मंडी। रिश्वत लेते रंगे हाथ पकडे गए आरोपी एसडीओ को अदालत ने दो साल के कठोर कारावास और 50,000 रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है। आरोपी के जुर्माना राशि अदा न करने पर उसे 6 माह के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। जिला एवं सत्र न्यायधीश वीरेन्द्र सिंह की विशेष अदालत ने उतर प्रदेश के नोईडा के केन्द्रीय विहार निवासी मनोज कुमार पुत्र शिव चरण सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 7 और 13-दो के तहत अभियोग साबित होने पर क्रमश: दो-दो साल के कठोर कारावास और 25-25 हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना समय पर न देने की सूरत में आरोपी को छ:-छ: माह के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। ये दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। अभियोजन पक्ष के अनुसार शिकायत कर्ता रेवती राम और बलदेव ठाकुर ने स्टेट विजिलेंस और एंटी करप्शन ब्युरो के मंडी थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी कि वह लोक निर्माण विभाग में बी-क्लास ठेकेदार के रूप में कार्यरत हैं। उन्होने आईटीबीपी कुल्लू में फलड प्रोटेक्शन वर्क का कार्य लिया था। इस काम का निरिक्षण सीपीडबल्युडी के आरोपी एसडीओ मनोज कुमार कर रहे थे। शिकायतकर्ता को इस कार्य को करवाने के बदले 5,63,000 रूपये की राशि अदा की गई। लेकिन उक्त आरोपी एसडीओ उनसे 30,000 रूपये घूस की मांग करने लगा। जब शिकायतकर्ता ने राशि देने से इंकार किया तो आरोपी एसडीओ ने उन्हे घमकाते हुए कहा कि आगे के काम उन्हे कैसे मिल पाएंगे। आरोपी एसडीओ ने शिकायतकर्ता को घूस की राशि देने के लिए मंडी के सेरी मंच के पास बुलाया। जिस पर शिकायतकर्ता ने पुलिस को सूचित किया। सूचना पाकर हरकत में आई पुलिस मशीनरी ने डीएसपी गुरदेव चंद शर्मा की अगुवाई में टीम बनाकर शिकायतकर्ता के हाथों घूस की राशि आरोपी को देने के लिए भिजवाई। जैसे ही आरोपी ने राशि अपने हाथों में ली तो मौका पर तैनात पुलिस दल ने आरोपी को हिरासत में ले लिया। अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए लोक अभियोजक एन एस कटोच ने 17 गवाहों के बयान कलमबंद करवा कर आरोपी के खिलाफ अभियोग साबित किया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य होने से अभियोग साबित हुआ है जिसके चलते उसे उक्त कारावास और जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया गया।
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