Wednesday 21 May 2014

हिमाचल में नोटा ने प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करवाई


 मंडी। देश भर की तरह हिमाचल प्रदेश में भी नन आफ दि अबव (नोटा) ने अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करवाई है। प्रदेश में भी करीब 1 प्रतिशत लोगों ने नोटा का बटन दबाकर अपने मतदान का प्रयोग किया है। हालांकि मोदी लहर होने के कारण प्रदेश के चुनाव परिणामों में नोटा ने कोई बडी भूमिका नहीं निभाई है। लेकिन नोटा को मिला वोट प्रतिशत यह तो जाहिर करता ही है कि मतदाताओं की इतनी बडी संख्या को चुनाव लड रहे प्रत्याशियों में उन्हे प्रतिनिधित्व देने के योग्य कोई प्रत्याशी नहीं मिला है। देश भर में सबसे अधिक नोटा वोट तमिलनाडु के नीलगिरी क्षेत्र में पडे हैं जहां पर 2-जी स्कैम में संलिप्त डीएमके के विधायक ए राजा चुनाव लड रहे थे। यहां 46,559 मतदाताओं ने नोटा को वोट दिया। इसके बाद उडिसा के माओवादी प्रभावित क्षेत्र नवरंगपुर में 44,405 और छतीसगढ के बस्तर में 38772 नोटा मत पडे हैं। सबसे कम नोटा वोट 123 लक्ष्यदीप में पडे हैं। देश भर में 59.7 लाख लोगों ने नोटा को वोट दिया जो कुल मतदान का करीब 1.1 प्रतिशत है। हिमाचल प्रदेश में इस बार करीब तीस लाख लोगों ने मतदान में भाग लिया। प्रदेश में भी नोटा ने करीब एक प्रतिशत वोट हासिल करके चौथा स्थान अर्जित किया है। भारतीय जनता पार्टी ने चारों संसदीय सीटों पर क्लीन स्वीप करते हुए 1652995 मत लेकर 53.3 फीसदी वोट हासिल किये हैं। जबकि कांग्रेस को 1260477 मत लेकर 40.7 प्रतिशत मत मिले हैं। आप पार्टी ने 63351 मत लेकर कुल मतों में से 2.0 प्रतिशत वोट लिए हैं। नोटा ने चौथा स्थान प्राप्त करते हुए 29156 मत लेकर 0.9 प्रतिशत मत हासिल किये हैं। स्वतंत्र प्रत्याशियों ने 28507 मत लेकर 0.9 प्रतिशत वोट लिये हैं। जबकि सीपीएम ने 25399 मत लेकर 0.8 प्रतिशत, बसपा ने 0.7 फीसदी, समाजवादी पार्टी ने 0.3 प्रतिशत और एसएचएस ने 0.2 प्रतिशत मत लिये हैं। हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक नोटा वोट कांगडा (8704) संसदीय क्षेत्र में पडे। शिमला में 7787, हमीरपुर में 6573 और मंडी में 6191 लोगों ने नोटा को मतदान किया है। सबसे अधिक नोटा वोट चंबा विधानसभा क्षेत्र में 688 पडे। जबकि सबसे कम लाहौल स्पिती में 166 पडे हैं। पोस्टल बैलट के माध्यम से भी नोटा को 36 मत मिले हैं। लोकसभा चुनावों में पहली बार ईवीएम में प्रयोग की गई नोटा की आप्शन को मतदाताओं ने जिस तरह अपनाया है वह संकेत करता है कि आने वाले समय में राजनैतिक दलों को योग्य प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने के लिए बाध्य होना पडेगा अन्यथा नोटा वोट प्रतिशत चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की स्थिति में भी आ सकता है।

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