Monday, 21 November 2011

चरस सहित पकडे जाने के तीन आरोपी बरी


मंडी। चरस सहित पकडे जाने का अभियोग साबित न होने पर अदालत ने तीन आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ संदेह से दूर अभियोग साबित नहीं कर सका। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश राकेश कैंथला की विशेष अदालत ने जिला मंडी के ही रहने वाले आरोपी भूप सिंह, ऋषि कुमार और गूरदास के खिलाफ मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम की धारा 20 और 29 के तहत अभियोग साबित न होने पर उन्हे बरी करने का फैसला सुनाया। अभियोजन पक्ष के अनुसार 15 जनवरी 2005 को शहरी चौकी पुलिस का दल मुख्य आरक्षी बसन्त सिंह की अगुवाई में गश्त पर तैनात था। इसी दौरान पुलिस को सूचना मिली कि शहर के एक ढाबा में तीन लोग चरस का क्रय विक्रय कर रहे हैं। जिस पर पुलिस ने स्वतंत्र गवाहों को पुलिस दल में शामिल करके ढाबा में छापा मार कर तलाशी ली तो आरोपियों के पास रखे एक लिफाफे से 400 ग्राम चरस बरामद हुई थी। पुलिस ने आरोपियों को मादक एवं नशीले पदार्थ अधिनियम के तहत हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से अभियोग के दौरान 11 गवाहों के बयान दर्ज करवाए गए। जबकि इस मामले में बचाव पक्ष की पैरवी अधिवक्ता समीर कश्यप, अधिवक्ता रविन्द्र कुमार शर्मा और अधिवक्ता दामोदर दास ठाकुर ने की। बचाव पक्ष का कहना था कि अभियोजन पक्ष द्वारा अदालत में पेश किए गए सबूतों और गवाहों के आधार पर आरोपियों के खिलाफ अभियोग साबित नहीं होता। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले के एक मात्र स्वतंत्र गवाहों ने विरोधाभासी बयान दिए हैं। इसके अलावा अन्य गवाहों के बयानों में भी विरोधाभास है। जिससे आरोपियों के खिलाफ संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित न हो सका। ऐसे में अदालत ने आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने का फैसला सुनाया।

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