मंडी। जिला उपभोक्ता फोरम ने वाहन विक्रेता, निर्माता और वितिय कंपनी को उपभोक्ता के पक्ष में 1,38,372 रूपये की मुआवजा राशि ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिये। इसके अलावा विक्रेता, निर्माता और वितिय कंपनी की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले 30,000 रूपये हर्जाना राशि और 5000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करने के आदेश दिये। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष राजीव भारद्वाज और सदस्यों रमा वर्मा एवं लाल सिंह ने जिला कांगडा की पालमपुर तहसील के सलियाणा गांव निवासी सुशील कुमार पुत्र हेम राज जो इन दिनों पुरानी मंडी में रह रहे हैं, की शिकायत को उचित मानते हुए चंडीगढ स्थित विक्रेता हिंद मोटरस, लुणापानी और चंडीगढ स्थित वितिय कंपनी टाटा मोटरस फाइनैंस कंपनी व चंडीगढ स्थित निर्माता टाटा मोटरस को उपभोक्ता के पक्ष में उक्त राशि 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित लौटाने के आदेश दिये। अधिवक्ता सर्वजीत गुलेरिया के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता ने 25 अप्रैल 2009 को विक्रेता के पास 3814 रूपये की मार्जिन राशि जमा करवा कर नैनो कार की बुकिंग करवाई थी। जिसे वितिय कंपनी ने फाइनैंस किया था। उपभोक्ता को 6800 रूपये की किस्त के हिसाब से वितिय कंपनी को किस्तें अदा करनी थी। उपभोक्ता को आश्वासन दिया गया था कि उन्हे जुलाई महिने के पहले सप्ताह में वाहन की डिलीवरी दी जाएगी। लेकिन बाद में वाहन डिलीवरी की तय समय सीमा सितंबर तक बढा दी गई। हालांकि वितिय कंपनी ने विक्रेता को पत्र लिख कर वाहन की डिलीवरी उपभोक्ता को देने के लिये कहा था। डिलीवरी न मिलने पर उपभोक्ता को वाहन की बुकिंग कैंसिल करवानी पडी। उपभोक्ता ने वितिय कंपनी को वाहन की पूरी राशि अदा कर दी थी। लेकिन उपभोक्ता को न तो वाहन ही दिया गया और न ही उनकी जमा करवाई गई राशि को लौटाई गई। ऐसे में उपभोक्ता ने फोरम में शिकायत दायर की थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि विक्रेता और निर्माता ने उपभोक्ता को वाहन की डिलीवरी नहीं दी और न ही उन्हे इस बारे में कोई पत्र जारी किया गया और न ही उपभोक्ता की जमा करवाई गई राशि वितिय कंपनी को लौटाई गई। यही नहीं उपभोक्ता की राशि को करीब पौने दो साल तक अवैध रूप से अपने पास रखा। फोरम ने उपभोक्ता की राशि न लौटाने को विक्रेता, निर्माता और वितिय कंपनी की सेवाओं में कमी करार देते हुए उपभोक्ता के पक्ष में उक्त राशि का भुगतान ब्याज सहित करने के आदेश दिये। इसके अलावा सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया।
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