Thursday 22 March 2012

जिला मंडी की पहली महिला अधिवक्ता कुसुम कुमारी का देहांत


मंडी। जिला में सबसे पहले बतौर महिला अधिवक्ता प्रैक्टिस शुरू करने वाली अधिवक्ता कुसुम कुमारी का देहांत हो गया। वीरवार को यहां के हनुमान घाट में उनका दाह संस्कार कर दिया गया। कुसुम कुमारी ने मंडी जिला में सबसे पहले बतौर महिला अधिवक्ता के रूप में साल 1965 में अपनी प्रैक्टिस शुरू की थी। उन्होने पंजाब विश्वविद्यालय से कानून स्नातक की पढाई पूरी करने के बाद मंडी न्यायलय में बतौर अधिवक्ता कार्य करना शुरू किया था। अपने देहांत के समय वह करीब 72 वर्ष की थी। कुसुम पिछले करीब एक माह से वह बीमार चल रही थी। बीते कल आईजीएमसी शिमला में उपचार के दौरान उनका देहांत हो गया। अपने भाई अधिवक्ता रामदास के साथ प्रैक्टिस शुरू करने वाली कुसुम कुमारी ने करीब 47 साल का अरसा लोगों को न्यायिक सेवा प्रदान करने में लगा दिया। वह अधिकतम समय तक ओथ कमिश्नर के रूप में कार्यरत रही। पिछले करीब 15 सालों से वह बतौर नोटरी पब्लिक के रूप में कार्यरत थी। हालांकि उन्हे कई बार सरकारी नौकरी मिलने के अवसर भी मिले, लेकिन उन्होने बतौर अधिवक्ता ही कार्य करने को तवज्जो दी। कुसुम कुमारी के देहांत की सूचना मिलते ही जिला एवं सत्र न्यायलय परिसर में शोक की लहर दौड पडी। जिला बार एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता कुसुम कुमारी के देहांत पर बार रूम में एक शोक सभा आयोजित की। जिसमें जिला एवं सत्र न्यायधीश वीरेन्द्र सिंह, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश राकेश कैंथला, फास्ट ट्रैक कोर्ट के पीठासीन अधिकारी आर के शर्मा, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी डी आर ठाकुर सहित सभी न्यायिक दंडाधिकारी और जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारी व सदस्य मौजूद थे। इस अवसर पर अधिवक्ता की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। शोक सभा में प्रस्ताव पारित करके शोक संतप्त परिवार को संवेदना संदेश प्रेषित किया गया।  

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