मंडी। यहां के राजमहल में इन दिनों ऐतिहासिक दमदमा भवन की चटख रंगों से पुताई करके इसके स्वरूप से छेडछाड की जा रही है। जिससे सैंकडों साल पुरानी यह धरोहर विकृत हो रही है। इसका पता चलते ही सांस्कृतिक संस्था इंडियन पीपल्स थियेटर एसोसिएशन (इप्टा) के संयोजक लवण ठाकुर ने उपायुक्त मंडी और जिला पुलिस अधीक्षक के ध्यान में यह मामला लाया है। सैंकडों साल पुराने दमदमा भवन में ऐतिहासिक धरोहर को विकृत करने का सिलसिला थम नहीं पा रहा है। मंडी के इतिहास में इस भवन का अहम महत्व है। इस भवन में मंडी के अराध्य देवता माधोराव मंदिर, प्रकाश देई मंदिर और बाबा कोट मंदिर जैसे प्राचीन धार्मिक स्थल स्थित हैं। जिनके साथ स्थानिय लोगों का भावनात्मक संबंध है। लेकिन भवन में रहने वाले लोगों ने इस पहाडी स्थापित्य कला शैली के इस खूबसूरत नमूने को मानो पूरी तरह से विकृत करनी की ठान ली है। इन दिनों यहां पर रहने वाले लोगो ने किलेनुमा दमदमा भवन की खूबसूरत पत्थर की दीवारों को नीले और लाल रंगों से पुताई करने का अभियान चला रखा है। ऐसा लगता है कि इन लोगों को इस भवन की ऐतिहासिकता का कोई ज्ञान नहीं है तभी तो इसके वास्तविक स्वरूप से छेडछाड करके विकृत करने में कोई कसर नहीं छोडी जा रही है। इस धरोहर को लेकर बेनामी सौदे का एक मामला भी अदालत में विचाराधीन है। इसके अलावा भवन परिसर में रहने वालों ने पहले भी कई बार इसे विकृत करने में कोई कसर नहीं छोडी है। इससे पहले भी इस भवन की ऐतिहासिक सीढियों को तोड दिया गया था। इप्टा के संयोजक ने मांग की है कि इस भवन को बेनामी संपति घोषित करके सरकार को इसे अधिग्रहित करना चाहिए। उन्होने कहा कि भवन परिसर में रहने वाले लोग इसके महत्व को न समझते हुए मंडी के इतिहास की चुनिंदा निशानियों को भी खत्म करने पर उतारू हैं। उन्होने प्रशासन से इस धरोहर भवन को कुरूप करने की साजिश को बेनकाब करने की मांग करते हुए इन दिनों चले पुताई के कार्य पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। इधर, उपायुकत मंडी देवेश कुमार से संपर्क करने पर उन्होने कहा कि यह मामला उनके ध्यान में नहीं है। उन्होने कहा कि अगर ऐसा कुछ किया जा रहा तो इस बारे में आवश्यक कारवाई अमल में लाई जाएगी।
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