Monday 25 August 2014

चियूणी स्कूल की जमीन पर हस्तक्षेप न करें प्रतिवादी


मंडी। अदालत ने थुनाग तहसील की चियुणी स्थित वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला की भूमि पर हस्ताक्षेप करने से रोक लगा दी है। गोहर के सिविल जज (जूनियर डिविजन) मोहित बंसल के न्यायलय ने चियुणी स्कूल के एसएमसी प्रधान भूप सिंह के दीवानी वाद को आंशिक रूप से डिक्री करते हुए प्रतिवाद चियुणी निवासी मनोहर लाल, जीवा नंद, कौला राम, राम लाल, सराहु निवासी परम देव, फंडयार निवासी मोहन लाल, धलीर निवासी तिलक राज और दास राम को स्वयं या किसी और के माध्यम से स्कूल की भूमि में हस्ताक्षेप करने से रोक लगा दी है। अधिवक्ता बी सी सिंह के माध्यम से अदालत में दायर इस दिवानी वाद के अनुसार वादी भूप सिंह स्कूल के एसएमसी प्रधान हैं। चियुणी में स्थित वादग्रस्त भूमि की मालिक हिमाचल प्रदेश सरकार है और इसका कब्जा शिक्षा विभाग के पास है। जबकि प्रतिवादी गणों का इस जमीन पर कोई अधिकार न होने के बावजूद भी वह इस भूमि पर हस्ताक्षेप कर रहे हैं। वादी के अनुसार उक्त प्रतिवादी गणों ने साल 2010 मेें जबरन तरीके से स्कूल की भूमि पर एक निर्माण कर दिया है। जिसकी शिकायत उपमंडलाधिकारी गोहर के माध्यम से उपायुक्त मंडी को की गई थी। लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो पाई। हालांकि वादी ने प्रतिवादी गणों से सरकारी जमीन को खाली करने और हस्ताक्षेप न करने की प्रार्थना भी की गई थी। लेकिन कोई असर न होने पर वादी ने न्यायलय में यह केस दायर किया था। अदालत ने प्रतिवादीगणों को नोटिस जारी करके उन्हे तलब किया था। प्रतिवादीगणों ने अपने जवाब में सभी आरोपों को नकार दिया था। जिसके बाद अदालत ने इशु फ्रेम करके इन्हे साबित करने के लिए गवाहों को बुलाया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि वादी की ओर से जमाबंदी और निशानदेही की रिर्पोट प्रस्तुत की गई। रिकार्ड से जाहिर हुआ है कि वादग्रस्त भूमि पर स्कूल का भवन है जो हिमाचल प्रदेश सरकार के नाम पर है और इस पर शिक्षा विभाग का कब्जा है। जबकि प्रतिवादीगणों की भूमि वादग्रस्त भूमि के साथ सटी है। लेकिन वादी निशानदेही की रिर्पोट को साबित नहीं कर सका। जिससे वादग्रस्त भूमि पर हुए निर्माण को हटाने के आदेश नहीं दिये जा सके। अदालत ने कहा कि प्रस्तुत रिर्पोट से जाहिर हुआ है कि राजस्व विभाग की ओर से नियमपूर्वक निशानदेही नहीं दी गई थी। हालांकि अदालत ने अपने फैसले में प्रतिवादी गणों को स्कूल की भूमि पर स्वयं अथवा किसी अन्य के माध्यम से किसी प्रकार का हस्ताक्षेप करने पर रोक लगा दी है।

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