Sunday, 1 July 2012

नव ज्योति कला मंच की नाटय संध्या में सशक्त प्रस्तुतियों ने गंभीर सवाल उठाए


मंडी। देश में और कुछ ठीक हो या न हो पर भ्रष्टाचार पूरी तरह से सुनियोजित है। प्रसिद्ध कहानीकार योगेश्वर शर्मा की कहानी के पात्र जब इस तरह की अभिव्यक्ति देते हैं तो वह एकाएक समसामयिक संदर्भों में प्रासांगिक हो उठते हैं। प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी मंडी में नाटक को समर्पित संस्था नव ज्योति कला मंच के गांधी भवन हाल में शनिवार को शुरू हुए दो दिवसीय नाटय उत्सव के पहले दिन का मुख्य आकर्षण प्रसिद्ध कहानीकार योगेश्वर शर्मा की कहानी एक टुकडा सच की सशकत प्रस्तुति रही। प्रसिद्ध निर्देशक इंद्र राज इंदु के प्रभावशाली निर्देशन और अभिनय से योगेश्वर शर्मा की कहानी के पात्र जीवंत हो उठे। सामाजिक सरोकारों के ताने बाने के गिर्द बुने गई इस कहानी की मुताबिक गरीब चपरासी अपना जीवन इस अभिलाषा में जीता है कि उसका लडका खूब पढ लिख कर उसके ही दफ्तर में कलक्टर बन कर आएगा। इसके लिए वह जिंदगी भर की पूंजी दांव पर लगा देता है। इसी सपने को देखते-2 उसकी पत्नी का देहांत हो जाता है। लेकिन लडके के लिए अपने पिता का महान सपना पूरा करना सामर्थय से बाहर हो जाता है। नाटक में सपनों के टुटने की त्रासदी मार्मिक ढंग से सामने आती है। नाटक में इंद्र पाल इंदु ने लडके, जय कुमार ने चपरासी पिता और शालिनी ने मां की भूमिकाओं से न्याय करते हुए कहानी की प्रस्तुति को जीवंत कर दिया। इसके अलावा नाटय उत्सव के पहले दिन बच्चों ने भ्रष्टाचार और मंहगाई पर चोट करते मंडयाली लोक नाटक बांठडा की प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। वहीं पर श्रवण गोस्वामी के उपन्यास पर आधारित नाटक जंगल तंत्रम की प्रस्तुति से वर्तमान व्यवसथा पर चोट की। नाटक के माध्यम से नेता, अधिकारी और पूंजीपतियों का गठबंधन किस तरह जनता को लूटता है को बेनकाब किया गया। नाटय उत्सव के मुख्य अतिथी इंडियन पीपलस थियेटर एसोसिएशन (ईप्टा) के संयोजक लवण ठाकुर ने नव ज्योति कला मंच की 40 दिनों की नाटय कार्यशाला के दौरान करीब 70 बच्चों को नाटक के गुर सिखाने के बाद तैयार की गई प्रस्तुतियों के मंचन के लिए आयोजित किए जा रहे दो दिवसीय नाटय उत्सव के लिए मंच को बधाई दी। प्रसिद्ध कहानीकार योगेश्वर शर्मा ने भी मंच के प्रयासों को सराहनीय बताते हुए इन्हे जारी रखने का आहवान किया। इस अवसर पर प्रसिद्ध कहानीकार मुरारी शर्मा, कवियित्री रूपेश्वरी शर्मा, कवि बी एल कपूर, मांडव्य कला मंच के कुलदीप ठाकुर, मनजीत मन्ना और रामेश्वर भी विशेष रूप से मौजूद थे।

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