Wednesday 1 August 2012

महंगा वकील नहीं करेगा नगर परिषद की पैरवी


मंडी। वितिय संकट से गुजर रही नगर परिषद के अदालती मामलों की पैरवी अब महंगा वकील नहीं करेगा। प्रदेश सरकार के शहरी विकास विभाग के निदेशक ने परिषद के वितिय हितों के मदेनजर महंगी दरों पर अधिवक्ता की सेवा लेने संबंधी प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। मंडी की संस्था आरटीआई ब्युरो के संयोजक लवण ठाकुर ने विभाग के निदेशक को पत्र प्रेषित करके नगर परिषद के महंगी दरों पर वकील नियुक्त करने से संबंधी प्रस्ताव को पास करने का विरोध करते इसे निरस्त करने की मांग की थी। आरटीआई ब्युरो के नगर परिषद से सूचना के अधिकार के तहत सूचनाएं एकत्र से यह उजागर हुआ कि वितिय संकट से गुजर रही नगर परिषद ने प्रस्ताव पारित करके महंगे वकील की सेवाएं लेने का निर्णय लिया है। हालांकि नगर परिषद पहले ही कई वर्षों से एक अधिवक्ता की 2000 रूपये प्रतिमाह की दर से सेवाएं ले रही है। लेकिन इसी साल 31 जनवरी को नगर परिषद ने एक अधिवक्ता को फीस की महंगी दरों पर नियुक्त करने का प्रस्ताव पारित किया था। इस प्रस्ताव के मुताबिक नये अधिवक्ता को हर केस की 5500 रूपये फीस और उन्हे प्रति नोटिस 200 रूपये भी अदा किए जाने थे। ब्युरो के संयोजक लवण ठाकुर ने बताया कि नगर परिषद की ओर से दुकानों के किराये और हाऊस टैक्स के करीब 2000 नोटिस जारी करके अदालत में केस दायर किए जाने हैं। जिसके लिए उक्त अधिवक्ता को 5500 रूपये प्रति केस से करीब 45 लाख का भुगतान किया जाना था जो कि जनता पर बोझ था। नप की वितिय हालत का यह आलम है कि बिजली का बिल अदा न करने से करीब 20 दिनों तक बंद रही शहर की स्ट्रीट लाईटें उच्च न्यायलय के हस्ताक्षेप से बहाल हो पाई हैं। इधर, विभाग की निदेशक पूर्णिमा चौहान ने नगर परिषद के इस आशय में पारित किये गए प्रस्ताव को खारिज करने की पुष्टि की है। निदेशक के अनुसार नगरपरिषद के वितिय संकट को देखते हुए वकील नियुक्त करने संबंधी परिषद के प्रस्ताव को न्यायोचित नहीं मानते हुए इसे खारिज कर दिया है। जिसकी सूचना नगर परिषद की कार्यकारी अधिकारी और आरटीआई ब्युरो को पत्र के माध्यम से दी गई है।  

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