Monday, 26 March 2012

एमरसन हाऊस के संरक्षण का कार्य हुआ शुरू, संरक्षण की मुहिम रंग लाई।


मंडी। शहर का दिल कहे जाने वाले चौहट्टा बाजार में स्थित ऐतिहासिक धरोहर एमरसन हाऊस के संरक्षण की मुहिम आखिर रंग लाई है। लोक निर्माण विभाग ने भवन के संरक्षण का कार्य शुरू कर दिया है। भवन को पुरातत्व विभाग के निर्देशों के अनुसार इसके विशिष्ट स्थापित्य को देखते हुए संरक्षित किया जा रहा है। भवन के संरक्षण का कार्य शुरू होने से इस धरोहर भवन को बचाने में जुटे स्थानिय निवासियों और संस्थाओं ने राहत की सांस ली है। ब्रिटिश एवं पहाडी स्थापित्य कला के अनुठे मिश्रण एमरसन भवन का निर्माण तात्कालीन मंडी रियासत के अधिक्षक एच डब्लयु एमरसन ने सन 1918 में करवाया था। तब से यह भवन न्यायिक प्रशासन को चलाने के लिए कचहरी के रूप में प्रयोग हो रहा है। कुछ ही वर्षों में अपने निर्माण की शती मनाने वाले इस भवन के स्थापित्य कला की भव्यता बरबस ही अपने ओर आकर्षित करती है। लेकिन उचित रखरखाव न रह पाने के कारण भवन को पिछले काफी समय से नुक्सान पहुंच रहा था। जिसके चलते कई बार तो इसे तोड कर यहां बहुमंजिला भवन बनाने की योजनाएं भी तैयार होने लगी थी। लेकिन शहर की एक संस्था आरटीआई ब्युरो ने इन आशंकाओं को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित करके इसके संरक्षण की मांग की थी। जिस पर हरकत में आई सरकार ने पुरातत्व विभाग के क्युरेटर को कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे। विभाग के दल ने भवन का दौरा करके सरकार को रिर्पोट पेश करके इस धरोहर को बचाने की सिफारिश की थी। जिस पर सरकार ने भवन के संरक्षण के लिए बजट जारी करके कार्य शुरू करने को कहा था। प्रदेश सरकार के निर्देशों पर अमल करते अब भवन की स्लेटों को उखाडने का काम शुरू कर दिया है। लोनिवि के एसडीओ के एस धीमान ने बताया कि पुरातत्व विभाग के निर्देशों के तहत भवन की विशिष्टता को देखते हुए यह कार्य करवाया जाएगा। उन्होने बताया कि भवन के छत की खराब हो गई कडियों को हटा कर नयी लगायी जाएंगी। इन कडियों के ऊपर प्लैंकस लगाए जाएंगे। इन प्लैंकस के ऊपर पीवीसी की चार एमएम की शीट लगाई जाएगी, जिससे छत को नुकसान न पहुंचे। शीट के ऊपर पहले की ही तरह स्लेटनुमा छत बनाई जाएगी। इसके अलावा भवन के बरामदों और ईव्स बोर्डस को भी ठीक किया जाएगा। यह कार्य दो महिने में पूरा कर लिया जाएगा। इधर, आरटीआई ब्युरो के संयोजक लवण ठाकुर ने भवन के संरक्षण का कार्य शुरू होने का स्वागत करते हुए छोटी काशी मंडी की अन्य धरोहरों को भी संरक्षित करने की मांग की है।  

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