मंडी। विस्फोटक पदार्थ रखने के तीन आरोपियों के खिलाफ अभियोग साबित न होने पर अदालत ने उन्हे बरी करने का फैसला सुनाय। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों पर संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित नहीं कर सका। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश राकेश कैंथला के न्यायलय ने औट तहसील के रैंस गांव निवासी चिरंजी लाल पुत्र हरी सिंह, निश गांव निवासी भेद राम पुत्र अच्छरू राम और नेपाल के अंचल भगवंती के बथोंग (सिधपुल चौक) निवासी कैला लामा पुत्र नीमे दोरजे के खिलाफ विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 5 के तहत अभियोग साबित नहीं होने पर उन्हे बरी करने का फैसला सुनाया। अभियोजन पक्ष के अनुसार औट थाना पुलिस का दल 19 दिसंबर 2002 को खोती नाला के पास तैनात था। इसी दौरान हणोगी की ओर से कंधे पर बैग उठाए आ रहे एक व्यक्ति को संदेह के आधार पर रोक कर उसके बैग की तलाशी ली गई। पुलिस को तलाशी के दौरान बैग से 20 डेटोनेटर (जिलेटीन) और 9 कैपस (टोपियां) बरामद हुई थी। पुलिस ने आरोपी चिरंजी लाल को विस्फोटक अधिनियम के तहत हिरासत में लिया था। आरोपी ने पुलिस तहकीकात में बताया था कि यह विस्फोटक आरोपी कैला लामा ने आरोपी भेद राम को बेचे थे और उसने यह भेदराम से खरीदे थे। इस पर पुलिस ने भेद राम और कैला लामा को भी हिरासत में लेकर तीनों आरोपियों के खिलाफ अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले में 8 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। बचाव पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता समीर कश्यप का कहना था कि इस मामले के स्वतंत्र गवाहों ने पुलिस अधिकारियों के बयानों से विरोधाभासी बयान दिये हैं। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य पेश नहीं कर सका जिससे आरोपियों पर संदेह की छाया से दूर अभियोग साबित हो सके। ऐसे में अदालत ने आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया।
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