समीर कश्यप
मंडी। हिमाचली संगीत की धूम अब प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश-विदेश में भी पहुंच रही है। वहीं पर हिमाचली मेलोडी की ओर अब शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध गायक भी आकर्षित हो रहे हैं। देश की प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत गायिका शुभा मुदगल ने अभी हाल ही में रिलीज एक एलबम बंजारा दो में मंडयाली छिंज ( हरिद्वारा वे जांदे ओ) गाकर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को गौरवान्वित किया है। प्रदेश के मंडी जिला के गागल गांव से संबंध रखने वाले प्रसिद्ध संगीतकार बालकृष्ण शर्मा के संगीत में संगीतबद्ध इस एलबम में स्थानिय वासी गोमती देवी द्वारा संकलित छिंज को शासत्रीय गायिका शुभा मुदगल ने अपनी खूबसूरत आवाज में सजाया है। इसके अलावा एलबम में पहाडी संगीत को लेकर कई नए प्रयोग किए गए हैं। एलबम के पहले गीत शंकर शाने की आवाज में छुपकु आरे में पारंपरिक लोकगीत को पहाडी रॉक संगीत का रूप दिया गया है। दूसरे गीत पहाडी गिधा किने लाई हो मेरी लौंग री बुलबुल को कृतिका तनवर ने अपनी खूबसूरत आवाज में सजाया है। प्रसिद्ध लोकगीत जमीदारनिए को जितेन्द्र जमवाल की आवाज में पिरोया गया। विनोद गंधर्व ने शास्त्रीय संगीत और पाश्चात्य संगीत के पारंपरिक मिश्रण में झूरी गाकर लोक संगीत को नया आयाम दिया है। पियुष राज ने अपनी खूबसूरत आवाज में चंबयाली गीत चंबे जो चली जाणा हो को परंपरागत अंदाज में स्वरबद्ध किया है। परंपरागत मंडयाली छिंज मरूया ओ पांज ओ पतरा को जितेन्द्र जमवाल और कृतिका तनवर ने अपनी खूबसूरत आवाजों में नए रूप में प्रसतुत किया है। पियुष राज की खूबसूरत आवाज में रूपणु पुहाल गदी समुदाय के पारंपरिक संगीत का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं पर विनोद गंधर्व की खूबसूरत आवाज में ढीली नाटी शुकरू मेटा भी हिमाचली लोक संगीत की समृद्ध विरासत को सामने लाती है। मास्टर के एल कौशल द्वारा संकलित झींज उडी जायां कालेया कागा को जितेन्द्र जमवाल और पारूल मिश्रा ने स्वरबद्ध किया है। एलबम के संगीतकार बालकृष्ण शर्मा ने बताया कि इस एलबम के माध्यम से वह हिमाचली संगीत में समावेशित शासत्रीय संगीत के तत्वों को सामने लाना चाहते हैं। इसके अलावा प्रदेश की खूबसूरत प्रकृति से उपजे संगीत की मिठास को वह आधुनिक संगीत के साथ मिला कर नया प्रयोग करके इसे देश विदेश में फैलाना चाहते हैं।
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