Sunday, 3 February 2013

शिवरात्री मेले को अधिक आकर्षित बनाया जाएः ईप्टा


मंडी। इस साल मार्च महिने में आयोजित होने वाले अंतराष्ट्रिय शिवरात्री महोत्सव को और बेहतर बनाने के लिए इंडियन पीपलस थियेटर एसोसिएशन (ईप्टा) ने मेला प्रबंधन कमेटी को ज्ञापन सौंपा है। ईप्टा के संयोजक लवण ठाकुर ने उपायुक्त मंडी देवेश कुमार को सौंपे ज्ञापन में कहा कि शिवरात्री मेले में भारी संखया में लोग एकत्र होते हैं। इस मौके पर विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं सवच्छता अभियान, खुला शौच मुक्त करना, पर्यावरण का संरक्षण, भु्रण हत्या, लिंग समानता, ट्रैफिक कानून, महिलाओं व बच्चों के अधिकार, धरोहर जागरूकता, मौलिक कर्तव्य, स्वास्थय व पोषण, शिक्षा का अधिकार, सूचना के अधिकार आदि विषयों की जागरूकता बढाने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाए जाने चाहिए। इसके अलावा भाषण, वाद विवाद और पेंटिंग की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जानी चाहिए। जिसमें स्थानिय शैक्षणिक संस्थानों की भागेदारी सुनिश्चित की जा सके। इस संस्थानों से विषयों पर आधारित कार्यक्रम तैयार करवाने चाहिए। ईप्टा ने मांग पत्र में कहा कि दिल्ली, मुंबई से महंगे कलाकारों को लाने से बचना चाहिए। बल्कि उनको दी जाने वाली राशि स्थानिय संस्थाओं को दी जानी चाहिए जिससे रिहर्सल करके विषयों पर आधारित अच्छी प्रस्तुतियां दी जा सकें। पिछले कुछ सालों से ऐसा देखा जा रहा है कि शिवरात्री के मंच पर अधकचरे गायकों की एक भीड सी आ गई है। ये गायक कुछ स्थानिय लोक गीत और फिल्मी गीत गाते हैं और हैरानी की बात यह है कि इन गायकों को तीन से दस हजार रूपये तक की राशि दी जाती है। यह भी देखा गया है कि यह गायक बिना रिहर्सल के मंच पर आ जाते हैं और बिना सुर ताल के गाते हैं। उनके साथ मंच पर नाचने वाले भी बिना रिहर्सल के नाच रहे होते हैं। जिससे मंच की गरिमा गिर गई है। अच्छे, ईमानदार, कठिन परिश्रम करने वाले सच्चे कलाकारों को अपनी प्रतिभा और मेहनत दिखाने के लिए मंच ही नहीं मिल पाता क्योंकि मंच तो पहले से ही अधकचरे गायकों से भरा पडा है। इतना ही नहीं अब तो आयोजनकर्ता भी पैसे के लालच में आए इन अधकचरे और गंभीरताहीन गायकों की कला से बुरी तरह से ऊब चुके हैं। इसके लिए व्यवस्था की जानी चाहिए। अगर कवि को अपनी मौलिक कविता सुनाने के तीन सौ रूपये दिये हैं तो इन नये कलाकारों को भी 300 रूपये से ज्यादा नहीं दिये जाने चाहिए। ईप्टा ने मांग की है कि मेला से 15 दिन पहले गायन की प्रतियोगिता आयोजित की जाए, जिनमें से श्रेष्ठ कलाकारों का चयन किया जाए। मंच पर अभद्रता, सेकस, डबल मिनिंग और अतार्किक बातों को स्थान नहीं देने के प्रयास किये जाने चाहिए। ग्रामिण खेलों और अन्य स्पर्धाओं के लिए अधिक राशि का प्रावधान किया जाना चाहिए। मैराथन को और अधिक आर्कषक बनाया जाए। मेले में किसी जादूगर को भी आमंत्रित किया जाना चाहिए। पडल में होने वाले बजंतरी मेले पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। सैंकडों लोक वादकों की कोरियोग्राफी तैयार करने की कोशिश की जानी चाहिए। प्रतियोगिता स्थल कालेज ग्राउंड की विशेष सज्जा की जाए। बजंतरी प्रतियोगिता के जज लोक धुन और संगीत के माहिर लोगों को बनाया जाए। बजंतरियों का मानदेय बढाया जाए। कालेज मैदान में सारा दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हों। मेले में करीब 30 ऐसे देवता भाग लेते हैं जिनका नाम मेला कमेटी में पंजीकृत नहीं है। ये देवता बिना आमंत्रण के मंडी आते हैं और पूरे उत्साह के साथ मेले में भाग लेते हैं। हालांकि इन देवताओं को मेला कमेटी की ओर से खाना, राशन और ठहरने की जगह भी दे दी जाती है। लेकिन इन देवताओं का भी पंजीकरण किया जाए। ईप्टा ने मांग की है कि पिछले कुछ वर्षों से शुरू किये गए कवि सममेलन, रंगमंच और शास्त्रीय संगीत व नृत्य के कार्यक्रमों के लिए अधिक राशि का प्रावधान किया जाए।

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