Saturday 30 March 2013

दुराचारी अध्यापक को 10 साल कठोर कारावास और 1,10,000 रूपये जुर्माने की सजा


मंडी। आठवीं कक्षा की नाबालिग से दुराचार करने के आरोपी अध्यापक को अदालत ने 10 साल के कठोर कारावास और एक लाख 10 हजार रूपये जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया। आरोपी से प्राप्त होने वाली जुर्माना राशि में से आधी राशि पीडिता के पक्ष में बतौर हर्जाना अदा की जाएगी। जिला एवं सत्र न्यायधीश वीरेन्द्र सिंह के न्यायलय ने सदर तहसील के रती गांव निवासी राम सिंह पुत्र लंगेडा राम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और 354 के तहत अभियोग साबित होने पर क्रमश: 10 साल और दो साल के कठोर कारावास और क्रमश: एक लाख व दस हजार रूपये के जुर्माना राशि की सजा सुनाई। आरोपी के जुर्माना राशि निश्चित समय में अदा न करने पर उसे क्रमश: 6 और 2 माह के अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी। ये सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। अभियोजन पक्ष के अनुसार एक दिसंबर 2010 को आरोपी ने पीडिता से कहा कि वह आधे दिन की छुटटी के लिए उसके पास आवेदन मांगा और उसे डिपो के पास आने के निर्देश दिये। इसके बाद आरोपी पीडिता को अपने साथ वाहन में बिठा कर कुछ दूरी तक ले गया और उसे सडक से नीचे की ओर ले जाकर उससे अकेली जगह में दुराचार किया। पीडिता ने बाद में इस घटना की सूचना अपने परिजनों को दी। जिस पर परिजनों सहित पीडिता ने बल्ह थाना में आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से जिला न्यायवादी जे के लखनपाल ने इस मामले में 9 गवाहों के बयान दर्ज करवा कर इसे साबित किया। सजा की अवधि पर हुई सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष का कहना था कि यह आरोपी का पहला अपराध है जिसके चलते आरोपी के प्रति नरम रूख अपनाया जाए। जबकि जिला न्यायवादी जे के लखनपाल का कहना था कि आरोपी घटना के समय पीईटी के पद पर स्कूल में तैनात था जबकि पीडिता आठवीं कक्षा की छात्रा थी। आरोपी ने अपने पद का दुरूपयोग कर गुरू-शिष्य परंपरा को कलंकित किया है। जिसके चलते आरोपी को कडी सजा दी जाए। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी ने अपनी बेटी जिसकी आयु 18 वर्ष है से भी छोटी पीडिता से दुराचार करके शर्मनाक और अमानवीय कृत्य किया है। आरोपी ने उन सैंकडों अभिभावकों के विश्वास को तोडा है जो अपनी बेटियों को शिक्षक कहे जाने व्यक्ति की हिफाजत में स्कूल भेजते हैं। अदालत ने कहा कि आरोपी का कृत्य उदार रूख अपनाए जाने योगय नहीं हैं। ऐसे में उसे उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया गया। आरोपी से प्राप्त होने वाली जुर्माना राशि में से आधी राशि पीडिता के पक्ष में बतौर हर्जाना अदा की जाएगी।

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