मंडी। नयी दिल्ली में चल रही राष्ट्रीय सीनीयर बैडिमिंटन प्रतियोगिता में पहली बार भाग ले रही हिमाचल प्रदेश की 16 वर्षीय खिलाडी दिव्या दुगगल ने अपना पहला मैच जीत लिया है। दिव्या ने अपनी उम्र से बडी पश्चिम बंगाल की खिलाडी को शिकस्त देकर दूसरे दौर में जगह बना ली है। दिव्या की इस कामयाबी से जहां खुशी की लहर दौड गई है वहीं उसके अंतराष्ट्रिय व राष्ट्रिय स्तर के बैडिमिंटन खिलाडी बनने की उममीद जगी है। मंडी जिला की बालीचौकी उपतहसील के सुधराणी (खलवाहण) गांव की दिव्या दुगगल ने सीनीयर राष्ट्रिय बैडमिंटन प्रतियोगिता ने अपने पहले मैच में पश्चिम बंगाल के खिलाडी को हरा कर दूसरे दौर में जगह बना ली है। प्रतियोगिता में देश भर की सीनीयर टीमें भाग ले रही हैं। हिमाचल प्रदेश के दल में 16 वर्षीय दिव्या दुगगल भी शामिल है। दिव्या इससे पहले 9 बार राष्ट्रिय जूनियर और सब जूनियर प्रतियोगिताओं में भाग ले चुकी है। इसके अलावा वह जूनियर वर्ग में दो बार नार्थ जोन का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी है।
नयी दिल्ली में 23 दिसंबर तक आयोजित हो रही सीनीयर राष्ट्रिय प्रतियोगिता में पी वी संधु जैसे अंतर्राष्ट्रिय सितारे भी भाग ले रहे हैं। ऐसे में दिव्या का सीनीयर नेशनल में जीत के साथ प्रवेश मायने रख रहा है। जिला बैडिमिंटन एसोसिएशन के सचिव बी डी मोदगिल ने बताया कि दिव्या ने अपने से बडी उम्र की पश्चिम बंगाल की खिलाडी को शिकस्त देकर राष्ट्रिय बैडमिंटन के पटल पर अपनी शानदार उपस्थिति दर्ज की है। हिमाचल प्रदेश की अंडर 13, अंडर 15, अंडर 17 और अंडर 19 की स्टेट चैंपियन रह चुकी दिव्या दुगगल मंडी जिला की बालीचौकी तहसील की अति दुर्गम पंचायत खलवाहण से संबंध रखती है। दिव्या ने अपनी दसवीं तक की पढाई पंचायत की सुधराणी स्थित राजकीय पाठशाला से की है। यहीं से उसका बैडिमिंटन खिलाडी बनने का सफर शुरू हुआ। इन दिनों दिव्या मंडी के वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला (कन्या) में दस जमा एक की छात्रा है। गांव के गरीब घर से संबंध रखने वाली दिव्या को श्रेष्ठ बैडमिंटन खिलाडी बनाने में जुटे उनके पिता संतराम का कहना है कि दिव्या की इस सफलता और उसकी प्रतिभा को निखारने और इस जीत का श्रेय उसके कोच लोकेश शर्मा और राजेन्द्र वैद्या को जाता है। उनका कहना है कि बैडिमिंटन एक महंगा खेल है। ऐसे में सरकार और विभाग को दुर्गम क्षेत्र की प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए आगे आना चाहिए।
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