मंडी। अदालतों में अपने बयानों से मुकरने वाले गवाहों की अब खैर नहीं है। ऐसे मामलों में अदालतों ने अब कडा रूख अपनाना शुरू कर दिया है। इसी तरह के एक मामले में अदालत ने गवाहों के मुकरने पर आरोपी को भले ही रिहा कर दिया, लेकिन दो गवाहों को अदालत ने कारण बताओ नोटिस जारी करके यह जवाब तलब किया है कि क्यों नहीं उनके खिलाफ झूठे बयान देने का अभियोग चलाया जाए। जिला एवं सत्र न्यायधीश वीरेन्द्र सिंह की विशेष अदालत ने अनुसूचित जाति अत्याचार निरोधक अधिनियम की धारा 3 के तहत चलाए अभियोग में साक्ष्यों के अभाव के कारण आरोपी को हालांकि बरी करने का फैसला सुनाया। लेकिन इस मामले के दो गवाहों ज्ञान चंद और मीना राम को अदालत में अपने ब्यान से मुकर जाने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता ने मारपीट करने और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने के आरोपों सहित आरोपी के खिलाफ न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर तीन के न्यायलय में शिकायत दर्ज करवाई थी। सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता की ओर दर्ज करवाए गए ब्यानों में इन गवाहों के शपथ सहित बयान दर्ज किए गए थे। न्यायिक दंडाधिकारी ने मामलों के तथ्यों के आधार पर संज्ञान लेते हुए आरोपी को तलब करके अभियोग चलाने के लिए विशेष अदालत को यह मामला प्रेषित किया था। विशेष अदालत ने आरोपियों के खिलाफ अभियोग की सुनवाई की। न्यायलय ने अपने फैसले में कहा कि अभियोग के दौरान अभियोजन पक्ष के गवाह ज्ञान चंद और मीना राम न्यायिक दंडाधिकारी कोर्ट नंबर तीन की अदालत में दिये गए अपने सशपथ बयानों से मुकर गए। अदालत ने कहा कि गवाहों का अपने बयान से मुकरना इन दिनों आम बात हो गई है। जिसके कारण अदालतों का यह कर्तव्य बन जाता है कि वह गवाहों के इस दृष्टिकोण का निरिक्षण करे। इन गवाहों के मुकर जाने से निश्चित रूप से आरोपी को मदद मिली है। अदालत ने कहा कि दोनों गवाहों ने शपथ लेकर झूठा बयान दिया है जिसके कारण अदालत इन गवाहों के खिलाफ शपथ लेकर झूठे साक्ष्य पेश करने के खिलाफ कार्यवाही करने को बाध्य है। ऐसे में अदालत ने आरोपी को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया। जबकि दोनों गवाहों को कारण बताओ नोटिस जारी करके 24 सितंबर को यह जवाब तलब किया है कि क्यों नहीं उनके खिलाफ झूठे बयान देने का अभियोग चलाया जाए।
Thursday, 30 August 2012
बयानों से मुकरने पर अदालत ने दो गवाहों को तलब किया
मंडी। अदालतों में अपने बयानों से मुकरने वाले गवाहों की अब खैर नहीं है। ऐसे मामलों में अदालतों ने अब कडा रूख अपनाना शुरू कर दिया है। इसी तरह के एक मामले में अदालत ने गवाहों के मुकरने पर आरोपी को भले ही रिहा कर दिया, लेकिन दो गवाहों को अदालत ने कारण बताओ नोटिस जारी करके यह जवाब तलब किया है कि क्यों नहीं उनके खिलाफ झूठे बयान देने का अभियोग चलाया जाए। जिला एवं सत्र न्यायधीश वीरेन्द्र सिंह की विशेष अदालत ने अनुसूचित जाति अत्याचार निरोधक अधिनियम की धारा 3 के तहत चलाए अभियोग में साक्ष्यों के अभाव के कारण आरोपी को हालांकि बरी करने का फैसला सुनाया। लेकिन इस मामले के दो गवाहों ज्ञान चंद और मीना राम को अदालत में अपने ब्यान से मुकर जाने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जानकारी के अनुसार शिकायतकर्ता ने मारपीट करने और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने के आरोपों सहित आरोपी के खिलाफ न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर तीन के न्यायलय में शिकायत दर्ज करवाई थी। सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता की ओर दर्ज करवाए गए ब्यानों में इन गवाहों के शपथ सहित बयान दर्ज किए गए थे। न्यायिक दंडाधिकारी ने मामलों के तथ्यों के आधार पर संज्ञान लेते हुए आरोपी को तलब करके अभियोग चलाने के लिए विशेष अदालत को यह मामला प्रेषित किया था। विशेष अदालत ने आरोपियों के खिलाफ अभियोग की सुनवाई की। न्यायलय ने अपने फैसले में कहा कि अभियोग के दौरान अभियोजन पक्ष के गवाह ज्ञान चंद और मीना राम न्यायिक दंडाधिकारी कोर्ट नंबर तीन की अदालत में दिये गए अपने सशपथ बयानों से मुकर गए। अदालत ने कहा कि गवाहों का अपने बयान से मुकरना इन दिनों आम बात हो गई है। जिसके कारण अदालतों का यह कर्तव्य बन जाता है कि वह गवाहों के इस दृष्टिकोण का निरिक्षण करे। इन गवाहों के मुकर जाने से निश्चित रूप से आरोपी को मदद मिली है। अदालत ने कहा कि दोनों गवाहों ने शपथ लेकर झूठा बयान दिया है जिसके कारण अदालत इन गवाहों के खिलाफ शपथ लेकर झूठे साक्ष्य पेश करने के खिलाफ कार्यवाही करने को बाध्य है। ऐसे में अदालत ने आरोपी को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया। जबकि दोनों गवाहों को कारण बताओ नोटिस जारी करके 24 सितंबर को यह जवाब तलब किया है कि क्यों नहीं उनके खिलाफ झूठे बयान देने का अभियोग चलाया जाए।
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