Sunday 14 August 2016

एक दिन 50वें स्वतंत्रता दिवस का



एक दिन
धरा ने मानव को चिन्हा
एक दिन
लोहे का हल उकेरने लगा
भांत-2 के रेखाचित्र
इस प्रान्तर पर
एक दिन
धम्मं शरणमं गच्छामीं को
शिलालेखों और सतम्भों में
गिरफ्त पाया
एक दिन
गंगा के घाट पर
बेहद के मैदान में
सोया जुलाहा कबीर
एक दिन
मसाले के व्यापारी
सोना लूट गए।
एक दिन
खेतों में बंदूक
बोने का विचार
उपजता।
एक दिन
बिहारी बन्धुआ
कश्मीरी खान
घुमता समरहिल में
हॉली लाज के नीचे भी
सर पर जीवन ढोता।
एक दिन
50वें स्वतंत्रता दिवस का
सबसे विक्रित उत्पाद 
आजादी का प्रतीक तिरंगा
इस्तेमाल के बाद 
सड़क पर गिरता
आस्था-अनास्था
आशा-निराशा की
कसौटी पर तुलता।
...समीर कश्यप

यह कविता शिमला में 15 अगस्त 1997 में लिखी थी।
...sameermandi.blogspot.com

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