
उठा नौजवाना
दुश्मणा जो बछयाणा
ये देस तुसारा
ये धरत तुसारी
तुसे आगे बधा
होर आपणा भविष्य लिखा
हो ब्यासा तू बैहाईं किधियो।
तुसे आपणा भविष्य लिखा...
--समीर कश्यप
भूपेन हजारिका के प्रसिद्ध गीत गंगा की लहरें से प्रेरित एक मंडयाली गीत।
...sameermandi.blogspot.com

No comments:

Post a Comment

मंडी में बनाया जाए आधुनिक पुस्तकालयः शहीद भगत सिंह विचार मंच

मंडी। प्रदेश की सांस्कृतिक और बौद्धिक राजधानी मंडी में आधुनिक और बेहतरीन पुस्तकालय के निर्माण की मांग की गई है। इस संदर्भ में शहर की संस्...