Wednesday 20 February 2013

नाबालिग से दुराचार के आरोपी को सात साल के कठोर कारावास की सजा


मंडी। नाबालिगा को अभिभावकों की अनुमती के बिना शादी का झांसा देकर अगवा करने और उससे दुराचार करने का अभियोग साबित होने पर अदालत ने एक आरोपी को सात साल के कठोर कारावास और 4500 रूपये जुर्माने की सजा सुनाई। अदालत ने घटना के करीब एक साल बाद ही न्यायिक प्रक्रिया पूरी करके यह फैसला सुनाया। जिला एवं सत्र न्यायधीश वीरेन्द्र सिंह के न्यायलय ने सरकाघाट तहसील के खरसाल निवासी बलदेव सिंह पुत्र नानक चंद के खिलाफ भादंसं की धारा 376, 363, 366 और 342 के तहत अभियोग साबित होने पर क्रमश: सात साल, तीन-2 साल की कठोर और दो माह के साधारण कारावास की सजा और 4500 रूपये जुर्माने की सजा सुनाई। आरोपी के जुर्माना राशि निश्चित समय में अदा न करने पर उसे दो माह, एक-एक माह और 15 दिन की अतिरिक्त कारावास भुगतनी होगी। ये सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। अभियोजन पक्ष के अनुसार इस मामले के शिकायतकर्ता लाल सिंह ने 12 फरवरी 2012 को सरकाघाट पुलिस थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। अभियोजन के अनुसार आरोपी नाबालिगा को बहला फुसला कर अपने साथ जिला सिरमौर को ले गया था। पुलिस ने नाबालिगा को 42 दिनों के बाद तलाश करके उसे परिजनों को सौंपा था। इसके बाद पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए जिला न्यायवादी जे के लखनपाल ने इस मामले में 11 गवाहों के बयान कलमबद्ध करके आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित किया। सजा की अवधी पर हुई सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष का कहना था कि आरोपी का यह पहला अपराध है और वह घर में अकेला कमाने वाला है। ऐसे में उसके प्रति नरम रूख अपनाया जाए। जबकि अभियोजन पक्ष का कहना था कि आरोपी ने नाबालिगा से दुराचार किया है जिसके कारण आरोपी के प्रति नरम रूख न अपनाया जाए। अदालत ने दोनों पक्षों की विस्तार से सुनवाई के बाद अपने फैसले में कहा कि अभियोजन की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों से आरोपी पर नाबालिगा को उसके अभिभावकों की अनुमती के बिना शादी का झांसा देकर अगवा करने और उससे दुराचार का अभियोग साबित हुआ है। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में नरम रूख नहीं अपनाया जा सकता। जिसके चलते अदालत ने आरोपी को उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया।

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