Thursday 20 February 2014

चैक बाउंस के आरोपी को एक साल कैद 1,85,500 हर्जाना


मंडी। चैक बाउंस का अभियोग साबित होने पर अदालत ने एक आरोपी को एक वर्ष के साधारण कारावास और 1,85,500 रूपये हर्जाना अदा करने का फैसला सुनाया है। विशेष न्यायिक दंडाधिकारी रघुबीर सिंह के न्यायलय ने मंडी के स्कूल बाजार निवासी बेली राम पुत्र शेर सिंह की शिकायत को उचित मानते हुए पैलेस कलौनी स्थित फैशन एमब्रोयडरी शॉप के कुलदीप सिंह पुत्र लाल सिंह को उक्त सजा और जुर्माने की सजा सुनाई। अधिवक्ता एम एल शर्मा के माध्यम से न्यायलय में दायर शिकायत के अनुसार आरोपी और शिकायतकर्ता के आपस में दोस्ताना संबंध थे। जिसके कारण आरोपी ने सितंबर 2006 में शिकायतकर्ता को संपर्क करके उनसे 1,85,500 रूपये की राशि उधार ली थी। आरोपी ने यह राशि तीन माह में वापिस लौटानी थी। लेकिन इस अवधि में राशि वापिस न लौटाने पाने पर आरोपी ने शिकायतकर्ता को एक चैक जारी किया था। शिकायतकर्ता ने जब चैक को भुगतान के लिए बैंक में प्रस्तुत किया तो आरोपी काखाता बंद हो जाने के कारण यह चैक बाउंस हो गया था। ऐसे में शिकायतकर्ता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से आरोपी को कानूनी नोटिस जारी करके राशि का भुगतान करने को कहा था। लेकिन आरोपी ने न तो कानूनी नोटिस का जवाब दिया और न ही उधार ली गई राशि वापिस लौटाई। निस्तारण के दौरान ही शिकायतकर्ता का देहांत हो जाने के कारण उनके बेटे रमेश कुमार के माध्यम से मामले की सुनवाई की गई। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी के खिलाफ निगोशिएबल इंस्ट्रुमेंट अधिनियम की धारा 138 के तहत चैक बाउंस का अभियोग संदेह की छाया से दूर साबित हुआ है। जिसके चलते अदालत ने आरोपी को उक्त कारावास और हर्जाने की सजा का फैसला सुनाया है।

1 comment:

  1. It is trite to say that each case has it's own facts and whether Section 138 of N.I. Act shall be applicable or not should be thoroughly examined.One of the essential ingredients for the offence is that there should be a legally enforceable debt. Merely because a cheque has bounced shall not be a ground to convict a person issuing the same.For instance, someone can issue a cheque by way of a gift or as a security or for purposes of investment. If such a cheque bounced can it attract the provision of the Act ? It can also so happen that a given cheque is misused by a wrong person and/or for a wrong reason . These are some of the eventualities which courts must take into consideration for a just decision.

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