Friday, 29 June 2012

नाबालिगा से दुराचार करने के आरोपी को सात साल के कठोर कारावास और 20,000 जुर्माने की सजा


मंडी। नाबालिगा से दुराचार के आरोपी को अदालत ने सात साल के कठोर कारावास और 20,000 रूपये जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया। आरोपी के जुर्माना राशि निश्चित समय में अदा न करने पर 6 माह के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। जिला एवं सत्र न्यायधीश वीरेन्द्र सिंह के न्यायलय ने जिला कुल्लू के नरोगी छियुर (भुंतर) निवासी कुलदीप ठाकुर पुत्र लुदर चंद के खिलाफ भादंसं की धारा 376 और 363 के तहत अभियोग साबित होने पर क्रमश: सात साल और तीन साल के कठोर कारावास और दस-दस हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई। यह दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। जबकि इस मामले के एक अन्य आरोपी देणी धार (पयुड) निवासी हरी सिंह के खिलाफ भादंसं की धारा 366-ए के तहत अभियोग साबित न होने पर उसे बरी कर दिया गया। अभियोजन पक्ष के अनुसार पीडिता के पिता ने सरकाघाट थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी कि उनकी नवीं कक्षा में पढने वाली बेटी 2 फरवरी 2011 को स्कूल गई थी। लेकिन इसके बाद वह वापिस घर नहीं लौटी। छानबीन के बाद पीडिता आरोपी सहित भुंतर बस स्टैंड से बरामद हुई थी। पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर अदालत में अभियोग चलाया था। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए जिला न्यायवादी जे के लखनपाल ने 12 गवाहों के बयान कलमबंद करवा के आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित किया। सजा की अवधि पर हुई सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की ओर से आरोपी का पहला अपराध होने के कारण नरम रूख अपनाने की मांग की गई। जबकि अभियोजन पक्ष का कहना था कि आरोपी के अपराध से नाबालिग पीडिता का सदमा पहुंचा है ऐसे में आरोपी के प्रति नरम रूख न अपनाया जाए। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि कानून की मंशा आरोपी को सुधारने की होती है न कि उसे अपराधी बनाने की। ऐसे में अदालत ने आरोपी को उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया। जबकि पीडिता को अगवा करने में मदद करने का अभियोग साबित न होने पर अदालत ने इस मामले में सहआरोपी को बरी करने के आदेश दिये।  

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