Friday 12 April 2013

टाटा मोटरस और फाइनैंस को 10,000 रूपये हर्जाना अदा करने के आदेश


मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने वाहन निर्माता और वितिय कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में 10,000 रूपये हर्जाना अदा करने के आदेश दिये। इसके अलावा वितिय कंपनी द्वारा उपभोक्ता से मांगी जा रही राशि को भी अदा नहीं किये जाने के आदेश जारी किये हैं। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष राजीव भारद्वाज और सदस्यों रमा वर्मा व लाल सिंह ने थुनाग तहसील के सनोही (शंकरदेहरा) निवासी डोली राज शर्मा पुत्र बहादुर सिंह की शिकायत को उचित मानते हुए टाटा मोटरस और टाटा फाईनैंस कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में उक्त हर्जाना राशि अदा करने के आदेश दिये। इसके अलावा उपभोक्ता के पक्ष में 2500 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करना होगा। अधिवक्ता अभिषेक लखनपाल के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने निर्माता के उक्त वाहन को खरीद कर लुणापाणी (भंगरोटु) स्थित टाटा फाईनैंस से फाइनैंस करवाया था। वाहन खरीदने के बाद उपभोक्ता फाइनैंस कंपनी को दो किस्तें नहीं दे पाया। जिसके कारण फाइनैंस कंपनी ने 17 दिसंबर 2004 को किस्तें जमा न होने के कारण वाहन का कब्जा ले लिया था। जब उपभोक्ता ने इस बारे में विरोध किया तो उन्हे आश्वासन दिया गया कि उनसे बकाया किस्तें नहीं ली जाएगी और वाहन की बकाया राशि इसे बेच कर वसूल कर ली जाएगी। कंपनी को वाहन का कब्जा देते समय बीमा कंपनी ने इसकी कीमत का आकलन 3,53,000 रूपये किया था। लेकिन उपभोक्ता को हैरानी तो तब हुई जब कंपनी ने 30 जुलाई 2009 को उन्हे कानूनी नोटिस जारी करके 1,37,000 रूपये के मांग की। इतना ही नहीं इसके बाद कंपनी ने 7 अगस्त 2009 को भी नोटिस जारी करके 1,28,824 रूपये की राशि कंपनी के पास जमा करने को कहा। ऐसे में उपभोक्ता ने वाहन का कब्जा कंपनी को दे देने के पांच साल बाद मांगी जा रही राशि को चुनौती देते हुए फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। फोरम ने उपभोक्ता राष्ट्रिय आयोग और प्रदेश उपभोक्ता आयोग के निर्णयों के आधार पर फाइनैंस कंपनी के वाहन को कब्जे में लेने और इसे किसी और को बेच देने को गैर कानूनी करार दिया। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि फाइनैंस कंपनी उपभोक्ता से किसी राशि की हकदार नहीं है। बल्कि निर्माता कंपनी और फाइनैंस कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को मानसिक यंत्रणा और परेशानी का शिकार होना पडा। ऐसे में फोरम ने निर्माता और फाइनैंसर कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में संयुक्त रूप से उक्त हर्जाना और शिकायत व्यय अदा करने का फैसला सुनाया।

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