Monday 18 August 2014

टीसीपी पर सरकार को भेजी आपतियां और सुझाव


मंडी। मकान नियमितीकरण संघर्ष समिति (मंडी) ने प्रस्तावित टाउन एंड कंटरी प्लानिंग एक्ट 2014 पर आपतियां और सुझाव प्रदेश सरकार व संबंधित विभाग को प्रेषित किये हैं। समिति के संयोजक उतम चंद सैनी, अध्यक्ष अमर चंद वर्मा, महासचिव चंद्रमणी वर्मा, मीडिया प्रभारी समीर कश्यप, सलाहकार हरमीत सिंह बिट्टू, हितेन्द्र शर्मा और सहसचिव प्रदीप परमार ने संयुक्त ब्यान में हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए इस एक्ट को जनविरोधी करार दिया है और इसमें आवश्यक संशोधन करने की मांग की है। समिति ने प्रदेश की परिस्थितियों के मुताबिक टीसीपी एक्ट में जनभावनाओं और उनकी जरूरतों व आकांक्षाओं के मुताबिक बदलाव करने की मांग की है। जिससे प्रदेश के मध्यवर्गी और गरीब परिवारों को आशियाना बनाने और उन्हे नियमित करने में सुगमता हो। प्रदेश के पुराने शहरों और आबादियों पर बने भवनों पर टीसीपी के प्रस्तावित कानूनों को लागू करना संभव नहीं है। क्योंकि एक्ट के प्रावधानों के अनुसार सडक के साथ लगते मकानों के लिए सैट बैक बनाने की जमीन इन पुराने शहरों में उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा दो मकानों के बीच दो मीटर जगह छोडना संभन नहीं है। वहीं पर एक्ट के मुताबिक राष्ट्रिय राजमार्ग व अन्य सडकों के नीचे की ओर बनने वाले भवनों की उंचाई सडक से डेढ मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। जबकि ऐसे अनेकों भवन पहले से बन चुके हैं जिनकी कई मंजिलें सडकों से उपर बनी हुई हैं। जिन लोगों के हिस्से में सडक के नीचे की ओर की जमीन आई है। उन्हे इन नियमों का कडाई से पालन करने पर भूमि का मालिक अपनी जमीन का समुचित उपयोग नहीं कर पाएगा। इन प्रावधानों को तुरंत प्रभाव से टीसीपी में शामिल न किया जाए। अनाधिकृत घोषित किए गए भवनों को नियमित करने के लिए जो फीस इस एक्ट में बताई गई वह बहुत ज्यादा है और यह फीस मकान के निर्माण में होने वाले खर्च से भी ज्यादा बैठती है। ऐसे में गरीब व मध्यम परिवार अपने मकानों का भारी दरों के कारण निममितीकरण करने में असमर्थ हैं। बिना नक्शे और नक्शे के बदलाव वाले भवनों पर नियम 12 (ए) के तहत कंपोजिट फीस जो 25 अप्रैल 2012 में लागू की गई थी उसे पूरी तरह से निरस्त किया जाए। समिती की मांग है कि शिमला की नयी नगर पंचायतों ढली, न्यु शिमला, कुसुममटी और टुटु में साल 2002 में हुए नियमितीकरण की तर्ज पर सारे प्रदेश में एकमुश्त नियमितीकरण किया जाए। समिति ने मांग की है कि इस अधिनियम को सरल और पारदर्शी बनाया जाए। प्रस्तावित एक्ट में निजी प्रोफेशनल द्वारा भवनों के नक्शे व प्रारूप तैयार करने के लिए उन्हे पंजीकृत किया जा रहा है। समिती की मांग है कि निजी प्रोफेशनलों को पंजीकृत करने से भ्रष्टाचार को बढावा मिलेगा। क्योंकि इनकी सेवाओं की दरें सुनिश्चित नहीं की गई है। ऐसे में वह मनमानी दरें वसूल कर सकते हैं। समिती की मांग है कि भवनों के नक्शे व प्रारूप सरकार अपने स्तर पर बनवाए। जिससे आम लोगों को राहत मिल सके। यह एक्ट नये शहरों, कलौनियों और सरकारी भवनों पर ही लागू किया जाए।

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