Saturday 18 February 2017

मूलभूत सुविधाओं से वंचित बंगाली समुदाय के लोग



मंडी। यहां के भयुली में रह रहे बंगाली समुदाय के लोग मूलभूत सुविधाओं के अभाव में हाशिये का जीवन जीने को बाध्य हैं। सरकार की ओर से चलायी जा रही तमाम कल्याणकारी योजनाओं से इस समुदाय को वंचित रखा गया है। अपनी समस्याओं को लेकर इस समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को उपायुक्त मंडी संदीप कदम को अधिवक्ता गीतांजली शर्मा की अगुवाई में एक ज्ञापन सौंपा है। इधर, उपायुक्त मंडी ने उनकी समस्याओं को हल करने का आश्वासन देते हुए आवश्यक कार्यवाई के निर्देश दिये हैं। अधिवक्ता गीतांजली शर्मा और प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने बताया कि भयुली में रहने वाले इस समुदाय के सभी लोग भूमीहीन हैं और समाज के सबसे गरीब तबके से संबंध रखते हैं। वह पिछले करीब सौ सालों से मंडी में रह रहे हैं और इस समय उनकी संखया करीब पांच सौ है। उन्होने बताया कि इस समुदाय के लोग अनेकों सालों से मतदाता के रूप में भी वोटर लिस्ट में दर्ज हैं और वह मतदान के जरिये लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बार भाग भी लेते हैं लेकिन उन्हे सरकार की ओर से चलाई जा रही किसी भी कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं दिया जाता है। उनके नाम पर कोई जमीन न होने के कारण उन्हे न तो बिजली-पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं मुहैया हैं और न ही शौचालय की। कुछ लोगों के राशन कार्ड बने हैं पर उन्हे राशन नहीं दिया जाता। बच्चों को पंचायत में दर्ज नहीं किया जाता। बिजली के अस्थाई मीटर लगाए गए हैं जिनमें करीब तीन से चार हजार रूपये प्रति माह का बिल हो जाता है। कई बार बिजली के बिल इतने ज्यादा होते हैं कि इन्हे चुकाने पर परिवार की गुजर बसर मुश्किल हो जाती है। इस समुदाय के अधिकांश लोग मजदूरी, दिहाडी या कबाड व कचरा बीनने का काम करते हुए अति निर्धन जीवन बिता रहे हैं। इसके बावजूद वह अपने बच्चों को पढा रहे हैं। उनके बच्चे कालेज, दस जमा दो, मैट्रिक और विभिन्न कक्षाओं में पढ रहे हैं। लेकिन वह कालेज व आगे की पढाई जारी नहीं रख पाते क्योंकि न तो उनका नाम पंचायत में दर्ज होता है और न ही राजस्व विभाग में होता है। जिससे उन्हें बोनाफाइड हिमाचली तथा अन्य प्रमाण पत्र न मिल पाने के कारण आगे की पढाई बंद करके किसी कारोबार में लगना पडता है। झुगगी झोपडियों में रहने वाले इस समुदाय के लिए कोई फ्री मैडिकल सुविधा नहीं है। इतना ही नहीं भूमीहीन होने के बावजद भी उन्हे भूमीहीन लोगों को दो जाने वाली जमीन की स्कीम में भी शामिल नहीं किया जा रहा है और न ही मकान व शौचालय आदि बनाने की किसी योजना का हिस्सा बनाया जाता है। उनका कहना है कि पीढियों से उनके वंशज मंडी में रह रहे हैं। इस समय भयुली में रह रहे अधिकांश लोगों का जन्म मंडी में ही हुआ है। प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि देश के मतदाता और नागरिक होने के नाते उनसे किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाए तथा अन्य नागरिकों की भांती उन्हें भी मूलभूत सुविधाएं दी जाएं जिससे वह भी सममान का जीवन जी सकें। इस प्रतिनिधिमंडल में भयुली निवासी महेन्द्र, कोमल, अनुबाला, संतोष, पिंकी, शकुंतला, रीतो, संजू, सुनीता, ममता, रंजीत, मणी, नीतू, निशू, नीमा, शांता, गौरी, कमला, कैंजु और दशा सहित अन्य लोग मौजूद थे।
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