Tuesday, 28 February 2012

एसएसए द्वारा स्कूल प्रबंधन कमेटी के सदस्यों के प्रशिक्षण में करोंडों के घोटाले का अनुमान


मंडी। हिमाचल प्रदेश में सर्व शिक्षा अभियान के तहत करवाए गए स्कूल प्रबंधन कमेटी के सदस्यों के प्रशिक्षण में करोडों रूपये की धांधली किए जाने की आशंका है। इसका खुलासा आरटीआई की सूचना मिलने पर आरटीआई बयुरो के सदस्य संत राम ने किया है। उन्होने भारत सरकार के केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को इस मामले में शिकायत भेज कर इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में हुई वितिय अनियमितताओं और  करोंडों रूपये के घोटाले की जांच केन्द्रीय एजेंसियों से करवाने की मांग की है। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के 15083 विद्यालयों के स्कूल प्रबंधन समिती (एसएमसी) से प्रति स्कूल के 6 सदस्यों को 3-3 दिनों का आवासिय व 3-3 दिनों का गैर आवासिय प्रशिक्षण विद्यालय, खंड स्तर तथा जिला व राज्य स्तर पर प्रशिक्षित समूह द्वारा दिया गया। यह प्रशिक्षण नवंबर दिसंबर माह में दिया गया। जिसमें प्रति सदस्य 200 रूपये प्रतिदिन खर्च किया गया दर्शाया गया है। प्रशिक्षण के लिए 106600 मार्गदर्शिकाएं निकाली गई। जिनकी छपाई पर 1635777 रूपये का खर्चा आया है। जिला के परियोजना अधिकारी ने सूचना में बताया है कि जिला की 340 केन्द्रीय पाठशालाओं में यह प्रशिक्षण करवाया गया है। सूचना का रोचक पहलू यह है कि जिला की एक दर्जन पाठशालाओं में प्रशिक्षण करवाया ही नहीं गया। मंडी की 50 से अधिक पाठशालाओं में प्रशिक्षित स्त्रोत व्यक्ति कोई नहीं था। स्त्रोत व्यक्तियों को इन स्कूलों में मात्र मार्गदर्शिका देकर उन्हे मास्टर ट्रेनर बना कर प्रशिक्षण करवा दिया। जिला की 45 से अधिक केन्द्रीय पाठशालों में अध्यापकों ने ही स्त्रोत व्यक्ति की अवैतनिक भूमिका निभाई। जबकि करीब 30 केन्द्रीय पाठशालाओं में अध्यापकों ने स्त्रोत व्यक्ति की भूमिका निभाने की एवज में मानदेय प्राप्त किये। सूचना में बताया गया है कि जिला मंडी की कई पाठशालाओं में स्त्रोत व्यक्ति को 125 रूपये, किसी को 500 रूपये प्रतिदिन के और किसी को 150 रूपये प्रति सत्र के दिए गए हैं। इन स्त्रोत व्यक्तियों को 300 रूपये से लेकर 3000 रूपये तक की राशी अदा की गई है। सूचना से पता चला है कि एक केन्द्रीय पाठशाला ने यह राशी अपने मद से खर्च की है। ब्यूरो के सदस्य संत राम ने बताया कि इन सूचनाओं से जाहिर होता है कि विभाग के सपष्ट दिशा निर्देश न होने के कारण यह प्रशिक्षण कागजों में रह गया है। इस प्रशिक्षण का कोई औचित्य नहीं है कयोंकि स्कूल प्रबंधन कमेटी का कार्यकाल मार्च में समाप्त होना है। उन्होने केन्द्रीय मंत्रालय से मांग की है सर्व शिक्षा अभियान के तहत खर्च की जा रही जनता की राशी का दुरूपयोग रोकने के लिए केन्द्रीय एजेंसी से जांच करवाई जाए।  

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