Friday, 24 February 2012

करोडों खर्चने के बाद भी शिक्षा में गिरावट


मंडी। करोडों रूपये खर्च करने के बावजूद भी जिला के सराज क्षेत्र में शिक्षा का स्तर सुधर नहीं पाया है। क्षेत्र में शिक्षा को लेकर विभाग और सरकार के रवैये से गुणात्मक शिक्षा की अवधारणा अभी भी कोसों दूर है। शुक्रवार को क्षेत्र के सौ से अधिक लोगों का हस्ताक्षरित ज्ञापन उपायुक्त मंडी के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री को प्रेषित किया गया है। बालीचौकी क्षेत्र की उच्च पाठशाला सुधराणी के स्कूल प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष संत राम की अगुवाई में यह ज्ञापन उपायुक्त को सौंपा गया। संत राम ने बताया कि आरटीई कानून के लागू होने के बावजूद भी शिक्षा व्यवस्था मजाक बन कर रह गई है। गुणात्मक शिक्षा की बात तो दूर रही बल्कि शिक्षा के मौजूदा ढांचे में भी गिरावट देखी जा रही है। हालांकि सर्व शिक्षा अभियान के तहत हर साल करोंडों की राशी खर्च की जा रही है। लेकिन ऐसा लगता है कि अभियान की सारी योजनाएं कागजों में ही सीमित हैं। बल्कि शिक्षा में सुधार की जगह गिरावट देखी जा रही है। पाठशालाओं में तैनात शिक्षकों को पढाई करवाने के बजाए अभियान के सेमीनारों और दूसरे कार्यों में ज्यादा उलझा दिया गया है। गत वर्ष अभियान के तहत आधार कार्यक्रम की स्तर एक, दो और तीन की किताबें अक्तूबर नवंबर में पाठशालाओं में वितरित की गई। जबकि पाठशालाओं में दिसंबर में परीक्षा हो जाती है। करोडों रूपये की इन किताबों का विद्यार्थियों को कोई लाभ नहीं मिल पाया। उन्होने बताया कि स्कूल प्रबंधन कमेटी के सदस्यों का प्रशिक्षण दिसंबर माह में करवाया गया। जबकि इन कमेटियों का कार्यकाल मार्च माह में समाप्त हो रहा है। ऐसे में करोडों रूपये फूंक कर करवाए जा रहे इन प्रशिक्षणों का कोई औचित्य नहीं है। क्षेत्रवासियों ने मांग की है कि स्कूलों में खाली पडे पदों को जल्द भरा जाए और शिक्षकों का प्रशिक्षण अवकाश में करवाया जाए। इसके अलावा प्रिटिंग और प्रशिक्षण के नाम पर जनता के धन के दुरूपयोग को रोका जाए। प्रतिनिधीमंडल में बीर सिंह और हुक्म राम सहित स्थानिय लोग शामिल थे।  

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