Friday 31 October 2014

न्यू शिमला की तर्ज पर हो मकान नियमितीकरण


मंडी। मकान नियमितिकरण संघर्ष समिति (मंडी) ने नया टीसीपी एक्ट लोगों की जरूरतों के मुताबिक बनाने के लिए प्रदेश सरकार को ज्ञापन प्रेषित किया है। प्रदेश के मुखयमंत्री वीरभद्र सिंह को भेजे ज्ञापन में समिति ने कम से कम शुल्क लेकर सौ फीसदी बदलाव वाले व बिना नक्शे के बनाए मकानों को नियमिति करने का आग्रह किया है। संघर्ष समिति की आपात बैठक के बाद संयोजक उत्तम चंद सैनी, प्रधान अमर चंद वर्मा, सलाहकार हितेन्द्र शर्मा, महासचिव चंद्रमणी वर्मा, मीडिया प्रभारी समीर कश्यप और संगठन सचिव प्रदीप परमार ने संयुक्त ब्यान में कहा कि सरकार को आम जनता का पक्षधर, सस्ता व सरल, पारदर्शी और न्यायसंगत टीसीपी कानून बनाना चाहिए। उन्होने कहा कि संघर्ष समिति ने पहले भी कई बार सरकार को टीसीपी एक्ट की विसंगतियों के बारे में कई बार अवगत करवाया है। अब जबकि प्रदेश सरकार नये टीसीपी एक्ट को बनाने की तैयारी कर रही है ऐसे में संघर्ष समिति ने आम लोगों और छोटे व्यवसायिक परिसरों के सामने आ रही समस्याओं को लेकर अपने सुझाव ज्ञापन के माध्यम से प्रेषित किये हैं। समिति ने सुझाव दिया है कि 200 मीटर तक के अनाधिकृत और बदलाव वाले छोटे मकानों और व्यवसायिक परिसरों को कम से कम शुल्क की दरों पर नियमित करके उन्हे बिजली, पानी व अन्य सरकारी सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं। समिति का कहना है कि लोगों ने अपनी जमीनों पर घरों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया है लेकिन वे इन घरों का प्रयोग करने से टीसीपी एक्ट के प्रावधानों के कारण वंचित हैं। समिति का कहना है कि 200 मीटर तक के छोटे प्लाटों में लोगों ने अपनी जीवन भर की पूंजी लगाकर आशियाना या जीविकापार्जन का साधन बनाया होता है। लेकिन इन घरों को नियमित करने के लिए लाखों रूपयों की अदायगी करना आम लोगों की क्षमता से बाहर है। लोगों को एकमुश्त राहत देकर उनके मकानों को कम से कम शुल्क पर नियमित किया जाए। इन छोटे घरों व परिसरों को नियमित करने के लिए टीसीपी नियमों में सौ फीसदी डैविएशन की अनुमती दी जाए। समिति का यह कहना है कि प्रदेश सरकार को अनाधिकृत भवनों व निर्माणों को नियमित करने के लिए वर्ष 2006 में शिमला के कुसुममटी और न्यु शिमला में 20 नवंबर 2006 की अधिसूचना की तरह नियमितिकरण स्कीम लानी चाहिए। इस स्कीम के तहत कम से कम दरों पर आम आदमी की पहुंच में अनाधिकृत भवनों का नियमितिकरण किया गया था। इस स्कीम के तहत वर्ष 2006 में मामूली शुल्क 400 रूपये प्रति वर्ग मीटर की दर पर पांचवी मंजिल तक की डैविएशन (बदलाव) को नियमित करने का प्रावधान था। इस स्कीम के तहत जिन्होने टीसीपी से अनुमति के बगैर निर्माण किया है लेकिन निर्माण टीसीपी नियमों के अनुसार ही हुआ है उनमें 4000 रूपये प्रति फलोर से लेकर 8000 रूपये पांचवें फलोर तक का शुल्क लेकर नियमितिकरण करने का प्रावधान था। संघर्ष समिति ने आग्रह किया है कि आम लोगों और छोटे व्यवसायिक परिसरों को राहत देने के लिए और उनकी कठिनाई से कमाई राशि से बनाए गए निर्माणों का उपयोग संभव बनाने के लिए समिति ने प्रदेश सरकार से आवश्यक कदम उठाकर लोगों की जरूरतों के मुताबिक टीसीपी एक्ट बनाने की मांग की है।

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