Saturday, 6 October 2012

एसवीएम में संविधान के सातवें कर्तव्य पर जन संवाद गोष्ठी आयोजित


मंडी। जिला विधिक प्राधिकरण की ओर से सरस्वती विद्या मंदिर पाठशाला में संविधान के सातवें कर्तव्य पर जन संवाद गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर दो राजेश चौहान ने की। इस अवसर पाठशाला के छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होने कहा कि अक्सर देखा गया है कि नागरिक संविधान द्वारा प्रदत अपने अधिकारों के बारे में तो भली भांती परिचित होते हैं लेकिन अपने कर्तव्यों के प्रति अनभिज्ञ होते हैं। ऐसे में प्रदेश उच्च न्यायलय के दिशा निर्देश के तहत जिला विधिक प्राधिकरण के माध्यम से विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं में जनसंवाद गोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होने बताया कि इस जनसंवाद का उदेश्य संविधान के अनुच्छेद 51-क में वर्णित सातवें कर्तव्य के बारे में जानकारी देना है। उन्होने छात्रों से आहवान किया कि गोष्ठी में कर्तव्यों के बारे में मिली जानकारी को उन्हे अन्य लोगों के साथ बांटना चाहिए, जिससे नागरिक अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो सकें। इस अवसर पर न्यायिक दंडाधिकारी कोर्ट नंबर चार उपासना शर्मा ने सातवें कर्तव्य के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि नागरिकों का यह कर्तव्य बनता है कि प्राकृतिक पर्यावरण के तहत आने वाले वनों, झीलों, नदियों और वन्य प्राणियों की रक्षा करें और संंवर्धन करें। इसके अलावा नागरिकों का यह भी कर्तव्य है कि वह प्राणीमात्र के लिए दया भाव रखे। इस अवसर पर जिला बार एसोसिएशन के सदस्य अधिवक्ता अलकनंदा हांडा और अधिवक्ता समीर कश्यप ने भी सातवें कर्तव्य पर प्रकाश डाला। सरस्वती विद्या मंदिर पाठशाला के उपाध्यक्ष डाक्टर राजू ने पाठशाला में गोष्ठी का आयोजन करने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण का स्वागत किया। जबकि पाठशाला के अध्यक्ष बलबीर शर्मा ने गोष्ठी आयोजित करने के लिए धन्यावाद किया। इस अवसर पर संस्था की ओर से महासचिव नरेन्द्र पाल चोपडा, हेमकांत कात्यायन, पाठशाला की प्रधानाचार्य, स्टाफ और छात्र- छात्राएं मौजुद थी।  

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