Sunday 23 November 2014

डोर-टू-डोर गारबेज कलेक्शन बनी परेशानी


मंडी। नगर परिषद की डोर टू डोर गारबेज कुलेक्शन लोगों के लिए जी का जंजाल बनती जा रही है। इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने के लिए जहां प्रशासन बुरी तरह से आमदा है। वहीं पर स्थानीय वासियों के लिए यह योजना परेशानी का सबब बनती जा रही है। मंडी शहरवासी समीर कश्यप, गिरीश ठाकुर, नवीन कुमार, भर्तृहरी, पंकज मोदगिल, वीरेन्द्र भारद्वाज, नंदिश शर्मा, ब्रह्म दत्त, जय राज कश्यप, निर्मला, सुरेश कुमार, भूप सिंह, कुलदीप, धीरज, पुष्प राज कश्यप, जाहिद, दीपाली, केशर सिंह, नेमी कांत, गायत्री दत, चेतन कुमार, विनम्र सेठी, गोपाल शर्मा तथा अन्यों ने उपायुक्त मंडी संदीप कदम को ज्ञापन प्रेषित करके डोर टू डोर गारबेज कुलेक्शन को निशुल्क करने और बंद कर दिये गए डस्टबीनों को फिर से बहाल करने की मांग की है। स्थानीय वासियों के अनुसार वह सैंकडों सालों के इतिहास के साथ अपनी गरिमापुर्ण जीवन शैली के साथ मंडी में रह रहे हैं। लेकिन हाल ही में नगर परिषद की ओर से शुरू की गई डोर टू डोर गारबेज कुलेक्शन की स्कीम के कारण लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है। गारबेज कुलेक्शन के नाम पर लोगों से पैसों की उगाही की जा रही है। स्थानीय वासियों का कहना है कि मंडी शहर की सफाई का जिममा नगर परिषद के पास है। इससे पहले नगर परिषद के कर्मी शहर की सफाई व्यवस्था का कार्य भली भांती करते थे। लेकिन अब डोर टू डोर कुलेक्शन के नाम पर कुडा एकत्र करने की निती लागू की जा रही है। जिसके तहत सबसे पहले तो नगर परिषद की ओर से हजारों लाखों रूपये खर्च करके बनाए गए पक्के डस्टबीनों को बंद कर दिया गया। डस्टबीनों को बंद करने का यह काम इतनी बेदर्दी से किया गया है कि इन्हें करने से पहले नगर परिषद ने इनमें लगाई गई हजारों रूपयों की लोहे की खिडकियों-दरवाजों को निकालने की कोशीश भी नहीं की गई और इन कीमती खिडकियों -दरवाजों के ऊपर ईंटों की दीवार खडी करके उन्हे अनारकली की तरह चिनवा दिया गया है। शहरवासियों का कहना है कि मंडी का प्रत्येक नागरिक हाउस टैक्स के रूप में हजारों रूपये का शुल्क नगर परिषद को अदा करता है। जबकि दुकानदार प्रोफेशनल टैक्स की अदायगी भी कर रहे हैं। वहीं पर बिजली के बिल के रूप में भी शुल्क नगर परिषद के पास नागरिकों की ओर से अदा किया जाता है। शहरवासियों का मानना है कि यह परिषद का उत्तरदायित्व है कि वह शहर की साफ सफाई और कुडा विसर्जन का काम टैक्स की राशि से करे। लेकिन अब डोर टू डोर गारबेज कुलेक्शन के नाम पर जबरन उगाही के मामले हर दिन उजागर हो रहे हैं। शहरवासियों के अनुसार सुबह सीटियों की गूंज के साथ गारबेज कुलेक्शन करने वाले लोग मुहल्ले में पहुंचते हैं और लोगों को रेहडी में अपना कूडा फेंकने को कहते हैं। उनकी सीटी सुनकर अगर किसी ने कुडा फेंक दिया तो ठीक नहीं तो कुछ ही देर बाद सीटी वाले ये सफाई कर्मी मुहल्ला छोडकर चले जाते हैं और इसके बाद सारा दिन भर अगर किसी नागरिक को कूडा फैंकना हो तो उसके लिए कोई जगह मुहैया नहीं करवाई गई है। आलम यह है कि जहां पहले नगर परिषद के कर्मी घरों से कूडा ले जाते थे। अब नागरिकों को कूडा फैंकने के लिए ठेकेदारों के आदमियों के पीछे भागना पड रहा है। लोगों को कुडा फैंकने में भारी जदोजहद का सामना अपनी दिनचर्या में करना पड रहा है। इसके अलावा जिन दुकानों में कुडा होता ही नहीं वहां भी ठेकेदार के लोग जबरन वसूली कर रहे हैं। वे कहते हैं कि कुडा फेंके या नहीं फेंके पैसे देने ही होंगे और अगर पैसे नहीं देंगे तो उन्हे नोटिस जारी किया जाएगा। नगर परिषद की ओर से पैसा न देने वालों को नोटिस भी जारी हो गए हैं। जब नगर परिषद में इन नोटिसों का जवाब लोगों की ओर से दिया गया तो उन्हे राशि अदा करने के लिए कहा जा रहा है अन्यथा नगर परिषद की ओर से लोगों के खिलाफ कोर्ट में केस करने की धमकी दी जा रही है। स्थानीय वासियों के अनुसार गारबेज कुलेक्शन का काम करवा रहे ठेकेदार के लोग हर परिवार से 50 और दुकानदार से 100 रूपये वसूल रहे हैं। इस पालिसी का शहर में जबरदस्त विरोध हो रहा है। स्थानीय वासियों का कहना है कि ये वसूली बिल्कुल गल्त है। नगर परिषद को अगर यह योजना शुरू करनी है तो इसे निशुल्क शुरू किया जाना चाहिए। इसके अलावा लोगों को दिन भर में कुडा फैंकने की व्यवस्था के तहत बंद कर दिए डस्टबीनों को फिर से आजाद किया जाए। जिससे शहरवासियों को दिन भर अपनी सहुलियत के हिसाब से कूडा विसर्जित करने की सुविधा मुहैया हो सके। अन्यथा शहर में गंदगी का आलम बेतहाशा बढता जाएगा। जिसकी जिममेवार मंडी की नगर परिषद होगी। इधर, इस बारे में उपायुक्त संदीप कदम से संपर्क करने पर उन्होने बताया कि ज्ञापन के माध्यम से इस योजना के बारे में महत्वपुर्ण फीड बैक मिली है। जिस पर आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। उन्होने कहा कि जल्दी ही लोगों को दिन भर कुडा विसर्जित करने की व्यवस्था की जाएगी। इधर, अधिवक्ता समीर कश्यप ने नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी से सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांगी है कि किस अधिसूचना या आदेश के तहत यह वसूली की जा रही है। क्या नगर परिषद ने इस बारे में जनता की राय जान कर सहमती ली थी। इसके अलावा उन्होने यह भी सूचना मांगी है कि शहर के कितने जगह पर कूडा विसर्जित करने के डस्टबीन रखे गए हैं।

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