Tuesday 21 April 2015

सनोर घाटी की कोट ढलयास (ज्वालापुर) की यात्रा




मंडी। आज की यात्रा के पहले पडाव में औट पंचायत से काम खत्म होने के बाद बंजार को जाने वाले पुराने पुल की ओर घुमने निकला तो पहली पिक्चर जिसने ध्यान खींचा वह थी इन्सान के पक्षियों से प्यार के बारे में। एक स्थानीय वासी ने पाले हुए कबूतरों के लिए विशेष रूप से एक मचान पर उनका आशियाना बनाया हुआ है। घूमने फिरने और मस्ती करने के बाद कबूतर अपने आशियानों को लौट आते हैं। ब्यास नदी का मटमैला जल अपने पूरे स्तर पर था। बंजार पुल को ब्यास का प्रवाह झूता नज़र आ रहा था। पंडोह डैम से जब गुजरा था तो वहां पानी छोडने के लिए इसीलिए शायद हूटर बज रहा था। औट पंचायत के प्रधान फत्ता राम चौहान एक दिन बता रहे थे कि औट बाजार की लगभग सारी जमीन पहले देव मारकंडा के नाम थी। देवता मारकंडा औट के अराध्य देवता हैं। मंदिर में जाकर बहुत सुकून मिलता है। औट टनल से बाईपास में कुछ दूरी पर हाल ही में एक वाहन दुर्घटनाग्रस्त होकर लारजी बांध में गिर जाने से एक युवक और युवती की मौत हो गई। ब्यास घाटी के भुंतर में हवाई अड्डा होने के कारण अक्सर वायुयानों और उडनखटोलों की आवाजों से आप कभी भी चौंक सकते हैं और उन्हे कैमरे में कैद करने के लिए उतावले होने पर आमदा हो सकते हैं। समय की जरूरत के मुताबिक अब औट उपतहसील औट को भी तहसील का दर्जा देना लाजमी हो गया है। बल्कि जिला मुख्यालय की दूरी करीब 50 किलोमीटर होने के कारण यहां पर सब जज का कोर्ट खोलना भी समय की मांग है। बालीचौकी पुलिस चौकी और औट थाना में इतने मामले तो हैं ही कि यहां पर कोर्ट खोला जा सके। बालीचौकी के लोगों को गोहर जाना पडता है जबकि औट तहसील के लोगों को मंडी पहुंच कर न्याय हासिल करने में भारी राशि का वहन करना पडता है। यात्रा के दूसरे पडाव टकोली रहा। यहां की पंचायत तक सडक दो रास्तों से पहुंची है। एक रास्ता जो टकोली सब्जी मंडी के सामने से जाता है दो जगह भूस्वखलन से टूट गया है और कई महिनों बाद ठीक नहीं हो पाया है। जबकि दूसरा रास्ता टकोली स्कूल से होकर जाता है। इस रास्ते से आप टकोली पंचायत तक पहुंच सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपका एक अच्छा वाहन चालक होना जरूरी है क्योंकि एक जगह पर सडक इतनी संकरी और घुमावदार है कि मोड काटने में आपको सर्दी में भी पसीना आ सकता है। टकोली के मेहनती किसान हमेशा अपने खेत खलिहानों में काम करते हुए मिल जाएंगे। टकोली पंचायत के साथ ही एक महिला अपने खेतों में पानी देने के कार्य में तत्परता से डटी हुई थी। टकोली स्थित अपने बगीचे और घर में गया। कुछ देर वहां रूकने के बाद एक विचार उभरा कि क्यों नहीं आज ज्वाला पुर की यात्रा की जाए। विचार इतना प्रबल था कि टकोली से अपनी रवानगी भरते हुए पनारसा-ज्वालापुर लिंक रोड की ओर बढ चला। किगस के बाद नाउ पहुंचा तो राहडी मार्ग लिंक के पास एक महिला से ज्वालापुर का रास्ता पूछा तो उन्होने नाउ रोड की ओर इशारा किया। इससे पहले नाउ तक आया था लेकिन आगे की यात्रा का हर क्षण मेरे लिए अभूतपूर्व था। जला के गणपति मंदिर के बारे में कई बार समाचार लिखे हैं लेकिन रास्ते में जला गांव आने से बहुत खुशी हुई। हालांकि देवता गणपति के दर्शन लौटते समय करने का विचार बना कर अपनी यात्रा को जारी रखा। हालांकि नाउ में देवदार का जंगल है लेकिन इसके बाद चीड के जंगल शुरू हो जाते हैं। देवखान में वन विभाग की चैक पोस्ट है। यहां से आगे देवदार के जंगलों में से गुजरना एक खूबसूरत अहसास था। कोट ढलयास (ज्वालापुर) में पहुंचा तो वहां बैठे एक युवक से पंचायत के बारे में पूछा तो वह पंचायत दिखाने के लिए साथ हो लिया। पंचायत में कोई  न होने के कारण वहां से लौटने का विचार बन ही रहा था कि युवक से पूछा कि यहां कोई मंदिर भी है। इस पर युवक ने कहा कि यहां से तीन किलोमीटर आगे शेषनाग जी का सुंदर मंदिर है। उसने कहा कि अगर देखना चाहते हो तो मैं आपको ले चलता हुं। युवक जिसकी पहचान स्थानीय निवासी तोता राम के रूप हुई थी मार्गदर्शक बन कर ज्वालापुर के बारे में बताने लगा। उसने मंडी के एडवोकेट भारत भूषण शर्मा जी, स्व. नंदलाल जी तथा अन्यों के बारे में बताया कि उनके यहां पर बगीचे हैं। मंदिर जाने से पहले हम जवाहर सिंह ठाकुर जी के स्व. पिता जी श्री प्रेम सिंह ठाकुर की प्रतिमा के पास गए और उन्हे नमन तथा विनम्र श्रद्धांजली अर्पित की। उसने बताया कि प्रेम सिंह ठाकुर जी का इस क्षेत्र के लिए भारी योगदान है। जवाहर ठाकुर जी भी बहुत मिलनसार और लोगों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। देव वरनाग के मंदिर में पहुंचे तो इसकी खूबसूरती देखकर अवाक रह गया। पारंपरिक शैली में बने देवता के इस अदभुत मंदिर को इतने चाव से बनाया गया कि देखने वाला देखता ही रह जाए। खुशकिस्मती से मंदिर के पुजारी अपने घर से विशेष रूप से आए और मंदिर खोल कर दर्शन करवाए। मंदिर के दर्शन के साथ ही कोट ढलयास की यात्रा को पूर्ण करके वापसी यात्रा शुरू की। तोता राम ने अपनी खूबसूरत नजरों से ज्वालापुर की यह यात्रा करवाई। उसका बहुत-2 धन्यावाद। इसके बाद जब वापिस लौट रहा था तो पता चला कि देवखान में ही भटवाडी पंचायत का कार्यालय है। देवखान में सैंज का एक ड्राइवर मिला। उसने वापिसी पर लिफ्ट मांगी। इस ड्राइवर का दो हफ्ते पहले हमने औट पंचायत में उसके पिता के साथ समझौता करवाया था कि उसका पिता उसे घर में तीन कमरे देगा। ड्राइवर बता रहा था कि दक्षिण की ओर थाची और पंजाईं की पहाडियां दिखाई दे रही है। समय न होने के कारण भटवाडी में चंडेही, जला में गणेश और नाउ में अंबिका माता को मन ही मन प्रणाम किया और घर वापिसी की यात्रा को जारी रखते हुए इसे रात करीब साढे आठ बजे पूरा किया। 

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