Tuesday 26 August 2014

चेक गुम करने पर बैंक को देने होंगे 9050 रूपये


मंडी। राष्ट्रियकृत बैंक की सेवाओं में कमी आंकते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने उपभोक्ता के खाते में 9050 रूपये की राशि ब्याज सहित क्रेडिट करने का फैसला सुनाया है। इसके अलावा बैंक की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई परेशानी के बदले 2000 रूपये हर्जाना और 1000 रूपये शिकायत व्यय भी अदा करने के आदेश दिये हैं। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष जे एन यादव और सदस्यों रमा वर्मा व आकाश शर्मा ने पैलेस कलौनी निवासी विनय कुमार शर्मा पुत्र परस राम की शिकायत को उचित मानते हुए मंडी के गांधी चौक स्थित स्टेट बैंक आफ इंडिया के चीफ मैनेजर को उपभोक्ता के पक्ष में उक्त राशि का भुगतान 9 प्रतिशत ब्याज दर सहित करने का फैसला सुनाया है। अधिवक्ता अमर चंद वर्मा के माध्यम से फोरम में दायर शिकायत के अनुसार उपभोक्ता का बैंक में सेविंग एकाउंट है। उन्होने 31 जनवरी 2013 को अपने खाते में ओबीसी नोइडा का एक चैक जमा करवाया था। लेकिन बैंक ने चैक को उनके खाते में क्रेडिट नहीं किया और लापरवाही से इसे गुम कर दिया। उपभोक्ता के अनुसार जिन्होने यह चैक जारी किया था वह अब उपलब्ध नहीं हैं। जिससे नया चैक हासिल करने की अब कोई उममीद नहीं है। हालांकि उपभोक्ता ने बैंक को कानूनी नोटिस भी दिया था। लेकिन कोई कार्यवाही न होने पर उन्होने फोरम में शिकायत दर्ज करवाई थी। फोरम ने अपने फैसले में कहा कि उपभोक्ता की ओर से प्रस्तुत बैंक की मोहर लगी हुई पे इन स्लीप की काउंटर फोइल से जाहिर होता है कि चैक को बैंक में जमा करवाया गया था। इसके अलावा कानूनी नोटिस, मैनेजर को लिखे पत्र और अखबारों की कटिंगस भी उपभोक्ता की ओर से प्रस्तुत की गई। हालांकि बैंक की ओर से आरोपों को अस्वीकार कर दिया गया। बैंक का कहना था कि इस मामले में छानबीन करने पर पता चला था कि खाते में कोई राशि नहीं थी और इस खाते में कोई लेन देन नहीं हुआ था। जिसके कारण चैक को ड्रॉप बॉक्स में डाल दिया गया था। बैंक का कहना था कि डिपोजिट वौचर को बैंक की मोहर लगाना और जालसाजी करना आसान है। लेकिन बैंक ने इस पे इन स्लीप पर बैंक की ही मोहर लगी होने के तथ्य को अस्वीकार नहीं किया। फोरम ने कहा कि इस दलील पर विश्वास नहीं किया जा सकता कि बैंक की मोहर को डिपोजिट वौचर पर लगाना आसान है। क्योंकि कोई व्यक्ति राष्ट्रियकृत बैंक से इतनी थोडी सी राशि के लिए धोखाधडी करने के अवैध कदम नहीं उठा सकता। उपभोक्ता के दस्तावेजों से साफ जाहिर होता है कि चैक बैंक में जमा हुआ था लेकिन इसे बाद में गुम कर दिया गया है। जो बैंक की सेवाओं में कमी को दर्शाता है। जिसके चलते फोरम ने बैंक को उपभोक्ता के खाते में चैक की राशि ब्याज सहित क्रेडिट करने के आदेश दिये हैं। वहीं पर बैंक की सेवाओं में कमी के कारण उपभोक्ता को हुई मानसिक परेशानी के बदले हर्जाना और शिकायत व्यय भी अदा करने का फैसला सुनाया है।

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