Sunday 11 May 2014

नहीं थमा राष्ट्रीय ध्वज के दुरूपयोग का सिलसिला


  मंडी। राजनैतिक दलों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के दुरूपयोग के मामलों पर अभी तक अंकुश नहीं लग पाया है। हालांकि उच्चतम न्यायलय ने एक जनहित याचिका में राजनैतिक दलों को राष्ट्रिय ध्वज से मेल खाते पार्टी के झंडों का प्रयोग करने से रोकने के लिए नोटिस भी जारी किये हैं। उच्चतम न्यायलय के न्यायधीश बी एस चौहान और जे. चेलामेश्वर की बेंच ने फरवरी 2014 में केन्द्र सरकार और चुनाव आयोग से राष्ट्रिय ध्वज तिरंगा की नकल करने से रोकने के लिए गाइडलाइन बनाने के लिए उनके विचार मांगे हैं। उच्चतम न्यायलय ने यह आदेश जमशेदपुर के एक सामाजिक कार्यकर्ता अमरप्रीत सिंह खनूजा की पीआईएल में दिये हैं। याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायलय में याचिका दायर कर कहा है कि न्यायलय केन्द्र सरकार राजनैतिक दलों को राष्ट्रिय झंडे की नकल करने से तत्काल रोक लगाए। उनका आरोप है कि कांग्रेस राष्ट्रीय ध्वज के रंगों की नकल का ­झंडा प्रयोग में ला रही है जिनमें सिर्फ अशोक चक्र और हाथ के निशान का अंतर है।  देश के आम लोग तिरंगे को राष्ट्रिय एकता का प्रतीक मानते हैं और तिरंगे से अपनी पहचान सम­झते हैं। ऐसे में राजनैतिक दलों को राष्ट्रिय ध्वज से मेल खाते झंडे का प्रयोग किये जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। तिरंगे को 1931 में राष्ट्रिय ध्वज के रूप में अपनाया गया था। बाद में 22 जुलाई 1947 को झंडे पर चरखे के निशान की जगह अशोक का धर्म चक्र शामिल किया गया था। आजादी के बाद अविभाजित और प्रभुत्वशाली कांग्रेसी पार्टी ने चरखे सहित तिरंगे को अपनी पार्टी का झंडा बना लिया। कांग्रेस का मौजूदा हाथ के निशान वाला झंडा पार्टी के एक ग्रुप की ओर से साल 1977 में अपनाया गया था। जब पार्टी सिंडीकेट कांग्रेस और कांग्रेस (आई) में विभक्त हुई थी।  वर्तमान में कांग्रेस सहित अनेकों दलों के झंडे तिरंगे से बिल्कुल मेल खाते हैं और देखने पर उनमें कोई अंतर नहीं दिखाई देता। आल इंडिया त्रिणमूल कांग्रेस ने 1998 में, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने 1999 में और उतरी पूर्वी राज्य आसाम के राजनैतिक दल बोडोलैंड पीपलस फ्रंट ने भी तिरंगे के रंगों से मेल खाते झंडों को अपनाया है। वहीं पर कुछ अन्य दलों के ­झंडे भी तिरंगे से मिलते जुलते दिखाई
पडते हैं। 

चुनाव आयोग ने भी तिरंगे जैसा बनाया लोगो

चुनाव आयोग ने भी अपना लोगो तिरंगे के रंगों से मेल खाता हुआ बनाया है। इस बार हो रहे चुनावों में पोलिंग स्टेशनों में ईवीएम रखने के लिए वोटिंग कंपार्टमेंट बनाए हुए थे। इन कंपार्टमेंट पर चुनाव आयोग के लोगो लगे हुए थे। हालांकि चुनाव आयोग के कायदों के अनुसार पोलिंस स्टेशन से कूछ दूरी तक किसी भी राजनैतिक पार्टी के ­झंडों और चुनाव निशानों को लगाए जाने की अनुमति नहीं है। लेकिन यहां सवाल खडा होता है कि जब विभिन्न राजनैतिक दलों के झंडे तिरंगे के रंगों के हैं तो तिरंगे के ही रंग का चुनाव आयोग का लोगो क्या उन दलों को फायदा नहीं पहुंचाता और चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करता।  वोटिंग कंपार्टमेंट पर लोगो से राजनैतिक दलों को होने वाले लाभ को रोकने के बारे में शिकायत मुख्य चुनाव आयुक्त भारत चुनाव आयोग को प्रेषित की गई है। लेकिन क्या कार्यवाही हो पाती है यह अभी भविष्य के गर्भ में है।

गंदगी में फैंक दिये जाते हैं तिरंगे दिखते ­झंडे

चुनावों के बाद तिरंगे जैसे दिखने वाले राजनैतिक दलों के ­झंडे गंदगी और नदी नालों में फैंक दिये जाते हैं। चुनावों के दौरान भी इन ­झंडों को अक्सर सडकों, कीचड और गंदी जगहों पर गिरा हुआ देखा जा सकता है। जो एकबारगी राष्ट्रिय ध्वज के अपमान का अहसास करा जाता है। 
-यह पिक्चर भानु वर्मा की वाल से...

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा

आजादी से ठीक पहले 22 जुलाई 1947 को तिरंगे को राष्ट्रिय ध्वज के रूप में स्वीकार किया गया। तिरंगे के निर्माण, उसके आकार और रंग आदि तय हैं। फ्लैग कोड आफ इंडिया के तहत ­झंडे को कभी भी ज़मीन पर नहीं रखा जाएगा। उसे कभी पानी में डुबोया नहीं जाएगा और किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। प्रिवेंशन आफ इन्सल्ट टु नैशनल आनर ऐक्ट-1971 की धारा-2 के मुताबिक फ्लैग और संविधान की इन्सल्ट करने वालों के खिलाफ सख्त कानून हैं। अगर कोई शख्स झंडे को किसी के आगे झुका देता हो, उसे कपडा बना देता हो, मुर्ति में लपेट देता हो या फिर किसी मृत व्यक्ति (शहीद हुए आर्म्ड फोर्सेज के जवानों के अतिरिक्त) के शव पर डालता हो, तो इसे तिरंगे की इन्सल्ट माना जाएगा। तिरंगे की यूनिफार्म बनाकर पहन लेना भी गल्त है। अगर कोई शख्स कमर के नीचे तिरंगा बनाकर कोई कपडा पहनता हो तो यह भी तिरंगे का अपमान है। तिरंगे को अंडरगार्मेंटस, रूमाल या कुशन आदि बनाकर भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। तिरंगे को फहराने के नियम सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही तिरंगा फहराया जा सकता है। फ्लैग कोड में आम नागरिकों को सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराने की छूट थी। लेकिन 26 जनवरी 2002 को सरकार ने इंडियन फ्लैग कोड में संशोधन किया और कहा कि कोई भी नागरिक किसी भी दिन ­झंडा फहरा सकता है लेकिन वह फ्लैग कोड का पालन करेगा।  

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