Thursday 4 August 2016

जुलूस बन जाने को





जुलूस बन जाने को...

शहर बहुत साफ सुथरा
लग रहा है
सडकों के किनारे
जहां लगी रहती थी
लोगों की भिनभिनाहट
अब वहां कोई नहीं है
पहरा देती
पुलिस के सिवाय।

शहर की गंदगी
ट्रैफिक की समस्या
हल हो गई है
गंद फैलाने वाले
अब सारे चानणी में
कनातें लगाए दरियां बिछाए
कोने में सिमट कर
विरोध प्रकट कर रहे हैं।

शहर में ऐसा
पिछले करीब दस दिन से हो रहा है
कनातों से घिरे लोगों का झुरमुट
कभी धीरे धीरे बडा हो
जुलूस की शक्ल ले
शहर को साफ करवाने वालों
की ओर बढता है
तो पुलिस चौकन्नी हो जाती है
वर्दी और सादी वेशभूषा में
बिखर जाती है
गुप्तचर अपना काम शुरू कर देते हैं
किले, महल यानि बडे कार्यालय
के गेट पर सबसे ताकतवरों
की तैनाती से
सुरक्षा तैयारी पूरी होती जाती है।

जोशपूर्ण नारों के साथ
जुलूस आगे बढता है
पुलिस का काफिला
इसे रोकता है
किसी भी चाल से उन्हे
लात मुक्के, घूंसे, डंडे बरसाकर
पीछे धकलने में
कामयाब भी हो जाता है आखिरकार।

टकराव में जुलूस पर
हाथ झाड लेने और
धकेलने के बाद
खाली हुई जगह में
गिरे रह गए सामान
चप्पलों, जुतों को देख
अपने शौर्य पर
गर्वित सा मुस्कराता है
 स्पोर्टसमैन कोटे से
भर्ती हुआ युवा सिपाही।

जुलूस के गेट से बाहर हो जाने पर
पुलिस निश्चिंत हो जाती है
किला, महल यानी कार्यालय
अब सुरक्षित है
धक्का मुक्की, गुत्थम गुत्थी में
पुलिस का काफिला
पसीने से तरबतर हुआ है
तो वहीं जूलूस के
नारों का संवेग
तीव्रतर हुआ है
आखिर क्यों घुसना चाहता था
जुलूस कार्यालय में
इससे पुलिस को सरोकार नहीं
गुप्तचरों ने जितने सिरों के
जुलूस में होने की खबर दी है
उसके लिए अमला काफी है
काफिले के कप्तान को इत्मीनान है।

दिन भर जुलूस
दफ्तर को घेरे रखता है
थू थू हाय हाय करता है
दफ्तर का हर कमरा
यह सब सुनता हुआ
अनसुना करता है
जूलूस को तोडने की
साजिशें रचता है
घंटों कानों को
पका देने वाले
नारों को सुनने को
बाध्य रहता है।

जूलूस ने कहा
पथ विक्रेता अधिनियम
मजदूर दिवस 2014 से
भारत सरकार के राजपत्र में
घोषित होकर
अब सारे देश में लागू है
प्रशासन कहता है होगा
हमें नहीं मालूम पर
शहर को साफ रखना है
सडकों किनारे सब्जी,
फल, गोलगप्पे, चने,
अखबार बेचना
शहर की शोभा और शान
खराब करना है
अफसरों के वाहनों को
भी तो बाजार से गुजरना है।

जूलूस कहता
शहर को साफ करना तो ठीक है
उनके पेट भरने का प्रबंध
पथ विक्रेता अधिनियम के तहत
इससे पहले करना है
शहर साफ बनाना है
तो क्या पहले
वेंडिंग जोन नहीं बनाना है।
 रोजी रोटी छिनने से पहले
एक्ट के तहत
काम की जगह नहीं दिलवाना है।

दिन भर की जदोजहद के बाद
जुलूस लौट आया है चानणी में
अपनी कनातों और दरियों पर
शहर को साफ रखने के नाम पर
पुलिस के दम पर
रोजी रोटी कमाने की
जगहों से खदेडे गयों को
यह सफाई ही
प्रेरणा बिंदू बन
एकत्र करेगी उन्हे
जीविका के अधिकार को
हासिल करने के लिए
जुलूस बन जाने को।
- समीर कश्यप
4-8-2016
sameermandi.blogspot.com

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