मंडी। बार कौंसिल आफ इंडिया की दो दिवसीय देशव्यापी हडताल की काल पर जिला बार एसोसिएशन ने केन्द्र सरकार के प्रस्तावित बिलों के खिलाफ जम कर विरोध प्रदर्शन किया। एसोसिएशन की ओर से बुधवार को अदालती कार्यवाहियों का बाहिष्कार किया गया। जिसके कारण जिला एवं सत्र न्यायलय की विभिन्न अदालतों की कारवाही प्रौक्सी अधिवक्ताओं के माध्यम से हुई। बुधवार को सुबह ही अधिवक्ताओं ने न्यायलय परिसर में एकत्र होकर केन्द्र सरकार के प्रस्तावित बिलों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। जिसके बाद अधिवक्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर शहर भर में जुलूस निकाला। जिला बार एसोसिएशन की ओर से अतिरिक्त उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, प्रधानमंत्री, उच्चतम न्यायलय के मुख्य न्यायधीश, प्रदेश के गवर्नर, मुख्यमंत्री और सांसद वीरभद्र सिंह को ज्ञापन प्रेषित किया। एसोसिएशन ने विधी व्यवसाय और शिक्षा की स्वायतता और स्वतंत्रता को क्षीण करने के उदेश्य से केन्द्र सरकार द्वारा लाए जा रहे हायर एजूकेशन एंड रिसर्च बिल, 2011 और नेशनल एक्रीडेशन रेगुलेटरी अथारटी फार हायर एजूकेशनल इन्सटीच्युशनस एक्ट, 2010 का कडा विरोध किया है। देश में सशक्त लोकतंत्र के लिए अधिवक्ताओं की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए संसद ने दी एडवोकेट एक्ट 1961 के तहत पास किया था। जबकि विधिक शिक्षा और विधिक व्यवसाय के मानकों का कार्य बार कौंसिल को सौंपा गई था। एसोसिएशन के अनुसार केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने विधिक समुदाय के खिलाफ कार्य करते हुए बडे कारपोरेट हाऊसों और तथाकथित इंटरनेशनल एजूकेशन प्रोवाईडरों का पक्ष लेते हुए यह बिल लाए हैं। इन बिलों से आम आदमी, कानून के छात्र और विधिक समुदाय बुरी तरह से प्रभावित होगा। एसोसिएशन की ओर से इस अवसर पर जिला उपायुक्त परिसर में जनसभा आयोजित की गई। जिसमें प्रदेश बार कौंसिल के सदस्य देशराज, नरेन्द्र गुलेरिया, जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष धर्म चंद गुलेरिया, सहसचिव आशीष शर्मा और लोकेश कपूर ने इन प्रस्तावित बिलों को काला कानून करार देते हुए इन्हे वापिस लेने की मांग की।
No comments:
Post a Comment