Sunday 19 October 2014

सात चरस तस्करों को 14-14 साल की जेल, एक लाख जुर्माना


मंडी। चरस तस्करी का अभियोग साबित होने पर अदालत ने सात आरोपियों को चौदह-चौदह साल के कठोर कारावास और एक-एक लाख रूपये जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है। आरोपियों के जुर्माना राशि निश्चित समय में अदा न करने पर उन्हे एक-एक वर्ष के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश पदम सिंह ठाकुर की विशेष अदालत (दो) ने जिला कुल्लू की बंजार तहसील के फरयारी (गुशैणी) निवासी पदम सिंह ठाकुर पुत्र ठाकुर सिंह और टिंडर (गुशैणी) निवासी जय सिंह पुत्र उदय सिंह के खिलाफ मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम की धारा 20 के तहत अभियोग साबित होने पर उक्त सजा सुनाई है। जबकि हरियाणा के गुडगांव जिला के खवासपुर (जमालपुर) निवासी संजय कुमार पुत्र धरम पाल, जिला कुल्लू के घलियार (बटाहर) निवासी रोशन लाल पुत्र लौंगु राम, गुडगांव जिला के जूडोणा (पटाली) निवासी रवि कुमार पुत्र रमेश चंद, जमालपुर (पटौडी) निवासी संदीप कुमार पुत्र भगवान सिंह और वैशाली बिहार जिला के डिगी चाटी (हाजीपुर) निवासी दीपक कुमार पुत्र महेन्द्र सिंह के खिलाफ धारा 29 के तहत तस्करी में आपराधिक षडयंत्र के तहत संलिप्त होने का अभियोग साबित होने पर उक्त कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है। अभियोजन पक्ष के अनुसार स्टेट सीआईडी के भ्राडी (शिमला) थाना का दल प्रभारी निरिक्षक दीप राम की अगुवाई में मंडी, औट और बंजार में चरस तस्करी की सूचना एकत्र करने के लिए तैनात था। पुलिस दल 5 दिसंबर 2012 को तडके तीन बजे बंजार जाने वाली सडक पर लारजी से तीन किलोमीटर आगे तैनात था तो उन्हे गुप्त सूचना मिली कि आरोपी एक इंडिगो कार में चरस की तस्करी कर रहे हैं। जिस पर पुलिस ने नाका लगाकर कार को रोका तो इसकी तलाशी लेने पर एक बोरी में 15 किलोग्राम 450 ग्राम चरस बरामद हुई थी। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम के तहत मामला दर्ज करके अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से उप जिला न्यायवादी चंपा सुरील ने इस मामले में पैरवी की। मामले को साबित करने के लिए अभियोजन पक्ष की ओर से 12 गवाहों के बयान कलमबंद किए गए। जबकि बचाव पक्ष की ओर से भी चार गवाहों के बयान दर्ज किये गए। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपियों के खिलाफ मादक पदार्थ की तस्करी करने और इसके लिए आपराधिक षडयंत्र के तहत संलिप्त रहने का अभियोग संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित हुआ है। अदालत ने फैसले में कहा कि चरस तस्करी के अपराध से समाज पर पडने वाले दुष्प्रभाव को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। जिसके चलते अदालत ने आरोपियों को उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है।

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