Wednesday 23 March 2016

मंडी वासियों के साथ होली खेलते हैं राज माधो राव



मंडी। होली के अवसर पर अराध्य देवता राज माधव राव मंडी जनपद के लोगों के साथ जमकर होली खेलते हैं। आज के दिन वह जननायक बन शहर की गलियों में लोगों के प्यार बरसाते गुलाल से सरोबार हो उनके उत्साह को संपूर्ण बनाते हैं। रियासत काल से राज माधव राव को मंडी के राजा का दर्जा मिला हुआ है। इस लिहाज से उनके दर्शन के लिए प्रदेश के सबसे उच्च पदस्थ लोगों को भी हाजिर होना पडता है। शिवरात्रि के दौरान जनपद के सभी देवी देवता सबसे पहले उनके ही दर्शन करते हैं। ऐसे विशिष्ट देवता होली के अवसर पर मंडी में प्रतीकात्मक जननायक बन जाते हैं। दोपहर करीब दो बजे के बाद मंडी वासी जमकर होली खेलने के बाद राज माधव राव मंदिर परिसर में एकत्र होना शुरू हो जाते हैं। माधोराव की जै के नारे लगाते हुए वह पालकी को उठाकर होली खेलते-2 चौहट्टा, समखेतर और भूतनाथ मंदिर होते हुए नगर परिक्रमा में शरीक होते हैं। इस दौरान माधो राव के जुलूस पर गुलाल और पानी उंडेला जाता है वहीं पर समखेतर में जुलूस में शामिल लोगों को प्रसाद भी वितरीत किया जाता है। माधो राव का जुलूस मंदिर तक वापिस पहुंचता है। इसके बाद माधो राव विभिन्न मुहल्लों में जाकर फाग बरधवाते हैं और लोगों से प्रतीकात्मक रूप से सीधा संबंध साधते हुए उनके नजदीक से गुजर कर उन्हे आशीर्वाद देते हैं। आजादी मिलने के बाद रियासत की राजा सरकार बन गई और पारंपरिक रवायतें भी शिवरात्रि आदि के अवसर पर सरकार या प्रशासन निभाने लगा। हालांकि प्रशासनिक राजाओं के आ जाने के बाद लोगों से संपर्क और स्नेह जताने का कार्यभार भी उन्ही पर बनता है। लेकिन वह ऐसे मौकों के लिए असंवेदनशील हैं जबकि प्राचीन प्रतीकात्मक राजा माधो राव अभी भी जनोमुखी होते हुए अपनी परंपराओं का उसी तरह निर्वहन कर रहे हैं। ऐसा नहीं कि इस अवसर पर माधो राव के साथ कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं होता। लेकिन सवाल वजीर, मंत्री या सिपाही का नहीं है सवाल यहां राजा का है वह होता है या नहीं होता है। अगर वर्तमान प्रशासनिक राजा भी इस तरह के समारोहों में शामिल हों तो वह भी राज माधो राव की तरह जननायक बन सकते हैं।
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