Monday 15 August 2016

दुर्दशा पर आंसू बहा रहा ऐतिहासिक पड्डल मैदान




मंडी। ...इन दिनों जबकि सारी दुनिया ओलंपिक देख रही है वहीं पर मंडी का ऐतिहासिक पड्डल मैदान अपनी दुर्दशा पर जार जार आंसू बहा रहा है। मंडी न्यायलय के अधिवक्ताओं ने मैदान के कार्य को तेजी से करवाने के लिए उपायुक्त मंडी को ज्ञापन प्रेषित किया है। अधिवक्ता समीर कश्यप, दिनेश शर्मा, दिग्विजय सिंह कटोच, कमल सैनी, देश राज शर्मा और मनीष कटोच ने बताया कि ऐतिहासिक पड्डल मैदान मंडी शहर का हृदयस्थल होने के बावजूद इन दिनों बुरी तरह से छलनी पडा है। पड्डल मैदान ने अनेकों अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर के खिलाडी पैदा किए हैं। लेकिन इस मैदान को कभी विकसित करने के प्रयास नहीं किए गए हैं। लेकिन इसके बावजूद भी यह मैदान अपनी प्राकृतिक खासियतों और चारों ओर से पहाडों से घिरे मनमोहक वातावरण के कारण सभी के लिए आकर्षण का केंद्र हमेशा से रहा है। उन्होने बताया कि अपनी तमाम खूबियों के बावजूद इस मैदान से क्रुरता बरती जाती रही है और इसे बर्बाद करने का खेल हर साल खेला जाता है। फरवरी- मार्च महिने में अंतरराष्ट्रीय शिवरात्री महोत्सव पड्डल मैदान में ही आयोजित होता है। महोत्सव के आयोजन के सिलसिले में करीब एक माह पहले से ही मैदान के साथ छेडछाड शुरू हो जाती है। मेले के दौरान लाखों लोगों की भीड इसे बुरी तरह से रौंद डालती है। मेले के करीब दो माह बाद तक इसकी हालत नहीं सुधारी जाती। मई-जून में यहां पर साधु महात्माओं का आगमन शुरू हो जाता है। जिसके लिए मैदान को फिर से तबाह होने के लिए छोड दिया जाता है। कभी पुलिस की भर्ती हो या फिर सेना की या फिर किसी राजनेता की रैली। हर बार बर्बादी का सबब पड्डल मैदान को ही झेलना पडता है। सिर्फ मैदान को ही नहीं बल्कि पूरे शहर को भी। क्योंकि जब भी मैदान में कोई हैलीकाप्टर या चौपर उतरता है तो सारे मैदान की मिट्टी उड कर गुबार का बादल बनाती हुई पूरे शहर को अपने आगोश में ले लेती है। उन्होने बताया कि अब पड्डल मैदान में मेले आयोजित नहीं होंगे और पड्डल मैदान को करीब डेढ करोड रूपये की राशि व्यय करके इसका कार्य किया जाएगा। यह एक स्वागत योग्य कदम है। इस कार्य के लिए पिछले करीब तीन माह से मैदान को जेसीबी से उखाडा जा रहा है। बडे-2 पत्थरों व भारी मात्रा में मिट्टी को निकाला जा रहा है। जिससे पूरे पड्डल मैदान में पत्थर और मिट्टी के ढेर लगे हुए हैं। जेसीबी से खनन किए गए मैदान में बडे-2 गड्ढे बन गए हैं जो बरसात का पानी भर जाने पर बच्चों के लिए तैराकी करने की जगह बन गए हैं। अधिवक्ताओं ने बताया कि पिछले कई दिनों से काम बिल्कुल बंद कर दिया गया है। इस आधे- अधूरे पडे कार्य से मैदान में खेलकूद गतिविधियां ठप्प हो गई हैं और लोगों की मैदान में आवाजाही बंद हो गई है। पड्डल मैदान में हर दिन हजारों की संखया में लोग आते हैं और यहां पर सुबह और शाम की सैर के साथ-2 दिन भर विभिन्न खेलकूद की गतिविधियां में भाग लेते हैं। लेकिन बहुत धीमी गति से और फिलहाल बंद हो गए मैदान के इस कार्य को लेकर खिलाडियों और स्थानीय वासियों के मन में नयी-2 शंकाएं उपज रही हैं और मैदान को तैयार करने में हो रही देरी से उनमें रोष व्यापत है। अधिवक्ताओं ने ज्ञापन के माध्यम से उपायुक्त मंडी से मांग की है कि पड्डल मैदान के कार्य को तेजी से करवाने के आदेश संबंधित विभाग को दिए जाएं जिससे भावी खिलाडी भविष्य में होने वाले ओलंपिक में भाग लेने के लिए तैयारियों में जुटने से वंचित न रह सकें और इसके अलावा स्थानीय लोगों को पड्डल में सैर करने के उनके नैसर्गिक अधिकार में आ रही अडचनों से राहत मिल सके। इधर, इस बारे में जिला खेल अधिकारी प्रदीप से संपर्क करने पर उन्होने बताया कि पड्डल मैदान का कार्य लोक निर्माण विभाग की ओर से करवाया जा रहा है। उन्होने बताया कि मैदान की ढलान बनायी जा रही है जिससे पानी मैदान में ठहरे और नालियों से बाहर निकल जाए। उन्होने बताया कि मैदान में घास उगाने के लिए सप्रिंकलर लगाए जा रहे हैं जिसके लिए पत्थर निकालने जरूरी थे। उन्होने कहा कि भारी बरसात के कारण यह कार्य बंद किया गया है क्योंकि ढलान बनाने के लिए बिछायी जाने वाली मिटटी बरसात में बह रही थी। उन्होने कहा कि बरसात रूकते ही कार्य शुरू हो जाएगा।
...sameermandi.blogspot.com

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